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सभ्यतागत चुनौती

सभ्यतागत चुनौती

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The Civilisational Challengeजापान को सिर्फ एक देश नहीं, एक विशिष्ट सभ्यता मानना गलत नहीं होगा. अपने इतिहास के प्रारंभिक कालखंड में जापानी संस्कृति लगभग पूरी तरह से चीनी संस्कृति की एक शाखा मात्र थी. चीन एक तरह से जापान का कल्चरल बिग ब्रदर था. पर दूसरी सहस्त्राब्दी के आते आते जापान ने अपनी विशिष्ट संस्कृति विकसित कर ली जो दुनिया की अन्य किसी भी संस्कृति से बिल्कुल ही अलग थी...लगभग विचित्र. यह एक बहुत ही पारंपरिक, सैन्य संस्कृति बन गयी. शिंतो बौद्ध धर्म और विलक्षण समुराई सैनिक इसकी खास पहचान थे. 16वीं सदी का जापान टुकड़ों में बँटा था. इसमें अनेक डेमियन सरदार (वारलॉर्ड) आपस में लड़ते रहते थे. उसी समय यूरोपियन व्यापारी और ईसाई मिशनरियाँ भी जापान पहुंचीं. उस दौर में जापान में पश्चिम से दो चीजें पहुंची...क्रिश्चियनिटी और बंदूकें. उनमें एक जापानी वारलॉर्ड हुआ ओडा नोबुनागा. उसे जापान का पहल...
भाग्य के भरोसे झूलता विपक्ष

भाग्य के भरोसे झूलता विपक्ष

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक अपने रायपुर अधिवेशन में सोनिया गांधी ने अपने राजनीतिक संन्यास की घोषणा बहुत ही मर्यादित ढंग से कर दी है और उन्होंने अपने काल की उपलब्धियों और हानियों का जिक्र भी काफी खुलकर किया है लेकिन कांग्रेसियों का भक्तिभाव भी अद्भुत है। वे बार-बार कह रहे हैं कि इसे आप सोनियाजी का संन्यास क्यों मान ले रहे हैं? वे अब भी कांग्रेस की सर्वोच्च नेता हैं। यह कथन बताता है कि सोनिया गांधी के प्रति कांग्रेसियों में कितनी अंधभक्ति है? क्या आपने कभी अटलजी या आडवाणीजी के प्रति ऐसा भक्तिभाव भाजपा में देखा है? सभी लोकतांत्रिक देशों की पार्टियां समय-समय पर अपने नेताओं को बदलती रहती हैं लेकिन हमारी कांग्रेस पार्टी को आजादी के बाद जड़ता ने ऐसा घेरा है कि वह पार्टी नहीं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई है, जैसे कि हमारी प्रांतीय पार्टियां हैं। अब कांग्रेस कह रही है कि उसी के नेतृत्व में मोदी-विरोधी...
शुद्ध पानी का हक दिलाने की सरकारी मुहिम

शुद्ध पानी का हक दिलाने की सरकारी मुहिम

राष्ट्रीय, सामाजिक
ललित गर्गजल मनुष्य के जीवन को वह अहम हिस्सा है जिसके बिना इंसान अपने जीवन के सफर को पूर्ण नहीं कर सकता है। यानी जल के बिना जीवन संभव नहीं है। प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति उपेक्षा एवं उदासीनता का परिणाम है कि इंसान को पीने का स्वच्छ जल मिलना दुर्लभ होता जा रहा है। व्यक्ति के जीवन जीने के लिए पानी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति को तभी पूरा कर सकता है जब उनके जीवन में पानी की सुविधा उपलब्ध है। निरन्तर जटिल होती स्वच्छ जल की समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जल जीवन मिशन स्कीम शुरू की है। इस स्कीम को शुरू करने का मुख्य लक्ष्य यह है की ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे परिवार है जिन्हें पानी की समस्याओं से जूझना पड़ता है। पानी प्राप्त करने के लिए उन्हें दूर क्षेत्रों में कई मीलों पैदल जाना पड़ता है ज...
राहुल गांधी की नई भूमिका क्या हो?

राहुल गांधी की नई भूमिका क्या हो?

