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ऋषभ पंत कार एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल:

ऋषभ पंत कार एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल:

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ऋषभ पंत कार एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल:जलती कार की खिड़की तोड़ बाहर निकले; मां को सरप्राइज देने घर जा रहे थे 25 साल के क्रिकेटर ऋषभ पंत का शुक्रवार सुबह 5.30 बजे रुड़की के पास एक्सीडेंट हो गया है। उनकी हालत अभी स्थिर बताई जा रही थी। वह कार से अपने घर उत्तराखंड जा रहे थे। रुड़की के नारसन बॉर्डर पर हम्मदपुर झाल के मोड़ पर उनकी मर्सडीज अनियंत्रित होकर रेलिंग से जा टकराई, जिसके बाद कार में आग लग गई और वह पलट गई। उत्तराखंड DG अशोक कुमार के मुताबिक, पंत को गाड़ी चलाते समय झपकी आ गई थी, जिसके कारण वह कार पर से कंट्रोल खो बैठे। एक्सीडेंट के समय पंत कार में अकेले थे। एक्सीडेंट के बाद पंत जलती हुई कार की खिड़की तोड़कर बाहर निकले थे। पंत को सिर, पीठ और पैर में चोटें आई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, ऋषभ की हालत स्थिर बनी हुई है। डॉक्टर बोले- सीट बेल्ट पहने होते तो कार में झुलस सकते थेपंत को हाद...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की माता जी 100 वर्ष की उम्र में निधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की माता जी 100 वर्ष की उम्र में निधन

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मोदी जी की अपनी माँ को श्रद्धांजलि - शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि કામ કરો બુદ્ધિથી, જીવન જીવો શુદ્ધિથી यानि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से। ...
कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

कोचर और धूत ही गिरफ़्तार क्यों?

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*रजनीश कपूरपिछले दिनों सीबीआई द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर कीगिरफ्तारी की खबर सुर्ख़ियों में थी। उसके बाद हाल ही में वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत को भी सीबीआई ने बैंकफ्रॉड मामले में गिरफ़्तार किया। तमाम सबूतों के बावजूद सीबीआई ने 2019 में एफ़आईआर दर्ज की और जाँच करने लगी।आश्चर्य है कि आरोपियों की गिरफ़्तारी तीन बरस बाद दिसंबर 2022 में ही की गई। सीबीआई के इस ढुलमुल रवैये से सवालउठता है कि देश में ऐसे कितने और मामले हैं जिन पर सीबीआई और अन्य जाँच एजेंसियां इसी तरह ढुलमुल रवैया अपनारही हैं?कोचर दंपत्ति की ज़मानत के लिए बहस करते हुए उनके वकीलों ने कोर्ट में कहा कि, “जनवरी 2019 से अब तक कोचरदंपत्ति उपलब्ध थी, तो फिर इतने सालों में उन्हें जांच के लिए क्यों नहीं बुलाया गया?” वकील के अनुसार, जुलाई 2022तक सीबीआई को जांच के लिए उनकी जरूरत तक नहीं...
भारत में मुस्लिम क्यों और कब से ‘असुरक्षित’?*

भारत में मुस्लिम क्यों और कब से ‘असुरक्षित’?*

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बलबीर पुंज गत दिनों राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने भारत को मुस्लिमों के लिए असुरक्षित बताते हुए कहा, "...हमने अपने अपने बेटा-बेटी को कहा कि उधर (विदेश) ही नौकरी कर लो, अगर नागरिकता भी मिले तो ले लेना.. अब भारत में माहौल नहीं रह गया है...।" विवाद बढ़ने पर सिद्दीकी ने खेद प्रकट तो किया, किंतु अपने वक्तव्य के मर्म पर अड़े रहे। भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, शेष विश्व में प्रवासी भारतीयों की संख्या तीन करोड़ से अधिक है, जिनमें से अधिकांश उज्जवल भविष्य, व्यक्तिगत विकास और अधिक धन अर्जित करने हेतु वर्षों से स्वदेश से बाहर है। इनमें से कई अपनी नागरिकता तक बदल चुके है। क्या इनके लिए यह कहना उचित होगा कि वे सभी भारत में 'असुरक्षा' या 'माहौल बिगड़ने' के कारण देश छोड़ने को विवश हुए?  साधारणत: किसी एक व्यक्ति के नकारात्मक विचारों की अनदेख...
संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित

संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित

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महत्‍वपूर्ण बिंदु : संसद द्वारा पारित किए गए  : उत्तर प्रदेश के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 तमिलनाडु के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (दूसरा संशोधन) बिल, 2022 कर्नाटक के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (चौथा संशोधन) बिल, 2022 संसद के शीतकालीन अधिवेशन में तीन आवश्यक संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश संशोधन विधेयक पारित किए गए। तमिलनाडु राज्य के संबंध में, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022, राज्यसभा में 22.12.2022 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। संसद में पारित होने के बाद यह विधेयक तमिलनाडु में अनुसूचित जनजातियों की सूची में नारिकोरवन और कुरीविकरण समुदायों को शामिल करेगा। यह विधेयक पहले 15.12.2022 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। ...
जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20

