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एक दशक में मिल सकती है काला अजार के उपचार की नयी थेरेपी

एक दशक में मिल सकती है काला अजार के उपचार की नयी थेरेपी

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अगले करीब एक दशक में काला अजार के प्रभावी उपचार के लिए एक नयी थेरेपी विकसित की जा सकती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने काला अजार के इलाज लिए मौखिक दवा विकिसत करने से संबंधित घटकों के एक समृद्ध पोर्टफोलियो के आधार पर यह बात कही है। दक्षिण एशिया समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर के 30 से अधिक शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए ‘नेग्लेक्टेड डिजीजेस ऐंड इनोवेशन इन साउथ एशिया’ नामक एक नये संग्रह में यह बात सामने आयी है। इस संग्रह में लिंफैटिक फाइलेरिया, काला अजार और सर्पदंश जैसी उपेक्षित स्वास्थ्य समस्याओं के नियंत्रण तथा उन्मूलन से जुड़ी प्रगति का मूल्यांकन किया गया है। इसके अलावा, रोगाणुरोधी प्रतिरोध की बढ़ती चुनौती को भी इसमें रेखांकित किया गया है। शोधकर्ताओं में शामिल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रोफेसर श्याम सुंदर के मुताबिक, “काला अजार से उबरने के बाद करीब 10 प...
Big Data may help get new clues to Alzheimer’s

Big Data may help get new clues to Alzheimer’s

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Despite rapid developments in medicine, early detection of neurodegenerative disorders remains a challenge. Now a group of Indian researchers has sought to apply Big Data analytics to hunt for early signatures of the Alzheimer’s. Researchers at the National Brain Research Centre (NBRC), Manesar, have developed a Big Data Analytics framework that will use non-invasive imaging and other test data to look for early diagnostic biomarkers of the Alzheimer’s disease. The data framework, based on open source data software platform called Hadoop, integrates data from brain scans in the form of non-invasive tests - magnetic resonance imaging (MRI), magnetic resonance spectroscopy (MRS) as well as neuropsychological test results. The framework deploys data mining, machine learning and statisti...
भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

भा.ज.पा. की जीत से गूंजेगी “भारत माता की जय”…

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अभी भी समय है भारत माता की जय बोलने वालों कुछ ठोस करो अन्यथा घोटालेबाज, चालबाज व विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं का गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य को अंधकारमय कर देगा। राष्ट्रवादियों काजल की कोठरी से बाहर निकलो अन्यथा कालिख में ही रंगे रह जाओगे...और...नारे गूंजते रहेंगे...                                                       याद करो__9 फरवरी 2016 __जे.एन.यू. के राष्ट्रद्रोही नारे_ ●भारत तेरे टुकड़े होंगें_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ तेरे सौ-सौ टुकड़े होंगे_इंशा अल्लाह~इंशा अल्लाह_ ●लडकर लेंगे_आजादी_बंदूक के दम पर_आज़ादी_ अफजल बोला आज़ादी_मक़बूल बोला आज़ादी_ भारत की बर्बादी तक_जंग करेंगे-जंग करेंगे_ ●अफजल गुरु हम शर्मिंदा है_तेरे कातिल जिंदा है__ कितने अफजल मारोगे_घर-घर से अफजल निकलेगा_ कितने मक़बूल मारोगे_घर-घर से मक़बूल निकलेगा_ वर्तमान विषम परिस्थितियों में केवल एक ही मार्ग है कि भ...
परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

परिवारवाद की राजनीती में हुआ नये चेहरे का पदार्पण

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भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक कांग्रेस ने बुधवार दोपहर जब प्रियंका गाँधी वाड्रा को महासचिव बनाने के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया तो कांग्रेस समर्थको में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी, इसी के साथ इस कथन पर भी मुहर लग गयी कि “भारत की राजनीती में परिवारवाद” हमेशा की तरह हावी रहेगा, फिर चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल में ही क्यों न हो. वंशवाद अथवा परिवारवाद सत्ता के शासन की वह प्रणाली है जिसमे एक ही परिवार, वंश से एक के बाद एक कई शासक बनते जाते है. भाईभतीजावाद का जनक इसका ही एक रूप है. ऐसा माना जाता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद के लिए कोई स्थान नही है, परन्तु यह फिर भी हावी है. भारत में हर चुनाव से पहले लगभग हर राजनीतिक दल का एक दूसरे पर भाषणों के द्वारा किये जाने वाले हमलों का प्रमुख मुद्दा परिवारवाद एवं वंशवाद ही होता है, फिर चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्ट...
देवकांत बरूआ जैसी चाटुकारिता करते शशि थरूर

