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देश-द्रोहियों के मताधिकार?

देश-द्रोहियों के मताधिकार?

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चुनाव नजदीक आते ही विविध राजनैतिक दलों व नेताओं में वाकयुद्ध प्रारम्भ हो जाता है। एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए अनेक बार, शब्दों की सीमाएं, न सिर्फ संसदीय मर्यादाएं बल्कि, सामान्य आचार संहिता का भी उल्लंघन कर जाती हैं। राजनैतिक दलों के सिद्धांतों, कार्यों व कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाना तथा एक दूसरे की कमियों को उजागर करते हुए स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा तो ठीक है किंतु उनकी शब्द रचना भारतीय संस्कृति, संवैधानिक व्यवस्थाओं व लोकाचार के भी परे, जब भारत की एकता व अखंडता के साथ उसकी संप्रभुता पर भी हमला करने लग जाए तो पीडा का असहनीय होना स्वाभाविक ही है। यूँ तो कश्मीर से सम्बंधित अलगाववादी संवैधानिक धारा 370 व 35 A को हटाने की मांग दशकों पुरानी हैं तथा वर्तमान सत्ताधारी दल इनको हटाने के लिए प्रारम्भ से ही कृत संकल्पित है. इस सम्बंध में एक याचिका भी माननीय सर्वोच्च न्याय...
आज़म को चुनाव से बाहर करे चुनाव आयोग

आज़म को चुनाव से बाहर करे चुनाव आयोग

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जिस बात को लेकर मन में भय था वह लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिखाई देने लगी है। अभी तो चुनाव प्रचार को काफी समय तक चलना है I पर देख लीजिए कि रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान ने अपनी मुख्य प्रतिद्ददी भाजपा की उम्मीदवार जयप्रदा के खिलाफ कितनी ओछी और अश्लील टिप्पणी कर डाली है। आजम खान की टिप्पणी को यहां पर बताना नारी शक्ति का घोर अनादर होगा। इसलिए उसे यहां पर दुहराने का सवाल ही नहीं होता है। जब वो जयप्रदा के खिलाफ बदबूदार बयानबाजी कर रहे थे तब  मंच पर  अखिलेश यादव समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता तालियाँ बजा रहे थे। आज़म खान जैसे धूर्त , बेग़ैरत इंसान के खिलाफ चुनाव आयोग को तुरंत कठोर कार्रवाई कर भी दी है । उन्हें तीन दिन तक घर बैठने का आदेश हुआ है I इसी प्रकार, एक भड़काऊ बयान के लिए मुख्मंत्री योगी, पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती और केन्द्रीय मंत्री मानेका गाँधी को भी क्रमशः तीन और ...
वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

वन्य जीव संरक्षण में गैर-संरक्षित क्षेत्र भी हो सकते हैं मददगार

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भारत में वन्य जीवों का संरक्षण और प्रबंधन मुख्य रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में केंद्रित है। हालांकि, कई गैर-संरक्षित क्षेत्र भी वन्य जीवों के संरक्षण में उपयोगी हो सकते हैं। एक ताजा अध्ययन में संरक्षित वन्य जीव क्षेत्रों के बाहर तेंदुए, भेड़िये और लकड़बग्घे जैसे जीवों में स्थानीय लोगों के साथ सह-अस्तित्व की संभावना को देखकर भारतीय शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इस अध्ययन में महाराष्ट्र के 89 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली अर्द्धशुष्क भूमियों, कृषि क्षेत्रों और संरक्षित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया है। वन विभाग के कर्मचारियों के साक्षात्कार और सांख्यकीय विश्लेषण के आधार पर भेड़ियों, तेंदुओं और लकड़बग्घों के वितरण का आकलन किया गया है। इस भूक्षेत्र के 57 प्रतिशत हिस्से में तेंदुए, 64 प्रतिशत में भेड़िये और 75 प्रतिशत में लकड़बग्घे फैले हुए हैं। जबकि, अध्ययन क...
Lok Sabha Phase I : 213(17%) contesting contesting with declared criminal cases

