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पाक में क्यों बलूचिस्तान हो गया पंजाबी विरोधी

पाक में क्यों बलूचिस्तान हो गया पंजाबी विरोधी

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पाकिस्तान में विगत दिनों अशांत बलूचिस्तान सूबे में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक राजमार्ग पर एक बस से यात्रियों को जबर्दस्ती उतार कर उनमें से 14 की गोली मार कर हत्या कर दी। सेना जैसी वर्दी पहने बंदूकधारियों ने कराची और ग्वादर के बीच चलने वाली पांच से छह बसों को रोका, यात्रियों के पहचान पत्रों की जांच की और फिर अपना खूनी खेल चालू कर दिया। हालांकि पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वो नृशंस हत्याकांड की जांच कर रही है। दोषियों को तुरंत पकड़ लिया जाएगा। ये सब रस्मे-वादों की बातें हैं। पर हकीकत सचमुच में बड़ी भायवह है। सरहद के उस पार से छन-छनकर आ रही जानकारी से पता चला है कि मारे गए सभी अभागे बस यात्री मूलत:  पंजाबी मुसलमान थे। हत्यारों ने बस को रोककर मुसाफिरों से उनके पहचान पत्र मांगे। उन्होंने गैर-पंजाबियों को छोड़ दिया, पर पंजाबियों को निर्ममता पूर्वक मार डाला। पाकिस्तान सरकार पंजाबियों के इस कत्लेआ...
प्रियंका के गुनहगारों को माफ कर कांग्रेस ने गुनाह किया

प्रियंका के गुनहगारों को माफ कर कांग्रेस ने गुनाह किया

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श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी अब कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नहीं रहेंगी।  अब वे शिवसेना का वह चेहरा हैं, जो अब तक टीवी चैनलों की डिबेट में कांग्रेस पर लगने वाले आरोपों से अपनी पार्टी का बचाव करती रही हैं। उन्होंने कांग्रेस से अपनी उपेक्षा और बदतमीजी करने वालों को माफ़ करने के लिए पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। पार्टी के नेताओं की सही-गलत हर तरह की बयानबाजी पर कांग्रेस का बचाव करने वाली प्रियंका चतुर्वेदी इस समय खुद कांग्रेस में अकेली पड़ गई थी। नेताओं द्वारा दूसरी पार्टियों की महिलाओं पर तो लांछन लगाने की घटनाएं चुनावी माहौल में आप खूब देख रहे होंगे, लेकिन प्रियंका चतुर्वेदी से तो कांग्रेस के ही नेताओं ने बदतमीजी की और उन्हें माफी भी मिल गई। हैरानी तो इस बात की है कि माफी देने वाला शख्स कोई और है। नाम है ज्योतिरादित्य सिंधिया। जैसा नाम, वैसा काम। भले ही अब देश में लोकतंत्र हो, पर ज...
इस्लाम बनाम ईसाई

इस्लाम बनाम ईसाई

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जुम्मे की नमाज़ पढ़ी जा रही थी और न्यूज़ीलैंड में एक ईसाई आतंकवादी ने मस्जिदों को निशाना बनाया। बात लगभग एक महीने पहले की है। उसके बाद इंग्लैंड के बर्मिंघम इलाके की कुछ मस्जिदों पर कुछ लोगों ने हथौड़े चला दिए। बयान आया कि मुसलमान जनता डर कर जी रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में कुल 80,393 हेट क्राइम, यानी घृणाजन्य अपराध के मामले सामने आए जो कि 2015-16 में 62,518 थे। न्यूज़ीलैंड के ईसाई आतंकी ने साफ शब्दों में लिखा था, ''मुस्लिम शरणार्थी हमारी भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। यह भूमि श्वेतों की है।’’ उसने यह चिंता जताई थी कि बाहर से आए मुस्लिम अधिक प्रजनन करके पश्चिमी देशों की धार्मिक जनसांख्यिकी को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं और पश्चिमी देशों की संस्कृति व शांति भंग कर रहे हैं। उसने इस्लामी आतंक द्वारा यूरोप में मची तबाही का भी जि़क्र किया था। जब मार्च में यह हमला हुआ और 50 लो...
सवालों से जूझता सुप्रीम कोर्ट, मुख्य न्यायाधीश पर लगे आरोप