TOP STORIES, राष्ट्रीय
विनीत नारायणपंडित नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक हर प्रधान मंत्री वैश्विक मंच पर गर्व से घोषणा करते आए हैं कि भारत विश्वका सबसे बड़ा लोकतंत्र है। किसी भी सफल लोकतंत्र का प्रमाण यह होता है कि उसमें पक्ष और विपक्षी दल सबलभूमिका में सक्रिय रहें। कमज़ोर विपक्ष या विपक्षहीन पक्ष लोकतंत्र के पतन का रास्ता तैयार करता है। इसके साथही न्यायपालिका, मीडिया, चुनाव आयोग, महालेखाकार व जाँच एजेंसियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो और वेनिडर होकर काम कर सकें। अनुभव ये बताता है कि हमारा देश में सत्ता पक्ष विपक्ष को कमज़ोर करने का हर संभवप्रयास करता है। पर स्विट्ज़रलैंड, इंग्लैंड या अमरीका जैसे देशों में सत्तापक्ष की ओर से ऐसे अलोकतांत्रिक प्रयासप्रायः नहीं किए जाते। इसलिए उनका लोकतंत्र आदर्श माना जाता है।किसी देश की अर्थव्यवस्था के स्थायित्व के लिए ज़रूरी होता है कि देश की गृह नीति ऐसी हो जिससे समाज मेंशांति व्...
कांग्रेसः ढाक के वही तीन पात!

कांग्रेसः ढाक के वही तीन पात!

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस पार्टी का 85 वां अधिवेशन अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन अभी तक रायपुर में जो कुछ हुआ है, उसके बारे में क्या कहें? ढाक के वही तीन पात! इंदिरा गांधी के ज़माने से देश की इस महान पार्टी के आकाश से आतंरिक लोकतंत्र का जो सूर्य अस्त हुआ था, वह अब भी अस्त ही है। इसमें कांग्रेेस के वर्तमान नेतृत्व का दोष उतना नहीं है, जितना उसके अनुयायिओं का है। राहुल गांधी का तो मानना है कि कांग्रेस की कार्यसमिति चुनाव के द्वारा नियुक्त होनी चाहिए लेकिन रायपुर अधिवेशन में पार्टी की संचालन समिति ने सर्वसम्मति से तय किया है कि यह नियुक्ति कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ही करेंगे। जिन दो-तीन नेताओं ने शुरू में थोड़ी हिम्मत की और बोला कि कार्यसमिति के लिए चुनाव करवाए जाएं, उन्होंने भी झुण्ड के आगे मुण्ड झुका दिया। खड़गे ने भी कह दिया कि वह सोनिया, राहुल और प्रियंका से सलाह करके कार्यस...
लचर क़ानून व्यवस्था का प्रमाण है अपराध

लचर क़ानून व्यवस्था का प्रमाण है अपराध

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, विश्लेषण
डॉ. शंकर सुवन सिंहभारत जैसे देश में आए दिन अपराध जैसे हत्या,लूट, छिनैती, बलात्कार,धार्मिक उन्माद आदिहोते रहते हैं। अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश भी शिखर पर है। प्रयागराज के नैनी स्थितहुक्का बार में 14 फरवरी 2023 को एक बालू कारोबारी की हत्या कर दी जाती है। अभीहाल ही में 24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल कोदिनदहाड़े सरेआम गोलियाँ और बम से भून दिया जाता है। इस हत्याकांड में उमेश पाल केगनर को भी अपराधी दौड़ाकर गोलियों से भून देते हैं। इस घटना से उत्तर प्रदेश के पुलिसप्रशासन और क़ानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठना स्वाभाविक है। इस घटना का मुख्यकारण न्याय मिलने में विलम्ब होना और क़ानून व्यवस्था का लचर होना है। उधर पंजाब मेंभारत के अमृतकाल के लिए अमृतपाल कहर बनता जा रहा है। पंजाब में खालिस्तानीसंगठन (वारिस पंजाब दे) का मुखिया अमृतपाल सिंह और उसके गुंडों ने अमृतसर केअजना...
अमृतपाल सिंह पर भेजी गई पीएम मोदी की सीक्रेट रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं हुआ ?

अमृतपाल सिंह पर भेजी गई पीएम मोदी की सीक्रेट रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं हुआ ?

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अमृतपाल सिंह पर भेजी गई पीएम मोदी की सीक्रेट रिपोर्ट पर अमल क्यों नहीं हुआ ?* -देश की एकता और अखंडता को एक बार फिर खतरा पैदा हो रहा है क्योंकि पंजाब में मौजूद केजरीवाल की सरकार खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों के प्रति नरम रुख अपना रही है बल्कि उनका तुष्टीकरण भी कर रही है । मीडिया में  शीर्षक के साथ एक खबर प्रकाशित हुई थी... "खालिस्तान समर्थक अमृतपाल पर कार्रवाई ना होने से उठ रहे हैं सवाल" । अमृतपाल को लेकर खुफिया एजेंसियों ने एक रिपोर्ट मोदी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह को दी थी जो पंजाब के पुलिस विभाग से शेयर भी की गई थी लेकिन इसके बावजूद भी भगवंत मान ने अमृतपाल और उसके साथी खालिस्तानी तत्वों के सामने सरेंडर कर रखा है -अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत ने अमृतपाल पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखने वाले एक शक्स को किडनैप करके पीटा था । इस पर पुलिस ने लवप्रीत समेत 30 को आरोपी बनाया था लेकिन 23 फर...
अपने पापों का फल भुगत रहा, कर्ज से कराहता पाकिस्तान