Lok Sabha Phase I : 213(17%) contesting contesting with declared criminal cases

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The National  Election Watch and Association for Democratic Reforms (ADR) have analysed the self-sworn affidavits of 1266 out of 1279 candidates, who are contesting in the Lok Sabha Phase I. There are 13 candidates who have not been analysed due to unavailability of their properly scanned and complete affidavits, at the time of making this report. For the complete report, please go to :  https://adrindia.org/content/lok-sabha-elections-2019-phase-i-analysis-criminal-background-financial-education-gender-0   Summary and Highlights   Criminal Background Candidates with Criminal Cases: 213(17%) out of 1266 candidates have declared criminal cases against themselves. Candidates with Serious Criminal Cases: 146(12%) out of 1266 have declared serious criminal case...
नारे विहीन 2019 के लोकसभा चुनाव

नारे विहीन 2019 के लोकसभा चुनाव

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लोकसभा चुनाव के पहले दौर के लिए संपन्न मतदान हो चुका है Iपर इस बार अभी तक कोई नये खास नारे सामने नहीं आये हैं। इस बार चुटीले और तुरंत अपनी तऱफ ध्यान आकर्षित करने वाले नारों का कुल जमा अभाव दिखाई दे रहा है। नारे ही तो चुनावों की जान रहे हैं। नारों के बिना चुनाव का आनंद आधा-अधूरा सा ही रहता है। पिछले 2014 में भाजपा का नारा था- 'मोदी जी आएंगे, अच्छे दिन लाएंगे'। तब भाजपा का एक और चर्चित नारा भी था- "अबकी बार मोदी सरकार'। भाजपा ने 2019 में फिर लगभग इसी नारे को आगे बढ़ाया है। इसबार का नारा है- 'फिर एकबार, मोदी सरकार'। इस बारभाजपा ‘मोदी है तो मुमकिन है’ और ‘भारत नया बनाने दो,मोदी को फिर से आने दो’ जैसे नारे लेकर भी आई है। माकपा ने देश को मोदी सरकार की नीतियों से मुक्त कराने की रणनीति को लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान के केंद्र में रखते हुए ‘इस बार, मोदी बेरोजगार’ नारे को प्रचार का मूलमंत्र बनाया...
Break Up India Gang Targets IIT Kanpur

Break Up India Gang Targets IIT Kanpur

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Proven Plagiarism in PhD Thesis Counter Blasted by Fake Charges of Caste Discrimination by Madhu Purnima Kishwar India takes pride in its IITs as globally celebrated centres of excellence. Indian taxpayers money goes into funding these institutes to compete with the best in the world. When media (Wire.in: https://thewire.in/caste/400-academics-condemn-caste-discrimination-institutional-harassment-in-iit-kanpur; Countercurrents: https://countercurrents.org/2019/04/05/caste-discrimination-at-iit-kanpur/) reported that 400 scholars, academics and activists from 16 countries, representing a comic mix of institutions and freelancers have endorsed a statement of solidarity against the “caste-based discrimination and institutional harassment” of a Dalit academic from IIT-Kanpur, Dr. Subram...
चुनाव के समय मतदाता को जागरूक करने में लगे राजनैतिक दल

चुनाव के समय मतदाता को जागरूक करने में लगे राजनैतिक दल

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देश में एक बार फिर चुनाव होने जा रहे हैं और लगभग हर राजनैतिक दल मतदाताओं को "जागरूक" करने में लगा है। लेकिन इस चुनाव में खास बात यह है कि इस बार ना तो कोई लहर है और ना ही कोई ठोस मुद्दे यानी  ना सत्ताविरोधी लहर ना विपक्ष के पक्ष में हवा। बल्कि अगर यह कहा जाए कि समूचे विपक्ष की हवा ही निकली हुई है तो भी गलत नहीं होगा।  क्योंकि जो भ्रष्टाचार का मुद्दा  अब तक के लगभग हर चुनाव में विपक्षी दलों का एक महत्वपूर्ण हथियार होता था इस बार उसकी धार भी फीकी है। इस बात का एहसास देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष  को भी हो गया है शायद इसलिए कल तक जिस रॉफेल विमान की सवारी करके वो सत्ता तक पहुंचने की लगातार कोशिश कर रहे थे आज वो उनके चुनावी भाषणों से ही फुर्र हो चुका है । हाँ लेकिन चौकीदार पर नारे वो अपनी हर चुनावी रैली में लगवा ही लेते हैं। लेकिन उनके चौकीदार चोर है के नारे की हवा "मैं भी चौकी...
क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन पाती शिक्षा?

