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भारत में चुनाव से ठीक पहले आतंकवादी हमले के पीछे क्या है पाकिस्तान की मंशा?

भारत में चुनाव से ठीक पहले आतंकवादी हमले के पीछे क्या है पाकिस्तान की मंशा?

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बड़ा औपचारिक सा लगने लगा है और थोड़ा-थोड़ा फज़ऱ्ी भी, जब एक आतंकवादी हमला होता है और हम अपना गुस्सा प्रकट करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से बहुत कुछ बोलना शुरू कर देते हैं। लेकिन सच यह है कि ऐसे आतंकवादी हमले झेलना भारत की नियति है। इसके साथ ऐसा होता रहा है और आगे भी होता रहेगा। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं, जऱा ठंडे दिमाग से सोचिएगा और समझिएगा। हमारा देश एक ऐसा लोकतांत्रिक देश है, जिसे फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम वाली चुनाव प्रणाली के ज़रिए चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा बहुमत से बनाई गई सरकार चलाती है। सबसे पहले समझिए कि फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम क्या है? फस्र्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम यह है कि चुनाव में जिस भी उ मीदवार को सबसे अधिक वोट मिलेंगे, वह निर्वाचित हो जाएगा, भले ही वह बहुमत यानी आधे से अधिक लोगों द्वारा नापसंद किया गया हो। नतीजा यह है कि वे लोग चुनकर आ रहे हैं, जिन्हें सौ में केवल 30-3...
आईआईटी शोधकर्ताओं ने नेत्रहीनों के लिए बनाया ब्रेल लैपटॉप

आईआईटी शोधकर्ताओं ने नेत्रहीनों के लिए बनाया ब्रेल लैपटॉप

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने डॉटबुक नामक एक ऐसा ब्रेल लैपटॉप विकसित किया है, जो नेत्रहीनों के लिए उपयोगी हो सकता है। यह ब्रेल डिस्प्ले युक्त रिफ्रेशेबल लैपटॉप है, जिसमें नेत्रहीनों के अनुकूल ईमेल, कैलकुलेटर और वेब ब्राउजर जैसे एप्लीकेशन्स शामिल हैं। इसके अलावा, लैपटॉप में थर्ड पार्टी ऐप्स का उपयोग भी किया जा सकता है। डॉटबुक को 20पी और 40क्यू समेत दो वेरिएंट्स में लॉन्च किया गया है। विशेष रूप से डिजाइन किए गए इसके हैंड-रेस्ट की मदद से अधिक कुशलता के साथ लंबे समय तक काम किया जा सकता है। इन दोनों लैपटॉप में रिफ्रेशेबल ब्रेल डिस्प्ले लगाया गया है। 40क्यू वेरिएंट में एक पंक्ति में अधिकत 40 कैरेक्टर होते हैं, जो क्वर्टी कीबोर्ड और ब्रेल कीबोर्ड से लैस है। जबकि, इस लैपटॉप के 20पी वेरिएंट की एक पंक्ति में 20 कैरेक्टर होते हैं। वाईफाई, ब्लूटुथ और यूएसबी ...
नेत्र कैंसर के उपचार में मददगार हो सकते हैं नए जैव संकेतक

नेत्र कैंसर के उपचार में मददगार हो सकते हैं नए जैव संकेतक

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भारतीय शोधकर्ताओं ने नेत्र कैंसर से ग्रस्त कोशिकाओं के प्रसार के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगाया है, जिससे रोगग्रस्त कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से कैंसर के उपचार के लिए दुष्प्रभाव रहित दवाएं विकसित करने और निदान के सुरक्षित तरीकों के विकास में मदद मिल सकती है। कैंसर कोशिकाओं को लंबी श्रृंखला वाले फैटी एसिड का उत्पादन करते भी देखा गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये कोशिकाएं कैंसर के विभिन्न रूपों का पता लगाने के लिए आदर्श जैव संकेतक (बायोमार्कर) हो सकती हैं। एक अन्य उपयोगी तथ्य यह भी उभरकर आया है कि कैंसर कोशिकाओं में कोलेस्ट्रॉल को कम-संश्लेषित किया जाता है। इस अध्ययन में पाया गया है कि सामान्य कोशिकाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट और फैटी एसिड के बजाय कैंसर कोशिकाएं ऊर्जा के लिए अमीनो अम्ल का उपयोग करती हैं। इसी तरह, रेटिन...
गांधी परिवार की हार…..

