
हाथरस कांड: क्या जाँच सही दिशा में हुई?
रजनीश कपूरसितंबर 2020 में हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित लड़की के साथ हुई दरिंदगी एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है।इस बार का कारण है अदालत का फ़ैसला जिसने चार में से तीन अपराधियों को न सिर्फ़ छोड़ दिया बल्कि सुबूतों केअभाव में बलात्कार की धाराएँ भी हटा दी। यहाँ सवाल उठता है कि इतने चर्चित बलात्कार और हत्या के कांड कीजाँच क्या सही दिशा में हुई थी? क्या प्रारंभिक जाँच करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस, सरकार द्वारा गठितएसआईटी या सीबीआई इस संगीन अपराध की जाँच को गंभीरता से नहीं ले रही थी?जब भी कोई पीड़ित मृत्यु से पहले अपनी मृत्यु की परिस्थितियों के बारे में बताते हुए मर जाए तो उस ब्यान को‘मृत्युपूर्व घोषणा’ या ‘डाईंग डिक्लेरेशन’ माना जाता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा-32(1) केमुताबिक़ ‘मृत्युपूर्व घोषणा’ को सुसंगत माना जाएगा। फिर वो बयान मृत व्यक्ति द्वारा लिखित या मौखिक रूप सेदिये ...