क्या तीर्थाटन और पर्यटन के विषय अलग अलग नहीं हैं ?
विश्वभर से यात्री हमारा पुरातन देखने तीर्थों पर आते हैं या फिर नए आकार बदलते जा रहे तीर्थ ?
पुरातन सांस्कृतिक विरासत को बाजार में बदलना , कितना उचित , कितना घातक ; चर्चा होनी चाहिए !
हिन्दू मठ मंदिरों से भारत सरकार को सालाना 3 लाख 65 हजार करोड़ की कमाई होती है !
इसका कितना रिटर्न मंदिरों के रखरखाव में सरकार करती है , ऐसा कोई आंकड़ा हमारे पास नहीं है !
तिरुपति बालाजी जैसे सबसे कमाऊ दक्षिण के तमाम मंदिर सरकार के कब्जे में हैं , बद्री केदार जैसे मंदिर हों या वैष्णोदेवी ; सभी का धार्मिक चढ़ावा सरकारों के खजाने में जाता है !
इस कमाई का सरकारें मनमाना प्रयोग करती आई हैं , आरोप तो यह भी है कि सरकार अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों को दी जाने वाली राशि भी सरकारें इसी मद से खर्च करती आई हैं !
बावजूद इसके सरकारें तीर्थों के विशुद्ध विकास के लिए बहुत कम धन राशि खर्च करती हैं !
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