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नेहरू पर कुछ और

नेहरू पर कुछ और

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
लेखाधिकारी प्रधानमंत्री : *एकबार जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से स्पष्टीकरण माँगा कि आप को हर माह मनोरंजन भत्ता मिलता है तो उसकी बची राशि राजकोष को लौटाया?” (प्रधानमन्त्री के विशेषाधिकारी एमओ मथाई की पुस्तक “माई डेज विद नेहरू”, पृष्ठ 338) नेहरू को शायद याद नहीं रहा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति केवल आधा वेतन लेते थे। विशाल भवन के केवल तीन कमरों का ही उपयोग करते थे।* तुलना में गौर करें एक मिलती-जुलती घटना पर। *वित मंत्री के रुप में मोरारजी देसाई ने जवाहरलाल नेहरु से पूछा था कि “आपने अपनी किताबों पर ब्रिटिश प्रकाशकों द्वारा प्रदत्त रायलटी की राशि लन्दन के बैंक में जमा क्यों करा दी?” मोरारजी देसाई ने प्रधान मंत्री को आगाह किया कि इससे विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन होता है जिसके अंजाम में कारागार और जुर्माना हो सकता है। तिलमिलाये नेहरु लन्दन से दिल्ली अपना बैंक खाता ले आये।...
इंदिरा के खेल

इंदिरा के खेल

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1973 में इंदिरा गाँधी ने न्यायमूर्ति A.N. रे को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठा दिया वो भी तब जब उनसे वरिष्ठ न्यायधीशों की लिस्ट जैसे न्यायमूर्ति JM शेलात, KS हेगड़े और AN ग्रोवर सामने थी अंततः हुआ यह कि नाराज़गी के रूप में इन तीनों न्यायधीशों ने इस्तीफा दे दिया इसके बाद कांग्रेस ने पार्लियामेंट में जवाब दिया, 'यह सरकार का काम है कि किसे मुख्य न्यायधीश रखें और किसको नहीं और हम उसी को बिठाएंगे जो हमारी विचारधारा के पास हो.' और आज वही लोग न्यायाधीशों की आज़ादी की बात करते हैं? 1975 में न्यायाधीश जगमोहन सिंहा को एक फैसला सुनाना था फैसला था राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के चुनावी भ्रष्टाचार के मामले का उनको फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है, 'अगर तुमने इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया, तो अपनी पत्नी से कह देना इस साल करवा चौथ का व्रत न रखे जिसका न्यायमूर्ति सिंहा ने आराम से जवाब...
राजनैतिक बयानबाज़ी और मानहानि

राजनैतिक बयानबाज़ी और मानहानि

TOP STORIES, विश्लेषण
विनीत नारायणराहुल गांधी के ताज़ा विवाद पर पक्ष और विपक्ष तलवारें भांजे आमने-सामने खड़ा है। इस विवाद के क़ानूनी वराजनैतिक पक्षों पर मीडिया में काफ़ी बहस चल रही है। इसलिए उसकी पुनरावृत्ति यहाँ करने की आवश्यकता नहींहै। पर इस विवाद के बीच जो विषय ज़्यादा गंभीर है उस पर देशवासियों को मंथन करने की ज़रूरत है। चुनाव केदौरान पक्ष और प्रतिपक्ष के नेता सार्वजनिक रूप से एक दूसरे पर अनेक आरोप लगाते हैं और उनके समर्थन मेंअपने पास तमाम सबूत होने का दावा भी करते हैं। चुनाव समाप्त होते ही ये खूनी रंजिश प्रेम और सौहार्द में बदलजाती है। न तो वो प्रमाण कभी सामने आते हैं और न ही जनसभाओं में उछाले गये घोटालों को तार्किक परिणामतक ले जाने का कोई गंभीर प्रयास सत्ता पर काबिज हुए नेताओं द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर ये सारातमाशा मतदान के आख़िरी दिन तक ही चर्चा में रहता है और फिर अगले चुनावों तक भुला दिया जाता है।...
भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है।

