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भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
अफगानिस्तान से चली दकियानूसी हवा का झोंका भारत भी आ सकता है, दुआ कीजिये भारत इससे महफूज रहे |खुद को अफगानिस्तान का हमदर्द बताने वाला पाकिस्तान भी तालिबान के इस कदम से परेशान है।अफगानिस्तान में महिलाओं के लिये विश्वविद्यालय के दरवाजे बंद करने की  वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय जगत में निंदा हो रही है। लेकिन इसके बावजूद तालिबानी शिक्षा मंत्री अपने फैसले के पक्ष में कुतर्क दे रहे हैं कि ये शिक्षा इस्लामिक सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। इस फैसले से छात्राओं में घोर निराशा है,उन्हें लगता है कि उनके भविष्य का पुल तालिबान ने बारूद से उड़ा दिया है। बीते मंगलवार को तालिबान  द्वारा की गई घोषणा पर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। बीते वर्ष अगस्त में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था तो दलील दी गई थी कि पिछले तालिबानी दौर के प्रतिबंधों की पुनरावृत्ति नहीं...
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

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भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार भारतीय मूल के नागरिकों का अमेरिका में आगमन विभिन स्तरों पर हुआ है। वर्ष 1890 तक भारतीय मूल के कुछ नागरिकों का कृषि श्रमिकों के रूप में अमेरिका में आगमन हुआ था। लगभग इसी खंडकाल में विशेष रूप से पंजाब से कुछ सिक्ख लोगों के जत्थे भी कनाडा एवं अमेरिका की ओर रवाना हुए थे। उस समय पर भारतीय मूल के नागरिकों ने अमेरिका में बहुत कठिनाईयों का सामना किया था क्योंकि अमेरिकी मूल के नागरिक भारतीय एवं अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, फिलिपीन आदि के नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी कर रहे थे। एशियन मूल के नागरिक बहुत ही कम वेतन पर अधिक से अधिक मेहनत करते हुए कृषि क्षेत्र में भी काम करने को तैयार रहते थे, इससे अमेरिकी मूल के नागरिकों को आभास हुआ कि ये एशियन मूल के नागरिक उनके रोजगारों पर कब्जा कर लेंगे। इन कारणों के चलते उस समय पर इन ...
कोरोना की नई लहर से कितना डर?

कोरोना की नई लहर से कितना डर?

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*विनीत नारायणपिछले कुछ दिनों से चीन में कोरोना की नई लहर को लेकर काफ़ी भयावह दृश्य सामने आए हैं। कोरोना के नये वेरिअंट नेचीन में अपना आतंक दिखाना शुरू कर दिया है। चीन के अलावा कई और देशों में भी इस नये वेरिअंट के मरीज़ पाए गए हैं।दुनिया भर में डर का माहौल बना हुआ है। भारत समेत कई देशों ने कोरोना के इस नये जिन्न से निपटने के लिए सभीसावधानियाँ बरतनी शुरू कर दी हैं। भारत के सभी राज्यों के मुख्य मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जनता से सावधान रहनेकी अपील कर रहे हैं। सबके मन में प्रश्न है कि हमें इस नए वेरिअंट से कितना डरना चाहिए?सोशल मीडिया पर चीन में आई कोरोना की नई लहर से ऐसे आँकड़े सुनने को मिल रहे हैं कि इस लहर में दस लाख सेअधिक लोगों की मौत हो सकती है। चीन की 60 प्रतिशत आबादी इसकी चपेट में आ जाएगी। ये भी कि दुनिया भर की 10प्रतिशत आबादी इस नई लहर का शिकार हो जाएगी। ये सब दावे कितने सच्...
इन ईसाई शख्सियतों पर करता देश नाज

