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अवधारणाओं के असत्य आवरण

अवधारणाओं के असत्य आवरण

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अवधारणाओं के असत्य आवरण--------------#विजयमनोहरतिवारीआजादी के बाद कुछ ऐसी अवधारणाएँ पतंगों की तरह उड़ाई गईं, जिनका कोई सिर-पैर था नहीं। इनसे एक ऐसी दूषित दृष्टि पैदा हुई, जिसके साइड इफेक्ट अंतहीन हुए। मैं सबसे पहले रखूंगा- ‘गंगा-जमनी रवायत’ को। कौमी एकता के लिए रचा गया एक ऐसा बनावटी गान, जिसकी पोल खुल चुकी है। गंगा-जमनी एकता की लाँचिंग कब और किसने किस तरह की थी, इसकी तलाश में मैं इतिहास में गया। ज्यादा दूर नहीं जाना था। केवल हजार साल की यात्रा करनी थी। यह दो संस्कृतियों के महामिलन का एक लुभावना रूपक था। गंगा तो यहीं की थी। मुझे लगा कि पीछे जाने पर कहीं गजनवी-गौरी या तुगलक-तैमूर कहीं दूर अरब से जमना जी को किसी अंडरग्राउंड टनल के जरिए लाते हुए और प्रयागराज में संगम पर समारोहपूर्वक गंगा में उसे मिलाने के साथ गले मिलते हुए दृष्टिगोचर होंगे। कौमों की एकता कोई मामूली काम तो है नहीं। उसे ऐसे ...
भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते?

भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते?

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भारतीय त्योहारों में छिपे समरसता के सूत्र कथित उदार-पंथनिरपेक्ष बुद्धिजीवियों को क्यों नहीं दिखाई देते? मैकॉले प्रणीत शिक्षा-पद्धत्ति का दोष कहें या छीजते विश्वास का दौर हमारा मन अपने ही त्योहारों, अपने ही संस्कारों, अपनी ही परंपराओं के प्रति सशंकित रहता है, सर्वाधिक सवाल-जवाब हम अपनी परंपराओं से ही करते हैं; भले ही वे परंपराएँ सत्य एवं वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरे उतरते हों; सामूहिकता-सामाजिकता को सींचते हों; समय के शिलालेखों पर अक्षर-अक्षर अंकित और जीवंत हों! यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी शिक्षित कही जाने वाली पीढ़ी प्रायः परंपराओं को रूढ़ियों का पर्याय मान लेती है। जबकि रूढ़ियाँ कालबाह्य होती हैं और परंपराओं में गत्यात्मकता होती है। जो समयानुकूल है, वही परंपरा है। परंपरा में जड़ता या प्रतिगामिता के लिए कोई स्थान नहीं होता। जो लोग सतही तल पर सनातन परंपराओं का अध्ययन-विश्लेषण करते ...
आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन

आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन

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आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन अभी हाल ही में भारतीय मूल के राजनेता श्री ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। इस समाचार से स्वाभाविक रूप से भारतीय समाज में भी खुशी की लहर दौड़ गई। परंतु, ब्रिटेन के अलावा विश्व के अन्य 7 देशों में भी भारतीय मूल के राजनेताओं ने प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति का पद सम्भाला हुआ है। अमेरिका की उपराष्ट्रपति श्रीमती कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। इसी प्रकार भारतीय मूल के श्री प्रविंद जगन्नाथ वर्तमान में मॉरिशस के प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के ही श्री भरत जगदेव 2020 से गुयाना के उपराष्ट्रपति हैं। भारतीय मूल के एंटोनियो कास्टा वर्तमान में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री है। श्री चंद्रिका प्रसाद उर्फ श्री चान संतोखी वर्तमान में सूरीनाम के राष्ट्रपति है। सिंगापुर की वर्तमान राष्ट्रपति हलीमा भी भारतीय मूल की हैं।...