भूकंप की तैयारी सिर्फ इमारतों के बारे में नहीं है।

राष्ट्रीय, विश्लेषण
सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और अखबारों के जरिए आम लोगों के जान-माल को भूकंप से बचने के लिए सतर्क और सजग किया जा सकता है। भूकंप से जान-माल से बचाव न हो पाने की वजह यह भी है कि भूकंप आने का वक्त और अंतराल के बारे में वैज्ञानिक कुछ बता पाने की हालात में नहीं हैं। भूकंप आता है, तो लोग मनाते हैं कि वे बचे रहें, लेकिन कुछ साल गुजरता है और फिर भूल जाते हैं कि भूकंप फिर आ सकता है और उससे उनकी जान जा सकती है या गंभीर रूप से घायल हो सकते हैं। इसलिए मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से भूकंप से बचने के लिए तैयार रहना जरूरी है। यह सोच कर हम नहीं बच सकते हैं कि ईश्वर जैसा चाहोगे वैसा ही होगा। और यह सोच बनाना भी ठीक नहीं कि इंसान के हाथ में कुछ भी नहीं है। यह सब खुद को तसल्ली देने के लिए तो हम कर सकते हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सजगता और छद्म अभ्यास के जरिए बेहतर बचाव का उपाय हो सकता है। - ...
राहुल को बोलने की सद्बुद्धि दे भगवान!-ललित गर्ग

राहुल को बोलने की सद्बुद्धि दे भगवान!-ललित गर्ग

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
युगीन भारतीय राजनीतिक मनोरचना में शालीनता एवं शिष्टता के स्थान पर स्वच्छन्दता, अशालीन एवं अभद्र भाषा के व्यवहार का अधिक सक्रियता से प्रचलन चिन्ताजनक है। ऐसी स्थिति में शीर्ष राजनेता राजनीतिक शिष्टता एवं लोकतांत्रिक मर्यादा में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं? यह प्रश्न समूचे विपक्ष के साथ कांग्रेस के राहुल गांधी को लेकर व्यापक चर्चा में हैं। किसी को कुछ भी कह देना और यहां तक अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करना गैर जिम्मेदाराना हरकत ही नहीं स्वयं को अति विशिष्ट समझने की अहंकारी मानसिकता भी है, जो एक बड़ी राजनीतिक विसंगति बनती जा रही है। सार्वजनिक जीवन में ऐसी सामंती मानसिकता के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। इसीलिये सूरत की एक अदालत की ओर से आपराधिक मानहानि के एक मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी संसद सदस्यता भी चली गयी है। यह एक बड़ी राजनीतिक घटना है, इस तरह की सज...
आर्थिक बदहाली के शिकार पाकिस्तान की समस्या उसके जन्म के कारण से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है।

आर्थिक बदहाली के शिकार पाकिस्तान की समस्या उसके जन्म के कारण से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है।

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
आर्थिक बदहाली के शिकार पाकिस्तान की समस्या उसके जन्म के कारण से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। दरअसल पाकिस्तान का निर्माण जिस इस्लामी अवधारणा के आधार पर हुआ, उसमें आर्थिक चिंतन जैसी कोई चीज ही नहीं है। कुरान और हदीस में पूरी चिंता सबको मुसलमान बनाने और दुनिया पर इस्लामी एकाधिकार की है। इस बीच, जब जहां भी इस्लामी सत्ता कायम हुई, वहां टैक्स वसूल कर राज करना, आगे ऐसे हमले जारी रखना और कब्जा करने का ही रक्तरंजित इतिहास रहा है।* *किसी इस्लामी राज्य के मुख्यतः चार आर्थिक स्रोत रहे हैं। खाम (लूट का माल), खिराज (कब्जा किए क्षेत्र में किसानों से टैक्स), जजिया (काफिरों से टैक्स) और जकात (मुसलमानों से चंदा या दान)। इसके अतिरिक्त कोई अन्य आर्थिक माडल इस्लामी किताबों में नहीं मिलता। चूंकि मुस्लिम अपने पैगंबर और मूल इस्लामी ग्रंथों को ही संपूर्ण मानते हैं, इसलिए वे इस माडल से बाहर निकलकर सुधार नहीं कर ...
 INDIA LOSES LARGE , MUCH NEEDED PVC PROJECT DUE TO MOTIVATED CAMPAIGN AGAINST ADANI GROUP