देवकांत बरूआ जैसी चाटुकारिता करते शशि थरूर

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चाटुकारिता और चमचागिरी की भी हद होती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने तो शब्दकोश में लिखीं सारी हदें तक पार कर दी हैं।पुराने ज़माने में राजाओं के यहॉं "भॉट" रहा करते थे। वे होते तो थे वैसे आशुकवि क़िस्म के बुद्धिमान इन्सान , पर उनका काम होता था रोज़ सुबह राजा जब सिंहासन पर विराजमान हों, राजा की स्तुति गान मे नई- नई रचनाओं का पाठ या गान करना। उसे चारण पाठ भी कहते थे। शशि थरूर भी उच्च कोटि के विद्वान और समझदार पढ़े लिखे इन्सान हैं। पर वे कब से भॉटगिरी करने लगे,चारणपाठ करने की क्या मजबूरी आ गई उनके लिए, मैं समझ नहीं पा रहा। मैं शशि के पूरे परिवार को पॉंच दशक से ज़्यादा समय से जानता हूँ । सत्तर के दशक में जब शशि के पिता चन्द्रन थरूर दैनिक स्टेट्समैन में ऊंचे पद पर थे, तब से मैं उन्हें जानता था। जब बांग्लादेश युद्ध के जोखिम भरे असाइनमेंट के बाद मैं कोलकाता लौटा था, तब चन्द्रन ने मेरे लिए ...
आखिर क्यों हम तोड़ते हैं कतार

आखिर क्यों हम तोड़ते हैं कतार

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हाल ही में कुछ अखबारों ने एक फोटो छापी थी। उसमें संसार के सबसे धनी इंसान बिल गेट्स कतार में खड़े हैं। वह तस्वीर अपने-आप में बहुत कुछ कहती है,   कतार के महत्व को भलीभांति समझाती है। हमारे अपने यहां रोज बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, सिनेमा घर वगैरह–वगैरह में, हर जगह कतारों के तोड़ने की घटना को दर्शाती घटनाओं की साक्षी हिन्दुस्तानियों के लिए उपर्युक्त चित्र अकल्पनीय अहसास दे जाते हैं। यकीन ही नहीं होता कि माइक्रोसाफ्ट कंपनी का संस्थापक बिल गेट्स कायदे से कतार में खड़ा है। उनके पास कतार में खड़े होने का वक्त है। वे अपने पैसे के रसूख से कतार को तोड़ते की हिमाकत नहीं करता। क्या आप भारत में इस तरह की घटना की कल्पना कर सकते हैं कि भारत का कोई नामवर या असरदार इंसान भी कतार में खड़ा हो?  असंभव है। कतार को तोड़ने के मामले में सारा देश एक है। भारत का अमीर और शक्तिशाली तो लाइन में खड़ा होना अपनी शान के खिला...
वैज्ञानिकों ने बनाया कमल की पत्तियों से प्रेरित ईको-फेंडली मैटेरियल

वैज्ञानिकों ने बनाया कमल की पत्तियों से प्रेरित ईको-फेंडली मैटेरियल

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प्रकृति से प्रेरणा लेकर वैज्ञानिक कई तरह की उपयोगी चीजों का निर्माण करते रहते हैं। भारतीय और स्विस वैज्ञानिकों ने कमल की पत्तियों से प्रेरित होकर जैविक रूप से अपघटित होने में सक्षम एक ऐसा मैटेरियल विकसित किया है, जिसकी सतह पर पानी नहीं ठहर पाता है। कमल की पत्तियों की सतह पर प्राकृतिक रूप से निर्मित मोम जल विकर्षक के रूप में कार्य करता है, जिसके कारण पानी में रहने के बावजूद कमल की पत्तियां सड़ती नहीं हैं। नया जल विकर्षक (Water Repellent) मैटेरियल इसी तरह काम करता है। इस मैटेरियल में सेलूलोज की मदद से सूक्ष्म स्तंभों (Micropillars) की संरचना बनायी गई है। सेलूलोज की ढलाई के लिए ट्रायफ्लुरोएसिटिक एसिड में सेलूलोज पाउडर को पहले विघटित किया गया है और फिर पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुखाने की नियंत्रित प्रक्रिया से एसिड को हटा दिया गया। इसके बाद कमल के पत्तों में पाये जाने वा...
पृथ्वी और हमारी सेहत के लिए संतुलित भोजन का नया फॉर्मूला