भारत में जीएम सरसों के फ़ील्ड ट्रायल को स्वीकृति”

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भारत में जीएम सरसों के फ़ील्ड ट्रायल को स्वीकृति”यह समाचार सुनकर आज बड़े बड़े Hospitals, Doctors और Medical Industry खुशी से नाच रहे होंगे । अब शुरू होगा असली खेल ।दवाईयों का कारोबार बढ़ेगा , Hospitals के भविष्य का इंतेजाम हो गया , Doctors ने अभी अपनी पत्नी बच्चों के लिए Yorkshire में Luxury घर बुक कर दिया होगा । इसी वर्णसंकरता के चलते आज कोई भी वनस्पति औषधि सब्जी फल अपने मूल रूप में नहीं बचे हैं । पहले धनिया बस घर में आ जाता था तो पूरा घर महकता था । बस एक पत्ती डल जाए किसी भी भोजन में तो पता लग जाता था , आज हम धनिया की जगह घास खाते हैं । पहले चने की पत्ती खा लो तो इतनी स्वादिष्ट और खट्टी और आज ऐसे लगता है जैसे घास खा रहे हैं । पहले एक टमाटर भोजन में डाल दो तो स्वाद आ जाता था , आज टमाटर ऐसे ही खा लो या 10 टमाटर भी भोजन में डाल दो वह स्वाद नहीं दे पाता । पहले मूली , पालक , च...

नये राजनैतिक दल के गठन का प्रश्न: 1

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नये राजनैतिक दल के गठन का प्रश्न: 1 -प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज वर्तमान स्थिति से क्षुब्ध होकर भारतीय संस्कृति और भारतीय समाज से आत्मभाव रखने वाले बहुत से लोग व्यग्र होकर नये राजनैतिक दल के गठन की इच्छा पाल लेते हैं। यह इच्छा स्वयं में बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ है परंतु आवश्यक जानकारी और विवेक के बिना यह केवल कष्ट और निराशा की ओर ले जायेगी। सर्वप्रथम तो यह जानना चाहिये कि यह जो आपमें नये राजनैतिक दल के गठन का उत्साह आ रहा है, वह स्वयं में कितना बड़ा वरदान है। कल्पना कीजिये कि भारत में तानाशाही होती और वह तानाशाह मुसलमानों के साथ मैत्री के कारण हिन्दू धर्म का बढ़-चढ़ कर दमन कर रहा होता। क्योंकि इंग्लैंड या अमेरिका को तो किसी भी राष्ट्रराज्य में तानाशाही के होने से कोई अंतर आज तक नहीं पड़ा है। विश्व के अनेक तानाशाहों से और तानाशाहियों से पश्चिमी यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों ...

भारत के युवाओं में सरकारी नौकरियों का बढ़ता क्रेज

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भारत के युवाओं में सरकारी नौकरियों का बढ़ता क्रेज बहुत से लाभों के साथ, सरकारी नौकरियां सम्मान लाती हैं। यदि आप एक सरकारी कर्मचारी हैं तो हर कोई आपको वह सम्मान देगा जिसके आप अपने पद और शक्ति के कारण पात्र हैं। वेतन वृद्धि सरकारी नौकरियों का दूसरा सबसे अच्छा लाभ है। इसलिए, आपका वेतन बढ़ेगा जो आपके प्रदर्शन से संबंधित नहीं होगा। इसलिए, यदि आप एक औसत कलाकार हैं, तो यह बहुत अच्छा है। सरकारी या सरकारी नौकरियों द्वारा दिए गए ये कई लाभ एक कारण हो सकते हैं जो आपको निजी नौकरियों पर बढ़त दिलाते हैं। हालांकि, अगर आप भविष्य में कुछ खास करने का फैसला कर रहे हैं, और अगर आपको नौकरी से संतुष्टि की जरूरत है, तो सरकारी नौकरी सबसे अच्छा विकल्प है। पुरानी पेंशन योजना को समाप्त करने और कुछ अन्य लाभों के साथ, मुझे लगता है कि निजी नौकरी पर सरकारी नौकरी का कम कार्यभार एकमात्र फायदा है। यहां ध्यान देने वाली बा...

