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चुनावी राजनीति  कौन आगे?

चुनावी राजनीति कौन आगे?

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  इस साल के अंत में तीन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू हो गई है। इसके साथ ही देश के बौद्धिक और मीडिया वर्ग के एक हिस्से में शिगूफेबाजी भी शुरू हो गई है। शिगूफा यह कि तीन राज्यों के साथ ही लोकसभा का चुनाव भी केंद्र सरकार कराने की तैयारी में है। कांग्रेस के एक सचिव नाम न छापने की शर्त पर इन पंक्तियों के लेखक से बाजी तक लगाने को तैयार थे कि दिसंबर में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ ही लोकसभा का भी चुनाव होने जा रहा है। इतना ही नहीं, उनका दावा है कि जिन राज्यों में साल 2019 में विधानसभा चुनाव होने हैं, मसलन महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरूणाचल प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और हरियाणा की विधानसभा के भी चुनाव पहले साथ ही कराए जा सकेंगे। इसके लिए उन्होंने उदाहरण भी दिया कि कांग्रेस पार्टी में जारी फेरबदल का मकसद भी पार्टी को चुनाव के मद्देनजर तैय...
डायलॉग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव : 2018 पुणे का निष्कर्ष

डायलॉग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव : 2018 पुणे का निष्कर्ष

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युवाओं में स्वरोजगार का भाव और मूल्य आधारित शिक्षा से ही होगा 'न्यू इंडिया’ का निर्माण डायलॉग इंडिया अकेडमिया अवॉर्ड -2018 में सम्मानित हुए दो दर्जन से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान देश मे जमीनी बदलाव में लगे लब्ध प्रतिष्ठित विद्वतजनों का संबोधन देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थानों के संचालकों की भागीदारी, उच्च स्तरीय संवाद, मंथन और क्रांतिकारी सुझाव व निष्कर्ष, यह लब्बोलुआब है डायलॉग इंडिया अकेडमिया कॉन्क्लेव एवं अवार्ड फंक्शन- 2018 के पुणे में आयोजित दूसरे सत्र का। डायलॉग इंडिया प्रकाशन समूह द्वारा अपने सहयोगी एफएमए डिजिटल के साथ मिलकर पुणे के होटल नोवेटल में प्रधानमंत्री मोदी के विजन 'यूथ फ़ॉर न्यू इंडिया’ के व्यावहारिक क्रियान्वयन के मार्ग खोजने व देश के शिक्षा संस्थानों को इससे जोडऩे के लिए मई में आईआईटी दिल्ली में (जिसमें उत्तर, पूर्व व उत्तरपूर्व के निजी क्षेत्र के श्रेष्ठ उच्च श...
कितने पोषण की जरूरत, बताएगा यह नया ऐप

कितने पोषण की जरूरत, बताएगा यह नया ऐप

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 हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ नामक एक नया ऐप लॉन्च किया है, जो पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार हो सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने शुक्रवार को यह ऐप नई दिल्ली में लॉन्च किया है। न्यूट्रिफाई इंडिया ऐप एक गाइड के रूप में कार्य करता है, जो उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों का आकलन करने में मददगार हो सकता है। यह ऐप यूजर्स को ऊर्जा संतुलन (खपत बनाम व्यय) का लेखा-जोखा रखने में भी मदद करता है। यह ऐप भारतीय खाद्य पदार्थों एवं उनमें मौजूद कैलोरी, प्रोटीन, विटामिन, खनिजों और सामान्य भारतीय व्यंजनों की रेसिपी समेत पोषण संबंधी व्यापक जानकारी प्रदान करता है। इसे भारतीय उपयोगकर्ताओं को ध्यान में रखकर व्यापक पोषण मार्गदर्शिका प्रदान करने ...
पाकिस्तान अब कठघरे में

