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भारतीय संविधान भारतीय जीवन दर्शन का ग्रंथ है

भारतीय संविधान भारतीय जीवन दर्शन का ग्रंथ है

राष्ट्रीय, समाचार
डॉ. सौरभ मालवीयकिसी भी देश के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है। देश के विधान को संविधान कहा जाता है। यह अधिनियमों का संग्रह है। भारत के संविधान को विश्व का सबसे लम्बा लिखित विधान होने का गौरव प्राप्त है। भारतीय संविधान हमारे देश की आत्मा है। इसका देश से वही संबंध है, जो आत्मा का शरीर से होता है। संविधान दिवस का इतिहासभारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर पूर्ण हुआ था। चूंकि डॉ. भीमराव आम्बेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे, इसलिए भारत सरकार द्वारा उनकी 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को प्रथम बार संविधान दिवस संपूर्ण देश में मनाया गया। उसके पश्चात 26 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष संविधान दिवस मनाया जाने लगा। इससे पूर्व इसे राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा द्वारा देश के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में पूर्ण किया गया था। इस पर 114 दिन तक च...
पर्यावरण को बचाने के लिए पंचामृत मंत्र

पर्यावरण को बचाने के लिए पंचामृत मंत्र

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भारत ने अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं पर मजबूत प्रगति की है और बढ़ती महत्वाकांक्षा और कम कार्बन वाले भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हितधारक बना हुआ है। भविष्य में ग्रीनहाउस गैस के शमन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है और साथ ही अत्यधिक गर्मी, सूखे और बाढ़ के कारण पहले से ही लाखों लोगों के साथ बड़े पैमाने पर जलवायु अनुकूलन की आवश्यकता है। देश के अधिकांश बुनियादी ढांचे का अभी भी निर्माण किया जा रहा है और भविष्य की ऊर्जा आपूर्ति अभी भी स्थापित की जानी है, भारत के पास शेष विकासशील दुनिया के लिए कम कार्बन विकास प्रतिमान स्थापित करने का अवसर है। -डॉ सत्यवान सौरभ शुद्ध-शून्य उत्सर्जन वातावरण से ग्रीनहाउस गैस अवशोषण द्वारा वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को संतुलित करने की विधि है। शून्य कार्बन उत्सर्जन में, देश कार्बन उत्सर्जन को सीमित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। ...
आईआईएसएसएम (IISSM) द्वारा आयोजित दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कॉन्क्लेव का समापन

आईआईएसएसएम (IISSM) द्वारा आयोजित दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कॉन्क्लेव का समापन

राष्ट्रीय
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) के दो दिवसीय 32वां अन्तरराष्ट्रीय कॉन्क्लेव का आज समापन हो गया। यह कॉन्क्लेव होटल क्राउन प्लाजा, ओखला फेज 1, नई दिल्ली के साथ ही वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर भी आयोजित किया गया। जिसमें पूरे विश्व के हजारों सुरक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस बार कॉन्क्लेव का थीम “राष्ट्र निर्माण में सुरक्षा, सुरक्षा और हानि निवारण की भूमिका” रखा गया था। आईआईएसएसएम वार्षिक ग्लोबल कॉन्क्लेव, दूसरे दिन, 19 नवंबर 2022 की शुरुआत श्री जेसन एल ब्राउन, राष्ट्रीय निदेशक, थेल्स, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मुख्य भाषण के साथ हुई। यह कॉन्क्लेव के भौतिक स्थल क्राउन प्लाजा, ओखला में लाइव स्ट्रीमिंग के साथ ऑनलाइन आयोजित किया गया था। श्री जेसन एल ब्राउन ने वैश्विक परिदृश्य के साथ क...
सच्चे राष्ट्रनायक है सावरकर – ह्रदय नारायण दीक्षित

