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ध्यान देने लायक चार घटनाएं

ध्यान देने लायक चार घटनाएं

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
डॉ. वेदप्रताप वैदिक कल भारत में घटी चार घटनाओं ने विशेष ध्यान खींचा। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम, चुनाव आयोग की नियुक्ति, अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच और जी-20 का विदेश मंत्री सम्मेलन। यह सम्मेलन पिछली तीनों घटनाओं के मुकाबले कम ध्यान आकर्षित कर सका लेकिन इसमें भारत के द्विपक्षीय हितों का उत्तम संपादन हो सका। यूक्रेन का मामला छाया रहा, कोई संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हुआ लेकिन पहली बार रूस और अमेरिका के विदेश मंत्री मिले। भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से कई विदेशी नेताओं की आपसी भेंट में कई नए समीकरण बने। जहां तक त्रिपुरा, नगालैंड और मणिपुर के चुनावों का सवाल है, तीनों राज्यों में भाजपा का बोलबाला हो गया है। मणिपुर में भी भाजपा सत्ता में शामिल हो जाएगी। दूसरे शब्दों में पूर्वोत्तर में भाजपा का बढ़ता हुआ वर्चस्व राष्ट्रीय एकता के लिए शुभ-संकेत है। एक तो पूर्वोत्तर के...
विदेश नीतिः दोनों से दोस्ती

विदेश नीतिः दोनों से दोस्ती

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक जी-20 और क्वाड के सम्मेलन भारत में संपन्न हुए। इनसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की छवि तो खूब चमकी और भारत के कई राष्ट्रों के साथ आपसी संबंध भी बेहतर हुए लेकिन जी-20 ने कोई खास फैसले किए हों, ऐसा नहीं लगता। वह रूस-यूक्रेन युद्ध रूकवाने में सफल नहीं हो सका। आतंकवाद और सरकारी भ्रष्टाचार को रोकने पर दो अलग-अलग बैठकों में विस्तार से चर्चा हुई लेकिन उसका नतीजा क्या निकला? शायद कुछ नहीं। सभी देशों के वित्तमंत्रियों और विदेश मंत्रियों ने दोनों मुद्दों पर जमकर भाषण झाड़े लेकिन उन्होंने क्या कोई ऐसी ठोस पहल की, जिससे आतंकवाद और भ्रष्टाचार खत्म हो सके या उन पर कुछ काबू पाया जा सके? इन दोनों मुद्दों पर रटी-रटाई इबारत फिर से पढ़ दी गई। क्या दुनिया के किसी देश में ऐसी सरकार हैं, जिसके नेता ये दावा कर सकें कि वे सत्ता में आने और बने रहने के लिए साम, दाम, दंड, भेद का स...
जुनैद नासिर हत्याकांड गोतस्करों के कारण ही गोरक्षक सक्रिय हैं

जुनैद नासिर हत्याकांड गोतस्करों के कारण ही गोरक्षक सक्रिय हैं

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक
मूल लेखअवधेश कुमारजुनैद नासिर हत्याकांड को लेकर निर्मित हो रही पूरी तस्वीर पहली दृष्टि में हमें हैरत में डालती है। सामान्य तौर पर ऐसा नहीं हो सकता कि मोटरवाहन में जलाकर किसी को मार दिया जाए और उसके आरोपी के पक्ष में धीरे-धीरे विशाल जनसमूह खड़ा हो। आप देख लीजिए राजस्थान पुलिस द्वारा इस हत्याकांड में नामजद आरोपियों मोनू मानेसर से लेकर श्रीकांत आदि के पक्ष में जगह-जगह सभाएं हो रही हैं, पंचायतें बैठ रही हैं, लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा रहा है…। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक केवल एक आरोपी फिरोजपुर झिरका के रिंकू की गिरफ्तारी हुई है। शेष अन्य आरोपियों मोनू मानेसर, श्रीकांत मरोड़ा , अनिल मुलथान, पलवल आदि पुलिस की पकड़ से बाहर है। जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है उसमें ऐसा लग रहा है कि इन्हें हरियाणा की किसी स्थान से गिरफ्तार किया गया तो विरोध में लोग कानून हाथ में लेने की को...
अडानी मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट गठित की जांच कमेटी,

अडानी मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट गठित की जांच कमेटी,