अपने पापों का फल भुगत रहा, कर्ज से कराहता पाकिस्तान

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भारत तथा विश्व में शांति के लिए पाकिस्तान का विश्व के मानचित्र से मिट जाना ही उचितमृत्युंजय दीक्षितपड़ोसी देश पाकिस्तान आज भारी कर्ज व अभूतपूर्व मंहगाई के बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। यद्यपि पाकिस्तान सरकार इससे मुक्ति पाने के लिए कुछ कदम उठा रही है लेकिन यह कदम पाकिस्तान को इस भंवरजाल से उबारने के लिए नाकाफी हैं। कहा जाता है कि बुरे समय में एक के बाद एक सभी अपका साथ छोड़ कर चले जाते हैं और यही हाल इस पाकितान का हो रहा है धीरे धीरे विश्व के सभी देश उससे किनारा कर रहे हैं ।इन परिस्थितियों में भी पाकिस्तान के राजनेता, सेना, आई.एस.आई सुधरने का नाम नहीं ले रहे, कश्मीर-कश्मीर का गाना और आतंक को पनाह देना आज भी इससे अलग हट कर वो कुछ सोच नहीं सकते। वहीं आंतरिक स्तर पर अल्पसंख्यकों का जीवन दूभर है । हिन्दू बच्चियों का अपहरण, धर्मान्तरण, मार पीट, मंदिरों को नष्ट करना यह पाकिस्तान के दैनिक समाचार ...
बाइडन की यूक्रेन-यात्रा

बाइडन की यूक्रेन-यात्रा

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की यूक्रेन-यात्रा ने सारी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है। वैसे पहले भी कई अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे जाॅर्ज बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप एराक और अफगानिस्तान में गए हैं लेकिन उस समय तक इन देशों में अमेरिकी फौजों का वर्चस्व कायम हो चुका था लेकिन यूक्रेन में न तो अमेरिकी फौजें हैं और न ही वहां युद्ध बंद हुआ है। वहां अभी रूसी हमला जारी है। दोनों देशों के डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिक मर चुके हैं। हजारों मकान ढह चुके हैं और लाखों लोग देश छोड़कर परदेश भागे चले जा रहे हैं। यूक्रेन फिर भी रूस के सामने डटा हुआ है। आत्म-समर्पण नहीं कर रहा है। इसका मूल कारण अमेरिका का यूक्रेन को खुला समर्थन है। अमेरिका के समर्थन का अर्थ यही नहीं है कि अमेरिका सिर्फ डाॅलर और हथियार यूक्रेन को दे रहा है, उसकी पहल पर यूरोप के 27 नाटो राष्ट्र भी यूक्रेन की रक्षा के लिए कम...
पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

पाकिस्तान सम्भले अन्यथा आत्मविस्फोट निश्चित है

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-ः ललित गर्ग :- पाकिस्तान और चीन दुनिया के दो ऐसे विध्वंसक देश है, जिन्होंने आतंकवाद, युद्ध एवं पडोसी देशों में अशांति फैलाने की राहों को चुनते हुए अपनी बर्बादी की कहानी खुद लिखी है। पाकिस्तानी नेतृत्व ने ही भारत में आतंकवाद फैला कर लिखी अपनी बर्बादी की दास्तां, जिसे अब अब जनता झेल रही है।  रोटी, सब्जी, घी, तेल, दूध की महंगाई, बिजली, पानी, पेट्रोल, यातायात के आसमान छूते दामों ने पाकिस्तानियों के मुंह से निवाला ही नहीं छीना है, बल्कि उन्हें देश छोड़ने पर विवश कर दिया है। पाकिस्तान की हुकूमत दिवालिया होने से बचने के लिए अपनी अधिकतम कोशिशें करते हुए दुनिया के लगभग सभी के आगे हाथ फैला चुकी है, अब आगे रास्ता नजर नहीं आता। संभवतः पाकिस्तान के हालात सुधरने के बजाय दिनोंदिन बिगड़ते ही जा रहे हैं, कहीं से कोई आशा की उम्मीद दिखायी नहीं देती है। भारत ने कई बार दोहराया है कि आतंकवाद को बढ़ावा...