सच्चे राष्ट्रनायक है सावरकर – ह्रदय नारायण दीक्षित

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भारत अखण्ड सम्प्रभुता और राष्ट्रीयता है। हम भारत के लोग प्राचीन राष्ट्र हैं। भारत खण्डों को जोड़ कर नहीं बना लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी को संभवतः भारत टूटा फूटा दिखाई पड़ता है। इसीलिए वे भारत जोड़ने की अपील के साथ पद यात्रा पर हैं। उन्होंने राष्ट्रवादी विचार के महानायक विनायक दामोदर सावरकर पर अभद्र टिप्पणी की है। सावरकर को अंग्रेजी सत्ता का पेंशनर बताया है। कहा है कि ”उन्होंने अंग्रेजी सत्ता की मदद की। जेल से अपनी रिहाई कि लिए माफी मांगी थी।” राहुल गाँधी का वक्तव्य क्रांतिकारी सावरकर पर घटिया आरोप है। राहुल नहीं जानते कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक समिति के मंत्री पंडित बाखले ने सावरकर जन्म तिथि अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी को पत्र लिखा था। श्रीमती गाँधी ने मई 1980 के पत्र में बाखले को उत्तर दिया, ‘‘मुझे आपका पत्र मिला। सावरकर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध अति सा...
भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर है। संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सुधार पर वैश्विक सहमति बनाना, कोविड के बाद के युग के लिए एक नई विश्व व्यवस्था की ओर पहला कदम था। जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया में जी20 की प्रासंगिकता बढ़ी है। भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख होगी, जैसा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता थीम "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" द्वारा दर्शाया गया है। -प्रियंका सौरभ सदस्य वर्तमान में विश्व सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 80%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 60% हिस्सा हैं। प्रेसीडेंसी, इससे पहले और बाद में (ट्रोइका) प्रेसीडेंसी रखने वाले देशों द्वारा सहायता प्राप्त, प्रत्येक वर्ष के शिखर सम्मेलन के एजेंडे को निर्धारित क...
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी

TOP STORIES, राष्ट्रीय
19 नवंबर पर विशेष-खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थीमृत्युंजय दीक्षितभारतीय स्वाधीनता का इतिहास वीर गाथाओं से भरा पड़ा है और आज जब देश स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है तब इन वीर गाथाओं का स्मरण करना किसी पुण्य कार्य को करने की अनुभूति कराता है। महारानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा को दोहराना ऐसा ही एक पुण्य कार्य लगता है ।महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म महाराष्ट्र से काशी आकर रहने वाले मोरोपंत तांबे के घर 19 नवंबर सन 1834 को हुआ था। मणि कर्णिका नाम वाली लक्ष्मीबाई को तब प्यार से मनु कहा जाता था। जब मनु 4 वर्ष की थी तब उसकी मां भागीरथी बाई का काशी में ही देहांत हो गय।अब मनु के पिता को मनु के पालन- पोषण के लिए कोई सहारा न दिखाई दिया। तब बाजीराव पेशवा ने उन्हें अपने पास बिठूर बुलवा लिया। यहां पर मनु के पिता उसको अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। मनु स्वभाव से बहुत चंचल ...
ख़तरनाक होता डेंगू

ख़तरनाक होता डेंगू

राज्य, राष्ट्रीय, विश्लेषण
डेंगू एक ऐसी बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्‍ते बनने शुरू हो जाते हैं। जहां यह महामारी के रूप मे फैलता है वहां एक समय में अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते है। डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है। इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्‍यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी आम हो जाती है, क्‍यों कि इस मौसम गंदगी की वजह से महामारी फैलने की समस्‍या ज्‍यादा रहती है। विषाणु जनित इस रोग को एंटीबायोटिक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता है।डेंगू में कई तरह की जटिलताएं भी हैं। यह कई बार रक्‍तश्रावी डेंगू और डेंगू शॉक सिंड्रोम जैसे कई खतरनाक रूप धारण कर सकता है। डेंगू की वजह से कई बार शरीर में पानी की कमी, लगातार शरीर से खून निकलना, प्‍लेटलेट्स घटना, रक्‍तचाप कम होन...
फीफा कप- भारतीयों की पसंद ब्राजील ही टीम क्यों

