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लोकतंत्र को मजबूती देने वाले नतीजें

लोकतंत्र को मजबूती देने वाले नतीजें

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-ः ललित गर्ग:- भारत के दो राज्यों गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश और एक नगर निगम दिल्ली के चुनावों में इन क्षेत्रों के मतदाताओं ने जो जनादेश दिया है उससे एक बार फिर सिद्ध हो गया है कि भारत में लोकतंत्र कायम है और इसकी जीवंतता के लिये मतदाता जागरूक है। मतदाता को ठगना या लुभाना अब नुकसान का सौदा है। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने कीर्तिमान गढे़, तो हिमाचल में कांग्रेस ने नया जीवन पाया, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को खुश होने का मौका मिला। इन चुनावी नतीजों ने जाहिर कर दिया कि आज के मतदाता किसी भी पार्टी के दबाव में नहीं है। ये नतीजे जहां लोकतंत्र की सुदृढ़ता को दर्शा रहे हैं, वही देश की राजनीति का नई राहों की ओर अग्रसर होने के संकेत दे रहे हैं। इन चुनाव नतीजों से यह तय हो गया कि भारत विविधता में एकता एवं विभिन्न फूलों का एक ‘खूबसूरत गुलदस्ता’ है। इन जनादेशों का चारों तरफ स्वागत हो रहा है। ऐसे जन...
संसद में अनुशासन और मर्यादा

संसद में अनुशासन और मर्यादा

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किसी भी संस्था की सफलता, प्रभावशीलता और प्रतिष्ठा उसके व्यवस्थित कामकाज पर निर्भर करती है और वह किस हद तक अपनी गतिविधियों के निर्वहन के लिए अनुशासन, गरिमा और मर्यादा के मानकों का पालन करती है। इस अर्थ में अनुशासन और मर्यादा किसी भी संस्था के मूलभूत मानदंड हैं। यह विशेष रूप से संसदीय संस्थाओं के बारे में है जो लोगों की इच्छा को मूर्त रूप देती हैं और अन्य गतिविधियों के साथ-साथ कानून के प्रमुख कार्य और कार्यपालिका की जांच करने के लिए लोकतंत्र के मंच का गठन करती हैं। अनुशासन और मर्यादा के क्षरण से संसदीय संस्थाओं का क्षरण होगा। प्रतिनिधि निकायों के इन मूलभूत मानदंडों को हमेशा पवित्र माना गया है और इसलिए इन्हें संरक्षित किया गया है। 25 नवंबर 1949 को जब हमारा संविधान अपनाया गया तो डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, इसके प्रमुख वास्तुकार, ने पूछा, "यदि हम लोकतंत्र को बनाए रखना चाहते हैं ... तो हमें क्या कर...
जेएनयू को फिर से लाना होगा पटरी पर

जेएनयू को फिर से लाना होगा पटरी पर

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आर.के. सिन्हा जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पहले वाइस चांसलर गोपालस्वामी पार्थसारथी (जीपी) तथा इसके मुख्य आर्किटेक्ट सी.पी. कुकरेजा की आत्मा रह-रह कर परेशान होती होगी, क्योंकि; उन्होंने जिस जेएनयू को खून-पसीना एक करके खड़ा किया वहां से प्राय: कोई बेहतर खबर सुनने को मिलती ही नहीं।  झगड़ा, धरना, विवाद, आपत्तिजनक पोस्टरबाजी, देश विरोधी गतिविधियों आदि के चलते जेएनयू की प्रतिष्ठा धूल में मिल रही है। अब ताजा मामले को ही लें। जेएनयू  की दीवारों पर शर्मनाक नारे लिखे गए। वहां की दीवारों पर दो जातियों क्रमश: ब्राह्मणों  तथा बनियों को भारत और जेएनयू छोड़ने के लिये नारे लिखे गये थे। जेएनयू हो या कोई और जगह या समूचा देश, सभी को सब जगह रहने, जीने और काम करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। यह अधिकार संविधान ने हर भारतीय को दिया है। इसलिए ऐसे ...
मृदा क्षरण के मानव और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर अपूरणीय परिणाम

मृदा क्षरण के मानव और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर अपूरणीय परिणाम

