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हे राम! जनेऊ पहनकर मंदिर-मंदिर जाकर झूठ बोलते हैं राहुल गांधी!

हे राम! जनेऊ पहनकर मंदिर-मंदिर जाकर झूठ बोलते हैं राहुल गांधी!

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मोबाइल से नकल करके शोक संदेश लिखने वाले मेरे प्रिय नेता श्री राहुल गांधी जी की एक और नकल साबित हो गई है। जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने बिना किसी सबूत के ही दर्जनों नेेताओं को बेईमान कह-कहकर दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ली थी, उसी तरह से उन्होंने भी सोचा कि बिना कोई सबूत पेश किए सिफऱ् गले के ज़ोर से ही वे देश के प्रधानमंत्री को चोर कह-कहकर अगले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। मेरे पिताजी ने जेपी आंदोलन के दौरान अपने संघर्ष के दिनों की एक रोचक कहानी मुझे सुनाई थी। एक बार किसी बस में एक पॉकेटमार ने उनका पॉकेट मार लिया, लेकिन पिताजी ने ऐसा करते हुए उसे देख लिया और देखते ही कसकर उसका हाथ धर लिया। फिर क्या था, पॉकेटमार चिल्लाने लगा- 'पॉकेटमार... पॉकेटमार... पॉकेटमार...।’ उसके इस पैंतरे से पिताजी एक पल के लिए सकपका गए, लेकिन वस्तुस्थिति भिन्न थी। पिताजी के आई-कार्ड समेत उनके पॉकेट का सारा...
राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

राफ़ेल विमान सौदा चोर, बदनियत और राष्ट्रविरोधी कौन?

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  आज भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे को लेकर तमाम प्रश्न उठाती याचिकाओं के निर्णय का दिन था। आज राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है’ के नारे की परिणीति का दिन था। आज छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के उन मतदाताओं का दिन था, जिन्होंने नोटा या भाजपा के विरोधियों को इसलिये अपना मत दिया था क्योंकि उनको अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर अविश्वास था। इसी के साथ आज राहुल गांधी की कांग्रेस और उनके साथियों की उस उम्मीद का भी दिन था, जिसमें आज, सर्वोच्च न्यायालय राफ़ेल विमान सौदे पर शंका प्रकट कर, एसआईटी गठित करती और 2019 के चुनाव में राफ़ेल विमान पर सवार राहुल गांधी जीत कर भारत के प्रधानमंत्री बन जाते। लेकिन इसी के साथ आज सर्वोच्च न्यायालय की विश्वनीयता और तटस्था की परीक्षा का भी दिन था, जो वह भारत की जनता के सामने खोती जा रही है। आज इन सब पर पटाक्षेप हो गया है। राफ़ेल ...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उल्टा चोर कोतवाल को डांटे

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  'कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी’, यह एक बहुत ही प्रचलित लोकोक्ति है। बताया जाता है कि कुत्ते की दुम को बारह साल तक पाइप में रखने पर भी सीधी नहीं होती है। पाइप से निकालते ही वो टेढ़ी हो जाती है। इस लोकोक्ति का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो लाख कोशिशों के बावजूद सुधरने का नाम नहीं लेता। ऐसे व्यक्ति को 'कुत्ते की दुम’ कहा जाता है। राफेल विवाद के मामले में राहुल गांधी और मोदी से घृणा करने वाले लॉबी की हालत कुत्ते की दुम की तरह हो गई है। ये हर बार बिना सबूत, बिना तथ्य, बिना किसी वजह के मोदी पर आरोप तो लगाते हैं लेकिन कुछ साबित नहीं कर पाते हैं। कोर्ट से लताड़ पड़ती है तो फिर कोई दूसरा मुद्दा उठा लेते हैं। राहुल गांधी को तो केजरीवाल की बीमारी लग गई है, बिना सबूत के आरोप लगाना फिर माफी मांगना। केजरीवाल तो एक शहर का नेता है लेकिन कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष जब सड...
राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