फीफा कप- भारतीयों की पसंद ब्राजील ही टीम क्यों

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय
आर.के. सिन्हा क्रिकेट टी-20 वर्ल्ड कप के फौरन बाद अब फीफा विश्व कप आगामी 20 नवंबर से कतर में शुरू हो रहा है। लोकप्रियता के स्तर पर क्रिकेट कहीं नहीं ठहरती फुटबॉल के सामने। भारत के हर गाँव में फुटबाल प्रेमी भरे पड़े हैं। फीफा विश्व कप को सारी दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगे देखेंगे। भारत में भी इसके मैच हर रोज देखे जाएंगे। दुनिया भर के 200 से अधिक देशों ने हर चार साल में होने वाली इस फुटबॉल स्पर्धा में क्वालीफाई करने का प्रयास किया, लेकिन मेजबान कतर सहित केवल 32 टीमें ही 2022 फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर सकीं। हालांकि उन 32 देशों में भारत भी नहीं हैं जो फीफा कप के लिए क्वालीफाई कर सके हैं। एक अरसे से भारतीय फुटबॉल प्रेमी ब्राजील की टीम को ही चीयर करते हैं और संतोष कर लेते हैं। हमारे फुटबॉल प्रेमियों की ब्राजील की टीम को ...
बढ़ती जनसंख्याः क्या-क्या करें ?

बढ़ती जनसंख्याः क्या-क्या करें ?

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* संयुक्तराष्ट्र संघ की ताजा रपट के मुताबिक दुनिया की आबादी 8 अरब से भी ज्यादा हो गई है। पिछले 50 साल में दुनिया की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ी है, पहले कभी नहीं बढ़ी। अभी तक यही समझा जा रहा था कि चीन दुनिया का सबसे बड़ी आबादीवाला देश है लेकिन भारत उसको भी मात करनेवाला है। भारत में इधर बढ़े 17 करोड़ लोग उसे दुनिया का सबसे बड़ा देश बना देंगे। ऐसा नहीं है कि भारत जनसंख्या के हिसाब से ही बहुत आगे बढ़ गया है। इस देश ने कई मामलों में सारी दुनिया से बेहतर उपलब्धियां भी हासिल की हैं। इस समय डिजिटल व्यवहार में वह दुनिया में सबसे आगे हैं। जहां तक प्रवासी भारतीयों का सवाल है, दुनिया के जितने अन्य देशों में भारतीय मूल के लेाग शीर्ष स्थानों पर पहुंचे हैं, दुनिया के किसी मुल्क के लोग नहीं पहुंच सके हैं। भारतीय मूल के लोग जिस देश में भी जाकर बसते हैं, वे हर क्षेत्र में आगे निकल ज...
आज दुनिया को सहनशीलता की ज्यादा जरूरत है

आज दुनिया को सहनशीलता की ज्यादा जरूरत है

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
विश्व सहनशीलता दिवस - 16 नवम्बर 2022आज दुनिया को सहनशीलता की ज्यादा जरूरत है-ललित गर्ग- शांति, लोकतंत्र-व्यवस्था और सतत विकास प्राप्त करने के लिए सहनशीलता एक आवश्यक शर्त है। इंसान विशेषतः युवा पीढ़ी में जल्द उत्तेजित हो जाने की समस्या तेजी से बढ़ रही है। ‘गर्म खून’ और ‘लड़कपन’ कह कर युवाओं में बढ़ रही इस दुष्प्रवृत्ति को हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन जल्द उत्तेजित होने वाले ये लोग खुद के साथ-साथ दूसरे को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। न केवल युवापीढ़ी बल्कि आज की नेतृत्व शक्तियां भी असहनशील होती जा रही है। लम्बे समय से चल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध इसी असहनशीलता का परिणाम है। दरअसल राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं, बदलते लाइफस्टाइल और सामाजिक माहौल की वजह से लोगों के अंदर सहनशीलता लगातार घटती जा रही है। सामाजिक माहौल ना बिगड़े और दुनिया के लोग एक दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें, इसी संकल्प के साथ...