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मृदा क्षरण का मानव और पारिस्थितिक तंत्र स्वास्थ्य दोनों पर अपूरणीय प्रभाव पड़ सकता है। भारत ने इस दिशा में कई पहलें की हैं जिन्हें स्वस्थ मृदा और अंततः एक स्वस्थ ग्रह सुनिश्चित करने के लिए स्थायी तौर पर जारी रखा जाना चाहिए और उनमें निरंतर सुधार करते रहने आवशयक हैं। क्षरित मृदा के प्रबंधन और बहाली के लिए सभी हितधारकों के बीच संचार लिंक को मजबूत किया जाना चाहिए। साक्ष्य-आधारित जानकारी का समय पर प्रसार भी आवश्यक है। सभी लक्षित लाभार्थियों को सफल संरक्षण प्रथाएं और स्वच्छ तथा टिकाऊ प्रौद्योगिकियां प्रदान की जानी चाहिए। नागरिक पेड़ लगाकर, किचन गार्डन का विकास तथा रख-रखाव करके और मौसमी तथा स्थानीय रूप से प्राप्त भोजन का सेवन करके योगदान दे सकते हैं। -प्रियंका सौरभ  भारत में 145 मिलियन हेक्टेयर में मिट्टी का क्षरण हो रहा है, यह अनुमान है कि 96.40 मिलियन हेक्टेयर (कुल भौगोलिक क्षेत्र क...
अवैध मतांतरण

अवैध मतांतरण

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक
ह्रदय नारायण दीक्षित अवैध मतांतरण राष्ट्रीय चुनौती है। ईसाई इस्लामी समूह काफी लम्बे समय से अवैध मतांतरण में संलग्न हैं। वे सारी दुनिया को अपने पंथ मजहब में मतांतरित करने के लिए तमाम अवैध साधनों का इस्तमाल कर रहे हैं। अपनी आस्था विवेक और अनुभूति में जीना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। लेकिन यहाँ अवैध मतांतरण के लिए छल बल भय और प्रलोभन सहित अनेक नाजायज तरीके अपनाए जा रहे हैं। यह मानवता के विरुद्ध असाधारण अपराध है। और राष्ट्रीय अस्मिता के विरुद्ध युद्ध भी है। मतांतरण से व्यक्ति अपना मूल धर्म ही नहीं छोड़ता, उसकी देव आस्थाएं बदल जाती हैं। पूर्वज बदल जाते हैं। वह अपनी संस्कृति के प्रति स्वाभिमानी नहीं रह जाता। वह नए पंथ मजहब के प्रभाव में अपने पूर्वजों पर भी गर्व नहीं करता। उसकी भूसांस्कृतिक निष्ठा बदल जाती है। भूसांस्कृतिक निष्ठा ही भारतीय राष्ट्र का मूल तत्व है। इसलिए मतांतरण राष्ट्रांतरण ...
प्रधानमंत्री ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के प्रति अपना समर्थन देने के लिए वैश्विक राजनेताओं का आभार व्यक्त किया और उन्हें धन्यवाद दिया

प्रधानमंत्री ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के प्रति अपना समर्थन देने के लिए वैश्विक राजनेताओं का आभार व्यक्त किया और उन्हें धन्यवाद दिया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के प्रति अपना समर्थन देने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रॉन को धन्यवाद दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति के एक ट्वीट का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया; Thank you, my dear friend @EmmanuelMacron! I look forward to consulting you closely during India's G20 Presidency, as we work to focus the world's attention on the issues that affect humanity as a whole. ...
केरल में चक्रवात ने कैसे मचाया अनापेक्षित विध्वंस?

केरल में चक्रवात ने कैसे मचाया अनापेक्षित विध्वंस?

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भारत के पश्चिमी तट पर स्थित केरल के चेलानम तटीय क्षेत्र में वर्ष 2021 में ताउते चक्रवात के दौरान बाढ़ और कटाव का स्तर अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अत्यधिक देखा गया था। कम तूफान और कम ज्वार के बावजूद चेलानम में समुद्र की लहरें तटीय सुरक्षा उपायों को पार कर गईं  और  घरों तथा सड़कों को जलमग्न कर दिया। एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि कम तूफान और कम ज्वार के बावजूद ताउते चक्रवात ने केरल के तटीय क्षेत्रों को कैसे अपनी चपेट में ले लिया। शोधकर्ता बताते हैं कि ताउते चक्रवात केरल के चेलानम तट से लगभग 500 किलोमीटर दूर था, और इस क्षेत्र में कम ज्वार की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन, 15 मई, 2021 की सुबह कम तूफान और कम ज्वार के बावजूद चेलानम क्षेत्र जलमग्न हो गया। इस घटना ने मौसम-वैज्ञानिकों को इसके कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया। इस घटनाक्रम के मॉडलिंग सिमुलेशन या अनुकरण से शो...
लोकतंत्र में पारदर्शिता

