‘‘अपने पास रखो अपने सूरजों का हिसाब, मुझे तो आखिरी घर तक दीया जलाना है’’ एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय
- महेन्द्र सिंह,
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), ग्रामीण विकास एवं स्वास्थ्य
उत्तर प्रदेश सरकार
अति मेधावी छात्र के रूप में आपने पहचान बनायी:-
आपका जन्म 25 सितम्बर 1916 में मथुरा के छोटे से गांव ‘नगला चंद्रभान’ में हुआ था। तीन वर्ष की उम्र में आपकी माताजी का तथा 7 वर्ष की कोमल उम्र में आपके पिताजी का देहान्त हो गया। वह माता-पिता के प्यार से वंचित हो गये। किन्तु उन्होंने अपने असहनीय दर्द की दिशा को बहुत ही सहजता, सरलता तथा सुन्दरता से लोक कल्याण की ओर मोड़ दिया। वह हंसते हुए जीवन में संघर्ष करते रहे। आपको पढ़ाई का शौक बचपन से ही था। इण्टरमीडिएट की परीक्षा में आपने सर्वाधिक अंक प्राप्त कर एक अति मेधावी छात्र होने का कीर्तिमान स्थापित किया। आप अन्तिम सांस तक जिन्दगी परम सत्य की खोज में लोक कल्याण से भरे जीवन्त साहित्य की रचना करने तथा उसे साकार करने जुटे रहे। ‘‘न जाने कौन सी दौलत थी उनके...