इन ईसाई शख्सियतों पर करता देश नाज

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देश के 10 खास ईसाई कौन विवेक शुक्ला क्रिमसम का पर्व मनाया जा रहा। चर्च और ईसाइयों के घर सजे हुए हैं। केक के आर्डर तो पहले ही दिए जा चुके थे। यह मौका है जब हम अपने उन ईसाइयों की बात करें जिन पर देश नाज करता है। इस लिहाज से पहला नाम सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे का लेंगे। वे जब कोर्ट में हाथ हिला-हिलाकर जिरह करते हैं तो उनकी जुबान पर सरस्वती होती है। वे भारत सरकार से लेकर रिलायंस और टाटा ग्रुप के लिए पैरवी कर चुके हैं। डॉ. टेसी थॉमस भी देश के  ईसाई समाज सेहै। उन्हें भारत में मिसाइल वुमन के नाम से जाता है। वह अग्नि मिसाइल प्रोग्राम की अहम जिम्मेदारी संभालने वालीं देश की पहली महिला साइंटिस्ट हैं। अभी वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( डीआरडीओ) में महानिदेशक एयरोनॉटिकल प्रणाली हैं। टेसी मिसाइल के क्षेत्र में महिलाओं के लिए पथप्रदर्शक साबित हुई हैं। टेसी थॉमस 1988 में डीआरड...
फिर कोरोना की दस्तक: कोई चूक न हो

फिर कोरोना की दस्तक: कोई चूक न हो

राष्ट्रीय, समाचार
-ः ललित गर्ग:- चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, अमेरिका सहित कई देशों में कोरोना के नये वेरिएंट के मामलों और उससे हुई मौतों के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत में भी चीन में तबाही लाने वाले एवं भयंकर तबाही की आहट देने वाले बेरिएंट बीएफ. 7 के 4 नये मामले मिले हैं, जो गहरी चिन्ता बढ़ा रहे हैं। सरकार सर्तक हो गयी है, आम जनता को भी सावधान रहना होगा। मास्क पहनने एवं बूस्टर डोज लगवाने के अभियान को गति देनी होगी। सार्वजनिक भीड़ को कम करना होगा, सभाओं, त्यौहारों, राजनीतिक आयोजनों पर नियंत्रण करना होगा, स्कूलों को भी सावधान एवं चौकना रहना होना होगा। जरूरत पड़े तो लॉकडाउन भी लगाया जाये। सब जानते हैं कि इस विषाणु और उसके संक्रमण से उपजी बीमारी की शुरुआत चीन से हुई थी और उसके बाद दुनिया का अनुभव बेहद त्रासद, डरावना एवं विस्फोटक रहा। यही वजह है कि अब एक बार फिर चीन में जब कोरोना स...
आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी 

आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
25 दिसम्बर (जन्मतिथि) विशेष- आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी  मृत्युंजय दीक्षित  भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, सहृदय व्यक्तित्व के धनी, भावपूर्ण कवि और प्रख्यात पत्रकार थे जिनके मन में सदैव देश ही सर्वोपरि रहता था। आज भारत जिस तेज गति से मिसाइलों के परीक्षणों के द्वारा अपनी सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है और  भारत के शत्रु इसकी बढ़ती सैन्य शक्ति व आत्मनिर्भर हो रही रक्षा प्रणाली से भयभीत हो रहे हैं वह अटल जी की ही सरकार का प्रारंभ किया हुआ कार्य है जिसे मोदी जी पूरा कर रहे हैं ।  अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में जिन परियोजनाओं पर काम किया गया वही अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासनकाल में धरातल पर उतर रही हैं। इनमे से अधिकांश बीच में आई सरकारों ने ठन्डे बस्ते में डाल दी थीं। अटल जी...
श्रीनिवास रामानुजन की जयंती पर…(२२ दिसंबर )

श्रीनिवास रामानुजन की जयंती पर…(२२ दिसंबर )

