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विश्लेषण

दुनिया के लिए मिसाल है पेरिस का सीवरेज म्यूजियम 

दुनिया के लिए मिसाल है पेरिस का सीवरेज म्यूजियम 

विश्लेषण, सामाजिक
फ्रांस के बारे में एक कथन बहुत ही प्रसिद्ध है कि-'फ्रांस इज पेरिस, पेरिस इज फ्रांस।' पेरिस फ्रांस की राजधानी है और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। फ्रांस के बारे में अक्सर यह बात कि 'फ्रांस इज पेरिस, पेरिस इज फ्रांस' इसलिए कही जाती है, क्योंकि फ्रांस दुनिया का बहुत ही स्वच्छ व सुंदर शहर है। फ्रांस की स्वच्छता और सुंदरता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि फ्रांस के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि यहाँ मच्छर नाम की कोई चीज नहीं है। पेरिस के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी अपने पाठकों को देता चलूं कि पेरिस शहर के नीचे नाले यानी कि सीवरेज का एक बहुत बड़ा म्यूजियम बना हुआ है, यह दुनिया में अपनी प्रकार का बहुत ही अनोखा व प्राचीन म्यूजियम है। सिवरेज जिसे हमारे भारत में 'गंदा नाला' या 'गटर' की संज्ञा दी जाती है, पेरिस शहर में सीन नामक नदी के नीचे यह म्यूजियम है। गंदे नालों(सीवरेज) में किसी ...
हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?

EXCLUSIVE NEWS, राज्य, विश्लेषण
रजनीश कपूरसितंबर 2020 में हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित लड़की के साथ हुई दरिंदगी एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है।इस बार का कारण है अदालत का फ़ैसला जिसने चार में से तीन अपराधियों को न सिर्फ़ छोड़ दिया बल्कि सुबूतों केअभाव में बलात्कार की धाराएँ भी हटा दी। यहाँ सवाल उठता है कि इतने चर्चित बलात्कार और हत्या के कांड कीजाँच क्या सही दिशा में हुई थी? क्या प्रारंभिक जाँच करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस, सरकार द्वारा गठितएसआईटी या सीबीआई इस संगीन अपराध की जाँच को गंभीरता से नहीं ले रही थी?जब भी कोई पीड़ित मृत्यु से पहले अपनी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए मर जाए तो उस ब्यान को‘मृत्युपूर्व घोषणा’ या ‘डाईंग डिक्लेरेशन’ माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा-32(1) केमुताबिक़ ‘मृत्युपूर्व घोषणा’ को सुसंगत माना जाएगा। फिर वो बयान मृत व्यक्ति द्वारा लिखित या मौखिक रूप सेदिये ...
जरा सोचिए तो मिलार्ड

जरा सोचिए तो मिलार्ड

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
लोगों में धैर्य और सहनशीलता कीकमी मत देखिए चंद्रचूड़ जी,लोग न्यायपालिका पर निगरानीरख रहे हैं - क्या जुडिशरीAbsolute Power चाहती है ?झूठ फ़ैलाने वालों को तो आप हीबचा देते हैं -​​चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ लगता है सोशल मीडिया द्वारा न्यायपालिका के लिए “watchdog” बन कर उसकी आलोचना से खासे क्षुब्ध हैं - उन्होंने कहा है कि “सोशल मीडिया पर झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है - आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है - लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है - हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं” मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ मीलॉर्ड चंद्रचूड़, सोशल मीडिया पर सब कुछ झूठ नहीं है और जो मौहम्मद जुबैर जैसे Alt News में बैठ कर झूठ की फैक्ट्री चला रहा था और जिसने अनेक इस्लामिक देशों को भार...
समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रहा है अहम भूमिका

समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निभा रहा है अहम भूमिका

विश्लेषण, साहित्य संवाद
भारत में पिछले 97 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के नागरिकों में देशप्रेम की भावना का संचार करने का लगातार प्रयास कर रहा है। वर्ष 1925 (27 सितम्बर) में विजयदशमी के दिन संघ के कार्य की शुरुआत ही इस कल्पना के साथ हुई थी कि देश के नागरिक स्वाभिमानी, संस्कारित, चरित्रवान, शक्तिसंपन्न, विशुद्ध देशभक्ति से ओत-प्रोत और व्यक्तिगत अहंकार से मुक्त होने चाहिए। आज संघ, एक विराट रूप धारण करते हुए, विश्व में सबसे बड़ा स्वयं सेवी संगठन बन गया है। संघ के शून्य से इस स्तर तक पहुंचने के पीछे इसके द्वारा अपनाई गई विशेषताएं यथा परिवार परंपरा, कर्तव्य पालन, त्याग, सभी के कल्याण विकास की कामना व सामूहिक पहचान आदि विशेष रूप से जिम्मेदार हैं। संघ के स्वयंसेवकों के स्वभाव में परिवार के हित में अपने हित का सहज त्याग तथा परिवार के लिये अधिकाधिक देने का स्वभाव व परस्पर आत्मीयता और आपस में विश्वास की भावना...
मज़बूत लोकतंत्र में सांविधानिक संस्थाएँ निष्पक्ष हों !

मज़बूत लोकतंत्र में सांविधानिक संस्थाएँ निष्पक्ष हों !

विश्लेषण
विनीत नारायणभारत के चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 5सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने पिछले गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फ़ैसले के बाद केंद्रीय चुनाव आयोगमें आयुक्तों की नियुक्ति पर केंद्र का सीधा हस्तक्षेप घटेगा। कोर्ट ने इस फ़ैसले को सुनाते समय इस बात पर ज़ोरडाला कि संविधानिक संस्थाओं का निष्पक्ष होना लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है। सभी राजनैतिक दलों द्वाराइस फ़ैसले का स्वागत किया जा रहा है।सुप्रीम कोर्ट के 378 पन्नों के इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे 1997 का ‘विनीत नारायण बनाम भारत सरकार’ काफ़ैसला है। इस फ़ैसले में प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई व सीवीसी के निदेशकों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल कोलेकर दिशा निर्देश दिये गये थे। जिससे जाँच एजेंसियों को सरकारी दख़ल से अलग रख कर निष्पक्ष व स्वायत्त रूपसे कार्य करने की छूट दी गई थी। परंतु सवाल...
आज कल बालों की समस्याएं जब बढ़ गई हैं तो, योग करना बालों की कई समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता हैः

आज कल बालों की समस्याएं जब बढ़ गई हैं तो, योग करना बालों की कई समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता हैः

विश्लेषण, सामाजिक
अलका सिंह योगा एक्सपर्टदिल्ली बाल झड़ने की समस्या सभी के लिए एक सर दर्द बन चुकी है चाहे महिलाएँ हों या पुरुष, आजकल के आधुनिक जीवन में बाल झड़ने की समस्या मानों हर किसी के लिए एक आम बात हो गयी है। इस समस्या का आम होना कोई हैरान करने वाली बात नहीं है, क्योंकि आजकल लगभग हर व्यक्ति को असंतुलित खान-पान व दूषित वातावरण  से दो-चार होना ही पड़ता है। परन्तु योग द्वारा इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। हर परिस्थिति में एक बात महत्वपूर्ण है- रोकथाम उपचार से बेहतर है। इस लेख मे पढ़िए कि किस प्रकार योग द्वारा आप बाल झड़ने की समस्या का समाधान कर सकते हैं।अधिक बाल झड़ने की समस्या का आपके स्वाथ्य से भी एक गहरा सम्बन्ध है, इसीलिए इस समस्या को कभी भी नकारना नहीं चाहिए। चिंता, हार्मोन्स में गड़बड़, गलत खाने-पीने की आदतें, रोग, रूसी, आदि बाल झड़ने का मुख्य कारण है। बालों के झड़ने की रोकथाम ...
भारत की प्रतिष्ठा धूमिल करने के राहुली प्रयास

