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टूटी-फूटी है -ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था

टूटी-फूटी है -ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
मेरे हाथ में ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22 रिपोर्ट है, जो कह रही है कि “देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्जन डाक्टरों की लगभग 83 प्रतिशत कमी है। बालरोग चिकित्सकों की 81.6 प्रतिशत और फिजिशियन की 79.1 प्रतिशत कमी है। यही हाल प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों का है। ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी अमूमन 72.2 प्रतिशत की कमी है। इतना ही नहीं, वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) की हालत भी ठीक नहीं है ।कहावत हैं कि असली भारत गांवों में बसता है, मगर गांव के लोगों की सेहत का खयाल रखने वाले चिकित्सा केंद्र इक्कीसवीं सदी के भारत में भी क्यों इतने बदतर हैं? ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा विशेषज्ञों की काफी कमी देखी जा रही है। इससे शहर और गांव के बीच एक ऐसी खाई बन रही है, जिसके परिणाम भविष्य में काफी भयावह हो सकते हैं। भले...
भोपाल में लगेगा तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद

भोपाल में लगेगा तीन दिवसीय स्वास्थ्य संसद

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• अमृतकाल में भारत के स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका विषय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ करेंगे अमृत-मंथन नयी दिल्ली। स्वस्थ भारत (न्यास) अपने आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के साथ मिलकर ‘स्वास्थ्य संसद-2023’ का महाआयोजन करने जा रहा है। यह आयोजन 28, 29 और 30 अप्रैल को विश्वविद्यालय के भोपाल स्थित नए परिसर में होगा। देश भर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, चिकित्सकों व मीडियाकर्मियों का जुटान होगा।‘अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य और मीडिया की भूमिका’ विषय पर तीन दिनों तक अमृत मंथन चलेगा। अमृत-मंथन से निकले सार को देश के स्वास्थ्य संबंधित नीति-निर्धारकों के साथ साझा किया जाएगा। उक्त जानकारी स्वास्थ्य संसद के संयोजक व स्वस्थ भारत (न्यास) के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन एमसीयू के कुलपति प्रो. के.जी सुरेश जी के कुशल मार्ग...
“भगोड़े अपराधियों को वापस लाने में CBI ने किया ‘त्रिशूल’ का इस्तेमाल”

“भगोड़े अपराधियों को वापस लाने में CBI ने किया ‘त्रिशूल’ का इस्तेमाल”

TOP STORIES, घोटाला, राष्ट्रीय
विदेश में छिपे अपराधियों के लिए ऑपरेशन 'त्रिशूल' काल बन गया है। दरअसल, ऑपरेशन त्रिशूल की मदद से ही आज सीबीआई तरह-तरह के अपराधों को अंजाम देकर भारत से भागने वालों पर जबरदस्त शिकंजा कस रही है। बता दें, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा चलाया जा रहा यह ऑपरेशन अभी तक देश से फरार 33 भगोड़ों को वापस पकड़कर लाने में सफल साबित हुआ है। वहीं अब CBI के रडार पर 276 भगोड़ों को वापस पकड़कर लाने के लिए आगे काम किया जा रहा है। ऐसे में ऑपरेशन 'त्रिशूल' के बारे में विस्तार से जानना बेहद आवश्यक है। क्या है ऑपरेशन 'त्रिशूल' ? दरअसल, सीबीआई ने यह कार्य एक विशेष ऑपरेशन के हिस्से के रूप में किया है, जिसका कोडनेम 'त्रिशूल' रखा गया है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य वित्तीय अपराधों की आय का पता लगाने के अलावा अन्य देशों में छिपे हुए अपराधियों का पता लगाना और उन्हें वापस लाना है। इंटरपोल के सहयोग से 33 भगोड...
डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य 

डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
डिजिटल रूपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य बनने जा रहा है. यह बात दिसंबर माह में अपनी खबर में हमने कही थी.बात कुछ लोगों को सही लगी और बहुतों को यह कोरी बकवास लगी थी. तब बात सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के आरंभ होने पर कही गई थी. इस पायलट प्रोजेक्ट को भारत सरकार के निर्देश पर आरबीआई ने इसे प्रायोगिक तौर पर चयनित चार शहरों और चार बैंकों के जरिए आरंभ किया था. यह प्रक्रिया अभी भी जारी है. आरंभ में यह लेन-देन लोगों के बीच और मर्चेंट टू मर्चेंट, मर्चेंट टू कस्टमर भी जारी है.आज के समय में जिन भी भारतीय रुपये का डिनोमिनेशन उपलब्ध है उसी में डिजिटल रुपये लॉन्च किया गया है. यानि भारत में वर्तमान में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 ₹200, ₹500, तथा ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट हैं जिन्हें आरबीआई RBI जारी करता है. इन्हीं मूल्यवर्ग के नोटों को आरबीआई द्वारा डिजिटल रूपी में भी जारी किया गया है. फिलहाल जारी पहले चरण म...
संघ ने क्यों मुलायम सिंह यादव को दी श्रद्धांजलि?

संघ ने क्यों मुलायम सिंह यादव को दी श्रद्धांजलि?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
बलबीर पुंज विगत 14 मार्च को हरियाणा स्थित समालखा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक संपन्न हुई। यूं तो इससे संबंधित कई विषय सार्वजनिक विमर्श में रहे। किंतु बीते वर्ष जिन राजनीतिक और प्रख्यात हस्तियों का निधन हुआ, उन्हें संघ द्वारा दी गई श्रद्धांजलि पर विरोधियों के साथ आरएसएस से सहानुभूति रखने वाले आश्चर्यचकित है। संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्व.माताजी के साथ जिन 100 दिवंगत व्यक्तियों को नमन करते हुए शोक प्रकट किया, उनमें संघ और भाजपा के चिर-परिचित विरोधी— समाजवादी पार्टी के संस्थापक, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और रामभक्तों पर गोली चलाने का निर्देश देने वाले मुलायम सिंह यादव के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव और शांति भूषण भी शामिल थे। वास्तव में, इस घटना पर हतप्रभ होने वाले दोनों पक्ष न तो संघ की कार्यपद्धति से परिचित है और न ही वे हिंदू जीवनदर्शन को समझ...
संघ का मूल विचार स्पष्ट है, वह है हिन्दू राष्ट्र को समृद्ध करना

संघ का मूल विचार स्पष्ट है, वह है हिन्दू राष्ट्र को समृद्ध करना

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प्रो. कुसुमलता केडिया  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हिन्दुत्व को सशक्त और समृद्ध बनाये रखने के लिये परमपूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी ने की थी। समस्त हिन्दू ज्ञान परंपरा, शौर्य परंपरा, समृद्धि परंपरा और शिल्प परंपरा की स्मृति को जीवंत रखते हुये उसकी धारावाहिकता सतत प्रशस्त रखना उसका लक्ष्य है और हिन्दू राष्ट्र ही उसका उपास्य और साध्य है।   आद्य सरसंघचालक और द्वितीय सरसंघचालक के ही चित्र संघ के सभी महत्वपूर्ण आयोजनों में सम्मुख रखे जाते हैं। इन दो के ही विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मूल विचार हैं। पूज्य आद्य सरसंघचालक ने कभी कोई पुस्तक नहीं लिखी और उनके जीवनकाल में उनके वक्तव्यों का भी प्रकाशन संकलित होकर सामने नहीं आया। अतः उनके विषय में श्री ना.ह.पालकर जी द्वारा लिखित जीवनी ही मूल प्रमाण है। परमपूजनीय गुरूजी के विचारों का संकलन ‘बंच ऑफ थॉट’ (विचार नवनीत)...
आज डिजिटल तकनीक का युग है।

आज डिजिटल तकनीक का युग है।

राष्ट्रीय, समाचार
आज डिजिटल तकनीक का युग है। इंटरनेट, सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम का युग है। यही कारण है कि आज हम पत्रों से संवाद करना लगभग लगभग भूल चुके हैं। आज की युवा पीढ़ी डाकघर में मिलने वाले अंतर्देशीय पत्र, पोस्टकार्ड आदि के बारे में जानती ही नहीं होगी। आज सब टेक्स्ट मैसेज लिखते हैं, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम का जमकर प्रयोग करते हैं लेकिन पत्र लिखने में जो भावनाएं मौजूद थीं, जिस भाषा का हम पत्रों में इस्तेमाल करते थे, आज वह भाषा, भावनाएं दोनों ही नदारद हो गई हैं। आज पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों को कोई विरले ही चिट्ठी लिखता होगा।वैसे भी आज के इंटरनेट, आधुनिक युग में किसी संपादक के पास इतना समय नहीं होता है कि वह पाठकों, लेखकों की एक एक चिट्ठियाँ खोलकर पढ़ें और बाद में उन्हें अपने अखबार में प्रकाशित करें। पहले संपादकों द्वारा पाठकों, लेखकों की चिट्ठियों को ...
आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का अपनाया जाना जरूरी

