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राष्ट्रीय

तालमेल’ ही परिवार को बचाएगा

तालमेल’ ही परिवार को बचाएगा

राष्ट्रीय, सामाजिक
मेरे सहपाठी और चिकित्सक मित्र डॉक्टर प्रमोद अग्रवाल ने भी समाज में आ रहे बदलाव से व्यथित होकर अपने पेज पर हरियाणा के चरखी दादरी की उस घटना को स्थान दिया है, जिससे समाज का हर संवेदनशील व्यक्ति व्यथित है। इस घटना में संपन्न, पढ़े-लिखे व उच्च अधिकारियों के परिवार के बच्चों की ओर से घोर उपेक्षा के चलते बुजुर्ग मां-बाप ने आत्महत्या कर ली। समाज में इस प्रकार की घटना के अतिरिक्त “माँ” से सम्बोधित गौ, नदी, धरती की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इसका विस्तार फिर कभी। इस घटना में , वृद्ध दंपति का आरोप था कि उनके बच्चे तीस करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं और वे रोटी के लिये तरस रहे हैं। महिला की गंभीर बीमारी भी इस संकट का एक पहलू है। वैसे इस घटनाक्रम का विवरण पुलिस रिपोर्ट के आधार पर है और वास्तविक तथ्य तो जांच के बाद सामने आएंगे। लेकिन एक बात तो तय है कि यह मामला सिर्फ मां-बाप की भूख का ही नहीं है। ...
हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, राष्ट्रीय
हनुमान, जिन्होंने सीता देवी को दिखाने के लिए अपना हृदय खोल दिया कि भगवान राम और वह उनके हृदय में निवास करते हैं और उन्हें उनसे उपहार के रूप में मोतियों के हार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे अद्भुत समर्पण और बलिदान की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती . लेकिन भगवान अपने अनुयायियों की भक्ति के लिए ही पीछे हटते हैं। हनुमान की पूजा सभी लोग विशेष रूप से करते हैं जो खेल और कठिन योगाभ्यास में लगे हुए हैं। हनुमान की तरह, हमें अपने मन, बुद्धि को अपनी आत्मा के नियंत्रण में लाकर, अपने स्वामी (हमारे सच्चे स्व, आत्मान) की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। -प्रियंका सौरभ हनुमान सबसे लोकप्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। वह सेवा (सेवा), भक्ति (भक्ति) और समर्पण (समर्पण, अहंकारहीनता) का अवतार है। वह शिव के अवतार हैं। उन्हें अंजनी देवी के पुत्र पवन-देवता (मरुता) का पुत्र भी माना जाता है। उनकी ठुड्डी ऊंची है (इसलि...
बिहार से बंगाल तक हिंसा – हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियान

बिहार से बंगाल तक हिंसा – हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
बिहार से बंगाल तक हिंसा - हिंदू विरोधी टूलकिट का अभियानबिहार से बंगाल तक रामनवमी को फिर बनाया गया निशानातथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की विकृत राजनीति का दौर प्रारम्भमृत्युंजय दीक्षितजिस समय देश उल्लास और उत्साह के साथ रामभक्ति के रंग में डूबकर रामनवमी का पर्व मना रहा था उस समय कुछ शरारती तत्व अपने राजनैतिक आकाओं के बल पर हिंसा का तांडव रच रहे थे। रामनवमी के पावन अवसर पर बंगाल से बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र तक जिस प्रकार से चुन चुन कर रामनवमी झांकियों, यात्राओं और भक्तों पर पथराव तथा हिंसा की गई वह निंदनीय नहीं घृणित है और उससे भी अधिक घृणित है उस हिंसा को सही ठहराने वाले छद्म धर्मनिरपेक्ष लोगों का व्यवहार फिर वो चाहे कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री ही क्यों न हों।रामनवमी को हिन्दुओं पर हमले के रूप में प्रारम्भ हुयी हिंसा महाराष्ट्र के संभाजीनगर से बंगाल के हावड़ा से होती हुई बिहार के पांच जिलों औ...
बेहद प्रेरक है “शिक्षा के गाँधी” की उपलब्धियां

