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राहुल गांधी की जिहादी और पाकिस्तान जोड़ो यात्रा

राहुल गांधी की जिहादी और पाकिस्तान जोड़ो यात्रा

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राष्ट्र-चिंतन पाकिस्तान जिंदाबाद  के नारेबाजों को भारत की नागरिकता से वंचित करो   आचार्य श्री विष्णुगुप्त ==================== राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग गये, वह भी सरेआम और बेखौफ। इतना ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने गर्व के साथ अपने ट्विटर हैंडल पर पाकिस्तान जिंदाबाज के नारे से संबंधित वीडीओ पोस्ट कर दिया। इस पर राजनीतिक बवाल तो मचना ही था, बवाल मचा भी। भाजपा ने इस आग में घी डाल कर कांग्रेस की साख और देशभक्ति तथा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का न केवल पाकिस्तान से जोड़ दिया बल्कि भारत जोडो यात्रा का पाकिस्तानी करण-जिहादीकरण  भी कर दिया तथा इस यात्रा को भारत विखंडन की यात्रा भी बता दिया। राजनीति में प्रतिद्वदी तो अवसर के ताक में ही होते हैं, भाजपा को अवसर मिला और भाजपा ने अवसर को खूब भंजाया भी। सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हुई और क...
सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

सुप्रीम कोर्ट में कब मिलेगा भारतीय भाषाओं को उनका हक

BREAKING NEWS, Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा सुप्रीम कोर्ट में देश की आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी सिर्फ अंग्रेजी में ही जिरह करने की अनिवार्यता बताना उन तमाम भारतीय भाषाओं की अनदेखी और अपमान ही माना जाएगा, जिसमें इस देश के करोड़ों लोग आपस में संवाद करते हैं। अंग्रेजी से किसी को ऐतराज़ भी नहीं है। अंग्रेजी एक तरह से विश्व संवाद की एक भाषा है और हमारे अपने देश में भी इसका हर स्तर पर उपयोग होता है। जहाँ ज़रूरी होने में हर्ज भी नहीं है। पर सुप्रीम कोर्ट में तो सिर्फ इसी का उपयोग किया जा सकता है। यह सही कैसे माना जाए? यह तो अंग्रेजों की गुलामी को दर्शाने वाली व्यवस्था है जो तत्काल खत्म होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय पहले ही एक अलग ही तरह का शर्मनाक मामला देखने को मिला जहां हिंदी में दलील दे रहे एक शख्स को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने टोक दिया। दरअसल, शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता शंकर लाल शर्मा जैसे ही अपने के...
भारत अनादिकाल से एक है

भारत अनादिकाल से एक है

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_- बलबीर पुंज_ गत 19 नवंबर (शनिवार) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश में वाराणसी स्थित 'काशी तमिल संगमम' का शुभारंभ किया। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने जो कुछ कहा, वह अपने भीतर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को सहेजे हुए है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत का स्वरूप क्या है... ये विष्णु पुराण का एक श्लोक हमें बताता है, जो कहता है- उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥ अर्थात्, भारत वो जो हिमालय से हिंद महासागर तक की सभी विविधताओं और विशिष्टताओं को समेटे हुए है और उसकी हर संतान भारतीय है।" वास्तव में, भारतीय एकता का प्रश्न एक दुखती रग है। सहस्राब्दियों से यह भूखंड सांस्कृतिक, राजनीतिक और भौगोलिक रूप से एक ईकाई रही है, जो आज चार भागों— अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और खंडित भारत में विभाजित है। खंडित भारत फिर से को तोड़ने के लिए क...
<strong>आपसी कलह-क्लेश हल कर आगे क्यों नहीं बढ़ते सभी राज्य</strong>

आपसी कलह-क्लेश हल कर आगे क्यों नहीं बढ़ते सभी राज्य

राज्य, राष्ट्रीय
आर.के.सिन्हा देश के विभिन्न राज्य आपस में दुश्मनों की तरह से लड़े और अदावत रखें, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। पिछले दिनों असम-मेघालय सीमा पर कथित तौर पर अवैध लकड़ी ले जा रहे एक ट्रक को असम के वनकर्मियों ने रोका जिसके बाद भड़की हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई। क्या यह इतना गंभीर मसला था कि छह लोगों की जान ही चली जाए? इस बिन्दु पर सभी पक्षों को मिल- बैठकर सोचना होगा। असम और मेघालय के बीच 884.9 किलोमीटर लंबी सीमा है और सीमा के कई भागों में विवाद चल भी रहा है। इन दोनों राज्यों ने सीमा विवाद को खत्म करते हुए एक   समझौता भी किया है। इसके बावजूद हिंसा हुई। पर सिर्फ असम-मेघलाय ही नहीं लड़ रहे हैं। असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच भी सीमा विवाद है। इन दोनों के बीच भी करीब 804 किलोमीटर लंबी सीमा है। अरुणाचल की शिकायत यह है कि उत्तर-पूर्वी राज्यों ...
देश के नेता कैसे हों?

देश के नेता कैसे हों?