सवालों से जूझता सुप्रीम कोर्ट, मुख्य न्यायाधीश पर लगे आरोप

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न्यायाधीशों को इसलिए पंच परमेश्वर कहा जाता है, क्योंकि वे न्याय केवल करते ही नहीं, बल्कि करते हुए दिखते भी हैं। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद कहा था कि मृत्युदंड जैसे जरूरी मामलों पर ही त्वरित सुनवाई होनी चाहिए, लेकिन उन्होंने अपने मामले में, जिसमें एक महिला ने उन पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया है, छुट्टी के दिन शनिवार को विशेष न्यायिक सुनवाई का फैसला किया। इसके चलते यह सवाल उठा कि उन्होंने महासचिव से स्पष्टीकरण दिलाने के बजाय उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की बैठक क्यों नहीं बुलाई? सच तो यह है कि ऐसे एक नहीं अनेक सवाल तभी से उठ रहे हैं जबसे मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के आरोपों का सनसनीखेज मामला सामने आया। सबसे प्रमुख सवाल यही है कि जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर व्यक्तिगत सफाई देने के बजाय खुद ही सुनवाई करने का फैसला क्यों...
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की क्या कोई सीमा भी है या नहीं?

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की क्या कोई सीमा भी है या नहीं?

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उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर जिस प्रकार से अमर्यादित आचरण का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया गया है वह निंदनीय ही नहीं चिंताजनक भी है। सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि चार न्यूज पोर्टलों- स्क्रोल, द लीफलैट, कारवां और द वायर ने एक साथ व एक ही भाषा में इस संबंध में, आनन-फानन में जिस प्रकार समाचार चलाया वह किसी गहरे षड्यंत्र की ओर इशारा करता है और यह सब किया गया  'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की आड़ में। जैसा कि स्वाभाविक था कि इस गम्भीर मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हुई। इसकी जांच भी होगी। यह षड्यंत्र किसने रचा और किसके इशारों पर रचा गया इसका पता करना कोई बहुत कठिन काम नहीं होना चाहिए। क्योंकि जिस महिला के 'शपथ पत्र’ को आधार बनाया गया है वह अनजान नहीं है। इसी प्रकार वे चारों न्यूज पोर्टल भी अनजाने नहीं हैं। मीडिया में वे काफी चर्चित नाम हैं और इस प्रकार के सनसनीखेज आरोप लग...
डिस्लेक्सिया से लड़ने के लिए शिक्षकों को किया जाएगा प्रशिक्षित

डिस्लेक्सिया से लड़ने के लिए शिक्षकों को किया जाएगा प्रशिक्षित

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‘तारे जमीं पर’ फिल्म में डिस्लेक्सिया से ग्रस्त ईशान को उसके शिक्षक आमिर खान ने इस समस्या से उबरने में मदद की थी। इस तरह के शिक्षकों की फौज तैयार करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास ने एक नई पहल की है। डिस्लेक्सिया तंत्रिका के विकार से संबंधित एक ऐसी स्थिति है जिसके कोई शारीरिक लक्षण नहीं होते। लेकिन, ऐसे बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में खुद को व्यक्त नहीं कर पाते। हालांकि, ऐसे बच्चों की बौद्धिक क्षमता कम नहीं होती। ऐसे बच्चों की पहचान का ज्ञान हो तो डिस्लेक्सिया का पता लगाने में शिक्षकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। डिस्लेक्सिया की समय रहते पहचान न हो पाने के कारण बच्चे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं और अक्सर स्कूल छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं। डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चों में पढ़ने-लिखने और सीखने में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (...
A new biomaterial to heal detached retina

A new biomaterial to heal detached retina

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Detachment of retina in the eye is one of the leading causes of blindness in developing countries. In a recent study, researchers created a biopolymer that can act as a natural vitreous substitute–a clear gelatinous substance that fills the cavity between lens and retina. The pressure of this biopolymer against the retina helps in its positioning and reattachment. Vitreous consists of 98–99% water apart from circulating metabolites and nutrients. However, vitreous may degenerate due to ageing and in certain diseases. This can lead to detachment of retina which is one of the leading causes of blindness in developing countries. To counter this, an artificial substitute which resembles vitreous may be filled in the eye cavity. However, the existing substitutes, such as gases that can e...
कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है नया जैल

कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है नया जैल

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भारतीय शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजेल-आधारित कैंसर उपचार की नई पद्धति विकसित की है जो कैंसर रोगियों में कीमोथेरेपी उपचार के दौरान स्वस्थ कोशिकाओं पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रोकने में मददगार हो सकती है। इस नई उपचार पद्धति में साइक्लोडेक्स्ट्रिन और पॉलियूरेथेन नामक पॉलिमर्स के उपयोग से एक जटिल संरचना का निर्माण किया है जो ड्रग डिपो की तरह काम करती है। पॉलिमर्स से बनी यह संरचना कैंसर रोगियो के शरीर में दवा को नियंत्रित तरीके से धीरे-धीरे फैलाने में मदद करती है जिसके कारण दवा का प्रभाव बढ़ जाता है। कीमोथेरेपी में एक या अधिक दवाओं का मिश्रण दिया जाता है। ये दवाएं कैंसर कोशिकाओं को विभाजित होने और बढ़ने से रोकती हैं। पर, स्वस्थ कोशिकाओं को ये दवाएं नष्ट भी कर सकती हैं। कीमोथेरेपी के दौरान दी जाने वाली दवाएं शरीर में अनियंत्रित रूप से तेजी से फैलने लगती हैं। इस तरह अचानक दवा के फैलने से आसपा...
वजह बहुत सारी है मगर…

वजह बहुत सारी है मगर…

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  देश में किसी न किसी भाग में अक्सर चुनाव होते रहते हैं, किंतु लोकसभा चुनावों की बात कुछ और ही है। भारत एक अर्ध संघीय ढांचे वाला देश है और इसमें केंद्र सरकार के पास राज्यों की तुलना में कई गुना अधिक शक्तियां हैं। ऐसे में देश की दशा दिशा और विकास के दृष्टिकोण पर केंद्र सरकार हावी रहती है। ऐसे में केंद्र में मजबूत, जनकेन्द्रित, राज्यों को साथ लेकर चलने वाली व परिपक्व सरकार का आना बहुत आवश्यक है। वर्तमान लोकसभा चुनावों में देश में दर्जनों दलों के गठबंधन एनडीए व यूपीए के साथ हैं, इसके अलावा अनेक राज्यों में इन गठबंधनों से अलग बहुत सारे दल भी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और अनौपचारिक रूप से हम इन दलों में आपसी तालमेल देख इनको भविष्य का तीसरा या चौथा मोर्चा भी कह सकते हैं। इन सभी गठबंधनों का स्वरूप लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद ही वास्तविक रूप ले पायेगा क्योंकि वास्तविक स्थिति के अनुर...
नृत्य के नाम पर अश्लीलता परोसना ‘शर्मनाक’

नृत्य के नाम पर अश्लीलता परोसना ‘शर्मनाक’

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(29 अप्रैल - अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस विशेष) एक कथन है कि ‘मनुष्य जब खुश होता है, तो वह नृत्य करने लगता है। जड़ हो या चेतन सब आनंद में विभोर होकर अपने अंदर के तनाव या विषाद को नृत्य कर समाप्त कर सकता है। इसलिए तो जिसे भी नाचना न आता है, उनके भी हाथ-पैर थिरकने लगते हैं और अपने ख़ुशी का इजहार करता है। नृत्य की भी कई शैली होती है। धरती पर हर देश, हर प्रदेश और हर क्षेत्र की अपनी खास नृत्य शैली होती है जिसकी अपनी अलग पहचान होती है। साधारणतया ‘शास्त्रीय नृत्य’, ‘लोक नृत्य’ और ‘आधुनिक नृत्य’ जैसी तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है जिसके अंतर्गत भरतनाट्यम, कथकली, कत्थक,ओडिसी, मणिपुरी, मोहनी अट्टम, कुची पुडी, भांगड़ा, भवई, बिहू, गरबा, छाऊ, जात्रा, घूमर, पण्डवानी आदि को रखा गया है। जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाने के उद्देश्य से ही प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्...