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आखिर साध्वी से परहेज़ क्यों है ?

आखिर साध्वी से परहेज़ क्यों है ?

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साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से भाजपा द्वारा अपना उम्मीदवार घोषित करते ही देश में जैसे एक राजनैतिक भूचाल आता है जिसका कंपन कश्मीर तक महसूस किया जाता है। भाजपा के इस कदम के विरुद्ध में देश भर से आवाज़ें उठने लगती हैं। यहां तक कि कश्मीर तक ही सीमित रेहने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों को भी भोपाल से साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर ऐतराज़ है।  इन सभी का कहना है कि उन पर एक आतंकी साज़िश में शामिल होने का आरोप है और इस समय वे जमानत पर बाहर हैं इसलिए भाजपा को उन्हें टिकट नहीं देना चाहिए। लेकिन ऐसा करते समय ये लोग भारत के उसी संविधान और लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं जिसे बचाने के लिए ये अलग अलग राज्यों में अपनी अपनी सुविधानुसार एक हो कर या अकेले ही चुनाव लड़ रहे हैं। क्योंकि ये लोग भूल रहे हैं कि जो संविधान इन्हें अपना विरोध दर्ज करने का अधिकार देता है वो ही संविधान साध्वी प्रज्ञा को चुनाव लड़ने ...
अबकी बार किसकी सरकार

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भारत में 17वें लोकसभा के लिए 7 चरणों में चुनाव हो रहा है। इसमें 89 करोड़ 88 लाख मतदाता अपना मत डालेंगे, इस मायने में यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव कहा जा रहा है जिसके लिए 10 लाख मतदान केंद्र की व्यवस्था की गयी है। साथ ही ईवीएम, वीवीपैट आदि में कुल मिलाकार एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी चुनाव को सफलता दिलाएंगे। इससे पहले लगातार ईवीएम पर प्रश्नचिन्ह खड़े किये जाते रहे। इसी के मद्देनजर इस बार चुनाव आयोग ने सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट की व्यवस्था किया है ताकि किसी को भी चुनाव परिणामों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करने का कोई आधार न हो। इतना ही नहीं जीपीएस माध्यम से सभी मशीनों पर नजर रखी जा रही है जिससे यह आसानी से पता चल जाएगा कि कौन मशीन कहां है। कुल मिलाकर देखा जाए तो66 दिनों तक चलने वाला यह चुनाव अपने आप में काफी महत्वपूर्ण और हाईटेक है। इस लोकसभा चुनाव में एक ही महत्वपूर्ण सवाल सबों के जेहन में घूम रहा है क...
वैज्ञानिकों ने विकसित की खारे पानी में उगने वाली चावल की नई प्रजाति

वैज्ञानिकों ने विकसित की खारे पानी में उगने वाली चावल की नई प्रजाति

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भारतीय वैज्ञानिकों ने आमतौर पर उपयोग होने वाले चावल की किस्म आईआर-64-इंडिका में एक जंगली प्रजाति के चावल के जींस प्रविष्ट करके चावल की नई प्रजाति विकसित की है। इस प्रजाति की विशेषता यह है कि यह नमक-सहिष्णु है और इसे खारे पानी में उगाया जा सकता है। जिस जंगली प्रजाति के जींस का उपयोग चावल की इस नई प्रजाति को विकसित करने में किया गया है उसे वनस्पति-विज्ञान में पोर्टरेशिया कॉरक्टाटा कहते हैं। इसकी खेती मुख्य रूप से बांग्लादेश की नदियों के खारे मुहानों में की जाती है। चावल की यह किस्म बांग्लादेश के अलावा भारत, श्रीलंका और म्यांमार में भी प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। इस अध्ययन से जुड़े कोलकाता स्थित जगदीश चंद्र बोस इंस्टीट्यूट के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. अरुणेंद्र नाथ लाहिड़ी मजूमदार ने बताया कि यह नई प्रजाति 200 माइक्रोमोल प्रति लीटर तक खारे पानी को सहन कर सकती है जो समुद्र के पानी की तुलन...
क्यूं दूर होते जा रहे हैं ‘किताबों’ से

