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हिंदू राष्ट्र विचारक- डॉ. हेडगेवार

हिंदू राष्ट्र विचारक- डॉ. हेडगेवार

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जन्मतिथि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( इस वर्ष 22 मार्च) पर विशेष-मृत्युंजय दीक्षितभारत के सबसे विशाल, समाजसेवी व राष्ट्रभक्त संगठन, “राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ” के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म युगाब्द 4991 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नागपुर के एक गरीब वेदपाठी परिवार में हुआ था। डॉ. हेडगेवार जी के पिता का नाम श्री बलिराम पंत व माता का नाम रेवतीबाई था। हेडगेवार जी का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता किन्तु गरीबी के उस वातावरण में भी व्यायाम, कुश्ती, लाठी चलाना आदि में उनकी रूचि रही। बचपन में विभिन्न भवनों पर फहराते हुए यूनियन जैक को देखकर वे सोचते थे कि हमारे भारत वर्ष का हिन्दुओं का झंडा तो भगवा ही है क्योंकि भगवान राम और कृष्ण, शिवाजी, महाराणा प्रताप सभी की जीवन लीलाएं इसी झंडे की छत्रछाया में संपन्न हुई हैं और यहीं से उनके ह्रदय में यूनियन जैक को उतार फेंकने की योजना तैयार होने लगी।केशव...
अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प।

अगर बचानी ज़िंदगी, करें आज संकल्प।जल का जग में है नहीं, कोई और विकल्प।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
(22 मार्च जल दिवस विशेष ) हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे हुए नलों से पानी बह रहा है और बेकार जा रहा है, लेकिन हम वहां से गुजर जाते हैं और नल को बंद करने की चिंता नहीं करते। हमें इन विषयों पर सोचना चाहिए और अपने रोज के जीवन में जहां तक संभव हो पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए। इस समय पृथ्वी ग्रह पर जीवन को बचाये रखने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी को बचाने की है; यह सुनिश्चित करने के लिए जल संसाधनों का प्रबंधन कैसे किया जाएगा कि देश में सभी को समान मात्रा में पानी मिले। --- डॉ सत्यवान 'सौरभ' जैसे-जैसे जनसंख्या और अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे पानी की मांग भी बढ़ती है। ...
हिन्दू नववर्ष ; सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन प्रवाह

हिन्दू नववर्ष ; सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन प्रवाह

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कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलचैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि भारतीय संस्कृति में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। यह तिथि नवसम्वत्सर - हिन्दू नववर्ष के उत्साह पर्व की तिथि है। यह तिथि भारतीय मेधा के शाश्वत वैज्ञानिकीय चिंतन - मंथन के साथ - साथ लोकपर्व के रङ्ग में जीवन के सर्वोच्च आदर्शों से एकात्मकता स्थापित करती है। वैज्ञानिकता पर आधारित प्राचीन श्रेष्ठ कालगणना पध्दति के अनुरूप ऋतु चक्र परिवर्तन एवं सूर्य - चन्द्र की गति के अनुरूप नव सम्वत्सर का प्रारम्भ होता है। भारतीय संस्कृति यानि हिन्दू संस्कृति के माहों ( मासों ) का नामकरण नक्षत्रों के नाम पर हुआ। और इसके लिए हमारे पूर्वजों ने व्यवस्था दी कि - जिस मास में जिस नक्षत्र में चन्द्रमा पूर्ण होगा , वह मास उसी नक्षत्र के नाम से जाना जाएगा। और इस पध्दति के अनुसार — चैत्र - चित्रा, वैशाख - विशाखा, ज्येष्ठ - ज्येष्ठ, अषाढ़ - अषाढ़ा, श्रावण - श्रवण, भ...
गुड़ी पड़वा : नवसंवत्सर का आरंभ