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, समाचार
यह बड़ी अजीब सी बात है कि साहित्यिक होते हुए भी मैं किसी कवि या लेखक की जीवनगाथा पढ़ कर उतना द्रवित कभी न हो सका जितना श्रीनिवास रामानुजन के बारे में पढ़ते हुए होता रहा। रामानुजन का छोटा सा जीवन शीत की कुहेलिका में डूबे किसी दिव्य सरोवर सा है जो क्षण-क्षण अपना रूप खोलता है । उसमें अनिर्वच काव्यात्मकता,करुणा, ताप, आह और आनंद है। उस सरोवर में उतरना तो हम जैसे मनुष्यों के लिए असंभव ही है--उसकी दिव्यता को छू भर लेना ही हमारे लिए परमाद्भुत रत्न को पाने जैसा है । उनके जन्म की कहानी, बचपन की विस्मयकारी प्रज्ञा, बहुत छोटी उम्र में उनके द्वारा पूछे गए गूढ़ प्रश्न और धीरे-धीरे गणित में धंसते हुए कुछ विलक्षण सोचना या करना, यह सब अपवादात्मक या प्रतीयमान ही है । रामानुजन की दिव्यता का आभास यों तो छोटी आयु से ही होने लगता है तथापि उनकी अपूर्व प्रतिभा का प्राकट्य तेरह-चौदह वर्ष की उम्र में होता ह...
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी के क्या हैं मायने? क्या देश में फिर लगने वाली हैं बड़ी पाबंदियां?

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री की चिट्ठी के क्या हैं मायने? क्या देश में फिर लगने वाली हैं बड़ी पाबंदियां?

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
आशीष तिवारी Corona Update: कोविड कंट्रोल करने वाली कमेटी से जुड़े एक वरिष्ठ सदस्य कहते हैं कि ऐसी किसी भी चिट्ठी को आज के हालात के मद्देनजर राजनीति से नहीं देखना चाहिए। उनका कहना है कि चूंकि यह चिट्ठी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के लिए लिखी गई है, तो उसका राजनीतिकरण होना स्वाभाविक है। (Corona Update) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी में भारत जोड़ो यात्रा को स्थगित करने की अपील की है। इस यात्रा को स्थगित करने के पीछे की सबसे बड़ी वजह मनसुख मंडाविया ने कोविड के हालातों में पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की बात कही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस चिट्ठी के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के पास इस बात के इनपुट पहुंच चुके हैं कि आने वाले दिनों में एक बार फिर से कोविड के हालात भयावह हो सकते हैं। हाला...
राहुल गांधी की अंग्रेजी-भक्ति ?

राहुल गांधी की अंग्रेजी-भक्ति ?

TOP STORIES, राष्ट्रीय
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* राजस्थान में राहुल गांधी ने अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई की जमकर वकालत कर दी। राहुल ने कहा कि भाजपा अंग्रेजी की पढ़ाई का इसलिए विरोध करती है कि वह देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों के बच्चों का भला नहीं चाहती है। भाजपा के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में क्यों पढ़ाते हैं? राहुल ने जो आरोप भाजपा के नेताओं पर लगाया, वह ज्यादातर सही ही है लेकिन राहुल जरा खुद बताए कि वह खुद और उसकी बहन क्या हिंदी माध्यम की पाठशाला में पढ़े हैं? देश के सारे नेता या भद्रलोक के लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में इसीलिए भेजते हैं कि भारत दिमागी तौर पर अभी भी गुलाम है। उसकी सभी ऊँची नौकरियां अंग्रेजी माध्यम से मिलती हैं। उसके कानून अंग्रेजी में बनते हैं। उसकी सरकारें और अदालतें अंग्रेजी में चलती हैं। भाजपा ने अपनी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्...
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामले।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में आत्महत्या के बढ़ते मामले।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
जब तक देश की परीक्षा संस्कृति से इस कुत्सित व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाता है, तब तक छात्रों में आत्महत्या की दर को रोकने के मामले में कोई प्रत्यक्ष परिवर्तन नहीं देखा जाएगा। सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए, अगर वास्तव में हम सोचते है कि "आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। जबरन करियर विकल्प देने से कई छात्र बहुत अधिक मात्रा में दबाव के आगे झुक जाते हैं, खासकर उनके परिवार और शिक्षकों से उनके करियर विकल्पों और पढ़ाई के मामले में। शैक्षिक संस्थानों से समर्थन की कमी के चलते बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए सुसज्जित नहीं है और मार्गदर्शन और परामर्श के लिए केंद्रों और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी है। प्रारंभिक पाठ्यक्रमों और तृतीयक शिक्षा की अत्यधिक लागत छात्रों पर बोझ के रूप में कार्य करती है और उन पर जबरदस्त दबाव डालती है। -प्रियंका सौरभ नेशन...