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Jammu & Kashmir  Economic Growth is Road to Peace

Jammu & Kashmir Economic Growth is Road to Peace

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South Kashmir again witnessed violence and firing on December 15 during army operation against terrorists. In the operation, three terrorists were killed. The unfortunate part of encounter was death of 7 civilians not because the armed forces fired at them indiscriminately but firing was resorted to in self defence as the civilians attacked the armed forces protesting and defending the terrorists. There was hue and cry over death of a young man in the firing because the victim was an MBA graduate. Bullets don’t recognize qualified or illiterate persons in mob violence. It is a matter of sorrow indeed that many civilians lost their life during encounter with terrorists. Knowing that when encounter is in progress there is firing from the terrorists and the armed forces during the operation ...
Loan-waivers, subsidies and promises directly affecting economy must not be allowed as part of poll-manifestoes

Loan-waivers, subsidies and promises directly affecting economy must not be allowed as part of poll-manifestoes

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Former Governor of Reserve Bank of India RBI Raghuram Rajan has very rightly raised concern of vote-catching gimmicks like loan-waivers for farmers which very adversely affect the economy and mute middle-class tax-payers, with farmers ultimately at loss by one-time advantage of availing gimmick loan-waiver. There must be a complete ban on such promises like subsidies, loan-waivers etc to be part of poll-manifestoes of political parties. Ultimate sufferer of such loan-waivers is mute category of middle-class tax-payer who has to bear burnt of additional taxes or cost-inflation due to deficit economy caused due to loan-waivers, subsidies or other schemes directly affecting public-exchequers. Even subsidy-system should be fast abolished in a gradual manner. Agricultural income over certain...
जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर सांसदों को पत्र

जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर सांसदों को पत्र

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माननीय सांसद जी, नमस्ते ! वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसँख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है ! चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं! जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की स...
जनसँख्या विस्फोट पर कब लगेगी लगाम?

जनसँख्या विस्फोट पर कब लगेगी लगाम?

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माननीय प्रधानमंत्री जी, सादर प्रणाम ! आम जनता को आपसे बहुत आशाएं हैं और खुशी की बात यह है कि आपके नेतृत्व में 2014 से अब तक जिस प्रकार से भ्रष्टाचार-मुक्त चहुमुखी विकास हुआ है उससे आम जनता विशेषकर युवाओं का विश्वास और अधिक बढ़ा है! जैसा कि आप जानते हैं कि वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं! इससे स्पस्ट है कि हमारे देश की कुल जनसँख्या 125 या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं ! हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर ची...
बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

बीमारियों के बोझ से उबरता भारत

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  विविधताओं से भरे देश हिन्दुस्तान के लिए अपने नागरिकों को वैश्विक स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। आजादी से लेकर अभी तक भारत ने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए अपने नागरिकों की सेहत को बेहतर रखने एवं करने की हर संभव कोशिश की है। पिछले 20 वर्षों की बात की जाए तो भारत सरकार ने 1999 में राष्ट्रीय एड्स कार्यक्रम, 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, 2008 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, 2010 में कैंसर, मधुमेह, कार्डियोवास्कुलर बीमारियां एवं स्ट्रोक को रोकने के लिए राष्ट्रीय पहल, 2011 में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, 2014 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं 2018 में आयुष्मान भारत जैसे तमाम पहल किए हैं। इन प्रयासों का परिणाम यह रहा है कि भारत ने तमाम तरह के स्वास्थ्य संकेतकों में...
हमें इसलिए चाहिए अविरल गंगा

हमें इसलिए चाहिए अविरल गंगा

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गंगा की अविरलता की मांग को पूरा कराने के लिए स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपने प्राण तक दांव पर लगा दिए। इसी मांग की पूर्ति के लिए युवा साधु गोपालदास आगे आये और अब इस लेख को लिखे जाने के वक्त तक मातृ सदन, हरिद्वार के सन्यासी आत्मबोधानन्द और पुण्यानंद उपवास पर डटे हैं। आखिर क्यों? गंगा के संबंध में आखिर ऐसा क्या लक्ष्य है कि जो अविरलता के बगैर हासिल नहीं किया जा सकता? किसी भी नदी की अविरलता के मायने क्या है? नदी के अविरल होने का लाभ क्या हैं, ख़ासकर गंगा के संदर्भ में? अविरलता का मायने अथर्ववेद के तृतीय काण्ड के सूक्त-13 के प्रथम मंत्रानुसार, सदैव भली प्रकार से गतिशील रहने तथा बादलों के ताडि़त होने व बरसने के बाद प्रवाह द्वारा उत्पन्न कल-कल ध्वनि नाद के कारण ही सरिताओं को नदी कहा जाता है- 'एदद: संप्रयती रहावनदता हते। तस्मादा नद्यो3नाम स्थ ता वो नामानि सिन्धव:।।’’ स्पष्ट है कि यदि प्...
Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