बेहद प्रेरक है “शिक्षा के गाँधी” की उपलब्धियां

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
डॉ. अजय कुमार मिश्राजीवन का मूल उद्देश्य कही न कही जनहित के कार्यो को करना होता है | ऐतिहासिक रूप से देखेगे तो यह पता चलता है की अविस्मरणीय वही रहे है जो दूसरों के लिए जीवन व्यतीत कर देते है | एक ऐसी सख्सियत जिन्होंने अपने बूते शिक्षा के क्षेत्र में न केवल अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्य किया बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी से ऐसे अनेकों होनहार बच्चो को निखार करके देश - विदेश के हर क्षेत्र में परचम लहराया है |उम्र और जज्बे में गजब का तारतम्य है, जहाँ उम्र 86 वर्ष है वही कार्य और सेवा के प्रति जज्बा और जुनून किसी भी नव युवक से हजारों गुना अधिक है | महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने अपने नाम में गाँधी महज 11 वर्ष की उम्र में जोड़ लिया | आज दुनियांभर में लोग उन्हें डॉ. जगदीश गाँधी के नाम से जानते है | शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने पहला कदम आज से लगभग 6 दशक पूर्व रखा, आज सिटी मो...
काश, अजय बांगा-गुनीत मोंगा से प्रेरित होते खालिस्तान समर्थक

काश, अजय बांगा-गुनीत मोंगा से प्रेरित होते खालिस्तान समर्थक

राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा आजकल ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में कुछ भटके हुए सिख नवयुवक न जाने किस भ्रम में काल्पनिक खालिस्तान की मांग करते हुए दिखाई देने लगे हैं। इन पर गुस्से से ज्यादा तरस ही आता है। अपने महान गुरुओं की धरती पंजाब और भारत को लेकर ये जिस तरह से अनाप-शनाप बकवास कर रहे होते हैं, वह बेहद अशोभनीय होती है। वे यह समझ लें कि अब भारत कभी भी विभाजित नहीं होगा। भारत के बंटवारे का ख्वाब देखने वालों को निराशा ही होगा। इस बिन्दु पर 140 करोड़ भारतीय एक हैं। कहीं कोई विवाद नहीं है। अब वह जमाना गया जब अपनी-अपनी नेतागिरी चमकाने और प्रधानमंत्री बनने के लिए नेहरू और जिन्ना ने हिंदुस्तान-पाकिस्तान बाँट लिया I अब वैसा होने से रहा I  काश, खालिस्तान के पक्ष में नारेबाजी करने वाले अजय बांगा और गुनीत मोंगा  से कुछ प्रेरणा ले लेत...
राजनीति की दुर्दशा और दिशाहीनता – अनुज अग्रवाल

राजनीति की दुर्दशा और दिशाहीनता – अनुज अग्रवाल

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
वो भारत जो पिछले वर्ष ही तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध अब तक के सबसे लंबे किसान आंदोलन से गुजरा था और जिसकी गूंज पूरी दुनिया में गूंजी थी और भारत सरकार को झुकना पड़ा था व प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों और देश से माफ़ी तक माँगी थी उसी भारत की राजनीति व किसान आंदोलन आज “ जलवायु परिवर्तन” के कारण हो रहे कम उत्पादन, फसलों के नष्ट होने व महंगाई से परेशान किसानों के दुःख - दर्द की पीड़ा पर ख़ामोश हैं। देश व दुनिया एक भयानक खाद्य व जल संकट से दो चार है और यह आगे बहुत ज्यादा बढ़ने वाला है, ऐसे में यह राजनीतिक मसला न हो हमारे अस्तित्व का मसला है , किंतु राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लगभग ख़ामोश हैं। हाँ विपक्षी दल ताल ठोक रहे हैं संसद में उद्योगपति अदाणी को भारत सरकार व प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगातार बड़ा फायदा पहुंचाने के हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति द्व...
समस्याओं से जूझती भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली

समस्याओं से जूझती भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
प्रियंका 'सौरभ भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली न केवल संस्थानों के संवैधानिक ताने-बाने में बल्कि पदाधिकारियों के मानस में भी समस्याओं से घिरी हुई प्रतीत होती है। जैसे हमने महामारी के साथ जीना सीख लिया है, वैसे ही हमने ऐसी समस्याओं के साथ जीना सीख लिया है। जैसा कि प्रोफेसर एंड्रयू एशवर्थ ने कहा, "एक न्यायसंगत और सुसंगत आपराधिक न्याय प्रणाली लोगों की एक अवास्तविक अपेक्षा है"। आपराधिक न्याय प्रणाली में एजेंसियों पर बार-बार कानून लागू करने, अपराध का निर्णय लेने और आपराधिक आचरण में सुधार करने का आरोप लगाया जाता है। आपराधिक न्याय प्रणाली सुधारों में मोटे तौर पर न्यायिक सुधार, जेल सुधार और नीतिगत सुधार शामिल हैं। यह अनिवार्य रूप से सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है। भारत में आपराधिक कानूनों को ब्रिटिश शासन के दौरान संहिताबद्ध किया गया था, जो 21वीं सदी में कमोबेश वैसे ही बने हुए हैं। लॉर्ड थॉ...
अनादिकाल से सूर्य ‘ॐ’ का जाप कर रहा है*

