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\HOW FAR SHOULD INDIA TRUST CHINA

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“It is in India’s interest to see China strong enough to provide credible bi-polarity in the interregnum during which the world moves towards the establishment of a globally respected United Nations system; one which would be capable of enforcing its mandate without let or hindrance. At the same time it is vital to India’s interest to NEVER underestimate China’s threat potential”. Excerpt from a talk delivered at the United Service Institution by the writer in 1999 “Dealing with China in the 21st Century”*.    * Man is the only animal who keeps smiling at his foes till he is ready to eat them up. (Chinese proverb) * India and China represent two of the earliest civilizations that have been continuously able to hold on to their older traditions since the dawn of history. Histori...
भयंकर हादसों में मुँह फेर कबतक सोते रहेंगे हम ?

भयंकर हादसों में मुँह फेर कबतक सोते रहेंगे हम ?

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23 दिसम्बर,1995 को हरियाणा के मंडी डबवाली और 13 जून,1997 को राजधानी के उपहार सिनेमाघर में हुए दिल-दलहाने वाले अग्निकांडों के बाद 12 फरवरी,2019 की तिथि भी इन्हीं मनहूस तिथियों की सूची में शामिल हो गई है I राजधानी के खासमखास बाज़ार करोल बाग के होटल अर्पित पैलेस में 12 फरवरी को तड़के भीषण आग गई। आग की चपेट में आने से 17 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। जैसा कि हमारे यहां रस्म अदायगी होती है, हादसे के बाद घटनास्थल पर मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल भी पहुंच गए। कुछ देर तक घटनास्थल पर रहने के बाद फोटो सेशन और टी. वी. बाईट देकर वहां से निकल गए। अगर इन्होंने ही समय रहते नियमों का उल्लंघन करके चल रहेइन तमाम होटलों पर कार्रवाई कर ली होती तो करोलबाग जैसे गुलजार रहने वाले बाजार में मौत का मातम नहीं मनाया जाता। वहां की रोजमर्रा जिंदगी अपनी रफ्तार से चल रही होती। यहां अपने होटल में सोए लोग हमेशा के लिए मौत की गोद ...
बाजारवाद के इस दौर में प्रेम भी तोहफों का मोहताज़ हो गया

बाजारवाद के इस दौर में प्रेम भी तोहफों का मोहताज़ हो गया

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वे हमें करोड़ों के विज्ञापनों से यह बात समझा कर अरबों कमाने में कामयाब हो गई हैं कि "इफ यू लव समवन शो इट", यानी, अगर आप किसी से प्रेम करते हैं तो "जताइए"  और वैलेंटाइन डे इसके लिए सबसे अच्छा दिन है। वैलेंटाइन डे, एक ऐसा दिन जिसके बारे में कुछ सालों पहले तक हमारे देश में बहुत ही कम लोग जानते थे, आज उस दिन का इंतजार करने वाला एक अच्छा खासा वर्ग उपलब्ध है। अगर आप सोच रहे हैं कि केवल इसे चाहने वाला युवा वर्ग ही इस दिन का इंतजार विशेष रूप से करता है तो आप गलत हैं। क्योंकि इसका विरोध करने वाले बजरंग दल, हिन्दू महासभा जैसे हिन्दूवादी संगठन भी इस दिन का इंतजार उतनी ही बेसब्री से करते हैं। इसके अलावा आज के भौतिकवादी युग में जब हर मौके और हर भावना का बाज़ारीकरण हो गया हो, ऐसे दौर में  गिफ्ट्स टेडी बियर चॉकलेट और फूलों का बाजार भी इस दिन का इंतजार  उतनी ही व्याकुलता से करता है। आज प्रेम आपके दिल और उ...
राहुल की लड़ाई भ्रष्टाचार से है या मोदी से ?

राहुल की लड़ाई भ्रष्टाचार से है या मोदी से ?