राज्यसभा की याचिका समिति करे कार्यवाही

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  राज्यसभा का सदस्य भारतीय राजनीति का सबसे वरिष्ठ और परिपक्व व्यक्तित्व होना चाहिए। क्योंकि भारत के लोकतंत्र में इससे बड़ी कोई विधायिका नहीं है। अगर राज्यसभा का कोई सदस्य झूठ बोले, भारत के नागरिकों को धमकाए और राज्यसभा द्वारा प्रदत्त सरकारी स्टेशनरी का दुरूपयोग इन सब अवैध कामों के लिए करें, तो क्या उस पर कोई कानून लागू नहीं होता है? कानून के तहत ऐसा करने वाले पर बाकायदा आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे 2 वर्ष तक की सजा भी हो सकती है। पर इससे पहले की कोई कानूनी कार्यवाही की जाए, राज्यसभा की अपनी ही एक 'याचिका समिति’ होती है। जिसके 7 सदस्य हैं। इस समिति से शिकायत करके दोषी सदस्य के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। पिछले दिनों 'कालचक्र समाचार ब्यूरो’ के प्रबंधकीय संपादक रजनीश कपूर ने इस समिति के सातों सदस्यों को और राज्यसभा के सभापति व भारत के माननीय उपराष्ट्रपति...
मोदी : हिंदुत्व बनाम विकास

मोदी : हिंदुत्व बनाम विकास

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जितने लोग सुबह-शाम भाजपा पर हिंदुत्व से हटकर विकास की ओर भटक जाने का इल्ज़ाम लगाते रहते हैं, उनमें से कितनों ने वाकई पिछले कुछ चुनावों के भाजपा के घोषणा पत्र पढ़े हैं? अगर पढ़े हैं, तो बताएं कि उसमें राम मंदिर या हिंदुत्व पर कितने प्रतिशत फोकस था और विकास पर कितने प्रतिशत था? भाजपा का एजेंडा क्या है, उससे ज्यादा बड़ी समस्या आजकल ये है कि सोशल मीडिया के ज्ञानियों का निजी एजेंडा क्या है। कुछ लोग बिना पढ़े कुछ भी ऊलजलूल लिखकर बाकियों को बहका रहे हैं और कुछ लोग अपने निजी कारणों से जानबूझकर दूसरों को भटका रहे हैं। कुछ और लोग भी हैं, जो केवल भावनाओं में बहते रहते हैं और तर्क से उन्हें एलर्जी है। ऐसे सब तरह के लोगों का जमघट मिलकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने में पूरी तन्मयता से लगा हुआ है। और कन्फ्यूजन तो अधिकांश राष्ट्रवादियों की शाश्वत समस्या है। जो पहले नोटा-नोटा चिल्लाते थे, भाजपा को स...
खेल कांग्रेसी सत्ता के

खेल कांग्रेसी सत्ता के

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जब भी मैं कहता हूं कि सरकार के कदम सही दिशा में नहीं हैं तो राष्ट्रवादियों के कान खड़े हो जाते हैं । फोन पर फोन ... मेसेज पे मेसेज आने लगते हैं । समझाया जाता है कि पांच साल में हिन्दू अपने लिए खड़ा होने लगा है । ये हमारी सफलता है । ये सुनकर मन करता है कि माथा पीट लूं । कैसे समझाऊँ कि पांच साल में सिर्फ लोगों को अपने लिए खड़ा करना हमारा उद्देश्य नहीं था । हमारा उद्देश्य होना चाहिए था कि प्रशासन में, संगठन में, शिक्षा में, कला में, साहित्य में, खेल में, मीडिया में हर जगह अपने प्रतिनिधि स्थापित हों । कहीं से भी अगर कुछ भी गलत हो तो अकेले एक आदमी विरोध में न हो । बल्कि हर क्षेत्र हर विधा के लोग समवेत स्वर में अपनी आवाज़ उठायें । होता क्या है कि अखलाख को रोने वाले हजारों में हैं लेकिन प्रशान्त पुजारी गुमनामी में मारे जाते हैं । बंगाल के मालदा में हुई आगजनी के ऊपर लिखने वालों की संख्या उ...
भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