अनादिकाल से सूर्य ‘ॐ’ का जाप कर रहा है*

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
सूर्य से ॐ की ध्वनि निकल रही हैसूर्य से निकलने वाली ध्वनि इतनी कम आवृत्ति की है कि हम इसे अपने कानों से नही सुन सकते। NASA ने इस ध्वनि को Record किया है। जब इसकी आवृत्ति को बढाकर सुना गया तो यह ॐ की ध्वनि पाई गई। यह आश्चर्य की बात है। हजारों वर्ष पूर्व वेद लिखने वालों ने इसे कैसे सुना, यह प्रश्न अनसुलझा है लेकिन यह वेदों की महत्ता और महानता को सिद्ध करता है।नासा के वैज्ञानिकों ने अनेक अनुसंधानों के बाद डीप स्पेस में यंत्रों द्वारा सूर्य में हर क्षण होने वाली एक ध्वनि को रिकॉर्ड किया। उस ध्वनि को सुना तो वैज्ञानिक चकित रह गए, क्योंकि यह ध्वनि कुछ और नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की वैदिक ध्वनि 'ॐ' थी। सुनने में बिलकुल वैसी, जैसे हम 'ॐ' बोलते हैं। इस मंत्र का गुणगान वेदों में ही नहीं, हमारे अन्य ग्रंथों में भी किया गया है।आश्चर्य इस बात का था कि जो गहन ध्वनि मनुष्य अपने कानों से नहीं सुन स...
वैश्विक बैंकिंग : त्रासदी या प्रहसन

वैश्विक बैंकिंग : त्रासदी या प्रहसन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
अँतत: बीती 27 मार्च को फर्स्ट सिटिजन बैंक (एफसीबी) ने सिलिकन वैली बैंक (एसवीबी) का अधिग्रहण कर ही लिया। जिसके लिए उसे अमेरिकी फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (एफडीआईसी) से वित्तीय सहायता मिली थी। मे एक मित्र ने पूछा है कि एसवीबी का पतन क्यों हुआ? इसका एक संक्षिप्त उत्तर तो यह है कि बीते कई वर्षों के दौरान अमेरिका में नियामकीय मामलों में खतरे के निशान धुंधले पड़े हैं। जैसे जुलाई 2010 का डॉड-फ्रैंक वॉल स्ट्रीट सुधार और उपभोक्ता संरक्षण कानून को मई 2018 में इकनॉमिक ग्रोथ, रेग्युलेटरी रिलीफ ऐंड कज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट पारित करके काफी नरम कर दिया गया। वैसे एसवीबी का पतन लीमन ब्रदर्स की तरह नहीं हुआ, बल्कि एसवीबी के पास लंबी परिपक्वता सीमा वाले बॉन्ड का भारी भरकम भंडार और अल्पावधि की उधारी वाले लोन पोर्टफोलियो थे। एसवीबी की व्यक्तिगत जमा में करीब 90 प्रतिशत एफडीआईसी की 2,50,000 डॉलर की ब...
साक्षात् चण्डी का अवतार थीं रानी दुर्गावती

साक्षात् चण्डी का अवतार थीं रानी दुर्गावती

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल रानी दुर्गावती एक ऐसा नाम जिनके स्मरण मात्र से वीरता की भावना का ज्वार स्वतः उठने लगता है। ऐसी वीराङ्गना जिन्होंने मुगलों को नाकों चने चबवा दिए। अपने शौर्य और पराक्रम से जिन्होंने इस्लामिक आक्रान्ताओं का प्रतिकार करते हुए उन्हें भारतीय नारी की शूरवीरता के समक्ष घुटने टेकने के लिए विवश कर दिया। युध्दभूमि में साक्षात् चण्डी सा उग्र स्वरूप लेकर जिन्होंने मुगलिया दरिन्दों को गाजर-मूली की भाँति काट डाला। कालिंजर के कीर्तिसिंह चन्देल की पुत्री के रुप में पाँच अक्टूबर 1524 ई. दुर्गाष्टमी की तिथि में जन्मी बेटी का नामकरण ही दुर्गावती किया गया,और यथा नाम तथा गुण की उक्ति को उन्होंने गढ़ा मण्डला के नेतृत्व की बागडोर सम्हालने के बाद चरितार्थ किया। वे बाल्यकाल से ही बरछी,भाला,तलवार, धनुष ,घुड़सवारी और तैराकी में अव्वल थीं। साहस-शौर्य, बुध्दि एवं कौशल से प्रवीण दुर्गावती...