जी20 में भारत की अध्यक्षता के साथ शुरू होगा साइंस-20

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (इंडिया साइंस वायर): बीस देशों के अंतर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीयमंच जी20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। औद्योगिक और विकासशील दोनों देशों केइस संघ का मुख्य फोकस वैश्विक अर्थव्यवस्था के गवर्नेंस पर रहा है। हालाँकि, पिछले कई वर्षोंसे जी20 देशों का समूह जलवायु परिवर्तन के शमन और सतत् विकास जैसी अन्य वैश्विकचुनौतियों के समाधान की दिशा में काम कर रहा है। इस कड़ी में, जी20 के कई कार्यकारीसमूहों की स्थापना की गई है, जिनमें साइंस-20 (एस20) शामिल है।  जी20, एस20 और इसके जैसे अन्य कार्यसमूहों की अध्यक्षता वर्ष 2023 में भारत के पासरहेगी। वर्ष 2023 के लिए एस20 का विषय "अभिनव और सतत् विकास के लिए विघटनकारीविज्ञान" होगा। इस व्यापक विषय पर भारत के विभिन्न हिस्सों (अगरतला, लक्षद्वीप औरभोपाल) में साल भर विमर्श आयोजित किये जाएंगे। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलूरुएस20 के लिए स...
*भारत की भूमिका के विस्तार का समय*

*भारत की भूमिका के विस्तार का समय*

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय
                           -बलबीर पुंज वर्ष 2022 कैसा था, उसे हम भुगत चुके है। परंतु नया साल भारत और शेष विश्व के लिए कैसा होगा? कुछ माह पहले तक विश्व कोविड-19 के प्रकोप से लगभग मुक्ति पा चुका था, किंतु इस महामारी के उद्गमस्थल चीन में पुन: कोरोना विस्फोट ने नववर्ष में दुनिया को फिर चौकस कर दिया है। संतोषप्रद बात यह है कि हम इस संक्रमण के बहरूपिये चरित्र से पहले से अधिक परिचित, जागरूक और उससे संघर्ष करने हेतु तत्पर है। किंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि कोरोना समाप्त हो गया है और हम इससे निश्चिंत हो जाए। सच तो यह है कि हमारी लापरवाही से कोरोना संक्रमण पुन: मानवता पर हावी हो सकता है।  विश्व यदि बीते वर्ष कोविड-19 से लगभग मुक्त रहा, तो फरवरी के अंतिम सप्ताह शुरू यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया में ईंधन-खाद्य आपू...
भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

भारत इस दकियानूसी हवा से महफूज रहे

राष्ट्रीय, साहित्य संवाद
अफगानिस्तान से चली दकियानूसी हवा का झोंका भारत भी आ सकता है, दुआ कीजिये भारत इससे महफूज रहे |खुद को अफगानिस्तान का हमदर्द बताने वाला पाकिस्तान भी तालिबान के इस कदम से परेशान है।अफगानिस्तान में महिलाओं के लिये विश्वविद्यालय के दरवाजे बंद करने की  वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय जगत में निंदा हो रही है। लेकिन इसके बावजूद तालिबानी शिक्षा मंत्री अपने फैसले के पक्ष में कुतर्क दे रहे हैं कि ये शिक्षा इस्लामिक सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। इस फैसले से छात्राओं में घोर निराशा है,उन्हें लगता है कि उनके भविष्य का पुल तालिबान ने बारूद से उड़ा दिया है। बीते मंगलवार को तालिबान  द्वारा की गई घोषणा पर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। बीते वर्ष अगस्त में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था तो दलील दी गई थी कि पिछले तालिबानी दौर के प्रतिबंधों की पुनरावृत्ति नहीं...
भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार

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भारतीय बन रहे हैं अमेरिकी अर्थव्यवस्था के शिल्पकार भारतीय मूल के नागरिकों का अमेरिका में आगमन विभिन स्तरों पर हुआ है। वर्ष 1890 तक भारतीय मूल के कुछ नागरिकों का कृषि श्रमिकों के रूप में अमेरिका में आगमन हुआ था। लगभग इसी खंडकाल में विशेष रूप से पंजाब से कुछ सिक्ख लोगों के जत्थे भी कनाडा एवं अमेरिका की ओर रवाना हुए थे। उस समय पर भारतीय मूल के नागरिकों ने अमेरिका में बहुत कठिनाईयों का सामना किया था क्योंकि अमेरिकी मूल के नागरिक भारतीय एवं अन्य एशियाई देशों जैसे चीन, जापान, फिलिपीन आदि के नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याएं खड़ी कर रहे थे। एशियन मूल के नागरिक बहुत ही कम वेतन पर अधिक से अधिक मेहनत करते हुए कृषि क्षेत्र में भी काम करने को तैयार रहते थे, इससे अमेरिकी मूल के नागरिकों को आभास हुआ कि ये एशियन मूल के नागरिक उनके रोजगारों पर कब्जा कर लेंगे। इन कारणों के चलते उस समय पर इन ...
कोरोना की नई लहर से कितना डर?

कोरोना की नई लहर से कितना डर?

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*विनीत नारायणपिछले कुछ दिनों से चीन में कोरोना की नई लहर को लेकर काफ़ी भयावह दृश्य सामने आए हैं। कोरोना के नये वेरिअंट नेचीन में अपना आतंक दिखाना शुरू कर दिया है। चीन के अलावा कई और देशों में भी इस नये वेरिअंट के मरीज़ पाए गए हैं।दुनिया भर में डर का माहौल बना हुआ है। भारत समेत कई देशों ने कोरोना के इस नये जिन्न से निपटने के लिए सभीसावधानियाँ बरतनी शुरू कर दी हैं। भारत के सभी राज्यों के मुख्य मंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जनता से सावधान रहनेकी अपील कर रहे हैं। सबके मन में प्रश्न है कि हमें इस नए वेरिअंट से कितना डरना चाहिए?सोशल मीडिया पर चीन में आई कोरोना की नई लहर से ऐसे आँकड़े सुनने को मिल रहे हैं कि इस लहर में दस लाख सेअधिक लोगों की मौत हो सकती है। चीन की 60 प्रतिशत आबादी इसकी चपेट में आ जाएगी। ये भी कि दुनिया भर की 10प्रतिशत आबादी इस नई लहर का शिकार हो जाएगी। ये सब दावे कितने सच्...