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट (Hindenburg Research Report ) आने के बाद अडानी समूह ( Adani Group) के शेयर में आई गिरावट और निवेशकों के हुए नुकसान की जांच लिए सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ कमिटी का गठन का दिया। 6 सदस्यीय जांच समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे (Abhay Manohar Sapre ) करेंगे। कमिटी 2 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। 6 सदस्यीय जांच कमेटी करेगी जांच सुप्रीम कोर्ट ने अडानी मामले में शेयर की कीमतों में हुई छेड़छाड़ की जांच और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक सिस्टम विकसित करने के लिए जिस कमिटी का गठन किया है। इसके सभी सदस्यों का नाम मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तय किया है। हालांकि केंद्र सरकार ने कमिटी के लिए कुछ नामों का सुझाव दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने न...
नेपाल में अस्थिरता का नया दौर

नेपाल में अस्थिरता का नया दौर

TOP STORIES, राष्ट्रीय
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* नेपाल में नई सरकार को बने मुश्किल से दो माह ही हुए हैं और वहां के सत्तारुढ़ गठबंधन में जबर्दस्त उठापटक हो गई है। उठापटक भी जो हुई है, वह दो कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच हुई है। ये दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां नेपाल में राज कर चुकी हैं। दोनों के नेता अपने आप को तीसमार खां समझते हैं। हालांकि पिछले चुनाव में ये दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां नेपाली कांग्रेस के मुकाबले फिसड्डी साबित हुई हैं। नेपाली कांग्रेस को पिछले चुनाव में 89 सीटें मिली थीं. जबकि पुष्पकमल दहल प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी को सिर्फ 32 और के.पी. ओली की माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी को 78 सीटें मिली थीं। दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों ने कुछ और छोटी-मोटी पार्टियों को अपने साथ जोड़कर भानमती का कुनबा खड़ा कर लिया। शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस धरी रह गई लेकिन पिछले दो माह में ही दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों में इतने...
चीनी कर्ज का मकड़जाल

चीनी कर्ज का मकड़जाल

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बलबीर पुंज मानव सभ्यता चाहे कितना भी विकास कर लें, उसमें व्याप्त राक्षसी प्रवृतियां आज भी जस की तस है। कमजोर राष्ट्रों को पहले भी शक्तिशाली सेना और हथियारों के बल पर रौंदा गया है और अब भी ऐसा होता है। उद्देश्य वही है, केवल उसका स्वरूप बदल गया है। अब देशों को गुलाम बनाने या उनपर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए सैन्यबल से अधिक आर्थिक प्रपंचों का सहारा लिया जाता है। वर्तमान समय में ऐसे शोषण का मूर्त प्रतीक चीन के रूप में उभरा है। आज जहरीले सर्प रूपी चीन का काटा, पानी मांगने की स्थिति में भी नहीं रहता है। भारत के पड़ोस में श्रीलंका और पाकिस्तान, साम्राज्यवादी चीन की कुत्सित मानसिकता का नवीनतम शिकार है। यह ठीक है कि पाकिस्तान काफी हद तक अपने कुकर्मों के कारण संकटमयी स्थिति से गुजर रहा है, जहां पेट भरने के लिए रोटी की भारी किल्लत है, चायपत्ती का अकाल है, खाद्य-तेल की कमी है, तो बिजली का गहरा स...
युवा पीढ़ी क्या सीखे, इन बोलवचनों से ?

युवा पीढ़ी क्या सीखे, इन बोलवचनों से ?

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
और मध्यप्रदेश में पूर्व मंत्री राजा पटेरिया को दूसरे प्रयास में हाईकोर्ट से ज़मानत मिल गई, दिल्ली में भी एक कांग्रेस प्रवक्ता को हवाई जहाज से उतारकर आनन-फानन में गिरफ्तार करना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत देने के इन प्रकरणों ने कई सवालों को जन्म दिया है। कहना कठिन है कि प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणी जुबान फिसलने की घटना थी या इरादतन तंज किया गया था, लेकिन असम में दर्ज मुकदमे में दिल्ली पहुंचकर कार्रवाई करने की घटना में पुलिस की मुस्तैदी ने सबको चौंकाया है। सवाल उठा कि क्या अन्य गंभीर मामलों में भी पुलिस इतनी ही तत्परता दिखाती है? ये घटनाक्रम फिर वही मुद्दा उठाते है कि देश में पुलिस सुधारों की आवश्यकता है। बहरहाल, हाल के दिनों में सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर जो तल्ख रवैया अपनाया जा रहा है उसकी गूंज अभी राजनीतिक हलकों में शिद्दत से महसूस की जा रही है। कांग्रेस के नेता ...
पाक की मदद से पहले सोचे भारत