पृथ्वी और हमारी सेहत के लिए संतुलित भोजन का नया फॉर्मूला

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अपनी सेहत के साथ अगर आप पृथ्वी को भी स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो डाइनिंग टेबल पर अभी से बदलाव शुरू कर दीजिए। पिछली करीब आधी सदी के दौरान खानपान की आदतों में विश्व स्तर पर बदलाव आया है और उच्च कैलोरी तथा पशु स्रोतों पर आधारित प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ा है। इस कारण मोटापा और गैर-संचारी बीमारियां बढ़ी हैं और पर्यावरण को नुकसान हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि खुद को स्वस्थ रखने के साथ अपने ग्रह को भी स्वस्थ रखना है, तो आहार के कुछ ऐसे मानक तय करने होंगे, जो अपनी सेहत के साथ-साथ पृथ्वी की सेहत के अनुकूल हों। मेडिकल शोध पत्रिका लैन्सेट में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में पृथ्वी के अनुकूल ऐसे आहार की सिफारिश की गई है, जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ टिकाऊ विकास के लिए भी अच्छा हो। शोधकर्ताओं के अनुसार, वैश्विक स्तर पर यदि आहार और खाद्य उत्पादन में बदलाव लाया जाए तो वर्ष 2050 और उसस...
गठबन्धन/ठगबन्धन की राजनीति

गठबन्धन/ठगबन्धन की राजनीति

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उत्तर प्रदेश में दो महाभ्रष्ट और महा जातिवादियों का गठबंधन देश की राजनीति में क्या बदलाव लाएगा यह तो चुनाव बाद ही पता चलेगा। लेकिन आज की साझा प्रेस कांफ्रेंस में एक बदलाव साफ़ दिखा कि अब अखिलेश मायावती के अनुयायी हो गए हैं । सपा , बसपा नहीं अब बसपा , सपा आज से कहा जाने लगा है । इतना ही नहीं , मायावती की तरह अब अखिलेश भी आज की प्रेस कांफ्रेंस में लिखित बयान पढ़ते दिखे । मायावती ने लगातार लीड लेने की कोशिश की । ली भी । कांग्रेस पर हमलावर होते हुए गेस्ट हाऊस कांड की भी याद दिलाई मायावती ने और कि खनन घोटाले में अखिलेश के फंसने , फंसाने की भी चर्चा की । शिवपाल सिंह यादव पर भी तंज किए । जब कि अखिलेश इन सारे मुद्दों पर चुप ही रहे । मायावती के प्रधान मंत्री बनने के सवाल पर अखिलेश ने सीधा जवाब देने के बजाय सुरक्षित जवाब दिया और कहा कि उत्तर प्रदेश से ही प्रधान मंत्री चुना जाएगा । कुल मिला कर इतना सा ...
Caught in the construction jam

Caught in the construction jam

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Repair of a dilapidated flyover throws traffic into a tizzy, another ‘accidental’ gas leak sparks a massive gridlock, the Namma Metro work reduces vehicular speeds to a crawl… Should a city with absolutely no regulatory control over its exploding vehicular numbers be left with no visible plan to manage these recurring nightmares? For proof of this glaring lacuna, one look at the peak-hour chaos triggered by the Sirsi Circle flyover repair, or the daily grind on all road stretches leading to ITPL, Whitefield, would suffice. Ongoing maintenance work has put commuters in an inglorious mess on the Hosur Road Elevated Expressway, with a daily vehicular load of about 60,000. This has obviously put a big question mark over inter-agency coordination, and the apparent lack of detailed, advance pl...