भारतीय करेंसी पर स्वार्थप्रेरित राजनीति से उपजा अंधेरा

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भारतीय करेंसी पर स्वार्थप्रेरित राजनीति से उपजा अंधेरा-ललित गर्ग- दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में एक अजीबोगरीब बयान देते हुए भारतीय रुपये पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की फोटो लगाने की मांग की। गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए तर्क दिया कि नोट पर एक तरफ गांधीजी औऱ दूसरी तरफ लक्ष्मी-गणेश की फोटो होगी तो इससे पूरे देश को उनका आशीर्वाद मिलने के साथ आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी। निश्चित ही लक्ष्मीजी को समृद्धि की देवी माना गया है तो वहीं गणेशजी सभी विघ्न को दूर करते हैं। लेकिन प्रश्न है कि धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसे सवाल खड़े होना देश के लिए क्या अच्छी बात हैं? क्या अपनी राजनीति को चमकाने के लिये एकाएक ऐसे बयान से बहुसंख्यक समाज को आकर्षित करना औचित्यपूर्ण है? क्या इस तरह की मूल्यहीन एवं स्वार्थप्रेरित राज...
1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन

1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन

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1962 की जंग- भारत वापस लेगा चीन से अपनी जमीन आर.के. सिन्हा अब भी देश की 70 की उम्र पार कर गई पीढ़ी को याद है जब भारत-चीन युद्ध 20 अक्तूबर 1962 को शुरू हुआ था। चीन ने 20 अक्तूबर को अचानक से भारत की सीमा पर हमला बोला था। हालांकि तब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद चल तो रहा था, पर चीन की एकतरफा कार्रवाई की किसी ने उम्मीद नहीं की थी। देश 1962 से अब तक उस जंग के खलनायकों पर बार-बार चर्चा करता रहा है। पर जरा देखिए कि उस जंग के एक बड़े खलनायक की राजधानी में लगी आदमकद मूर्ति को देखकर हरेक सच्चे भारतवासी का मन उदास हो जाता है। हम बात कर रहे हैं  कृष्ण मेनन मार्ग पर लगी वी.के. कृष्ण मेनन की मूर्ति की। वे भारत के पूर्व रक्षा मंत्री थे। क्या इस सड़क का नाम आज के दिन कृष्ण मेनन मार्ग होना चाहिए, जो कि भारत के रक्षा मंत...
खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली

खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली

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खुशियों और सौगातों का त्योहार है दीपावली बाकी सारे त्योहारों का धार्मिक महत्व है पर दीपावली का एक व्यावसायिक महत्व है। सोना और चांदी की बिक्री भी इसी सीजन में सबसे ज्यादा होती है और कपड़ों की भी। इस मौके पर उपहार और भेंटें देने के कारण भी तमाम सारे गिफ्ट आइटमों की बिक्री भी बढ़ जाती है। यानी अकेले दीपावली का बाजार अपने देश में करीब अरबों का है। भारतीय उपभोक्ता का असली बाजार दरअसल दीपावली है। ऐसा त्योहार क्यों न हर एक के लिए खुशियां और सौगात लेकर आए। दीपावली की यह रौनक और यह उत्साह बना रहना चाहिए। -प्रियंका सौरभ देश में "रोशनी का त्योहार" दिवाली के रूप में जाना जाता है। दीवाली, जिसे कभी-कभी दिवाली के रूप में लिखा जाता है, एक हिंदू, सिख और जैन धार्मिक उत्सव है जो अंधेरे के 13 वें दिन शुरू होता है। चन्द्रमा का आधा चक्र अश्विना और चन्द्र मास कार्तिक की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छठवीं बार केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छठवीं बार केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए।

Today News, राज्य, राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज छठवीं बार केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किए। वह यहां ढाई घंटे रहे। इसके बाद वह बदरीनाथ धाम पहुंचे। प्रधानमंत्री के आगम की खबर से देश के अंतिम गांव माणा में खासतौर पर भारी उत्साह है। पीएम ने शुरू की मंदिर में पूजा अर्चनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए और फिर पूजा अर्चना शुरू की। यहां पूर्जा-अर्चना करने के बाद वह बदरीनाथ धाम से आस्था पथ के साकेत चौक पहुंचेंगे।माणा में होगी जनसभादेश के अंतिम गांव माणा के लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवाद करेंगे। इसे लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह है। गांव की महिलाओं ने प्रधानमंत्री से पूछने के लिए कुछ सवाल भी तैयार किए हैं। आत्मनिर्भर माणा गांव के लोग प्रधानमंत्री के स्वागत की खास तैयारियों में जुटे हैं। पीएम ने स्वीकारा लोगों का अभिवादनप्रधानमंत्री नरेंद्र की झलक पाने को यहां लोग बेताब हैं,...