क्यूं दूर होते जा रहे हैं ‘किताबों’ से

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(विश्व पुस्तक तथा कापीराइट दिवस-23 अप्रैल विशेष) विलियम स्टायरान ने कभी कहा था कि ‘एक अच्छी किताब के कुछ पन्ने आपको बिना पढ़े ही छोड़ देना चाहिए ताकि जब आप दुखी हों तो उसे पढ़ कर आपको सुकुन प्राप्त हो सके’। यह बातें उनके दौर में और आज से 4-5 वर्ष पूर्व तक काफी सटीक था लेकिन आज के दौर में यदि आपने किसी पुस्तक को पढ़ कर छोड़ दिया है तो छूटा ही रह जाता है। क्यूंकि हम किताबों से परहेज करने लगे हैं लेकिन मोबाइल को रिचार्ज और चार्ज करना नहीं भूलते। कहने का यथार्थ यह कि इन्टरनेट के इस क्रांति युग में किताबों को हम भूलते जा रहे हैं। अब पढ़ना मोबाइल तक सिमटकर रह गया है। आज जहां जायें घर हो या बाहर सभी जगह चौबीसों घंटे हाथ में मोबाइल लिए इन्टरनेट पर चैट करते या वीडियो देखते मिल जाएंगे। उन्हें यदि पुस्तक मेले में कह दिया जाए कि जाओ वहां से घुमकर आ जाओ तो पुस्तक मेले तो नहीं जाएंगे लेकिन वे किसी अच्छे...
भड़काऊ व बिगड़ैल आज़म खां 

भड़काऊ व बिगड़ैल आज़म खां 

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लोकतांत्रिक मूल्यों का इतना अधिक बलात्कार सम्भवतः पहले कभी नही हुआ होगा। प्रजातंत्र में राज सत्ता पाने के लिए नेताओं में ऐसी कोई योग्यता अनिवार्य होनी चाहिये जिससे वह कम से कम सभ्यता व संस्कृति के विरुद्ध कोई आचरण न कर पाये। उसकी प्राथमिकता राष्ट्रहित व समाज के प्रति सकारात्मक होनी चाहिये। लोकतंत्र में अनेक अधिकार होने का अर्थ यह नही है कि उनका अपनी इच्छानुसार दुरुपयोग करो। समाज के सार्वांगिक विकास के साथ साथ उसका नैतिक व चारित्रिक उत्थान भी नेताओं का दायित्व होता है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मो.आज़म खान के द्वारा सुश्री जयप्रदा के प्रति किये गये अमर्यादित व अश्लील आचरण से आज सभ्य समाज व मानवता लज्जित हुई है। पिछले 2-3 दिनों में ही आजम खान के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर आने से चुनावी वातावरण और मैला होता जा रहा है। सरकारी अधिकारियों को बंधुआ मजदूर बनाने की मानसिकता से ग्रस्त आज़म ख...
मोदी के खिलाफ विवादित बयानों की आंधी

मोदी के खिलाफ विवादित बयानों की आंधी

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आम चुनाव के प्रचार में इनदिनों विवादित बयानों की बाढ़ आयी है, सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं, गाली-गलौच, अपशब्दों एवं अमर्यादित भाषा का उपयोग कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के इस महापर्व में लोकतांत्रिक मूल्यों पर कुठाराघात है। विशेषतः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी जन-कल्याण की योजनाओं से भड़के कांग्रेस एवं महागठबंधन के नेता अपनी जुबान संभाल नहीं पा रहे। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का उग्र प्रचार होता जा रहा है वैसे-वैसे प्रधानमंत्री मोदी के प्रति विभिन्न राजनीतिक दलाओं के नेताओं की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। नरेन्द्र मोदी के दर्शन, उनके विकासमूलक कार्यक्रमों, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति व उनकी कार्य-पद्धतियांे पर कीचड़ उछालने की हदें पार हो रही हैं, उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का उपयोग हो रहा हैं और उन्हें गालियां देकर विपक्षी नेता स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।...
देश-द्रोहियों के मताधिकार?

देश-द्रोहियों के मताधिकार?