गांधी परिवार की हार…..

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नेशनल हेराल्ड हाउस (national herald house) को खाली करने के मामले सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Corut) की डिविजन बेंच ने बृहस्पतिवार को अहम फैसला सुनाया है*। इसके तहत अब एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करना ही होगा। इसे एजेएल के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए भी एक झटका माना जा रहा है। सुनवाई के दौरान दिल्ली HC ने उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा गया था, हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कितने समय में एजेएल को हेराल्ड भवन को खाली करना है? एक प्रकार से दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश से कांग्रेस को भी बड़ा झटका लगा है। दरअसल, पिछले साल हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने दो हफ्ते में हेराल्ड हाउस (Herald House) खाली करने का आदेश दिया...
आतंक पर अंतिम जंग

आतंक पर अंतिम जंग

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लोकतंत्र के महापर्व यानि लोकसभा चुनावों की घोषणा के पूर्व ही पुलवामा में अत्यंत कायराना आतंकी हमले से देशवासियों की मनोदशा व राजनीतिक माहौल दोनों ही बुरी तरह बदल चुके हैं। देश में देशभक्ति का ज्वार उफान पर है और देशवासी अब आतंकियों व पाकिस्तान के खिलाफ आरपार की जंग के पक्ष में आ चुके हैं। जवाबी कार्यवाही के रूप में भारतीय वायुसेना ने पाक अधिकृत कश्मीर के बालकोट में आतंकी शिविरों पर किये बड़े हमले में सैंकड़ों आतंकियों को नेस्तनाबूद कर जंग का उद्घोष कर दिया है। पाकिस्तान जानता है कि प्रत्यक्ष युद्ध में वह भारत को नहीं हरा सकता, इसलिए उसने सन 71 की अपमानजनक हार के बाद गुरिल्ला युद्ध का सहारा ले रखा है और जब तब भारत में आंतरिक अशांति फैलाने वाले कार्य करता रहता है। यह होना स्वाभाविक भी है। तिनके तिनके जोड़कर हर भारतीय ने विभाजन के दंश के बाद मिली आजादी के बाद पिछले 72 सालों में अनेक झंझावात ...
India expected too much of Pakistan’s best friend

India expected too much of Pakistan’s best friend

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At the end Indian diplomats and leaders should know that world leaders expect that India having the fastest growing economy in the world and looking to be an important player on the global stage should be able to take care of its own military problems with its troublesome neighbor.   It is not known how the visit of the Saudi Crown Prince would have gone off at levels that were dealing with the visit and interacting with the visitor. Going through the newspapers and viewing television, it might not have been as successful as desired. One of the main reasons might have been the overwhelming emphasis that was laid on declaring Pakistan a terror state. To begin with the manner in which the Saudi Prince was received must have been perceived by him as deferential see...
Will Pakistan exist within the next 20 years?

Will Pakistan exist within the next 20 years?

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Today’s conditions don’t show very much promise. There’s an interesting phrase I see popping up in Indian politics called “Mera des badal raha he” which translates roughly to “My nation/homeland is changing”. It’s interesting because of how it’s used as a double-edged sword and has both right wing and left wing connotations. The right wing use it to praise the BJP and its governance and claim the nation is on a path to economic progress, international prestige and nation reinvigoration. It promises a bright and optimistic future in a nutshell. The left wing use it as a grim warning or a mockery and claim the nation’s secular fabric and institutions are being torn apart and an intolerant regime bent on persecuting minorities and imposing authoritarianis...
पुलवामा पर विरोधाभासी स्वर दुर्भाग्यपूर्ण