क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन पाती शिक्षा?

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लोकसभा चुनावों का प्रचार अब तो सारे देश में जोर पकड़ चुका है। चुनावी सभाएं, रैलियां, भाषण वगैरह हो रहे हैं। पहले चरण का चुनाव तो मंगलवार को थम भी जायेगा। हर पक्ष दूसरे पर जनता को छलने और गुमराह करने के आरोप लगा रहे हैं। ये अपनी तरफ से सत्तासीन होने पर आसमान से सितारे तोड़ कर लाने के अलावा तमाम अन्य संभव-असंभव वादे भी कर रहे हैं। पर इन सबके बीच एक मुद्दा लगभग अछूता सा बना हुआ है। वह है शिक्षा का। इतने महत्वपूर्ण बिन्दु पर अभी तक कोई सारगर्भित बहस सुनने को ही नहीं मिल रही है। देश में शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा तो देश बुलंदियों को कैसे छू सकेगा। क्या ये किसी को बताने की जरूरत  है? बेशक, यह अपने आप में आश्चर्य का ही विषय है कि लोकसभा या विधान सभा चुनावों के दौरान शिक्षा के मसले पर कभी पर्याप्त बहस नहीं हो पाती। दरअसल देखा जाए तो शिक्षा को राम भरोसे छोड़ दिया गया है हमने। हमने अपने यहां स्कूल...
कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

कलात्मक मृत्यु का इतिहास रचने वाला साधक

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जैन धर्म के छोटे-से आम्नाय तेरापंथ धर्मसंघ के सुश्रावक श्री विष्णुभगवान जैन का इनदिनों अलखपुरा तहसील तोशाम जिला भिवानी (हरियाणा) में संथारा यानी समाधिमरण का आध्यात्मिक अनुष्ठान असंख्य लोगों के लिये कोतुहल का विषय बना हुआ है। दिनांक 9 नवम्बर, 2018 भैयादूज के प्रारंभ यह सर्वाधिक लम्बा संथारा आज 146 वें दिवस पर भी अनवरत जारी है। मृत्यु के इस महामहोत्सव के साक्षात्कार के लिये असंख्य श्रद्धालुजन देश के विभिन्न भागों से दर्शनार्थ पहुंच कर अमरत्व की इस अनूठी एवं विलक्षण यात्रा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह संथारा इसलिये भी अनूठा एवं आश्चर्यकारी है क्योंकि एक कृषिजीवी जाट परिवार में जन्मे एवं सनातन धर्म के संस्कारों में पले एवं बाद में जैन बने श्री विष्णु भगवान आज के इस भौतिकवादी एवं सुविधावादी युग में सुख-सुविधा, मोहमाया के त्याग का इतिहास रच रहे हैं। जैसाकि सर्वविदित है कि जैन धर्म में अनगिनत सदि...
न ठोस रणनीति, न ही कार्यक्रम, कैसे देंगे मोदी को मात

न ठोस रणनीति, न ही कार्यक्रम, कैसे देंगे मोदी को मात

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  लोकसभा चुनाव में गैर एनडीए दलों की सबसे बड़ी ख्वाहिश यही है कि वे किसी भी तरह से नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करें। लेकिन सिवा मोदी हटाओ, देश बचाओ और चौकीदार चोर है जैसे कुछ नारों को छोड़ दें तो उनके पास कोई ठोस योजना नहीं है। फिर विपक्षी दलों में आपसी सिरफुटौव्वल भी खूब है। विपक्षी दल ऊपरी तौर पर साथ तो नजर आ रहे हैं, लेकिन अंदरूनी हालत यह है कि वे एक-दूसरे की कीमत पर खुद की ताकत बढ़ाने की फिराक में हैं। सबसे पहले शुरूआत करते हैं जनसंख्या और लोकसभा के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से। उत्तर प्रदेश में बुआ यानी मायावती की बहुजन समाज पार्टी और बबुआ यानी अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ ही अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के बीच समझौता हो गया है। इस समझौते में कांग्रेस के लिए रायबरेली और अमेठी की सीट को छोड़ दें तो कोई जगह नहीं है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जहा...