लोकतंत्र में पारदर्शिता

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लोकतंत्र में पारदर्शिता लोकतंत्र की वास्तविक पहचान पारदर्शिता में निहित होती है। यदि किसी देश के लोकतंत्र में पारदर्शिता नहीं दिखाई देती है तो उस देश में लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में होता है। लोकतंत्र जनता का विश्वास है और जब लोकतंत्र में पारदर्शिता समाप्त हो जाती है तो जनता का विश्वास भी धीरे-धीरे समाप्त प्राय होना प्रारम्भ हो जाता है। भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति  के पश्चात जो भी पार्टी सत्ता में आयी, उसने सर्वप्रथम परदर्शिता पर प्रहार किया, परिणामस्वरूप वे सभी पार्टियाँ प्रचण्ड बहुमत प्राप्त करने के पश्चात भी शनै-शनै विघटन की ओर अग्रसर हो गईं। लोकतंत्र की पारदर्शिता का प्रदर्शन सर्वप्रथम चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली से ही होना चाहिए। यदि चुनाव आयोग ही स्वयं में सशक्त नहीं हैं तो वह देश के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है। आज भी पूर्व चुनाव आयुक्त टी0एन0 शेषन जी के योगदान को जनत...
इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले

इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले

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इमामों को वेतन देने के 1993 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट स्वतः वापस ले या  CIC के खिलाफ Contempt of court का केस चलाये !* करोड़ों रुपया गैरकानूनी खर्च होने की भरपाई कौन करेगा ? इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का Forensic Audit होना चाहिए ! केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने अपने 26 नवंबर, 2022 के आदेश में बहुत निर्भीक होकर और बड़ी हिम्मत का परिचय देते हुए मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक देने के सुप्रीम कोर्ट के 1993 के आदेश को संविधान का उल्लंघन कह दिया - CIC ने यह भी कहा कि -  “अदालत के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 27 का भी उल्लंघन हुआ जिसमें कहा है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग किसी किसी विशेष धर्म के पक्ष में नहीं किया जायेगा - इससे देश में गलत मिसाल, अनावश्यक विवाद और सामाजिक कटुता बढ़ी - CIC ने अपने आदेश की कॉपी कानून मंत्री को भेजने के लिए भी कहा जिससे वेतन मामले मे...
‘पप्पू’ में बहुत गहराई है- प्रियंका गांधी

‘पप्पू’ में बहुत गहराई है- प्रियंका गांधी

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विनीत नारायणकुछ हफ़्तों पहले सोशल मीडिया पर प्रियंका गांधी का एक अंग्रेज़ी वीडियो जारी हुआ। उसमें उन्होंने अपने भाई राहुल गांधीके व्यक्तित्व के बारे में काफ़ी कुछ कहा। उनके इस वक्तव्य से राहुल गांधी के व्यक्तित्व की अनेक उन बातों का पता चलाजिनकी चर्चा कभी एकतरफ़ा हो चुके मीडिया ने नहीं की। इन दिनों जब राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ काफ़ी चर्चा में हैं, तोपाठकों के साथ इस वीडियो का ज़िक्र करना उचित होगा।प्रियंका गांधी अपने भाई को अपना सबसे करीबी मित्र बताते हुए अपने बचपन को याद करती हैं। किस तरह उनका बचपनदर्दनाक हादसों और हिंसा का साक्षी रहा। इन दोनों ने अपनी दादी, इंदिरा गांधी को दूसरी माँ के रूप में पाया। 1984 मेंइंदिरा जी की हत्या के समय राहुल की उम्र मात्र 14 साल की थी। वे कहती हैं कि चार जनों के एक छोटे परिवार केपारस्परिक स्नेह ने ही उनको सभी कठिनाइयों का सामना करने की ताक़त दी।1991 में...