पाकिस्तान अब कठघरे में

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पाकिस्तान अब एक नई मुसीबत में फंस गया है। फरवरी में सउदी अरब, तुर्की और चीन ने पाकिस्तान को बचा लिया था लेकिन अब इन तीनों राष्ट्रों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन (एफएटीएफ), जिसका काम आतंकवादियों के पैसे के स्त्रोतों को सुखा देना है, ने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यदि पाकिस्तान अगले सवा साल में अपने सभी आतंकवादी संगठनों की आमदनी पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया तो उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। उसकी हालत उत्तर कोरिया और ईरान से भी बदतर हो जाएगी। अब पाकिस्तान की गिनती इथियोपिया, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, ट्रिनिडाड, ट्यूनीशिया और यमन जैसे संकटग्रस्त देशों में होने लगेगी। वह नाम के लिए भी पाकिस्तान याने पवित्र स्थान नहीं रह पाएगा। उसे उद्दंड राष्ट्र (रोग़ स्टेट) की अपमानजनक उपाधि मिल जाएगी। पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करने की पहल अ...
Urban ‘forests’ can store almost as much carbon as tropical rainforests

Urban ‘forests’ can store almost as much carbon as tropical rainforests

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Most people would never think of London as a forest. Yet there are actually more trees in London than people. And now, new work by researchers at University College London shows that pockets of this urban jungle store as much carbon per hectare as tropical rainforests. More than half of the world’s population lives in cities, and urban trees are critical to human health and well-being. Trees provide shade, mitigate floods, absorb carbon dioxide (CO₂), filter air pollution and provide habitats for birds, mammals and other plants. The ecosystem services provided by London’s trees – that is, the benefits residents gain from the environment’s natural processes – were recently valued at £130m a year. This may equate to less than £20 a year per tree, but the real value may be much higher, ...
मगहर में प्रधानमंत्री मोदी का मजाक क्यों?

मगहर में प्रधानमंत्री मोदी का मजाक क्यों?

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 पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, संत कबीर दास जी की समाधि दर्शन के लिए उ.प्र. के मगहर नामक स्थान पर गऐ थे। जहां उनके भाषण के कुछ अंशों के लेकर सोशल मीडिया में धर्मनिरपेक्ष लोग उनका मजाक उड़ा रहे हैं। इनका कहना है कि मोदी जी को इतिहास का ज्ञान नहीं है। इसीलिए उन्होंने अपने भाषण में कहा कि गुरुनानक देव  जी, बाबा गोरखनाथ जी और संत कबीरदास जी यहां साथ बैठकर धर्म पर चर्चा किया करते थे। मोदी आलोचक सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि ‘बाबा गोरखनाथ का जन्म10 वी शताब्दी में हुआ था। संत कबीर दास का जन्म 1398 में हुआ था और गुरुनानक जी का जन्म1469 में हुआ था। उनका प्रश्न है? फिर कैसे ये सब साथ बैठकर धर्म चर्चा करते थे? मजाक के तौर पर ये लोग लिख रहे हैं कि ‘माना कि अंधेरा घना है, पर बेवकूफ बनाना कहाँ मना है’। ‘बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद’? अध्यात्म जगत की बातें अध्यात्म में रूचि रखने वाले और संतो...
क्या कांग्रेस मुस्लिम लीग में बदल रही है?

क्या कांग्रेस मुस्लिम लीग में बदल रही है?

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गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से अधिक सेना ने आम लोगों को मारा। सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर को भारत से अलग मनवाने की कोशिश की। सलमान खुर्शीद ने 'कांग्रेस के हाथों में मुस्लिम खून' लगे होने का आरोप लगाया। ये सब कांग्रेस के बड़े नेता और सरकार में बड़े पदधारी रहे हैं। इसलिए ये बातें यूँ ही टाली नहीं जा सकती। सैफुद्दीन सोज पर कुछ कांग्रेसियों ने हीला-हवाला किया। पर आजाद और खुर्शीद पर चुप रहे। यानी सहमति दी या आपत्तिजनक नहीं माना। क्या कांग्रेस 1947 से पहले वाली मुस्लिम लीग में नहीं बदलती जा रही है? उत्तर प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस ने इमरान मसूद को उम्मीदवार बनाया, जिस ने सरे-आम नरेंद्र मोदी को टुकड़े-टुकड़े करने की बात की थी। यानी, हर प्रकार के मुस्लिमों का कांग्रेस में स्वागत है चाहे जो कीमत देनी पड़े। पर यह कीमत यहाँ हिन्दू समाज को खत्म कर इस्लामी बनाने, या फिर दे...
नेविगेशन प्रणाली नाविक के लिए बाधा बन सकते हैं वाई-फाई सिग्नल