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क्या राहुल रॉफेल डील से सचमुच असंतुष्ट हैं? अगर हाँ, तो जैसा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, उन्हें ठोस सबूत पेश करने चाहिए। अगर वो कहते हैं और मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनिल अंबानी को 30 हज़ार करोड़ रुपए दिए हैं तो इसे सिद्ध करें, कहीं न कहीं किसी ना किसी खाते में पैसों का लेनदेन दिखाएं। काश कि वो और उनके सलाहकार यह समझ पाते कि इस प्रकार  आधी अधूरी जानकारियों के साथ आरोप लगाकर वे मोदी की छवि से ज्यादा नुकसान खुद अपनी और कांग्रेस की छवि को ही पहुँचा रहे हैं। क्योंकि देश देख रहा है कि जिस प्रकार की संवेदनशीलता से वे रॉफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मोदी के खिलाफ दिखा रहे हैं,वो ममता के प्रति शारदा घोटाले, या  अखिलेश के प्रति उत्तर प्रदेश के खनन घोटाले अथवा मायावती के प्रति मूर्ति घोटाले या फिर लालू और तेजस्वी के प्रति चारा घोटाले या चिदंबरम के प्रति आई एन एक्स क...
फिऱ आया इंदिरा गांधी-राजीव गांधी की शहदात भुनाने का मौसम

फिऱ आया इंदिरा गांधी-राजीव गांधी की शहदात भुनाने का मौसम

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ऱाफेल डील विवाद पर दो तरह की बातें साफ तौर पर देखने में आ रही है। पहली, कुछ नेता अपने विरोधियों पर खुलकर गटर छाप और असभ्य भाषा का इस्तेमाल करके निशाना साध रहे हैं। दूसरी, कांग्रेस के कुछ नेता फिर से चुनाव से ठीक पहले जनता की सहानुभूति बटोरने के लालच से इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की शहादत को भुनाने में लग गए हैं। ये ठीक है कि इन दोनों नेताओं की दुखद हत्याएं हुईं थीं। पर क्या श्रीमती इंदिरा गांधी की पंजाब नीति वाजिब थी? कौन नहीं जानता कि उन्होंने ही शुरूआती दौर में जरनैल सिंह भिंडरावाले को हर तरह से मदद करके खाद-पानी दिया था। भिंडरावाले का संबंध एक दौर में एक सिख डेरे से था। वह आगे चलकर सिख मिलिटेंसी के प्रतीक बन गया। पहले तो वह सिख धर्म का एक लोकप्रिय प्रचारक मात्र था। किसको नहीं पता कि पंजाब में कांग्रेस के राज में  खालिस्तानी ताकतें मजबूत  की गई और उनसे इंदिरा जी के बढ़ावा पर ही जमकर  खू...
शक्ति के उपासक बनें

शक्ति के उपासक बनें

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भारत भूमि के महान सपूत महर्षि अरविन्द ने वर्षों पूर्व जब हम अंग्रेजों के अधीन थे, अपनी एक छोटी रचना 'भवानी मंदिर' की भूमिका में लिखा था कि "हमने शक्ति को छोड़ दिया है , इसलिए शक्ति ने भी हमें छोड़ दिया"। अतः पराधीनता में रहना हमारी दुर्बलता का ही परिणाम था। अनेक मनीषियों ने लिखा व कहा भी था कि सदियों की पराधीनता से हमारी शक्तियाँ दुर्बल हुई हैं , अतः इससे मुक्त होना सर्वाधिक आवश्यक है।स्वामी विवेकानंद ने भी हिन्दुओं को निर्भीक व बलवान बनने के लिए प्रेरित किया था । हिन्दू समाज की दुर्बलता, कायरता व भीरुता को गोरखनाथ पीठ के  ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ व महंत अवैद्यनाथ जी भी समझते थे और इस आत्मघाती अवगुण से समाज को बाहर लाने का निरंतर प्रयास करते रहे । उसी  धरोहर और परंपराओं को अनेक अवरोधों के उपरान्त भी निभाने वाला एक संत आज अपने समाज का अग्रणी सारथी बन गया है। अपने अथक परिश्रम...
अपने-अपने ब्रह्मास्त्र

अपने-अपने ब्रह्मास्त्र

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जब जब विरोधियों को लगता है कि मोदी का ग्राफ गिर रहा है और वह कमजोर हो रहे हैं तभी अचानक मोदी खेमा ऐसे वापसी करता है कि विपक्षी खेमा चारों खाने चित्त हो जाता है। चूंकि राजनीति में विमर्श का बड़ा महत्व होता है। जनता के बीच चलने वाला विमर्श ही राजनीतिक दलों का वोट बैंक निर्धारित करता है। इसलिए तीन प्रमुख राज्यों में हार के बाद राष्ट्रीय विमर्श कांग्रेस की सत्ता में वापसी एवं मोदी का गिरता ग्राफ बन गया था। मोदी विरोध एवं मोदी समर्थन वाले मीडिया समूह अपनी अपनी ढपली पर अपने अपने राग अलाप रहे थे। राम मंदिर चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा था। संतों के द्वारा एक समानान्तर आंदोलन चलाया जा रहा था। सवर्णों को आधार बनाकर 2019 के लोकसभा चुनावों हेतु समीकरण दिये जा रहे थे। इसी बीच मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का संवैधानिक संशोधन करके एक बड़ा दांव चल दिया। देश में विमर्श की दिशा ही बदल गयी। मोदी से नारा...
कौन सच्चा राष्ट्रवादी?

