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भाजपा को नये रास्ते बनाने होंगे

भाजपा को नये रास्ते बनाने होंगे

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जबसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की कमजोर स्थिति सामने आयी है, एक शीर्ष वर्ग पार्टी के भीतर थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों के लिये नये धरातल को तैयार करने की वकालत करने लगा है। इन पांच राज्यों के चुनाव के परिणाम एवं लोकसभा चुनाव की दस्तक जहां भाजपा को समीक्षा के लिए तत्पर कर रही है, वही एक नया धरातल तैयार करने का सन्देश भी दे रही है। इस दौरान संघ के वरिष्ठ अधिकारी किशोर तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर मांग की है कि भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पार्टी की बागडोर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को सौंपी जानी चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता संघप्रिय गौतम ने भी मांग की है कि मौजूदा पार्टी नेतृत्व को तीन राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेकर पद छोड़ देना चाहिए। लेकिन यह तो भविष्य की रचनात्मक समृद्धि का सूचक नहीं है। वर्तमान ...
इस जीत-हार के सबब

इस जीत-हार के सबब

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अगर जीत ही पैमाना है तो इन पांच राज्यों के चुनावों में 3-2 से कांग्रेस जीती है और 'जो जीता वही सिकंदरÓ वाले अमित शाह के फॉर्मूले से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें बन भी गयीं। कायदे व सही मायने में तो कांग्रेस छत्तीसगढ़ ही जीती और तेलंगाना व मिजोरम बुरी तरह हारी। मगर भाजपा मध्यप्रदेश व राजस्थान जीतते-जीतते हारी और छत्तीसगढ़ बुरी तरह हारी। अंतत: जीत जीत ही होती है और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है। मध्य भारत मे कांग्रेस पार्टी की वापसी उसके लिए संजीवनी जैसी है मगर दक्षिण, उत्तर पूर्व व पूर्वी भारत से उसका सिकुडऩा या साफ होना लोकसभा चुनावों के लिहाज से बिल्कुल भी सही नहीं। भाजपा नेताओं के अभिमान के साथ ही विकास बनाम हिंदुत्व के भटकाव से गुस्साए समर्थकों ने राजस्थान व मध्यप्रदेश में ज़ोरदार झटका दिया जरूर है मगर यह लोकसभा चुनावों में भी भाजपा के खिलाफ जाए, यह जरूरी नहीं...
There’s still time for BJP if it acts fast

There’s still time for BJP if it acts fast

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Is the BJP losing the plot? Yes it is. The reasons are many. It started with the scale of the BJP victory in the 2014 election.. Such an enormous mandate by the people of India should have led to humility at the trust the electorate had reposed in them. This did not happen. Instead, there was arrogance writ large on the faces of the winning side right from the top leadership to the rank and file of the BJP. Statements were heard from many quarters starting with the party president that the BJP would rule for decades. The Congress party had been decimated. The cry soon went up of ‘Congress Mukt Bharat’ not realising that a party that was over a hundred years old and one that had ruled India for decades since Independence had roots far too deep to even think of wiping it out. The realisat...
देश के लिए लाभकारी है जाति व्यवस्था

देश के लिए लाभकारी है जाति व्यवस्था

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झंडेवालान स्थित दीनदयाल शोध संस्थानसंस्थान में शनिवार को सभ्यता अध्ययन केन्द्र द्वारा एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में जातीय सद्भाव के विषय पर चिन्तन करते हुए इसके भूत, वर्तमान और भविष्य यानी इतिहास, वर्तमान परिदृश्य और भविष्य पर विस्तृत चर्चा की गयी। इससे पहले केंद्र की त्रैमासिक शोध-पत्रिका ‘सभ्यता-संवाद’ के प्रवेशांक का लोकार्पण किया गया। संगोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए केन्द्र के निदेशक रवि शंकर ने कहा कि आज समाज में सर्वत्र केवल जातीय वैमनस्यता की ही बात की जाती है। इसके लिए चाहे हम समानता या फिर समरसता का बहाना लेते हों, परंतु अंततोगत्वा हम यही चर्चा करते हैं, कि समाज में काफी जातीय वैमनस्य रहा है और आज भी है, इसलिए हमें जातियों को समाप्त करना है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि वैमनस्यता का यह जहर अब छठी-सातवीं के छोटे-छोटे बच्चों में भी एनसी...
भाजपा के लिये यही समय है जागने का

भाजपा के लिये यही समय है जागने का

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वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के साढ़े चार साल बीत गए हैं। आम चुनाव को कुल 5 माह का समय बाकी है। भाजपा सरकार के लिये यही वह समय है जिसका आह्वान है अभी और इसी क्षण शेष रहे कामों को पूर्णता दी जाये, यही वह समय है जो थोड़ा ठहरकर अपने बीते दिनों के आकलन और आने वाले दिनों की तैयारी करने का अवसर दे रहा है। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम एवं लोकसभा चुनाव की दस्तक जहां केन्द्र एवं विभिन्न राज्यों में भाजपा को समीक्षा के लिए तत्पर कर रही है, वही एक नया धरातल तैयार करने का सन्देश भी दे रही है। इस नये धरातल की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि पिछले चार वर्षों में भाजपा सरकार ने यद्यपि बहुत कुछ उपलब्ध किया है, कितने ही नये रास्ते बने हैं। फिर भी किन्हीं दृष्टियों से हम भटके भी है। गाय और राममंदिर के मुद्दों पर हिंदू वोट का ध्रूवीकरण करने की कोशिश की है। तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के वोटों की दिशा ...
भारतीय वैज्ञानिकों की नयी खोज : शरीर में कैसे तेजी से फैलता है डेंगू वायरस