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चुनाव नजदीक आते ही विविध राजनैतिक दलों व नेताओं में वाकयुद्ध प्रारम्भ हो जाता है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए अनेक बार, शब्दों की सीमाएं, न सिर्फ संसदीय मर्यादाएं बल्कि, सामान्य आचार संहिता का भी उल्लंघन कर जाती हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धांतों, कार्यों व कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाना तथा एक दूसरे की कमियों को उजागर करते हुए स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा तो ठीक है किंतु उनकी शब्द रचना भारतीय संस्कृति, संवैधानिक व्यवस्थाओं व लोकाचार के भी परे, जब भारत की एकता व अखंडता के साथ उसकी संप्रभुता पर भी हमला करने लग जाए तो पीडा का असहनीय होना स्वाभाविक ही है। यूँ तो कश्मीर से सम्बंधित अलगाववादी संवैधानिक धारा 370 व 35 A को हटाने की मांग दशकों पुरानी हैं तथा वर्तमान सत्ताधारी दल इनको हटाने के लिए प्रारम्भ से ही कृत संकल्पित है. इस सम्बंध में एक याचिका भी माननीय सर्वोच्च न्याय...
आज़म को चुनाव से बाहर करे चुनाव आयोग

आज़म को चुनाव से बाहर करे चुनाव आयोग

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जिस बात को लेकर मन में भय था वह लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिखाई देने लगी है। अभी तो चुनाव प्रचार को काफी समय तक चलना है I पर देख लीजिए कि रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने अपनी मुख्य प्रतिद्ददी भाजपा की उम्मीदवार जयप्रदा के खिलाफ कितनी ओछी और अश्लील टिप्पणी कर डाली है। आजम खान की टिप्पणी को यहां पर बताना नारी शक्ति का घोर अनादर होगा। इसलिए उसे यहां पर दुहराने का सवाल ही नहीं होता है। जब वो जयप्रदा के खिलाफ बदबूदार बयानबाजी कर रहे थे तब  मंच पर  अखिलेश यादव समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता तालियाँ बजा रहे थे। आज़म खान जैसे धूर्त , बेग़ैरत इंसान के खिलाफ चुनाव आयोग को तुरंत कठोर कार्रवाई कर भी दी है । उन्हें तीन दिन तक घर बैठने का आदेश हुआ है I इसी प्रकार, एक भड़काऊ बयान के लिए मुख्मंत्री योगी, पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती और केन्द्रीय मंत्री मानेका गाँधी को भी क्रमशः तीन और ...
वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

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भारत में वन्य जीवों का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में केंद्रित है। हालांकि, कई गैर-संरक्षित क्षेत्र भी वन्य जीवों के संरक्षण में उपयोगी हो सकते हैं। एक ताजा अध्ययन में संरक्षित वन्य जीव क्षेत्रों के बाहर तेंदुए, भेड़िये और लकड़बग्घे जैसे जीवों में स्थानीय लोगों के साथ सह-अस्तित्व की संभावना को देखकर भारतीय शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इस अध्ययन में महाराष्ट्र के 89 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली अर्द्धशुष्क भूमियों, कृषि क्षेत्रों और संरक्षित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया है। वन विभाग के कर्मचारियों के साक्षात्कार और सांख्यकीय विश्लेषण के आधार पर भेड़ियों, तेंदुओं और लकड़बग्घों के वितरण का आकलन किया गया है। इस भूक्षेत्र के 57 प्रतिशत हिस्से में तेंदुए, 64 प्रतिशत में भेड़िये और 75 प्रतिशत में लकड़बग्घे फैले हुए हैं। जबकि, अध्ययन क...
Lok Sabha Phase I : 213(17%) contesting contesting with declared criminal cases

Lok Sabha Phase I : 213(17%) contesting contesting with declared criminal cases

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The National  Election Watch and Association for Democratic Reforms (ADR) have analysed the self-sworn affidavits of 1266 out of 1279 candidates, who are contesting in the Lok Sabha Phase I. There are 13 candidates who have not been analysed due to unavailability of their properly scanned and complete affidavits, at the time of making this report. For the complete report, please go to :  https://adrindia.org/content/lok-sabha-elections-2019-phase-i-analysis-criminal-background-financial-education-gender-0   Summary and Highlights   Criminal Background Candidates with Criminal Cases: 213(17%) out of 1266 candidates have declared criminal cases against themselves. Candidates with Serious Criminal Cases: 146(12%) out of 1266 have declared serious criminal case...