
जहरीले जिहाद का जुनून
क्या यह उचित है कि दुश्मन के छद्म युद्धों का सिलसिला बना रहें और हम उसे कायराना हमला कहकर निंदा करके अपने दायित्वों से भागते रहें? निस्संदेह केवल आक्रोशित होकर उत्साहवर्धक बयान तक सीमित रह जाने वाला नेतृत्व आज हमारे देश की नियति बन चुका है।
14 फरवरी 2019 ज मू-कश्मीर हाईवे पर अवंतीपोर के पास गोरीपोरा में सी.आर.पी.एफ. के 2500 सैनिकों से अधिक के काफिले पर लगभग 100 किलो आर.डी.एक्स. (विस्फोटक) से भरी 'कार बम’ बनी एक स्कॉर्पियो गाड़ी से आत्मघाती आतंकवादियों ने आक्रमण करके एक बार फिर हमको ललकारा है। इस जिहादी जुनून में हमारे लगभग 40 जवानों का बलिदान हुआ और 25 से अधिक घायल हुए हैं। इस्लामिक आतंकवादियों के दुस्साहस को बार-बार कायराना हमला कहकर हम केवल शब्दवीर बन जाते हैं। जबकि ऐसे नरसंहारों से जिहादियों के हौंसले आसमान को छूने लगते हैं। हम शत्रुओं की जिहादी सोच को समझने के बाद भी अपनी रणनीति को ...