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साभार…ज्योतिरादित्य_सिंधिया

साभार…ज्योतिरादित्य_सिंधिया

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, समाचार
साभार...#ज्योतिरादित्य_सिंधिया_ने_राहुल_गन्दगी_की_सजा_के_बाद_उसे_काग्रेस_में_मिल_रही_विशेष_तवज्जो_पर हमला करते हुए कहा "पार्टी न्याय पालिका पर दबाव डालने और प्रासंगिक बने रहने की हर संभव कोशिश कर रही है सिंधिया ने काग्रेस पर हमला करते हुए कहा पार्टी एक पिछड़े वर्ग के पूरे समुदाय को चोर कहती है सैनिक की वीरता के प्रमाण मांगती है ये तक बयान दिया काग्रेस ने कि हमारे जवानों की चीन द्वारा पिटाई की गई है ऐसी पार्टी की एक विचार धारा बची है और वो है देशद्रोह व देश के विरुद्ध कार्य करने की विचारधारा कुछ लोग काग्रेस में "प्रथम श्रेणी के नागरिक" हैं जिस लिए काँगी नेता अलग कानून की मांग कर रहे हैं"...?पवन खेड़ा जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के स्वर्गीय पिता के लिए अपमानजनक शब्द बोलने में आगे रहता है,मोदी को कह रहा है कि हम मोदी को दोस्ताना सलाह देंगे कि जिस व्यक्ति को राहुल गन्दगी और काग्रेस ने इतना...
माफियाँ अतीक अहमद और अशरफ की हत्या सिस्टम पर भी खड़ा करती है कई सवाल ?

माफियाँ अतीक अहमद और अशरफ की हत्या सिस्टम पर भी खड़ा करती है कई सवाल ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
माफियाँ अतीक अहमद और अशरफ की हत्या सिस्टम पर भी खड़ा करती है कई सवाल ? डॉ. अजय कुमार मिश्राउत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पुरे देश में माफियाँ अतीक अहमद और अशरफ की हत्या जबरजस्त चर्चा का विषय बना हुआ है | इन दोनों की हत्या में शामिल तीनों हत्यारों की पुलिस रिमांड मिल चुकी है और अब आगे उनसे पूछ-ताछ करके चार्जशीट दायर की जाएगी | अतीक अहमद के अब कई कारनामे भी सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में चल रहें है | उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ भी कार्यवाही के मूड में सरकार दिख भी रही है | कई मीडिया समूह ने अतीक की चार दशकों से अधिक समय की यात्रा का मानों सजीव प्रसारण ही कर दिया हो, जबकि किसी समय अनेकों मीडिया हाउस अतीक अहमद के खिलाफ खबर छापने से भी बचते रहे | एक व्यक्ति जिसके आगे बड़े से बड़े लोग घुटने टेकने पर विवश हुए | एक दो नहीं बल्कि अनेकों आरोप और विवाद से इतने अधिक लोग पीड़ित रहे है की चार दशक से अधिक समय व...
नया अवतार लेता खालिस्तान का विचार – डॉ प्रियंका सौरभ 

नया अवतार लेता खालिस्तान का विचार – डॉ प्रियंका सौरभ 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
हाल के दिनों में पंजाब में खालिस्तान अलगाववादी आंदोलन के विचार का प्रचार कर रहे सिख उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी अमृतपाल सिंह भागने में सफल रहा है। हिंसक खालिस्तानी आंदोलन गायब हो गया है; हालाँकि, एक अलग सिख राष्ट्र यानी खालिस्तान का विचार अभी तक गायब नहीं हुआ है।   खालिस्तान आंदोलन वर्तमान पंजाब (भारत और पाकिस्तान दोनों) में एक अलग, संप्रभु सिख राज्य के लिए लड़ाई है। ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984) और ऑपरेशन ब्लैक थंडर (1986 और 1988) के बाद भारत में इस आंदोलन को कुचल दिया गया था, लेकिन यह सिख आबादी के वर्गों के बीच सहानुभूति और समर्थन पैदा करना जारी रखता है, खासकर कनाडा,  ब्रिटेन, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में सिख डायस्पोरा में। हाल के दिनों में पंजाब में खालिस्तान अलगाववादी आंदोलन के विचार का प्रचार कर रहे सिख उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी अमृतपाल सिंह...
जेंडर फ्लूडिटी का मुद्दा

