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जी-20 में सफल कूटनीति

जी-20 में सफल कूटनीति

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अर्जेटिंना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में चल रहे जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली सफलता तो यह है कि उन्होंने इस 20 राष्ट्रीय संगठन का 2022 का सम्मेलन भारत में करवाने का वायदा ले लिया। 2022 में भारत की आजादी का वह 75 वां साल होगा। इस 20 सदस्यीय संगठन में दुनिया के सारे शक्तिशाली राष्ट्र सक्रिय हैं और उनके अलावा भारत, जापान, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भी हैं, जो निकट भविष्य में महाशक्ति बन सकते हैं। इन सब राष्ट्रों का लक्ष्य यह होता है कि वे एक जगह बैठकर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय, व्यापारिक, आर्थिक और कानूनी समस्याओं पर विचार करें और उन्हें हल करने के रास्ते निकालें। ये 19 राष्ट्र और 20 वां यूरोपीय संघ मिलकर दुनिया का 85 प्रतिशत व्यापार करते हैं और 80 प्रतिशत सकल उत्पाद के ये मालिक हैं। इस सम्मेलन में मेादी के भाषणों का जोर इसी बात पर रहा कि नीरव मोदी, चोकसी, माल्या जैसे...
British pound to portrait Indian scientist

British pound to portrait Indian scientist

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
India should break Gandhi-monopoly on currency notes It refers to welcome media-reports that famous Indian scientist Jagdish Chandra Bose is amongst those who is likely to be figured on one of the denominations of British currency pound. It is high time that India should break Gandhi-monopoly on currency-notes of all denominations. To avoid political controversies, Reserve Bank of India and Central government should portray prominent pre-independence personalities having died before 15.08.1947 on currency-notes of different denominations. A committee also consisting of Prime Minister and leader of largest opposition party in Lok Sabha should decide unanimously prominent pre-independence personalities to be figured on different denominations of currency-notes. Even normally circulated co...
चैक डैम के पानी ने बदली आदिवासी किसानों की जिंदगी

चैक डैम के पानी ने बदली आदिवासी किसानों की जिंदगी

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  पानी व किसान का चोली और दामन का साथ है। पानी की महत्ता को अगर कोई अच्छे से जानता है तो वह है किसान। किसान को एक बार पीने का पानी नही मिले तो चल जाए लेकिन उसे उसकी फसल को सिंंंचने का पानी नही मिले तो वह बावरा हो जाता है।   फसल को हर हाल में पानी मिले इसके लिए कुछ भी कर सकता है। दुर्भाग्य तो ये है कि सरकारें किसानों को सहज रूप से व्यापक स्तर पर पानी उपलब्ध नही करा पाती है लेकिन उनके व्यक्तिगत प्रयासों से जो उत्पादन बढ़ता है उसका श्रेय लेने में कभी पीछे नही हटती है। हालाकि सरकारों की दोगली नीति से किसान को कोई फर्क नही पड़ता है। वह अपनी आर्थिक समृद्धि के लिए व्यक्तिगत रूप से देश के हर इलाके में अपने-अपने स्तर पर नए-नए प्रयोग करते रहता है। किसानों का ऐसा ही एक नवाचार झाबुआ जिले की थांदला तहसील के गावों में देखने को मिला। गोपालपुरा, छोटी बिहार व भीमपुरा वह चंद गांव है जिनमें यहां के आ...
राम के सहारे रण

