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विश्लेषण

क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

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विनीत नारायणये सुन कर दुनिया भर के ईसाई भड़क जाएँगे कि बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं। पर गहन शोध केबाद ये दावा किया है इतिहासकार हर्ष महान कैरे ने अपनी पुस्तक, ‘डिस्कवरिंग जीसस’ में। रूपा प्रकाशन सेप्रकाशित 387 पेज की ये अंग्रेज़ी पुस्तक ईसाइयों और ग़ैर ईसाइयों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है। लेखकका दावा है कि बाइबिल में जो शिक्षाएँ लिखी गई हैं वो पॉल के विचार हैं जो कभी ईसा मसीह से मिला ही नहींथा। पर उसका दावा है कि ईसा मसीह ने यह ज्ञान उसे अवचेतन अवस्था में दिया। जिसे उसने लिपिबद्ध कर दिया।हालाँकि पॉल ईसा मसीह के बारह प्रथम व मूल शिष्यों में से एक नहीं था फिर भी वो स्वयं को अपोस्टेल (प्रचारक)होने का दावा करता है। जबकि ऐतिहासिक प्रमाण इसके विरुद्ध हैं।यीशु के बारह प्रधान शिष्य थे जिन्हें अपोस्टेल (प्रचारक) कहा जाता है। इनमें से एक का नाम जूड्स इस्कारियट थाजिसने यीशु को धोखा दे...
चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाली है।

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है। हृदय-चिकित्सक Dr विलियम डेविस MD ने अपने पेशे की शुरुवात हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओप्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था। वे बताते है के "मुझे वो ही सब सिखाया गया था और शुरू शुरू में तो मैं भी वोही सब करना चाहता था।" लेकिन जब उनकी अपनी माताजी का निधन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ जो उन्हें बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ। तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे। वे कहते है के, मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे। वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।" इ...
रेपो दर में वृद्धि को रोकना, भारतीय रिजर्व बैंक का साहसिक निर्णय

रेपो दर में वृद्धि को रोकना, भारतीय रिजर्व बैंक का साहसिक निर्णय

BREAKING NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से पूरे विश्व में लगभग सभी देश लगातार बढ़ती मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ब्याज दरों में वृद्धि करते जा रहे हैं। अभी हाल ही में अमेरिका ने यूएस फेड दर में 25 आधार अंकों की एवं ब्रिटेन ने केंद्रीय ब्याज दर में 50 आधार अंको की वृद्धि की है। यही स्थिति लगभग सभी विकसित देशों की है। इन देशों में हालांकि ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करने से मुद्रा स्फीति पूर्णतः नियंत्रण में आती दिखाई नहीं दे रही है, हां कुछ देशों में मुद्रा स्फीति में कुछ कमी जरूर आई है। सामान्यतः विश्व के कई देश, विशेष रूप से विकसित देश, यदि ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं तो अन्य देशों को अपनी मुद्रा के बाजार मूल्य को बचाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में वृद्धि करना एक मजबूरी बन जाता है। परंतु, दिनांक 06 अप्रेल 2023 को सम्पन्न हुई भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की ब...
श्रीराम नवमी उत्सव मनाना भी अपराध

