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विश्लेषण

राहुल गांधी जैसे विधर्मियों, ईसाईयो व कसाइयों को मठ-मंदिरों में प्रवेश से वंचित करो

राहुल गांधी जैसे विधर्मियों, ईसाईयो व कसाइयों को मठ-मंदिरों में प्रवेश से वंचित करो

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राष्ट्र-चिंतन*   *आचार्य श्री विष्णुगुप्त*  राहुल गांधी अभी-अभी उज्जैन के महाकाल मंदिर में घुसा और दर्शन के नाम पर भरपूर मनोरंजन किया। राहुल गांधी के इस मनोरंजन खेल को न तो मूर्ख हिन्दू समझेंगे और न ही सेक्युलर हिन्दू समझेंगे, महाकाल जैसे मंदिरों के पुजारियों और मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य भी नहीं समझेंगे। उपर्युक्त टिप्पनियां सोशल मीडिया पर खूब चली, इस तरह की टिप्पणियों के सहचर लोगों का गुस्सा यह है कि राहुल गांधी जैसे विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का प्रवेश मंदिरों और मठों में क्यों होना चाहिए? विधर्मियों और गैर हिन्दुओं का मठ-मंदिरों में प्रवेश उसी तरह से निषेध होना चाहिए जिस तरह से मक्का मदीना में गैर मुसलमानों का प्रवेश निषेध है। यानी कि अब स्वाभिमानी हिन्दू अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए मक्का-मदीना जैसा विकल्प चाहते हैं।            ईसाई और मु...
राहुल क्यों करे मोदी की नकल?

राहुल क्यों करे मोदी की नकल?

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डॉ. वेदप्रताप वैदिक लोकतंत्र में सभी नेताओं और दलों को स्वतंत्रता होती है कि यदि वे करना चाहें तो हर किसी की आलोचना करें लेकिन आजकल नेता लोग एक-दूसरे की निंदा करने और नकल करने में नए-नए प्रतिमान कायम कर रहे हैं। राहुल गांधी को देखकर लगता है कि नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी भाई-भाई हैं। हालांकि दोनों के बौद्धिक स्तर में ज्यादा फर्क नहीं है लेकिन मोदी के आलोचक भी मानते हैं कि राहुल के मुकाबले मोदी बहुत अधिक प्रभावशाली वक्ता हैं। वे जो बात भी कहते हैं, वह तर्कसंगत और प्रभावशाली होती है जबकि राहुल का बोला हुआ लोगों की समझ में ही नहीं आता। कई बार राहुल के मुंह से ऐसी बातें निकल जाती हैं, जो कांग्रेस पार्टी की परंपरागत नीति के विरुद्ध होती हैं। फिर भी राहुल की हरचंद कोशिश होती है कि वह मोदी के विकल्प की तरह दिखने लगें। राहुल ने मोदी की तरह अपनी दाढ़ी बढ़ा ली है। और बिल्कुल मोदी की तरह धोती लपे...
दूध की धार पर जहर की मार या दूध की सूखती धार

दूध की धार पर जहर की मार या दूध की सूखती धार

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डॉ. शंकर सुवन सिंहदूध पौष्टिकता का प्रतीक है। दूध देवताओं को प्रिय है। दूध अमृत है। दूध शाकाहारियों के लिए प्राथमिक प्रोटीनका स्रोत है। दूध विटामिन डी का एक दुर्लभ खाद्य स्रोत भी है। पुराणों में दूध की तुलना अमृत से की गई हैं, जोशरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के साथ-साथ कई सारी बीमारियों से बचाता है। अथर्ववेद में लिखा है किदूध एक सम्पूर्ण भोज्य पदार्थ है। इसमें मनुष्य शरीर के लिए आवश्यक वे सभी तत्व हैं जिनकी हमारे शरीर कोआवश्यकता होती है। दूध की शुद्धता अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। विश्व में भारत दुग्ध उत्पादन में अग्रणी देशहै। भारत को सदियों से दूध दही का देश कहा जाता रहा है। पंजाब और हरियाणा दुग्ध उत्पादन में हमेशा आगेरहे हैं। एक प्रचलित कहावत है कि जहां दूध दही का खाना वो है हमारा हरियाणा। अब खपत को पूरा करने केलिए इसी दूध में जहर को घोला जा रहा है। मिलावटी दूध हमारे स्वास्थ्य और जीवन ...
भागी हुई लड़कियों का बाप.. सबसे निरीह होता हैं !!

भागी हुई लड़कियों का बाप.. सबसे निरीह होता हैं !!