 INDIA LOSES LARGE , MUCH NEEDED PVC PROJECT DUE TO MOTIVATED CAMPAIGN AGAINST ADANI GROUP

आर्थिक, विश्लेषण
There are not many project promoters in India who are capable of investing thousands of crores of rupees in large projects that could be globally competitive.  Most of such large projects have been set up in the past by public sector organisations such as Indian Oil Corporation. Reliance group , Adani group , Vedanta group, Birla group  are amongst the few who have announced large sized projects in the private sector in India in recent years. Unfortunately, due to motivated and negative campaigns , a few of such projects,  both in the private and public sector ,  have been halted in recent years, which have caused a setback to India’s industrial and economic growth to some extent. Copper project : Sterlite Copper in Tuticorin in Tamil Nadu is one such p...
यदि स्पष्ट बहुमत न होता तो योगी सरकार अब तक गिर जाती।

यदि स्पष्ट बहुमत न होता तो योगी सरकार अब तक गिर जाती।

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
उत्तरप्रदेश में जो हो रहा है। वह सामान्य घटनाएं नहीं है।हर जिले में माफ़िया का साम्राज्य स्थापित था। यदि इसका सम्पूर्ण वर्णन किया जाय तो उस पूरी कहानी को पढ़ने वाला यह समझेगा कि यह उत्तरप्रदेश नहीं है। सोमालिया, युगांडा कि बात हो रही है।*इससे समझिये कि 12 हजार इनकाउंटर और तीन सौ बदमाश मारने के बाद भी अभी स्थिति पटरी पर नहीं आई है।* कोई पाँच हजार करोड़ कि संपत्ति जप्त हुई है।यह तो अब स्पष्ट हो चुका है कि उस समय कि नौकरशाही का एक वर्ग इन आपराधिक कृत्यों में शामिल था।*पूर्व DGP बृजलाल बताते है कि जिस समय पहली मुख्तार अंसारी पकड़ा गया तो वह जेल में दरबार लगाता था। जिले के DM उसके साथ बैडमिंटन खेलते थे।**अतीक अहमद को पकड़ने वाले पूर्व DSP देवेन्द्रराय जब उसके घर गये तो CRP के IG उसके साथ बैठे थे।**2017 तक कम से कम उत्तरप्रदेश के आधे जिले में एक ही सत्ता थी, माफ़िया राज करते थे।*इसमें धन कि सबस...
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी!

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी!

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण, सामाजिक
रजनीश कपूरबात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। लोग बेवजह उदासी का सबब पूछेंगे। कफ़ील आज़र अमरोहवी ने जब अपनीये नज़्म लिखी होगी तब उन्हें शायद इस बात का ध्यान नहीं होगा कि उनकी नज़्म के शेर कई परिस्थितियों मेंइस्तेमाल किए जाएँगे। जब भी कभी किसी रहस्यमयी घटना का आंशिक पर्दाफ़ाश होता है तो अक्सर इसी शेर कोयाद किया जाता है। आपने संसद में भी माननीय सांसदों से इस शेर को कई बार सुना होगा। आज इस शेर को एकबार फिर से याद किया जा रहा है। कारण है जम्मू कश्मीर की घाटी में घटी एक घटना का, जिसने पूरे देश कोअचंभे में डाल रखा है।पिछले दिनों एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक शख़्स ने ख़ुद को प्रधान मंत्री कार्यालय का एक बड़ाअधिकारी बता कर जम्मू कश्मीर में ‘जेड प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा ले ली और उन्हीं के संरक्षण में सीमावर्ती राज्य केकई संवेदनशील इलाक़ों में भी चला गया। डॉ किरण पटेल नाम के इस अधिकारी ने सरकारी चिन्ह...
न्यूट्रिएंट्स के भंडार हैं-‘मिलेट्स’ (श्रीअन्न)

न्यूट्रिएंट्स के भंडार हैं-‘मिलेट्स’ (श्रीअन्न)

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
भारत के प्रस्ताव के आधार पर, यूएनजीए द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) के रूप में घोषित किया गया है। जानकारी देना चाहूंगा कि 5 मार्च 2021 को भारत के प्रस्‍ताव पर 72 देशों की स्‍वीकृति के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 2023 को अंतरराष्‍ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।हाल ही में 18 मार्च शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर के सुब्रमण्यम हॉल में मोटे अनाज यानि कि 'श्रीअन्न' पर दो दिन तक चले वैश्विक सम्मेलन का उद्घाटन किया। 19 मार्च को यह सम्मेलन समाप्त हो गया। भारत के मोटा अनाज मिशन से ढाई करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ होगा। पीएम मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में मिलेट्स को अब 'श्री अन्न' की पहचान दी गई है, यह सिर्फ खेती और खाने ...