गुड़ी पड़वा : नवसंवत्सर का आरंभ

TOP STORIES, राष्ट्रीय, संस्कृति और अध्यात्म
वैज्ञानिक अनुसंधान के सभी पहलू हैं काल गणना आरंभ के इस नववर्ष में रमेश शर्मा आज सृष्टि के विकास आरंभ का दिन है, और संसार के लिये कालगणना के लिये नवसंवत्सर । अर्थात नये संवत् वर्ष का प्रथम दिन है । आज से विक्रम संवत् 2080 और युगाब्द 5125 आरंभ हो रहा है । इस संवत्सर का आरंभिक नाम नल और 24 अप्रैल से पिंगल होगा । वर्ष राजा के बुध और मंत्री का दायित्व शुक्र के पास रहेगा।युगाब्द महाभारत युद्ध के बाद सम्राट युधिष्ठिर के राज्याभिषेक की और विक्रम संवत् शकों की मुक्ति के बाद महाराज विक्रमादित्य के राज्याभिषेक की तिथि है । भारत में कोई तिथि, त्यौहार, परंपरा, उत्सव और उसका शब्द संबोधन यूँ ही नहीं होता । इसके पीछे सैकड़ो वर्षों का शोध, अनुसंधान का निष्कर्ष होता है । जिसमें प्रकृति से तादात्म्य निहित होता है । यह विशेषता इस नव संवत्सर तिथि की भी है । नवसंवत् आरंभ होने का यह दिन गुड़ी पड़वा दूसरा ...
वर्ष प्रतिपदा पर आद्य सर संघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी के जन्म दिवस पर विशेष लेख

वर्ष प्रतिपदा पर आद्य सर संघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी के जन्म दिवस पर विशेष लेख

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
आद्य सर संघचालक डा. हेडगेवार में राष्ट्रीय भावना बचपन में ही विकसित थी डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार अक्सर यह सोचा करते थे कि प्राचीन भारत में सैन्य पौरुष, ज्ञान विज्ञान, अतुलनीय समृद्धि, गौरवशाली संस्कृति इत्यादि सब कुछ होते हुए भी भारत कालांतर में परतंत्र क्यों हुआ। इस प्रशन्न का उत्तर उन्होंने तात्कालीन विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक संस्थाओं एवं स्वतंत्रता आंदोलनों में अपनी भागीदारी के दौरान खोजने का प्रयास किया। इस संदर्भ में उन्होंने अपने विचारों का निष्कर्ष स्वतंत्रता सेनानियों, नेताओं, संत-महात्माओं समेत सभी भारतवासियों के सामने इस प्रकार रखा “हमारे समाज और देश का पतन मुस्लिम हमलावरों या अंग्रेजों के कारण नहीं है। अपितु, राष्ट्रीय भावना के शिथिल हो जाने पर व्यक्ति और समष्टि के वास्तविक संबंध बिगड़ गये तथा इस प्रकार की असंगठित व्यवस्था के कारण ही एक समय दिग्विजय का डंका दसो...
सनातन का सूर्योदय : हृदयनारायण दीक्षित

सनातन का सूर्योदय : हृदयनारायण दीक्षित

TOP STORIES, राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
प्रकृति सदा से है। सदा रहती है। प्रलय में भी सब कुछ नष्ट नहीं होता। प्रकृति की शक्ति विराट है। यह दिव्य है सो देवता है। विभिन्न आर्य भाषाओं में देवता या देवी का सम्बंध प्रकाशवाची है। संस्कृत में जो देव हैं ग्रीक में वही थेओस् हैं। लैटिन में देउस हैं। आयरिश में दिया हैं। अमेरिकी विद्वान ब्लूमफील्ड ने ‘रिलीजन ऑफ दि वेद‘ में कहा है कि, ‘‘आर्यों ने देवता विषयक अपनी धारणा प्रकाश या प्रकाशमान आकाश से प्राप्त की थी।‘‘ जहां जहां दिव्यता वहां वहां देवता। भारतीय अनुभूति में अनेक देवता हैं। देवी भी हैं। देवी माता हैं। हम सब मां का विस्तार हैं। दुनिया की तमाम आस्थाओं में ईश अवतरण हैं। दैवी ज्ञान देने वाले देवदूत हैं। परमसत्ता या देवशक्ति भी इस जगत् में मां के माध्यम से ही आती है। मां न होती तो वे कैसे आते? हम सब इस जगत् में कैसे होते?सृष्टि का विकास जल से हुआ। यूनानी दार्शनिक थेल्स, चार्ल्स डार्विन स...
राष्ट्र का विकास बाधित होगा संसदीय गतिरोध से

राष्ट्र का विकास बाधित होगा संसदीय गतिरोध से

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
- ललित गर्ग -संसद की कार्रवाई को बाधित करना एवं संसदीय गतिरोध आमबात हो गयी है। यही स्थिति  संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में देखने को मिल रही है, इस सत्र को शुरू हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन दोनों सदनों में हंगामे और नारेबाजी के अतिरिक्त और कुछ नहीं हुआ है। जहां सत्तापक्ष संसद में अपनी इस मांग पर जोर दे रहा है कि राहुल गांधी ने अपनी लंदन यात्रा के दौरान भारतीय लोकतंत्र के बारे में जो कुछ कहा, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए, वहीं कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल अदाणी मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से कराने पर अड़े हुए हैं और संसद नहीं चलने दे रहे हैं। विरोध प्रकट करने का असंसदीय एवं आक्रामक तरीका, सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तकरार और इन स्थितियों से उत्पन्न संसदीय गतिरोध लोकतंत्र की गरिमा को धुंधलाने वाले हैं। अपने विरोध को विराट बनाने के लिये सार्थक बहस की बजाय शोर-शरा...
तो योगी यूपी के रास्ते ही भाजपा को 2024 में सत्ता सौंपेंगे