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      वह इस दुनिया का सबसे अधिक टूटा हुआ व्यक्ति होता है। पहले तो वह महीनों तक घर से निकलता नहीं है, और फिर जब निकलता है तो हमेशा सर झुका कर चलता है। अपने आस-पास मुस्कुराते हर चेहरों को देख कर उसे लगता है जैसे लोग उसी को देख कर हँस रहे हैं। वह जीवन भर किसी से तेज स्वर में बात नहीं करता, वह डरता है कि कहीं कोई उसकी भागी हुई बेटी का नाम न ले ले... वह जीवन भर डरा रहता है। वह रोज मरता है। तबतक मरता है जबतक कि मर नहीं जाता।     पुराने दिनों में एक शब्द होता था 'मोछ-भदरा'। जिस पिता की बेटी घर से भाग जाती थी, उसे उसी दिन हजाम के यहाँ जा कर अपनी मूछें मुड़वा लेनी पड़ती थी। यह ग्रामीण सभ्यता का अलिखित संविधान था। तब मनई दो बार ही मूँछ मुड़ाता था, एक पिता की मृत्यु पर और दूसरा बेटी के भागने पर। बेटी का भागना तब पिता की मृत्यु से अधिक पीड़ादायक समझा जाता था। तब और अब में बस इतना इतना ही...
स्वयं से संघर्षरत पाकिस्तान

स्वयं से संघर्षरत पाकिस्तान

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-बलबीर पुंज पाकिस्तान का अगला सेनाध्यक्ष कौन होगा? 29 नवंबर को उसके वर्तमान सेना मुखिया जनरल कमर जावेद बाजवा का दूसरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट की माने, तो पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को जिन नामों की सूची भेजी है, उसमें— लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर, लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास प्रबल उम्मीदवार हैं। नए सेनाध्यक्ष का शरीफ बंधुओं (नवाज-शहबाज) और इमरान खान के बीच संबंध कैसा होगा? इन प्रश्नों के उत्तरों का पाकिस्तान के भविष्य से सीधा संबंध है। पाकिस्तानी सेना से सीधा टकराने वाले इमरान अगले सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में या तो सरकार-विपक्ष में आम-सहमति होने या इसे चुनाव तक टालने की बात कर रहे है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि शरीफ सरकार द्वारा प्रस्तावित विकल्पों में जनरल मुनीर का हर समय नियमों से चलने वाला व्यवहार, इमरान को 'पसं...
कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

कैसे लग जाते हैं विचारों को पंख?

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हमारे लिए लिखना जरुरी क्यू हैं? सागर की बड़ी –बड़ी लहरें आपको उन्माद से भर जाती हैं। आप लहरों संग ऊपर –नीचे करने लगते हो। समुद्र में उतरने से ही पहले।ऐसे में भला कहां समझ आता हैं कि जाएं या न जाएं। कानों में अलग-अलग आवाज़ें कैद होती रहती हैं और मचलने लगता है मन, कि चलो। अब तो चलना ही है । सार्थक रूप से बात करने या लिखने के लिए अनुभव और जीवन सीखने से प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष अनुभव भी स्मृति में उकेरा जाता है और कोई भी वास्तव में पाठकों को अनुभव के बारे में विश्वास दिला सकता है। -प्रियंका सौरभ सभी लेखक और लेखक अक्सर अपने स्वयं के जीवन के अनुभवों के बारे में लिखते हैं। जीवन के अनुभव की कमी के कारण, कोई अर्थपूर्ण ढंग से नहीं लिख सकता या दर्शकों को बांध नहीं सकता। युद्ध में जाने का अनुभव इसके बारे में पढ़ने से अलग है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो व्यक्ति कभी सेना में नही...
जलवायु संकट के लिये अमीर देशों की उदासीनता खतरनाक

जलवायु संकट के लिये अमीर देशों की उदासीनता खतरनाक

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
 ललित गर्ग  जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए अमीर एवं शक्तिशाली देशों की उदासीनता एवं लापरवाह रवैया एक बार फिर मिस्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-27) में देखने को मिली। दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या जितनी गंभीर होती जा रही है, इससे निपटने के गंभीर प्रयासों का उतना ही अभाव महसूस हो रहा है। कॉप-27 में मौसम में अप्रत्याशित बदलाव के कारण गरीब देशों को हुए नुकसान पर चर्चाएं हुई, इस तरह का नुकसान गरीब देश ही भुगतते हैं। इस सम्मेलन में इसकी भरपाई के लिए धन मुहैया कराने समेत अन्य अहम मुद्दों को लेकर गतिरोध ने इस कड़वे यथार्थ एवं खौफनाक सच को फिर रेखांकित कर दिया कि अमीर एवं शक्तिशाली देश इस वैश्विक समस्या के प्रति उदासीन है। गंभीर से गंभीरतर होते इस संकट को लेकर सम्मेलन के समापन पर ‘नुकसान और क्षति’ कोष स्थापित करने पर सहमति भले ही बन गई, लेकिन यह कोष कब तक बनेगा,...
अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

