
ख़तरा : जिसके बारे में सबको, सोचना है
यह तथ्य चौंकाने वाला नहीं, परेशान करने वाला है कि महासागरों का औसत तल वर्ष 1993 के बाद से प्रतिवर्ष 3.2 मिलीमीटर की दर से बढ़ चुका है। वर्ष 2015 से 2019 के बीच तो यह बढ़ोत्तरी 5 मिलीमीटर प्रतिवर्ष तक रही है जबकि वर्ष 2007 से बढ़ोतरी का औसत 4 मिलीमीटर प्रतिवर्ष रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि साल-दर-साल महासागरों के औसत तल में पहले से अधिक बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इसके प्रभाव से आबादी का बहुत बड़े पैमाने पर विस्थापन होगा। यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा क्योंकि एक बड़ी आबादी का घर और व्यवसाय छूट जाएगा, ठिकाना बदल जाएगा। इसके प्रभाव से अनेक देश भी डूब जायेंगे, जिससे एक बड़ी आबादी ऐसी होगी, जिसका कोई देश नहीं होगा।
दुनिया के अधिकतर महानगर महासागरों के किनारे स्थित हैं और जैसे-जैसे महासागरों का तल बढ़ रहा है, पृथ्वी का भूगोल भी बदल रहा है - पानी का क्षेत्र बढ़ता जा ...