राम के सहारे रण

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भाजपा पर दबाव बनाने के लिए 24 नव बर को अयोध्या में हुआ शिवसेना का जमावड़ा और 25 नव बर को विश्व हिन्दू परिषद का जमावड़ा भाजपा के लिए हिन्दुत्व के एजेंडे पर लौटने की चेतावनी है। हिन्दुओं का विश्वास फिर से जीतने के लिए मोदी सरकार को कोई बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। अजय सेतिया 2014 के चुनावों को लेकर भाजपा में भ्रम बना हुआ है कि वह विकास के एजेंडे की जीत थी या हिंदुत्व के उभार की जीत थी। समाज के एक वर्ग का कहना है गुजरात के विकास मॉडल के कारण देश ने मोदी को विकास पुरुष के रूप में देखा।  'सब का साथ, सब का विकास’ और 'अच्छे दिन’ के नारे ने कमाल किया, जिसमें वोटरों को दिवा स्वप्न दिखाई देने लगा था। जबकि भाजपा समर्थक बुद्धिजीवियों का मानना है कि कांग्रेस की बढ़ती मुस्लिम परस्ती के कारण हिन्दुओं को मोदी के रूप में एक फरिश्ता दिखाई दिया, जिस कारण हिन्दू एकजुट हुआ। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता जीत के...
Reservations or the slow Death of a Nation

Reservations or the slow Death of a Nation

TOP STORIES, राष्ट्रीय
  When South Africa got independence from the white British in 1990 under the leadership of Nelson Mandela his supporters, mainly African Tribes, demanded Reservations in education sector, government sector and in private sector! Nelson Mandela replied that he will not allow any type of Reservations in any sector i.e. in education sector, in government sector and in private sector at any cost, because Reservations and the products of Reservations will destroy the whole nation! The famous statement of Nelson Mandela is displayed at the entrance of the University of South Africa thus: "Destroying any nation does not require the use of Atomic Bombs or the use of long range Missiles. It only requires Lowering the Quality of Education and Allowing Cheating in the Examina...
आप जानते हैं कि क्या था राज्य विभाजन का आधार

आप जानते हैं कि क्या था राज्य विभाजन का आधार

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अभी देश में 29 राज्य और सात केंद्र शाषित प्रदेश हैं. इनमें अधिकतर राज्य आजादी के बाद ही अस्तित्व में आए. वर्ष 1947 में संयुक्त अवध प्रांत और आगरा प्रांत के क्षेत्रों को मिलाकर संयुक्त प्रांत बनाया गया, जिसे आगे चलकर 1950 में उत्तर प्रदेश नाम दिया गया. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल जो कि 1905 में बंगाल के दो भागों के विभाजन के साथ अस्तित्व में आया, से अलग होकर 1950 में बिहार और उड़ीसा राज्य बने. 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा भाषा को आधार मानते हुए, मद्रास से तेलुगु भाषी क्षेत्रों को अलग कर उसमें हैदराबाद प्रांत को मिलाते हुए आंध्र प्रदेश राज्य बनाया गया, जो कि भाषाई आधार पर बनने वाला पहला राज्य बना. मैसूर प्रांत में कन्नड़ भाषी क्षेत्रों को मिलाकर कर्नाटक राज्य बनाया गया और ब्रिटिश इंडिया के केंद्रीय प्रांत और बेरार क्षेत्र को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल के साथ मिलाकर मध्य प्रदेश ...
छात्रों की किसे चिन्ता है ?

छात्रों की किसे चिन्ता है ?

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पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र संघ के चुनाव भारी विवादों के बीच संम्पन्न हुए है। छात्र समुदाय दो खेमों में बटा हुआ था। एक तरफ भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और दूसरी तरफ वामपंथी, कांग्रेस और बाकी के दल थे। टक्कर कांटे की थी। वातावरण उत्तेजना से भरा हुआ था और मतगणना को लेकर दोनो जगह काफी विवाद हुआ। विश्वविद्यालय के चुनाव आयोग पर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर चला। छात्र राजनीति में उत्तेजना,हिंसा और हुडदंग कोई नई बात नहीं है। पर चिन्ता की बात यह है कि राष्ट्रीय राजनैतिक दलों ने जबसे विश्वविद्यालयों की राजनीति में खुलकर दखल देना शुरू किया है तब से धनबल और सत्ताबल का खुलकर प्रयोग छात्र संघ के चुनावों में होने लगा है, जिससे छात्रों के बीच अनावश्यक उत्तेजना और विद्वेष फैलता है। अगर समर्थन देने वाले राष्ट्रीय राजनैतिक दल इन छात्रों के भविष्...
सदियों लग जायेंगी, तुमको मुझे भुलाने में