पाक की मदद से पहले सोचे भारत

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आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल भयंकर हाहाकार मचा हुआ है। महंगाई के कारण आम पाकिस्तानी दाने-दाने को मोहताज हो गया है। बेरोजगारी, अराजकता और  कठमुल्लों की करतूतों ने पाकिस्तान को तबाह कर दिया है। यह स्थिति  दुखद और दुभार्ग्यपूर्ण है। अब हमारे यहां के कुछ उदारवादी यह कह रहे हैं, कि भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान की मदद करे। भारतीय गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत कह रहे हैं कि मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल के अंत में किसी समय पाकिस्तान की ओर शांति का हाथ बढ़ाएंगे और पिछले कुछ महीनों से राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश की मदद करेंगे। अब इन महानुभावों से पूछा जाना चाहिए कि जो मुल्क भारत पर 1948, 1965, 1971 और फिर कारगिल पर हमला कर चुका हो उसको लेकर इतना उदारता का रवैया अपनाने का क...
डगमगाती भविष्य-निधि अर्थात् बचत की बुनियाद

डगमगाती भविष्य-निधि अर्थात् बचत की बुनियाद

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय
एक समय था, जब भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मध्य-वर्ग था तो उसके लिए सबसे पवित्र-पूंजी थी कर्मचारी भविष्य-निधि कोष। भविष्य-निधि अर्थात् बचत की बुनियाद। कोई नागरिक निजी तौर पर बचत करना चाहे, या न चाहे पिछली सरकारों ने उसके लिए बचत के प्रावधान को अनिवार्य बनाने की कोशिश की थी। कर्मचारी के इस खाते में बचत सरकार की भी जिम्मेदारी थी। लेकिन,अब सरकार का नागरिकों के प्रति यह अभिभावकीय अस्तित्व अस्त हो रहा है। इस बार के केंद्रीय बजट का मूल स्वर यही है कि “कर दिए जाओ और बचत की चिंता न करो।“हमारे सामने भारतीय अर्थव्यवस्था में छोटी बचतों का इतिहास उस वक्त दर्ज हुआ जब 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के समय दुनिया के बाजार धड़ाम से गिर रहे थे। बाजार के जानकारों ने उस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने का श्रेय घर-घर मौजूद बचतवादियों को ही दिया था। इस बचतवादी प्रवृत्ति का रखवाला था भविष्य-निधि कोष। आप आज जितन...
बिगड़ता मौसम, सबको सोचना होगा!

बिगड़ता मौसम, सबको सोचना होगा!

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बीते कल भोपाल का तापमान 36 डिग्री था । अगले 4 दिनो में इसके 39 डिग्री तक पहुँचने की भविष्यवाणी मौसम विभाग कर रहा है। यह सब ऋतु-चक्र में आये बदलाव के कारण हैं । अब तो बारह महीने लोगों से हम यह सुनते आ रहे हैं- इस बार तो गर्मी ने हद कर दी... ऐसी गर्मी तो मैंने कभी नहीं झेली। बरसात में इस बार की बरसात ने तो हाहाकार मचवा दिया... जिधर देखो पानी ही पानी। इसी तरह जाड़ा - ऐसा जाड़ा कि हड्डियां हिलाकर रख दीं। बारह महीने ऋतुओं के बदलाव ने सभी को परेशान कर दिया है। पिछले साल जून में उत्तर भारत सहित देश के तकरीबन सभी हिस्सों में बेहाल कर देने वाली गर्मी पड़ी। दिल्ली में पारा जब 48 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर पहुंचा तो लोगों पर ही इसका असर नहीं दिखा बल्कि पशु-पक्षी भी हलकान दिखे। इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित तमाम प्रदेशों में कड़ाके की ठंड ने सबको बेहाल कर दिया। इस फर...