नेविगेशन प्रणाली नाविक के लिए बाधा बन सकते हैं वाई-फाई सिग्नल

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  मोबाइल फोन में उपयोग होने वाले जीपीएस की तर्ज पर भारत में इसरो द्वारा विकसित की गई नेविगेशन प्रणाली (नाविक) से भविष्य में नेविगेशन और पोजिशनिंग सेवाएं उपलब्ध हो सकती हैं। लेकिन, एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि नाविक उपग्रह से प्राप्त होने वाले सिग्नल रिसीवर्स में वाई-फाई के सिग्नल से बाधित हो सकते हैं। नाविक प्रणाली के अंतर्गत इसरो ने सात उपग्रह लॉन्च किए हैं और उम्मीद है कि इससे भविष्य में स्मार्टफोन और कार नेविगेशन सिस्टम उपलब्ध हो सकते हैं। वर्तमान में प्रचलित जीपीएस प्रणाली अमेरिकी उपग्रहों पर निर्भर है। इस अध्ययन के दौरान जब वाई-फाई के फ्रीक्वेंसी चैनल को नाविक रिसीवर के एस-बैंड सिग्नल के साथ रिसीव किया गया तो नाविक रिसीवर के सिग्नल में अवरोध दर्ज किया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, उपयोगकर्ता के रिसीवर में कमजोर सिग्नल के कारण ऐसा होता है। नाविक उपग्रह फ्रीक्वेंसी बैंड एल-5...
Tea seed oil may be healthy option

Tea seed oil may be healthy option

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Scientists at Assam Agricultural University, Jorhat have reported that oil extracted from the seeds of some of the tea varieties grown in Assam is heart-friendly with high levels of unsaturated fatty acids. Researchers studied eight tea seed stocks for their biochemical and physical properties. They found that in as many as seven of them, unsaturated fatty acids constituted for more than 90 per cent of the total fatty acids, from 90.49 per cent to 97.79 per cent. Of them, five had high levels of mono-unsaturated fatty acids, ranging from 49.56 per cent to 63.86 per cent, according to findings published in journal Current Science. Speaking to India Science Wire, Dr. Priyanka Das of the Department of Biochemistry and Agricultural Chemistry at the University, who conducted the study alo...
आत्मघाती टर्की, दबंग इज़रायल और  बेपानी फिलिस्तीन

आत्मघाती टर्की, दबंग इज़रायल और बेपानी फिलिस्तीन

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आज टर्की-सीरिया-इराक विवाद ने शिया-सुन्नी और आतंकवादी त्रासदी का रूप भले ही ले लिया हो, शुरुआती विवाद तो जल बंटवारा ही रहा है। टर्की कहता है कि अधिक योगदान करने वाले को अधिक पानी लेने का हक है। सीरिया और इराक कह रहे हैं कि उनकी ज़रूरत ज्यादा है। अतः उन्हे उनकी ज़रूरत के हिसाब से पानी मिलना चाहिए। टर्की का दावा है कि इफरीटिस नदी में आने वाले कुल पानी में 88.7 प्रतिशत योगदान तो अकेले उसका ही है। वह तो कुल 43 प्रतिशत पानी ही मांग रहा है। गौर करने की बात है कि इफरीटिस के प्रवाह में सीरिया का योगदान 11.3 प्रतिशत और इराक का शून्य है, जबकि पानी की कमी वाले देश होने के कारण सीरिया, इफरीटिस के पानी में 22 प्रतिशत और इराक 43 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहता है। गौर करने की बात यह भी है कि सीरिया और इराक में पानी की कमी का कारण तो आखिरकार टर्की द्वारा इफरीटिस और टिग्रिस पर बनाये बांध ही हैं। किंतु टर्की इस त...