श्रीराम नवमी उत्सव मनाना भी अपराध

BREAKING NEWS, धर्म, विश्लेषण
प्रशांत पोळ दिनांक 1 अप्रैल को भोपाल में हुतात्मा हेमू कालानी जन्मशताब्दी समारोह संपन्न हुआ. इस समारोह में विदेशों से भी अनेक सिंधी भाषिक भाई – बहन आए थे. इन में से, कराची से आए हुए नारायणदास ने बताया की ‘पाकिस्तान में हिन्दू अपना कोई भी त्यौहार / उत्सव सार्वजनिक रूप से, खुले में नहीं मना सकते. मंदिर में या किसी के घर पर ही मनाना पड़ता हैं.‘ इस रामनवमी को बंगाल, बिहार आदि स्थानों पर जो कुछ हुआ, उसे देखकर लगता हैं, की ‘क्या, भारत के कुछ स्थानों पर भी हिन्दू अपना उत्सव सार्वजनिक रूप से नहीं मना सकते?’ इस वर्ष गुरुवार, 30 मार्च को रामनवमी थी. वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, देश के लगभग सभी गांवों में, शहरों में इस दिन भगवान राम की शोभायात्रा निकलती हैं. इस वर्ष भी निकली. किन्तु बंगाल के हावड़ा में, उत्तर दिनाजपुर जिले के डालखोला में, इस्लामपुर में, वडोदरा में, छत्रपती संभाजी न...
बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ता तनाव और वित्तीय बाजार में अनिश्चितता

बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ता तनाव और वित्तीय बाजार में अनिश्चितता

BREAKING NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
भारत के सरकारी अर्थ शास्त्रियों के अनुमान विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के अनुमानों से मेल नहीं खा रहे हैं। इन बैंकों के नए अनुमान इस बात को रेखांकित करते हैं कि 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी। बहुपक्षीय एजेंसियों के अनुमान भी इस दायरे के इर्दगिर्द ही हैं। बहरहाल, उभरते वैश्विक और घरेलू वृहद आर्थिक हालात को देखते हुए ये अनुमान दबाव में आ सकते हैं और वास्तविक वृद्धि आर्थिक समीक्षा में उल्लिखित दायरे के निचले स्तर के आसपास रह सकती है। विश्व बैंक के अनुमानों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत होगी जबकि एडीबी का अनुमान है कि यह दर 6.4 प्रतिशत रहेगी। ये अनुमान जनवरी में आर्थिक समीक्षा में पेश किए गए आंकड़ों के करीब हैं। उसमें कहा गया था कि वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी जो वास्तव में 6 से 6.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। विश्व बैंक का अनुमान है कि 202...
हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

हिन्दुओं के त्यौहारों पर ही हिंसक घटनाएं क्यों?

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- ललित गर्ग- रामनवमी पर निकाली गई शोभा यात्राओं के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में हिंसा की जो वीभत्स, त्रासद एवं उन्मादी घटनाएं सामने आई हैं वे एक सवाल खड़ा करती हैं कि हिन्दुओं के त्यौहारों को ही अशांत एवं हिंसक क्यों किया जाता है? आखिर हिन्दू उत्सवों के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल खराब करने के लिए क्या जानबूझकर कोई षड्यंत्र किया जाता है? क्यों हिन्दू देवी-देवताओं से जुड़ी आस्था पर ही हमला क्यों किया जाता है। गैर भाजपा सरकारों के राज्यों में ही हिन्दूओं पर हमले क्यों हो रहे हैं? सवाल यह भी है कि संबंधित राज्य की सरकार और स्थानीय पुलिस-प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही सतर्क क्यों नहीं रहता और दो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने का इंतजार क्यों करता है? हर साल की तरह इस बार भी रामनवमी के दिन पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र में हिंसा हुई और इसके बाद बिहार सुलग उठा। ब...
क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

क्या है हिन्दू फोबिया का कारण

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
क्या है हिन्दू फोबिया का कारणहिन्दू धर्म या सनातन संस्कृति जिसकी जड़ें संस्कारों के रूप में, परम्पराओं के रूप में भारत की आत्मा में अनादि काल से बसी हुई हैं।ये भारत में ही होता है जहाँ एक अनपढ़ व्यक्ति भी परम्परा रूप से नदियों को माता मानता आया है और पेड़ों की पूजा करता आया है क्या है हिन्दू फोबिया का कारणआज जहां एक तरफ देश में हिन्दू राष्ट्र चर्चा का विषय बना हुआ है। तो दूसरी तरफ देश के कई हिस्सों में रामनवमी के जुलूस के दौरान भारी हिंसक उत्पात की खबरें आती हैं। एक तरफ हमारे देश में देश में धार्मिक असहिष्णुता या फिर हिन्दुफोबिया का माहौल बनाने की कोशिशें की जाती हैं तो दूसरी तरफ अमेरिका की जॉर्जिया असेंबली में 'हिंदूफोबिया' (हिंदू धर्म के प्रति पूर्वाग्रह) की निंदा करने वाला एक प्रस्ताव पारित किया जाता है। इस प्रस्ताव में कहा जाता है कि "हिंदू धर्म दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुरा...
आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