भाजपाई कांग्रेस की जीत कांग्रेसी भाजपा की हार

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पाँच राज्यों के चुनावों के परिणामों से एक बात तो साफ हो गयी है कि जब जब सियासी दल जनता को अपने हाथों की कठपुतली समझते हैं तब तब जनता की तरफ से उसका माकूल जवाब दे दिया जाता है। मत प्रतिशत में सिर्फ दो चार प्रतिशत का अंतर ही सत्ता और विपक्ष में कितना अंतर पैदा कर सकता है यह अब भाजपा को समझ आ गया है। देखते ही देखते तीन महत्वपूर्ण भाजपा शासित राज्य उसके हाथ से खिसक गए। लगभग मृतप्राय कांग्रेस फिर से संजीवित हो गयी। किसानों की नाराजगी और एससीएसटी एक्ट से सवर्णों में उपजा गुस्सा कुछ ऐसा फूटा कि सारी नीतियाँ धरी की धरी रह गयीं। राजस्थान और मध्य प्रदेश रेत की मानिंद हाथ से फिसल गये। छत्तीसगढ़ में करारी हार हुयी। स्वयं को अजेय मानने का भ्रम पालने वाली भगवा ब्रिगेड का दंभ टूट गया। अमित शाह के प्रबंधन की हवा निकल गयी। और जनता की नाराजगी के कारण पप्पू गिरते पड़ते ही सही आखिरकार पास हो ही गया। इन तीन प्रद...
सांसदों का अशालीन आचरण कब तक?

सांसदों का अशालीन आचरण कब तक?

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संसद राष्ट्र की सर्वोच्च संस्था है। देश का भविष्य संसद के चेहरे पर लिखा होता है। यदि वहां भी शालीनता एवं सभ्यता का भंग होता है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के गौरव का आहत होना निश्चित है। सात दशक के बाद भी भारत की संसद सभ्य एवं शालीन नहीं हो पाई है जो ये स्थितियां दुर्भाग्यपूर्ण एवं विडम्बनापूर्ण ही कही जायेगी। एक बार फिर ऐसी ही त्रासद स्थितियों के लिये लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पिछले दो दिन में कुल 45 सांसदों को सत्र की बची हुई बैठकों से निलंबित करने का कठोर फैसला लेना पड़ा है। इस तरह का कठोर निर्णय हमारे सांसदों के आचरण पर एक ऐसी टिप्पणी है, जिस पर गंभीर चिन्तन-मंथन की अपेक्षा है। निश्चित ही छोटी-छोटी बातों पर अभद्र एवं अशालीन शब्दों का व्यवहार, हो-हल्ला, छींटाकशी, हंगामा और बहिर्गमन आदि घटनाओं का संसद के पटल पर होना दुखद, त्रासद एवं विडम्बनापूर्ण है। इससे संसद की गरिमा ...
महागठबंधन की उम्मीदें और भाजपा की चुनौतियां

महागठबंधन की उम्मीदें और भाजपा की चुनौतियां

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उदार हिंदुत्व की पिच पर अल्पसंख्यक सहयोग से राफेल की उड़ान में पंचर के साथ कांग्रेस को मिली हालिया विधानसभा चुनावों में जीत ने उसकी उम्मीदें बढ़ा दी हैं। चुनाव नतीजों के बाद राहुल गांधी कितने उत्साह में हैं, उसे जाहिर करने के लिए उनके बयान को ही उद्धृत करना काफी होगा। उन्होंने कहा कि अभी विधानसभाओं में हराया है और 2019 में मोदी को लोकसभा में भी इसी तरह हराएंगे। इसके ठीक उलट भारतीय जनता पार्टी की चुनौतियां बढ़ गई हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की हार विपक्षी महागठबंधन की अवधारणा को जमीन पर उतारने की दिशा में मददगार बन गई है। हालांकि उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने महागठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया, 'बीजेपी के लिए महागठबंधन कोई बड़ी चुनौती नहीं है। 2019 में भी हमारी वापसी होग...
आकर्षण का केंद्र बनी सौर ऊर्जा से चलने वाली ड्राइवर रहित स्मार्ट बस

आकर्षण का केंद्र बनी सौर ऊर्जा से चलने वाली ड्राइवर रहित स्मार्ट बस

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वायु प्रदूषण और ऊर्जा की खपत परिवहन तंत्र से जुड़ी दो प्रमुख समस्याएं हैं। हालांकि, सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों पर आधारित वाहनों का उपयोग इन समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के छात्रों ने इस जरूरत को समझकर सौर ऊर्जा से चलने वाली ड्राइवर रहित एक स्मार्ट बस डिजाइन की है। जालंधर में चल रही 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आए लोगों के लिए यह सोलर स्मार्ट बस आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। एलपीयू में इस परियोजना के प्रमुख मनदीप सिंह ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि ‘मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभागों के करीब 300 छात्रों ने कई प्रोफेसरों और विशेषज्ञों की देखरेख में इस बस का निर्माण किया है। पूरी तरह चार्ज होने के बाद यह बस 60 से 70 किलोमीटर तक चल सकती है और ब्लूटूथ एवं जीपीएस के जरिये इसकी निगरानी की जा सकती है। बस की अ...