अच्छी आदतों के निर्माण का संकल्प लें

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-ललित गर्ग- आज का इंसान नकारात्मक को ओढ़े नानाप्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है,हर इंसान अपनी आदतों को लेकर परेशान है। ऐसा नहीं है कि आज का आदमी समय के साथ चलना न चाहे, बुरे आचरण एवं आदतों को छोड़कर अच्छी जिन्दगी का सपना न देखे, बुराई को बुराई समझने के लिये तैयार न हो। सोचना यह है कि हम गहरे में जमंे संस्कारों एवं जड़ हो चुकी आदतों को कैसे दूर करें। जड़ तक कैसे पहुंचे। बिना जड़ के सिर्फ फूल-पत्तों का क्या मूल्य? अच्छा जीवन जीने एवं श्रेष्ठता के मुकाम तक पहुंचने के लिये अच्छी आदतों को स्वयं में सहेजना होगा, बाहरी अवधारणाओं को बदलना होगा, जीने की दिशाओं को मोड़ देना होगा। अंधेरा तभी तक डरावना है जब तक हाथ दीये की बाती तक न पहुंचे। जरूरत सिर्फ उठकर दीये तक पहुंचने की है।विलियम जेम्स ने अपनी पुस्तक ‘दि प्रिसिंपल ऑफ साइकोलॉजी’ में मनोवैज्ञानिक ढंग से चर्चा करते हुए लिखा है-‘अच्छा जीवन जीने क...
न्यायिक अंधेरों में उम्मीद की किरण बनतेे चन्द्रचूड़-ललित गर्ग

न्यायिक अंधेरों में उम्मीद की किरण बनतेे चन्द्रचूड़-ललित गर्ग

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भारत की न्याय प्रणाली विसंगतियों एवं विषमताओं से घिरी है। संवैधानिक न्यायालय का गठन बड़ा अलोकतांत्रिक व दोषपूर्ण है। न्याय-व्यवस्था जिसके द्वारा न्यायपालिकाएं अपने कार्य-संचालन करती है वह अत्यंत महंगी, अतिविलंबकारी और अप्रत्याशित निर्णय देने वाली है। ‘न्याय प्राप्त करना और इसे समय से प्राप्त करना किसी भी राज्य व्यवस्था के व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार होता है।’ ‘न्याय में देरी न्याय के सिद्धांत से विमुखता है।’ भारतीय न्यायिक व्यवस्था में विद्यमान इन चुनौतियों एवं विसंगतियों को दूर करने के लिये भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) के रूप में शपथ लेने के बाद से ही जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ लगातार सक्रिय एवं संकल्पित है। वे न्याय-प्रक्रिया की कमियों एवं मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं तो उनमें सुधार के लिये जागरूक दिखाई दे रहे हैं। निश्चित ही उनसे न्यायपालिका में छाये अंधेरे सायों में सुधार रूपी ...
ख़तरनाक होता डेंगू

ख़तरनाक होता डेंगू

राज्य, राष्ट्रीय, विश्लेषण
डेंगू एक ऐसी बीमारी हैं जो एडीज इजिप्टी मच्छरों के काटने से होता है। इस रोग में तेज बुखार के साथ शरीर पर चकत्‍ते बनने शुरू हो जाते हैं। जहां यह महामारी के रूप मे फैलता है वहां एक समय में अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते है। डेंगू बुखार बहुत ही दर्दनाक और अक्षम कर देने वाली बीमारी है। इसमें मरीज के शरीर में दर्द बहुत ज्‍यादा होता है, इसलिए इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। बरसात के मौसम में यह बीमारी आम हो जाती है, क्‍यों कि इस मौसम गंदगी की वजह से महामारी फैलने की समस्‍या ज्‍यादा रहती है। विषाणु जनित इस रोग को एंटीबायोटिक दवाइयों से ठीक नहीं किया जा सकता है।डेंगू में कई तरह की जटिलताएं भी हैं। यह कई बार रक्‍तश्रावी डेंगू और डेंगू शॉक सिंड्रोम जैसे कई खतरनाक रूप धारण कर सकता है। डेंगू की वजह से कई बार शरीर में पानी की कमी, लगातार शरीर से खून निकलना, प्‍लेटलेट्स घटना, रक्‍तचाप कम होन...