आसान नहीं  है कर्नाटक की राजनीति को समझना

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
उमेश चतुर्वेदी टीवी चैनलों के दौर इस में बौद्धिकों की नजर में हर विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल बन गया है। विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही विशेषकर राजधानी केंद्रित बौद्धिक घोषित करने लगते हैं कि आने वाले चुनावों पर इस चुनाव विशेष के नतीजों का बड़ा असर होगा। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर भी ऐसी ही स्थापित धारणाएं लगातार प्रसारित हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के उभार के बाद ऐसी धारणाएं कई बार ध्वस्त हुई हैं। फिर भी इन्हीं धारणाओं के इर्द-गिर्द कर्नाटक के संभावित नतीजों का आकलन किया जा रहा है। अतीत के अनुभवकर्नाटक के अतीत के अनुभव भी इन स्थापित धारणाओं को खारिज करते रहे हैं।याद कीजिए 1999 के विधानसभा चुनाव को। तब जनता दल के जेएच पटेल मुख्यमंत्री थे। आम धारणा थी कि येदियुरप्पा की अगुआई में दक्षिण के इस राज्य में अपने दम पर कमल खिल जाएगा। लेकिन कमल खिलने के पहले ही मुरझा गया। वजह ...
Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

Unleashing the Power Within: How to Boost Your Self-Confidence and Conquer Your Goals

जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण
Dr Vaishali Sharma - a renowned life coachSelf-confidence is an essential aspect of a person's life. It shapes our personality, affects our decision-making skills, and influences how we look at ourselves and the world. Believing in oneself and one's abilities allows us to achieve tremendous success and personal growth. Many people suffer from a lack of self-confidence, which can severely impact their lives. Lack of confidence can lead to self-doubt, fear, and anxiety, preventing individuals from pursuing their dreams and goals. It can also affect their personal relationships and social life, making them feel invisible and insignificant. Understanding why self-confidence is vital for personal growth and development is essential. A person with self-confidence is more likely to tak...
राईट टू या फिर वोट टू  – प्रताप सिंह 

राईट टू या फिर वोट टू  – प्रताप सिंह 

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
संविधान प्रदत्त अधिकारो का अता पता नहीं है और अब वर्तमान नेताओं ने वोटो के लिए नये नये अधिकार आविष्कार करने शुरू कर दिए है और इस देश की भावुक जनता बिना कुछ सोचे समझे इन कथित अधिकारो की लट्टू हो रही है ।साढे चार साल नींद मे सोने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री चुनावो के नजदीक थोक मे जिले बनाते है और आम जनता को राइट टू हेल्थ का झुनझुना पकड़ा देते है ।बहुत सारे लोग इस बिल को क्रांतिकारी बता रहे है लेकिन अभी यह कागजो मे ही है जब धरातल पर लागू होगा तब पता चलेगा इस बिल ने आम आदमी का कितना भला किया है ।राजस्थान मे चिरंजीवी योजना पहले ही चल रही है और केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना हमारे मुख्यमंत्री को पसंद नहीं आयी इसलिए लागू ही नहीं की ।जब आप केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओ को नकार रहे हो तो फिर राइट टू हेल्थ किसलिए ? दिजिये राइट टू हेल्थ, किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन सरकारी अस्पतालों के जर...