जेंडर फ्लूडिटी का मुद्दा

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, साहित्य संवाद
जेंडर फ्लूडिटी का जो मुद्दा इंजस्टिस चंद्रमूढ़ ने शुरू किया है उसको हम और आप सिर्फ उसका मजाक बना कर हवा में नहीं उड़ा पाएंगे. यह वह पागलपन है जिसने पश्चिमी समाज को शिकंजे में कस लिया है, और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है. यहां अभी जेंडर पॉलिटिक्स उस स्तर पर पहुंच गई है जहां उसको कोई कुछ नहीं कह सकता. जो लोग यह महसूस कर रहे हैं कि यह बकवास बढ़ती जा रही है, उनको भी हिम्मत नहीं है कि इसके विरोध में कुछ कह सकें. ऑफिस में अपना प्रिफर्ड प्रोनाउन बताना कूल और फैशनेबल हो गया है. आपको खुद बताना है कि आप अपने आप को He/Him कहलाना चाहते हैं या She/Her... और सिर्फ इतना ही नहीं, Them जैसा जेंडर न्यूट्रल प्रोनाउन.. जो पहले बहुवचन के लिए इस्तेमाल होता था वह अब उन सिरफिरों के लिए इस्तेमाल होता है जो अपने को इंडिटरमिनेट जेंडर का बताना चाहते हैं. उसके अलावा Zer, Zem, xym, Xir वगैरह वगैरह सत्तर अलग अलग किस्म क...
पराली के उपलों का दाह-संस्कार में अनूठा प्रयोग(नवाचार)

पराली के उपलों का दाह-संस्कार में अनूठा प्रयोग(नवाचार)

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
वायु प्रदूषण आज भारत की ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की एक बहुत बड़ी व ज्वलंत समस्या है। बढ़ती जनसंख्या, औधौगिक धंधों के फलने-फूलने, बढ़ते हरित ग्रह प्रभाव, बदलती जलवायु परिस्थितियों, शहरीकरण के कारण निरंतर हो रहे कंक्रीट के जंगलों का विकास, बढ़ते ट्रैफिक, पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई, धरती के सीमित संसाधनों का असीमित तरीकों से दोहन(खनन, पहाड़ों की कटाई, टनल आदि का निर्माण) के बीच धरती का संपूर्ण पारिस्थितिकीय तंत्र गड़बड़ा गया है। इसी बीच पर्यावरण को बचाने के लिए नित नये अनुसंधान, प्रयोगों, नवाचारों, नई पहल आदि में भी लगातार इजाफा भी हो रहा है। पिछले दिनों पंजाब के पटियाला में प्रदूषण को लेकर एक नई पहल की गई है। जानकारी देना चाहूंगा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रोकने व इसे कम करने के उद्देश्य से क्षेत्र में पिछले दिनों एक नई पहल की है। बोर्ड ने मोहाली की एक निज...
पुस्तकालयों, पत्र-पत्रिकाओं के प्रति उदासीनता क्यों ?

पुस्तकालयों, पत्र-पत्रिकाओं के प्रति उदासीनता क्यों ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
आज का युग सूचना प्रौद्योगिकी व संचार का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी व संचार के युग के साथ ही आज हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम में ही अधिक रम-बस गए हैं। हमें कोई भी सूचना, जानकारी प्राप्त करनी होती है तो हम इंटरनेट पर उसे सर्च करने लगते हैं और इंटरनेट के माध्यम से तमाम जानकारियां, सूचनाएं पल झपकते ही प्राप्त कर लेते हैं। पुस्तकों को तो जैसे इस युग में हम नजरअंदाज ही कर चुके हैं। आज विरले ही कोई व्यक्ति किसी पुस्तकालय में पढ़ने जाता होगा, अथवा पुस्तकालय(लाइब्रेरी) का विजिट करता होगा। एक जमाना था, जब आपको बहुत से स्थानों पर सार्वजनिक पुस्तकालय देखने को मिल जाते थे। आज कहीं बड़ी मुश्किल से ही सार्वजनिक पुस्तकालय देखने को मिल सकते हैं। पुस्तकालयों का जीवन में अपना महत्व है और अगर सच में भारत को प्रगति व उन्नति के पथ पर अग्रसर करना है तो द...
जब आप ठगा हुआ महसूस करते हैं

जब आप ठगा हुआ महसूस करते हैं

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
देश में अचानक एक घटना हो जाती है और आप ठहर कर उस घटना की प्रतिक्रियाएं पढ़ते-देखते हैं। दो तीन दिनों तक उन प्रतिक्रियाओं को पढ़ने-देखने के बाद आप मूक हो जाते हैं। लगभग जड़। ठगा हुआ महसूस करते हैं। आप अनुभव करते हैं कि पिछले सौ वर्षों में कुछ नहीं बदला। मजहब के नाम पर देश बंट गया। स्थिति जस की तस रह गई।‌ आप लाख भाईचारा, गंगाजमनी तहजीब और सदियों से साथ रहने के तराने गाते सुनाते रहें। वह एक झटके में सिद्ध करते हैं कि तराने वराने सुनने सुनाने की चीज हैं। वास्तविक जीवन और उसकी कसौटियों पर उनका कोई अर्थ नहीं।‌ उनकी प्राथमिकताएं सर्वथा भिन्न हैं। उनके विचार स्पष्ट हैं। जो आपके लिए शैतान का प्रतिरूप है, वह उसका हीरो है। अनिवार्य रूप से है। वह शैतान आपके सामने नग्न विद्रूप खड़ा होता है लेकिन दूसरा पक्ष कहता है कि बड़ा अन्याय हुआ।‌ वह हमारा हीरो था। यह एक अनुभूत सत्य है। जिसकी अनगिनत अनुभूतियां ...
कलंकित लोकतंत्र