तो योगी यूपी के रास्ते ही भाजपा को 2024 में सत्ता सौंपेंगे

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आर.के. सिन्हा अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल के शुरुआत के तीन महीनों के दौरान देश में लोकसभा चुनावों की हलचल को महसूस किया जाने लगेगा। सभी दल अपने घोषणा पत्र को अंतिम रूप दे रहे होंगे और प्रत्याशियों के नामों पर भी अंतिम विचार चल रहा होगा। फिजाओं में लोकसभा चुनाव का पूरा माहौल बन गया होगा। दरअसल, यह चुनाव आजाद भारत का एक ऐसा चुनाव होगा जब कांग्रेस छोड़ किसी दूसरी विचारधारा की सत्ता की पारी दशकीय सीमा लांघकर एक नई तारीख लकीर खींच सकती है। इस चुनाव के लिहाज से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है। पर बात करें भाजपा की तो देश के सबसे बड़े सूबे में उसकी निश्चिंतता का आलम कुछ और ही है। वैसे भी दिल्ली के सियासी गलियारों में यह बात शुरू से कही और मानी जाती रही है कि देश की सत्ता का रास्ता राम और कृष्ण के जन्म स्थान उत्तर प्रदेश से होकर ही गुजरता है। इस सूबे की सियासी धाक यह है कि उसने देश को...
2024: मोदी सब पर भारी

2024: मोदी सब पर भारी

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26 फरवरी 2023 को कांग्रेस का 85वां अधिवेशन रायपुर में आयोजित हुआ। इस अधिवेशन के अन्तर्गत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि कांग्रेस के सदृश विचारधारा रखने वाली राजनीतिक पार्टियों का एक संयुक्त मोर्चा बनाया जाए, जो मोदी जी का विकल्प बन सके। वर्ष 2003 में भी कांग्रेस पार्टी ने सोनिया गाँधी के नेतृत्व में आयोजित अपने शिमला अधिवेशन में इसी प्रकार का प्रयास किया था, तत्पश्चात वर्ष 2004 के चुनाव उसी संगठन के द्वारा से लड़े गए थे, जिसमें कांग्रेस को सत्तासुख प्राप्त हुआ था।वर्ष 2004 की राजनीतिक परिस्थिति और वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में अत्यधिक अंतर आ चुका है। वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस के प्रतिद्वन्द्वी के रूप में मोदी जी नहीं थे, परन्तु आगामी वर्ष 2024 के चुनावी युद्ध में भाजपा के सिरमोर मोदी जी हैं। विपक्षी एकता किस स्तर तक सफल होगी, यह अभी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उनमें अधिकांश नेता, य...
नवसंवत्सर को भारत में उत्साहपूर्वक मनाने का समय आ गया है

नवसंवत्सर को भारत में उत्साहपूर्वक मनाने का समय आ गया है

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भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के अनुसार फागुन और चैत्र माह वसंत ऋतु में उत्सव के महीने माने जाते हैं। चैत्र माह के मध्य में प्रकृति अपने श्रृंगार एवं सृजन की प्रक्रिया में लीन रहती है और पेड़ों पर नए नए पत्ते आने के साथ ही सफेद, लाल, गुलाबी, पीले, नारंगी, नीले रंग के फूल भी खिलने लगते हैं। ऐसा लगता है कि जैसे पूरी की पूरी सृष्टि ही नई हो गई है, ठीक इसी वक्त भारत में हमारी भौतिक दुनिया में भी एक नए वर्ष का आगमन होता है। पश्चिमी देशों में तो सामान्यतः अंग्रेजी तिथि के अनुसार नव वर्ष प्रत्येक वर्ष की 1 जनवरी को बहुत ही बड़े स्तर पर उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। वैसे तो पूरे विश्व में ही नव वर्ष भरपूर उत्साह के साथ मनाया जाता है। परंतु कई देशों में नव वर्ष की तिथि भिन्न भिन्न रहती है तथा नव वर्ष को मनाने की विभिन्न देशों की अपनी अलग अलग परम्पराएं भी हैं। नव वर्ष प्रत्येक देश में एक उत्सव के रूप...