आर्थिक, राष्ट्रीय
हाल ही के समय में भारत के आर्थिक विकास की दर में बहुत तेजी आती दिखाई दे रही है एवं आगे आने वाले समय में आर्थिक प्रगति की गति और अधिक तेज होने की उम्मीद की जा रही है। किसी भी क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ने के अपने लाभ भी हैं और नुक्सान भी। आर्थिक क्षेत्र में प्रगति करते समय इसका ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है कि इस संदर्भ में प्रगति के लिए जो नीतियां अपनायी जा रही हैं वे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करती हैं। साथ ही, देश में आर्थिक विकास को गति देने के लिए गल्त आर्थिक नीतियों को लागू नहीं किया जाय क्योंकि गल्त आर्थिक नीतियों को अपनाते हुए आर्थिक स्त्रोतों को बढ़ाना देश एवं जनता के हित में नहीं होता है। आर्थिक प्रगति के इस खंडकाल में इस बात पर भी विशेष ध्यान देना जरूरी है कि भारत की आर्थिक प्रगति में शुचितापूर्ण नीतियों का पालन किया जा रहा है। आर्थिक प्रगति किसी भी कीमत पर हो एवं चाहे इस...
कश्मीर पर भुट्टो की निराशा

कश्मीर पर भुट्टो की निराशा

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अनजाने ही कश्मीर के सवाल पर पाकिस्तान की नाकामी को उजागर कर दिया है। वे न्यूयार्क में एक प्रेस-काॅफ्रेस को संबोधित कर रहे थे। कश्मीर का स्थायी राग अलापते-अलापते उनके मुंह से निकल गया कि कश्मीर के सवाल को अंजाम देना बहुत ‘‘ऊँची चढ़ाई’’ है। इस बात को बिलावल के नाना जुल्फिकार अली भुट्टो अब से 51 साल पहले ही समझ गए थे, जब 1972 के शिमला समझौते में उन्होंने दो-टूक शब्दों में स्वीकार किया था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद है। द्विपक्षीय याने इस विवाद का ताल्लुक सिर्फ भारत और पाकिस्तान से है। इसमें किसी तीसरे राष्ट्र या संयुक्तराष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को टांग अड़ाने की जरूरत नहीं है। यह वही जुल्फिकारअली भुट्टो हैं, जो कहा करते थे कि यदि हमें हजार साल भी लड़ना पड़े तो हम लड़ेंगे और कश्मीर को भारत से ...
चीन में भयंकर दुर्दशा मुस्लिमों की : कब आवाज उठाएँगे ईरान-सऊदी

चीन में भयंकर दुर्दशा मुस्लिमों की : कब आवाज उठाएँगे ईरान-सऊदी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा बताया जा रहा है कि एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे सऊदी अरब और ईरान ने अपनी सारी पुरानी अदावतों को भूलकर दोस्ती करने का फैसला किया है। इन दोनों देशों को करीबी लाने का श्रेय अब हैरानी की बात यह है कि चीन को दिया जा रहा है। दरअसल सऊदी अरब में एक शिया मौलवी को 2016 में फांसी की सजा दी गई थी और इसी मुद्दे पर 2016 में सऊदी अरब और ईरान के कूटनीतिक संबंध खत्म हो गए थे। तब से ये दोनों देश एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए थे। सऊदी अरब खुद को सरी दुनिया के सुन्नी मुसलमानों का रहनुमा मानता है और ईरान अपने को शिया मुसलमानों का। ऐसे में इन दोनों के कूटनीतिक रिश्ते बहाल करने के फैसले से सारी दुनिया कुछ हैरान तो अवश्य है। आप जानते हैं कि दोनों ही देश तेल उत्पादक देश हैं। दोनों ही देश अपने व्यवसायिक दिलचस्पी के वर्चस्व की लड़ाई लड़ते हैं। पर यहां एक जरूरी चिंता को नजरअंदाज किया जा रहा ...