पुलवामा पर विरोधाभासी स्वर दुर्भाग्यपूर्ण

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देश घायल है, वैचारिक बिखराव एवं टूटन को झेल रहा है, पुलवामा में आतंकी हमले के बाद समूचे राष्ट्र में आक्रोश की ज्वाला धधक रही है। लहूलुहान हो चुके इस देश के लोगों के दिल और दिमाग में बार-बार करतब दिखाती हिंसा को देखकर भय और आक्रोश होना स्वाभाविक है, विनाश एवं निर्दोष लोगों की हत्या को लेकर चिन्ता होना भी जायज है। इस तरह निर्दोषों को मारना कोई मुश्किल नहीं, कोई वीरता भी नहीं। पर निर्दोष जब भी मरते हैं, पूरा देश घायल होता है, राष्ट्रीयता आहत और घायल होती है। इन हालातों में हर कोई निर्दोष लोगों की हत्या का बदला चाहता है। क्योंकि इस आतंकी हमले ने देश की जनता को गहरा आघात दिया है और उसकी प्रतिक्रिया में आक्रोश, विद्रोह एवं बदले की भावना सामने आना स्वाभाविक है, क्योंकि घटना ही इतनी दुखद, त्रासद एवं भयावह थी। पुलवामा की आतंकी घटना को लेकर जैसा राष्ट्रीयता का स्पष्ट एवं सार्थक वातावरण बनना चाहिए थ...
यह समृद्धि का कैसा विकास है?

यह समृद्धि का कैसा विकास है?

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व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र के विकास को नापने का एक ही पैमाना है और वह है समृद्धि। व्यक्ति का विकास मतलब व्यक्ति की समृद्धि और देश का विकास मतलब देश की समृद्धि। समृद्धि का भी अर्थ निश्चित और सीमित कर दिया गया है। पैसों और संसाधनों का अधिकाधिक प्रवाह ही समृद्धि का अर्थ है। पैसे भी संसाधनों से ही आते हैं। इसलिए कुल मिलाकर अधिकाधिक संसाधन चाहिए। इस संसाधनों के संचयन की होड़ पूरी दुनिया में लगी हुई है। इसके लिए हम किसी भी चीज की बलि चढ़ाने के लिए तैयार हैं, चढ़ा भी रहे हैं। चूँकि संसाधन हमें प्रकृति से ही मिलते हैं, इसलिए बलि भी प्रकृति की ही चढ़ाई जा रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि हमारी समृद्धि तो बढ़ रही है परन्तु वास्तविक तौर पर हम गरीब हो रहे हैं। यह गरीबी पर्यावरण और पारिस्थितिकी की है। हमारी जैव-विविधता खतरे में है, हमारा पेयजल खतरे में है, हमारी शुद्ध हवा और उपजाऊ जमीन खतरे में है यही कार...
पिघल रहे हैं गंगोत्री के सहायक ग्लेशियर

पिघल रहे हैं गंगोत्री के सहायक ग्लेशियर

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एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि गंगोत्री का सहायक ग्लेशियर चतुरंगी तेजी से पिघल रहा है। गंगोत्री गंगा के जल का मुख्य स्रोत है, जिसके सहायक ग्लेशियरों के पिघलने का असर गंगा नदी के प्रवाह पर पड़ सकता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि करीब 27 वर्षों में चतुरंगी ग्लेशियर की सीमा करीब 1172 मीटर से अधिक सिकुड़ गई है। इस कारण चतुरंगी ग्लेशियर के कुल क्षेत्र में 0.626 वर्ग किलोमीटर की कमी आयी है और 0.139 घन किलोमीटर बर्फ कम हो गई है। अल्मोड़ा के जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में वर्ष 1989 से 2016 तक के उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों और काइनेमैटिक जीपीएस (एक उपग्रह नेविगेशन तकनीक) का उपयोग किया गया है। इस अध्ययन से जुड़े जी.बी. पंत राष्ट्रीय संस्थान के शोधकर्ता किरीट कुमार ने इंडिया साइंस व...