Kerala’s Demographic Shift: Three Axes Of Change And Salafism

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On 14 June 2016, Krishnendhu R Nath, an Indian, now residing in Malaysia, was travelling in Kerala’s Malappuram district when she suddenly fell sick. Nath asked for lime soda. Her husband’s friend tried to buy it from a shop on the highway. The friend was told that it was a period when Ramzan fasting was on (the eighth day of the month) and no shop there could sell soda or any eatable for that matter. Piqued, Nath herself went and asked a shopkeeper what his problem was in selling a lime soda or lemon juice during the fasting season. She wondered what travellers would do when they are not fasting. The shopkeeper politely replied that he was eager to supply, but his shop will be destroyed after that. Nath, who recorded her nightmare in a Facebook post, sai...
मानवाधिकार दिवस समय है आत्ममंथन करने का

मानवाधिकार दिवस समय है आत्ममंथन करने का

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हम आज 21 वीं सदी में लोकतांत्रिक सरकारों और मानवाधिकार आयोग जैसे वैश्विक संगठनों के होते हुए भी असफल हैं तो समय आत्ममंथन करने का है। अपनी गलतियों से सीखने का है, उन्हें सुधारने का है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सम्पूर्ण विश्व में मानव समाज एक बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा था। यह वो समय था जब मानव सभ्यता और  मानवता दोनों ही शर्मसार हो रही थीं। क्योंकि युद्ध समाप्त होने के बाद भी गरीब और असहायों पर अत्याचार, जुल्म, हिंसा और भेदभाव जारी थे। यही वो परिस्थितियाँ थीं जब संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक मानव के मनुष्य होने के उसके मूलभूत अधिकारों की जरूरत को समझा और यूनीवर्सल मानव अधिकारों की रूपरेखा को ड्राफ्ट किया जिसे 10 दिसम्बर  1948 को अपनाया गया। इसमें मानव समुदाय के लिए राष्ट्रीयता, लिंग,धर्म, भाषा और अन्य किसी आधार पर बिना भेदभाव किए उनके बुनियादी अधिकार सुनिश्चित किए गए। इस ड्राफ्ट को औपचारि...
राष्ट्रवादियों की अवहेलना…

राष्ट्रवादियों की अवहेलना…

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पांच राज्यों के विधान सभाओं के चुनावी परिणामों में हुई भाजपा की पराजय को राष्ट्रवाद की हार कहा जाये तो अनुचित नही होगा। मोदी,शाह व योगी कौन है राष्ट्रवादी समाज की भावनाओं को न समझने का जिम्मेदार..? यह राष्ट्रवादी समाज की पराजय है। सत्तालोलुपता ने देश की संस्कृति और स्वाभिमान को सदा ठेस पहुंचायी है। 2004 में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भाजपा की भारत भक्तो के प्रति उदासीनता ने ही सोनिया की कांग्रेस को विजयी बनाया था।  2014 में भाजपा की अद्भुत विजय भारतीय संस्कृति को आहत करने वाले सोनिया के षडयन्त्रो व मोदी जी का आक्रामक राष्ट्रवाद कारण बना था। सारे राष्ट्र में राष्ट्रवादियों को मोदी सरकार से बहुत आशा बंधी थी।जिससे आगे भी राज्यों के चुनावों में भाजपा को अच्छी विजय मिली। लेकिन अब जो परिणाम आये हैं उससे यह स्पष्ट संकेत है कि जब जब भाजपा राजमद में शपथ भूल जाती तब तब राष्ट्रवादियों...
BJP government should declare Shraddhanand Martyrdom Day as public holiday without adding new holiday

BJP government should declare Shraddhanand Martyrdom Day as public holiday without adding new holiday

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BJP led central government should honour Swamy Shraddhanand by declaring his martyrdom day of 25th December as gazetted holiday to respect sentiments of millions of Arya Samajists, without practically adding a holiday because the day is already a holiday for Christmas Day. The building where Swami Shraddhanand breathed his last is in congested Shraddhanand Marg (Naya Bazar) of Old Delhi. Government should acquire this building to convert into a national monument in memory of this great freedom-fighter whose activities were of prime importance not only for the freedom struggle but also for uplift of downtrodden, dalits and women. Swami Shraddhanand though being disciple of Arya-Samaj-founder Mahrishi Dayanand Saraswati, was an icon of national integration against British regime. He was t...