सदियों लग जायेंगी, तुमको मुझे भुलाने में

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अटल युग का अवसान इस शताब्दी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं में एक मानी जाएगी। अटल जी से 1965 से लेकर अभी तक लगातार 53 वर्षों का साथ रहा, तबीयत बिगडऩे के पहले तक तो, शायद ही कोई ऐसा महीना गुजरता हो जब उनके साथ कुछ घंटे न बिताये हों। उम्र में मुझसे काफी बड़े थे। लेकिन, व्यवहार मित्रवत था। पूरा सम्मान देते थे और हल्के फुल्के मजाक भी कर लेते थे। मात्र एक घटना का जिक्र करूंगा। 1996 में जब अटल जी की 13 दिनों कि सरकार बनी और मायावती की बेवफाई से एक वोट की कमी पड़ गई तो अटल जी ने अपने संसद में भाषण का अंत 'न दैन्यम न पलायनम_’ कह कर किया और सीधे राष्ट्रपति भवन जा कर इस्तीफा सौंप दिया। उस समय अटल जी की लोकप्रियता चरम पर थी। जिसकी जुबान पर सुनो अटल जी का नाम रहता था। विरोधियों में भी उनके प्रशंस भरे पड़े थे। बिहार के मुजफ्फरपुर में प्रदेश कार्यकारणी की बैठक थी। उन दिनों भाजापा के प्रदेश अध्यक्ष स्व...
नवरस से भरपूर थे अटल

नवरस से भरपूर थे अटल

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    फरवरी 28, 2001, दिल्ली की सर्द शाम थी। दिन भर एनडीए सरकार के बजट की सियासी गर्मी और गहमा गहमी रही थी। शाम होते होते मौसम का मिज़ाज सर्द हो गया। नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के बड़े लॉन में सजे पंडाल में केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, राज्यपालों, सांसदों, विधायकों, सभी दलों के दिग्गज नेताओं, पत्रकारों और देश की जानी मानी हस्तियों का जमावड़ा लगने लगा। दिन में संसद में बजट पर हुई तीखी बहस को भुला कर राजनेता एक दूसरे के गले मिल रहे थे, बतिया रहे थे। मौका था वरिष्ठ पत्रकार, पांचजन्य, नवभारत टाईम्स के पूर्व संपादक और भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राज्यसभा सांसद स्वर्गीय दीना नाथ मिश्र के पुत्र विकास मिश्र की रिसेप्शन का। अनोखा दृश्य था। दीना नाथ मिश्र जी के राजनीतिक, सामाजिक और पत्रकारीय रसूख ने विपरीत विचारधाराओं के नेताओं को भी एक साथ ला खड़ा...
मौलिक भारत को आगे आना होगा

मौलिक भारत को आगे आना होगा

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मौलिक भारत के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के.विकास गुप्ता की आरटीआई का जबाब न देने के कारण उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ने नोयडा प्राधिकरण पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। विकास जी ने माया- मुलायम-अखिलेश के कार्यकाल में यादव सिंह व अन्यों के चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर बनने में किन मापदंडो को आधार बनाया गया था, यह जानकारी मांगी थी। चूंकि सपा बसपा के काल मे गौतमबुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरण लखनऊ के मुख्यमंत्री कार्यालय से चलाए जाते थे और हर नियुकि, ठेकों,जमीन व फ्लैटों के आबंटन व भुगतान में सत्ता दल के नेता,मंत्री व प्राधिकरण में बैठे उनके कठपुतली नोकरशाह व इंजीनियर भारी बंदरबांट करते थे इसलिए नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर खुली लूट के खेल खेले जाते थे। ऐसे में जानकारी देकर प्राधिकरण के अधिकारी अपने हाथों अपने गले मे फंदा डालने से बच रहे थे। अब जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार सख्ती दिख रही है तो ...