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Study emphasises curbs on biomass burning to beat pollution in Delhi

Study emphasises curbs on biomass burning to beat pollution in Delhi

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Study emphasises curbs on biomass burning to beat pollution in Delhi New Delhi, May 06 (India Science Wire): The health impact of short-term exposure to fine particulate matter (PM2.5), including death is well known. However, the exact association of the acute exposure to various chemicals constituting the PM2.5 chemical species with mortality is relatively unknown, especially in developing countries like India. A new study by a joint team of researchers from the Centre for Atmospheric Sciences at the Indian Institute of Technology (IIT)-Delhi, St. John’s Medical College, Bengaluru, and the council of Scientific and Industrial Research’s National Physical Laboratory (CSIR-NPL) has sought to fill the gap. The researchers examined the associations between mortality and acute exposur...
डीयू के 100 साल-  रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि

डीयू के 100 साल- रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि

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डीयू के 100 साल-  रहेगी अपने गुरुओं की ऋणि   आर.के. सिन्हा किसी भी स्कूल,कॉलेज या यूनिवर्सिटी की पहचान होती है उसमें शिक्षित हुए विद्यार्थियों तथा शिक्षकों से। इस मोर्चे पर अपने 100 साल का सफर पूरा कर रही दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) जितना भी चाहे गर्व कर सकती है। डीयू की स्थापना 1922 में हुई थी और इसका पहला दीक्षांत समारोह 26 मार्च, 1923 को हुआ था।  उस समय तक डीयू में सिर्फ सेंट स्टीफंस कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, रामजस कॉलेज और दिल्ली कॉलेज ( अब जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज) ही थे। ये उन दिनों की बातें हैं जब डीयू में सिर्फ साइंस और आर्ट्स की ही फैक्ल्टी हुआ करती थीं। और अब जब डीयू  में  70 से अधिक कॉलेजें हैं। एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह भी है कि डीयू में राजधानी की दो अन्य विश्वविद्लायों क्रमश: जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी के विपरीत शांति तथा सौहार्द बना रहता है। यहां प...
*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं*

*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं*

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*राष्ट्रभाषा और सुगम न्याय, एक साथ मिल सकते हैं* देश के न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में यह बात उभर कर आई कि आम आदमी को सहज, सरल व त्वरित न्याय कैसे मिले? देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि “वक्त की दरकार है कि अदालतों में स्थानीय भाषाओं को लागू किया जाये, जिसके लिये एक कानूनी व्यवस्था की जरूरत है।“ यहीं से तो देश को एक राष्ट्रभाषा की आवश्यकता है, स्वर मिकलता है। यह भाषा क्या हो कौन से हो हम आज तक तय नहीं कर सकें हैं। यह काम जिनको करना था या है वे राजनीति में उलझे थे और हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश के इस तर्क के साथ कि अदालती फैसले सालों-साल तक सरकारों द्वारा लागू न करना देश हित में नहीं है,के साथ ही देश की एक राष्ट्र भाषा पर भी विचार किया जाना ज़रूरी है । देश के संविधान में विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका की जवाबदेही का निर्धारण किया गया है, इस लक्ष्मण रेखा का हमें उल्लंघन ...
पशु चिकित्सकों को भी अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कल्याण की जरूरत है।

पशु चिकित्सकों को भी अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कल्याण की जरूरत है।

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30 अप्रैल - विश्व पशु चिकित्सा दिवस विशेष पशु चिकित्सकों को भी अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कल्याण की जरूरत है। (पशु चिकित्सकों को, अपने रोगियों की तरह, अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए उचित उपकरण और सहायता की आवश्यकता होती है। स्वस्थ जानवरों को स्वस्थ  पशु चिकित्सकों की आवश्यकता होती है। पशु चिकित्सक  दैनिक चुनौतियों और संकटों को संभालने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होना जरूरी हैं।) -सत्यवान 'सौरभ' वेटरनरी इंस्पेक्टर, पशु पालन विभाग, हरियाणा सरकार किसी भी क्षेत्र के अन्य डॉक्टरों की तरह पशु चिकित्सक भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। जानवर, चाहे पालतू जानवर हों या आवारा, प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। और यहीं से पशु चिकित्सक बचाव के लिए आते हैं। हर साल अप्रैल के आखिरी शनिवार को, दुनिया भर के लोग पशु चिकित्सकों द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिकाओं के बारे...
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी

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फीचर राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में आकर्षण का केंद्र बनी ग्रामीण प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण आत्मनिर्भरता एवं आजीविका बढ़ावा देने में मददगार प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों पर केंद्रित जम्मू के सांबा जिले के पल्ली में आयोजित तीन दिवसीय प्रदर्शनी मंगलवार को समाप्त हो गई। इस प्रदर्शनी में ग्रामीण आजीविका एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने से जुड़े वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तकनीकी नवाचारों ने लोगों को सबसे अधिक आकर्षित किया। इनमें जम्मू की ‘बैंगनी क्रांति’ का पर्याय बनी लैवेंडर की खेती; सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन; सीएसआईआर-अरोमा मिशन, हींग, केसर, दालचीनी जैसे बहुमूल्य उत्पादों की खेती से जुड़ी प्रौद्योगिकी, एकीकृत कीट प्रबंधन, बाँस अपशिष्ट से चारकोल बनाने की तकनीक, और कृषि उत्पादों को बेचने में मददगार किसान सभा ऐप प्रमुखता से शामिल हैं। इस प्रदर...
मलेरिया दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक

मलेरिया दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक

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मलेरिया दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक -सत्यवान 'सौरभ' 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस 2022 का विषय 'मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग' थीम के साथ विश्व मलेरिया दिवस 2022 मनाया जा रहा है। विश्व मलेरिया दिवस की स्थापना 25 अप्रैल 2007 को विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा की गई थी। मलेरिया एक परजीवी के कारण होता है जो आमतौर पर एक निश्चित प्रकार के मच्छर मादा एनोफिलीज द्वारा मानव की त्वचा में परजीवी स्पोरोजोइट्स जमा करने से होता है। मलेरिया मानव  मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस बीमारी से निपटने में भारी प्रगति के बावजूद, हर साल दुनिया भर में मलेरिया के 212 मिलियन नए मामले और 430,000 मलेरिया से संबंधित मौतें होती हैं। मलेरिया एक तीव्र ज्वर की बीमारी है। एक गैर-प्रति...
पर्यटक सूचना केंद्रों की निरर्थकता

पर्यटक सूचना केंद्रों की निरर्थकता

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पर्यटक सूचना केंद्रों की निरर्थकता विनीत नारायण कोविड के समय को छोड़ दे तो पूरी दुनिया में पिछले दो दशकों में पर्यटन उद्योग में काफ़ी उछाल आया है। पहले केवल उच्च वर्ग अंतरराष्ट्रीय पर्यटन करता था। मध्य वर्ग अपने ही देश में पर्यटन या तीर्थाटन करता था। निम्न आय वर्ग कभी.कभी तीर्थ यात्रा करता था। लेकिन अब मध्य वर्ग के लोग भी भारी संख्या में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन करने लगे हैं। जिसके पास भी चार पहिए का वाहन है वो साल में कई बार अपने परिवार के साथ दूर या पास का पर्यटन करता है। सूचना क्रांति के बाद से पर्यटन के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। पहले पर्यटन स्थल या तीर्थ स्थल पर पहुँच कर ये पता लगाना पड़ता था कि ठहरने की व्यवस्था कहाँ.कहाँ और कितने पैसे में उपलब्ध है। फिर यह पता लगाना पड़ता था कि दर्शनीय स्थल कौनसे हैं। उनकी दूरी बेस कैम्प से कितनी है और वहाँ तक जाने के क्या.क्या ...
HEAT WAVES IN INDIA

HEAT WAVES IN INDIA

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HEAT WAVES IN INDIA A CSE Media Briefing Note How bad has this year’s heat wave been in India? The early heat waves of 2022 that began on March 11 have impacted 15 Indian states and Union territories (as of April 24), according to data from the India Meteorological Department (IMD) that was analysed by Down To Earth. Rajasthan and Madhya Pradesh have suffered the most among the states, with 25 heat wave and severe heat wave days each during this period. The IMD says a heat wave happens when the temperature of a place crosses 40oC in the plains, 37oC in coastal areas, and 30oC in the hills. The weather agency declares a heat wave when a place registers a temperature that is 4.5 to 6.4oC more than the normal temperature for the region on that day. If the temperature is over 6.4oC mo...
तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

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तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता -प्रियंका 'सौरभ' हरियाणा में गोवंश के चारे पर भारी संकट पैदा हो गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मार उन जगहों पर है जिन जिलों में गोशालाएं सबसे अधिक है। प्रदेश के  सिरसा, फतेहाबाद, हिसार जिले में सबसे अधिक गोशालाएं हैं। अभी से तूड़ी के रेट 850 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है। परिणामस्वरूप इससे गोशालाओं का खर्च भी दोगुना हो गया है। आंकड़ों के अनुसार औसतन 2000 गाय वाली गोशाला में अकेली तूड़ी का खर्च पहले करीब 20 लाख रुपये आता था मगर अब रेट दो गुने होने से यह खर्च भी दोगुना हो गया है। पिछली बार 6000 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल बिकी सरसों से इस बार गेहूं और तूड़े की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। प्रदेश भर में गत वर्ष की तुलना में कम एकड़ में गेहूं की बिजाई करने से इस बार तूड़े (गेहूं की फसल के अवशेष से बने पशु चारे) के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इस संकट क...
सांबा में नरेन्द्र मोदी के उद्बोधन की दिशाएं

सांबा में नरेन्द्र मोदी के उद्बोधन की दिशाएं

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सांबा में नरेन्द्र मोदी के उद्बोधन की दिशाएं-ललित गर्ग -प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही में की गयी जम्मू-कश्मीर यात्रा पर इसलिए देश की निगाहें थीं, क्योंकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह पहली बार जम्मू-कश्मीर की धरती पर पहुंचे। उनकी इस यात्रा ने अनेक सकारात्मक संदेश दिये, शांति एवं विकास का माध्यम बना है। निश्चित ही उनकी यह यात्रा इस प्रांत में एक नई फिजां का सबब बनी है। जम्मू-कश्मीर हमारे देश का वो गहना है जिसे जब तक सम्पूर्ण भारत के साथ जोड़ा नहीं जाता, वहां शांति, आतंकमुक्ति एवं विकास की गंगा प्रवहमान नहीं होती, अधूरापन-सा नजर आता रहा है। इसलिए इसे शेष भारत के साथ हर दृष्टि से जोड़ा जाना महत्वपूर्ण है और यह कार्य मोदी एवं उनकी सरकार ने किया है। निश्चित रूप से वहां एक नया दौर शुरू किया है। इसके लिये जम्मू में मोदी ने पंचायत दिवस के अवसर पर केवल देश भर के पंचायत ...