कौन सच्चा राष्ट्रवादी?

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हमारे दादा जी स्वर्गीय नेहरु जी को देशभक्त समझते थे लेकिन मुझे लगता है कि नेहरूजी सत्ता भक्त थे। मेरे पिताजी स्वर्गीय इंदिरा जी को को देशभक्त मानते थे लेकिन अब मुझे लगता है कि वह भी गलत थे। 2014 तक मैं केजरीवाल जी को देशभक्त समझता था, लेकिन अब लगता है कि मैं भी गलत था। कुछ दिन पहले तक जो लोग राम-रहीम और निर्मल बाबा को संत मानते थे अब वे भी अपनी गलती स्वीकार करते हैं। नेहरु जी के सेकुलरिज्म को समझने में हमें 50 साल लगे और मुलायम सिंह के समाजवाद को पहचानने में 25 साल लेकिन युवा पीढ़ी ने केजरीवाल की ईमानदारी और राहुल जी की जनेऊगीरी को बहुत जल्दी पहचान लिया। इससे स्पष्ट है कि आज का युवा बहुत समझदार है और उसे बेवकूफ बनाना बहुत मुश्किल है। आने वाली पीढिय़ां यह जरूर तय करेंगी कि कौन सच्चा राष्ट्रवादी है और कौन झूठा, कौन असली समाजवादी है और कौन नकली, कौन ईमानदार है और कौन नटवरलाल, कौन वास्तव...
समरकंद संवाद है आतंक के खिलाफ आवाज

समरकंद संवाद है आतंक के खिलाफ आवाज

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  उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में भारत, अफगानिस्तान और पांच मध्य एशियाई देशों ने एकजुट होकर आतंकवाद से निपटने का संकल्प लिया है। इन देशों में एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में आतंकवाद जितना ल बा चल रहा है, वह क्रोनिक होकर विश्व समुदाय की जीवनशैली का अंग बन गया है। इसमें ज्यादातर वे युवक हैं जो जीवन में अच्छा-बुरा देखने लायक बन पाते, उससे पहले उनके हाथों में एके-47 एवं ऐसे ही घातक हथियार थमा दिये जाते हैं। फिर जो भी वे करते हैं, वह कोई धर्म नहीं कहता। आखिर कोई भी धर्म उनके साथ नहीं हो सकता जो उसकी पवित्रता को खून के छींटों से भर दे। आखिर आतंकवाद का अंत कहां होगा? तेजी से बढ़ता आतंकवादी हिंसक दौर किसी एक देश का दर्द नहीं रहा। इसने दुनिया के हर इंसान को ज मी बनाया है। अब इसे रोकने के लिये प्रतीक्षा नहीं, प्रक्रिया आवश्यक है। यदि इस आतंकवाद को और अधिक समय मिला तो हम हिंसक वारदातें सुनन...
भारत विरोधी पर टिकी पाक की विदेश नीति

भारत विरोधी पर टिकी पाक की विदेश नीति

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वैसे तो चेहरे-मोहरे से पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तो सुसंस्कृत जैसे ही लगते हैं। वे एक विदेश मंत्री हैं,इसलिए उनसे अपेक्षा भी की जाती है कि वे तोल-मोल करके के बोलेंगे भी। पर वे हैं कि सड़क छाप अंदाज में आचरण करने से बाज ही नहीं आते। वे लगातार भारत विरोधी बयानबाजी करते रहते हैं। लगता तो यह है कि उन्होंने अपने देश के विदेश मंत्रालय को भारत के खिलाफ जहर उगलने का केन्द्र बना दिया है। पाकिस्तान में नवाज शरीफ के प्रधानमंत्रित्व काल में जो काम वहां के सेना प्रमुख राहील शरीफ करते थे, उसे ही अब इमरान खान की सरकार में कुरैशी करते हैं। इमरान खान सरकार के सत्तासीन होने के बाद उनका भारत विरोधी ही एक सूत्री एजेंडा चल रहा है। उन्हें तो भारत के आतंरिक मामलों पर टिप्पणी करने से लेकर कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से बात करना ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय का काम लगता है। विगत दिनों कुरैशी के ...