भारत की प्रतिष्ठा धूमिल करने के राहुली प्रयास

TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
-ललित गर्ग - देश पर सर्वाधिक समय शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर विदेशी की धरती पर होहल्ला मचाते हुए भारत की छवि को धूमिल करने का घृणित एवं गैरजिम्मेदाराना काम किया है। गांधी ने लंदन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पेगासस को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। वह देश में इस तरह की बातें करते ही रहे हैं कि मोदी सरकार के चलते भारतीय लोकतंत्र खतरे में है और सरकार से असहमत लोगों के साथ विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। वह वहां यह भी कह गए कि भारत की सभी संस्थाओं और यहां तक कि न्यायालयों पर भी सरकार का कब्जा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके सरकार चलाने के तौर-तरीकों की तीव्र आलोचना की, जो महज खिसियाहट भरी अभद्र राजनीति का ही परिचायक नहीं था, बल्कि इसका भी प्रमाण था कि संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों के लिए कोई किस हद तक जा सकता है, देश के गौरव को दाव पर लगा स...
अंगदान न होने से देश में हर साल पांच लाख मौतें

अंगदान न होने से देश में हर साल पांच लाख मौतें

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
दुर्भाग्य ! देश में 640 चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल हैं, जिनमें अंग प्रत्यारोपण और स्तंभ कोशिका से उत्पादन का काम किया जा सकता है, लेकिन चंद चिकित्सा संस्थानों में ही अंग प्रत्यारोपण व उत्सर्जन की शल्य क्रिया सुविधा उपलब्ध है। अब इनमें अंग प्रत्यारोपण व उत्सर्जन के पाठ्यक्रम भी नवीन चिकित्सा शिक्षा में जोडे गए हैं। चौंकिए मत ! देश में अंगों की अनुपलब्धता के कारण हर साल पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके मुकाबले वर्ष 2022 में पंद्रह हजार अंगों का प्रत्यारोपण ही हो सका है। लोगों की जान बचाने के लिए जरूरत और उपलब्धता के बीच की इस खाई को पाटना जरूरी है। इसके दो ही उपाय हैं। पहला,अंगदान के लिए लोगों को जागरूक किया जाए और दूसरा, स्तंभ कोशिकाओं यानी स्टेम सेल के जरिए अंगों का उत्पादन बढ़ाया जाए।इस प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए भारत सरकार ‘एक राष्ट्र-एक नीति’ लागू करने जा रही ह...
मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

BREAKING NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
कोरोना महामारी के बाद से पूरे विश्व में मुद्रा स्फीति बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 7 प्रतिशत के ऊपर एवं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 13 प्रतिशत के ऊपर निकल गई थी। कई विकसित देशों में तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 10 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंची थी जो कि पिछले 50 वर्षों की अवधि में सबसे अधिक महंगाई की दर है। मुद्रा स्फीति से आश्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि एवं मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी होने से है। मुद्रा स्फीति विशेष रूप से समाज के गरीब एवं निचले तबके तथा मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत अधिक प्रभावित करती है। क्योंकि, इस वर्ग की आय एक निश्चित सीमा में रहती है एवं इसका बहुत बड़ा भाग उनके खान-पान पर ही खर्च हो जाता है। यदि मुद्रा स्फीति तेज बनी रहे तो इस वर्ग के खान-पान पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। अतः, मुद्रा स्फ...
पक्ष – विपक्ष के झगड़े – अनुज अग्रवाल

पक्ष – विपक्ष के झगड़े – अनुज अग्रवाल

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
Anuj Agarwal संसद सत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रधानमंत्री मोदी पर अदाणी को लेकर तीखे व अपमानजनक आरोपों के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेसी नेताओं की अपमानजनक टिप्पणियों का एक सिलसिला सा चल पड़ा।कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा को जब इसी मामले में पुलिस में धरा तो बड़े हंगामे व नाटकों के बाद उनको माफ़ी माँगनी पड़ी। राहुल गाँधी इधर विदेशों में अपने भाषणों में भारत में लोकतंत्र ख़तरे में है, जाँच एजेंसियों का दुरपयोग हो रहा है व संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता छिन गई है जैसे आरोप लगा अपनी व देश की मज़ाक़ बनवा रहे हैं।इधर कुछ दिन पूर्व एक पूर्व बसपाई व भाजपाई नेता जो अब समाजवादी पार्टी में हैं कि रामचरितमानस को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी एक घटिया राजनीतिक बहस में बदल गयी और राम व रामचरितमानस पर श्रद्धा व विश्वास करने वाले वोट के इन लालची नेताओं की गिरी हुई हरकतों को देख ठगे ...