कलंकित लोकतंत्र

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
माफियाओं और राजनेताओं के बीच संबंध सत्तर के दशक में शुरू हुए थे , आज तक यथावत कायम हैं । आजादी मिलने के समय यह कल्पना तक असंभव थी कि ऐसा जमाना भी कभी आएगा कि राजनीति अपराधियों की शरण स्थली बन जाएगी । कैसा समय आ गया ; आज किसी भी राजनीतिक दल को अपराधियों से कोई खास परहेज नहीं हैं । कईं ऐसे दल हैं जिनके आका अपराधियों और हत्यारों के कुत्तों तक से शेक हैंड करने में गर्व महसूस करते हैं । राजनैतिक दल ऐसे माफियाओं को संसद और विधानसभाओं में चुनाव लड़वाते हैं , उनके आतंकी प्रभाव का इस्तेमाल वोटरों पर कर अन्य प्रत्याशियों को जितवाते हैं । खासकर यूपी और बिहार तो ऐसे बड़े प्रांत हैं , जहां माफिया डॉन का प्रयोग दशकों से किया जाता है । अब भद्रजनों का बंगाल भी गुंडों के राजनैतिक उपयोग की प्रयोगशाला बन चुका है । अपराधी और राजनीति का चोली दामन वाला साथ आज प्रांत प्रांत गुल खिला रहा है । यूपी बिहार और...
तेल के खेल के लिए जिहाद का समर्थन करता ओआईसी

तेल के खेल के लिए जिहाद का समर्थन करता ओआईसी

TOP STORIES, विश्लेषण
तेल उत्पादक देशों की संस्था ओआईसी ने रामनवमी पर भारत में हुई हिंसा पर विरोध जताया है और बिहार शरीफ में मदरसे में हुई आगजनी पर पत्र जारी कर के आपत्ती की है। ओआईसी के लोग भारत में लगातार होती आ रही इस्लामिक हिंसा पर सदा मौन रहते हैं,यहाँ तक कि अनेक प्रसंगों पर मुखर समर्थन भी करते रहे हैं, ओआईसी के लोग हिन्दूओं पर कश्मीर में हुए सामूहिक नरसंहार पर मौन रहे, बल्कि आतंकवादियों का समर्थन करते रहे। केरल में, बंगाल में तथा अन्य राज्यों में हो रही जिहादी हिंसा पर भी ये हिंसा करने वाले जिहादियों के ही पक्षधर रहे हैं। बिहार शरीफ में हिन्दुओं की शोभायात्रा पर हमले करने वाले जिहादियों की इनलोगों ने निंदा तक नहीं की,बल्कि हमले की प्रतिक्रिया में जो अप्रिय घटनाएँ घट गई, उसपर ये भारत को बदनाम करने की चेष्टा करने लग गए। इनके दर्द का राज इन हिंसाओं में नहीं छुपा है, बल्कि भारत इनको वरीयता न देते हुए रसिया स...
विकास की दौड़, मौसम के कारण पिछड़ता किसान

विकास की दौड़, मौसम के कारण पिछड़ता किसान

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
कहावत है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती लेकिन यदि इंसान किसान की भूमिका में हो तो कृषि व्यवसाय में मेहनत भी शिकस्त का दंश झेलने को मजबूर रहती है। मार्च व अप्रैल महीने में रबी की फसल पूरे शबाब पर होती है। मगर बारिश व ओलावृष्टि के कहर ने किसानों व बागवानों की कई महीनों की मेहनत पर पानी फेर कर किसानों को मायूस कर दिया है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बेमौसम बरसात से ‘ब्लॉज्म ब्लाइट’ रोग ने आम की पैदावार को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि अर्थशास्त्र की बुलंद इमारत अन्नदाता अतीत से एक बड़े परीक्षार्थी की तरह जीवनयापन करता आ रहा है। मौसम अपने तल्ख तेवरों व बेरूखे मिजाज से किसान वर्ग की सबसे बड़ी परीक्षा लेता है। फसल तैयार होने पर बाजार नाम की व्यवस्था व उपभोक्ता किसानों की परीक्षा लेते हैं। कभी व्यवस्थाओं में बैठे अहलकार तो कभी सरकारें किसानों की परीक्षा लेती हैं। कृषि उत्पादन में क...