TOP STORIES, राष्ट्रीय
रजनीश कपूरअक्सर चुनावी व राजनैतिक सभाओं में आपने ऐसे नारे सुने होंगे ‘देश का नेता कैसा हो ..’, जहां नेता के समर्थक उनका नामजोड़कर नारे को पूरा करते हैं। इसी उम्मीद से कि वो नेता अपने समर्थकों और जानता की सेवा के लिए ही कुर्सी सँभालेंगे।परंतु क्या ये नेता कुर्सी पर बैठते ही जानता की अपेक्षा पर खरे उतरते हैं? क्या ये नेता अपने परिवार और निजी जीवन कीपरवाह किए बिना जनसेवा करते हैं? यदि ऐसा नहीं करते तो ऐसे नारे लगाने वालों को वास्तव में सोचना होगा की ‘देश केनेता कैसे हों?’राज्यों के चुनाव हों या दिल्ली की नगर निगम के चुनाव हों, सोशल मीडिया पर इन दिनों कई राजनैतिक दलों के नेताओं परजनता का ग़ुस्सा फूटते देखा गया है। फिर वो चाहे प्रचार कर रहे इलाक़े के नेता हों, विधायक हों, पार्षद हों या दल के प्रवक्ताहों। इन पर हो रहे जनता के प्रहारों में वृद्धि हो रही है। जनता ही नहीं, राजनैतिक दलों के कार्यकर...
चुनाव आयोग और ये व्यवस्था के प्रश्न ?

चुनाव आयोग और ये व्यवस्था के प्रश्न ?

BREAKING NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
चुनाव आयोग और ये व्यवस्था के प्रश्न ?* देश की व्यवस्था अजीब है,हर चुनाव के बाद ई वी एम पर सवाल खड़े होते रहे हैं, अब देश के चुनाव आयुक्त पर ही सवाल उठने लगे हैं | देश के सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति के लिए अपनायी प्रक्रिया पर सवाल ही नहीं उठाया बल्कि यह तक कहा कि उनकी फाइल को ‘जल्दबाजी' में मंजूरी दी गयी। सुप्रीम कोर्ट अदालत ने यहाँ कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को ‘बहुत तेजी से' क्लियर किया गया।इस पर केंद्र सरकार ने अटॉर्नी जनरल के जरिए कोर्ट से ‘थोड़ा रुकने' के लिए कहा तथा मामले पर विस्तारपूर्वक गौर करने का अनुरोध किया। सवाल देश की व्यस्था पर है, ७५ साल बाद भी देश पारदर्शी चुनाव व्यवस्था क्यों नहीं बना सका ? देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया वैसे भी सवालों की जद में है | सुप्रीम कोर्ट ने इसी सप्ताह ध्यान दिलाया था कि मुख्य ...
वीर सावरकर कौन थे

वीर सावरकर कौन थे

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
वीर सावरकर कौन थे..? जिन्हें आज कांग्रेसी और वामपंथी कोस रहे हैं! *ये 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है!* *आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेली की उसके बारे में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ों भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी।* *जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परम वीर सावरकर।* 1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के नि...
Department of Science and Technology join hands to develop electric vehicle (EV) batteries that are suited to India

Department of Science and Technology join hands to develop electric vehicle (EV) batteries that are suited to India

प्रेस विज्ञप्ति, राष्ट्रीय
Centre for Science and Environment (CSE) CSE and Department of Science and Technologyjoin hands to develop electric vehicle (EV) batteriesthat are suited to India Plan a white paper on designing locally appropriate EV batteries that aresafe, durable and well performing within the constraints ofIndia’s hot and humid tropical climate Create a forum of stakeholders to build a knowledge networkto support this initiative New Delhi, November 22, 2022: Centre for Science and Environment (CSE) and the Department of Science and Technology (DST) of the Government of India have collaborated to create a platform that will support the development of new electric vehicle (EV) batteries to suit Indian requirements. A white paper will be prepared on a roadmap for the development of ...
ईरान में हिजाब पर जन-आक्रोश

ईरान में हिजाब पर जन-आक्रोश

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* ईरान में हिजाब के मामले ने जबर्दस्त तूल पकड़ लिया है। पिछले दो माह में 400 लोग मारे गए हैं, जिनमें 58 बच्चे भी हैं। ईरान के गांव-गांव और शहर-शहर में आजकल वैसे ही हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जैसे कि अब से लगभग 50 साल पहले शंहशाहे-ईरान के खिलाफ होते थे। इसके कारण तो कई हैं लेकिन यह मामला इसलिए भड़क उठा है कि 16 सितंबर को एक मासा अमीनी नामक युवती की जेल में मौत हो गई। उसे कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उसकी बुरी तरह से पिटाई हुई थी। उसका दोष सिर्फ इतना था कि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। हिजाब नहीं पहनने के कारण पहले भी कई ईरानी स्त्रियों को बेइज्जती और सजा भुगतनी पड़ी है। कई युवतियों ने तो टीवी चैनलों पर माफी मांग कर अपनी जान बचाई है। यह जन-आक्रोश तीव्रतर रूप धारण करता जा रहा है। अब लोग न तो आयतुल्लाहों के फरमानों को मान रहे हैं और न ही राष्ट्रपति इब्र...
Dragon on Rampage

Dragon on Rampage

राष्ट्रीय
By Balbir Punj_ November 20 is one of the blackest days in Independent India’s chequered history. On this fateful day in 1962, China declared a unilateral cease-fire, bringing - one month one day long war against India - to an abrupt end. The war had left India bruised and humiliated India badly. Since then, relations between the two Asian neighbours range between outright animosity and uneasy peace. The armed forces of the two countries since have had several eye-ball to eye -ball confrontations, skirmishes and localised clashes. A distant possibility of breaking of sudden large-scale hostilities looms large on the Indo-China border all the time. None knows what would be China’s next move. It’s difficult to fathom its intentions because the country defies all known matrix. China is...