भारतीय वैज्ञानिकों की नयी खोज : शरीर में कैसे तेजी से फैलता है डेंगू वायरस

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डेंगू वायरस शरीर को संक्रमित करता है, तो सफेद रक्त कोशिकाएं इससे लड़ने के लिए सक्रिय हो जाती हैं। लेकिन, वायरस सफेद रक्त कोशिकाओं पर आक्रमण करके उन्हें भी संक्रमित कर देता है और वे वायरस को नष्ट नहीं कर पातीं। इस तरह वायरस मनुष्य के प्रतिरक्षा तंत्र को भ्रमित करके दूसरी कोशिकाओं को भी संक्रमित करने लगता है। सफेद रक्त कोशिकाएं लिम्फैटिक प्रणाली के जरिये प्रवाहित होती हैं, इसलिए वायरस पूरे शरीर में तेजी से फैलने लगता है। भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम के नेतृत्व में संयुक्त रूप से किए गए नये अध्ययन में एक खास प्रोटीन की पहचान की गई है, जो एंटी-वायरल साइटोकिन्स को अवरुद्ध करके मानव शरीर में डेंगू और जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस को बढ़ने में मदद करता है। डेंगू और जापानी एन्सेफलाइटिस के उपचार के लिए प्रभावी एजेंट विकसित करने में यह खोज उपयोगी हो सकती है। आमतौर पर पूर्ण एंडोथीलियम परत वाली रक्...
पक्ष एवं विपक्ष के गठबंधनों में दरारें

पक्ष एवं विपक्ष के गठबंधनों में दरारें

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आगामी लोकसभा चुनाव की हलचल उग्र होती जा रही है। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, राजनीतिक जोड़तोड़ के नये समीकरण बनने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी बनाम सशक्त विपक्षी महागठबंधन का परिदृश्य एक नयी शक्ल ले रहा है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, सुश्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए गठबन्धन करके साफ कर दिया है कि उनकी मंशा विपक्षी महागठबंधन का साथ देने की नहीं है। ऐसा लग रहा है कि इन तीनों दलों का ध्येय देश की राजनीति को नयी दिशा देने के बजाय निजी लाभ उठाने की है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में उथल-पुथल ज्यादा है। उसके घटक दलों के भी सूर बदलने लगे हैं। मंगलवार को उसकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान ने एक तरह से सीट बंटवारे पर चेतावनी ही दे दी है। भाजपा और कांग्रेस किस हद तक अ...
Is the politician Rahul an unstable person ?

Is the politician Rahul an unstable person ?

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The politician Rahul, who was described as buffoon by the Telangana Chief Minister , happened to become the President of the family oriented Congress party by virtue of belonging to the Nehru family ,by way of hereditary succession management.Obviously, he has been tutored by his paid or motivated friends in India and abroad to describe Prime Minister Modi in all sorts of abusive and indecent language, so that the public image of Modi would suffer heavily before the forthcoming parliamentary election. He has repeatedly called Modi as chor and such language has never been used against any other Prime Minister in the country by any opposition leader. It is Goebbel’s tactics. In parliament, he spoke highly critically about Modi and then went and hugged him , came back to his seat and winked a...
क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

क़र्ज़ माफ़ी सत्ता की चाबी

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तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों के नतीजों के परिणामस्वरूप कांग्रेस की सरकार क्या बनी, न सिर्फ एक मृतप्राय अवस्था में पहुंच चुकी पार्टी को संजीवनी मिल गई, बल्कि भविष्य की जीत का मंत्र भी मिल गया। जी हाँ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इरादे स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों की कर्जमाफी के रूप में उन्हें जो सत्ता की चाबी हाथ लगी है उसे वो किसी भी कीमत पर अब छोड़ने को तैयार नहीं हैं। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियो ने शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर ही चुनावों के दौरान कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों के कर्जमाफ करने के राहुल गांधी के वादे को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। एक प्रकार से कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2019 के चुनावी रण में उसका हथियार बदलने वाला नहीं है। लेकिन साथ ही कांग्रेस को अन्दर ही अंदर यह भी एहसास है कि इसका क्रियान्वयन आसान नहीं है। क्योंकि वो इतनी नासमझ भी नहीं है कि ...
ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

ये बाहरी-बिहारी क्या है, कमलनाथ जी

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कमलनाथ भी उन गैर जिम्मेदार कांग्रेसी नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं,जिन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश के श्रमवीरों (मजदूरों) से नफरत है। इन्हें ये मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ‘बाहरी’ कहते हैं। मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस  की जैसे-तैसे हुई विजय के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन होते ही कमलनाथ ने अपनी संकुचित मानसिकता प्रदर्शित करनी चालू कर दी। उन्हें संविधान का ज्ञान नहीं हैं जो भारत के समस्त नागरिकों को देश के किसी भी भाग में रहने और कम करने की स्वंत्रता देता है। उन्होंने सूबे में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों का जिम्मेदार बता दिया। कुछ इसी तरह की हल्की राय शीला दीक्षित ने दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए जाहिर की थी। ये दोनों भूल गए थे कि देश के संविधान की धारा19 ने हरेक नागरिक को कहीं भी जाकर नौकरी करने और बसने का अधिकार दिय...