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Vehicles the top polluters this Diwali

Vehicles the top polluters this Diwali

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
Vehicles top polluters in Delhi during Diwali week, High peak traffic for long hours due to surge in vehicle numbers Despite vehicles becoming the top polluter, action ontransport remains the weakest Among local pollution sources in Delhi, vehicles caused half of Delhi’s own contribution to PM2.5 during Diwali week (21-26 October)When pollution concentration from all sources (local, NCR and beyond) are added, Delhi’s vehicles account for nearly 17 per cent of total PM2.5 concentrationHigh traffic load during Diwali week increased congestion for long hours -- from 12 noon to 8 pm -- flattening the congestion peaksWith high traffic on pre-Diwali days, average speed plummeted to 27 km per hour against the design standard of 60 km/hr or regulated speed of 40 km/hr. On some stretches ...
न्यायपालिका के लिए छुट्टियों की संस्कृति को बंद किया जाना चाहिए?

न्यायपालिका के लिए छुट्टियों की संस्कृति को बंद किया जाना चाहिए?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
(धीमी गति से चलता न्याय का पहिया ) न्यायपालिका के लिए छुट्टियों की संस्कृति को बंद किया जाना चाहिए? अवकाश की अवधारणा औपनिवेशिक नियमों से उत्पन्न हुई है। उस समय न्यायाधीश इंग्लैंड से आए थे, भारत की तुलना में ठंडी जगह और भारत की गर्मी उनके लिए असहनीय थी। अदालतों और स्कूलों को छोड़कर देश में कोई भी सरकारी संगठन नहीं है जहाँ छुट्टी होती है। भारतीय अदालतों में 3.1 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। भारत में अपर्याप्त न्यायिक शक्ति है (भारत में प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 13 न्यायाधीश हैं, ब्रिटेन की 100 की तुलना में)। दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां कोर्ट में छुट्टियां नहीं होती हैं। उदाहरण के लिए, फ्रांस और यू.एस. न्यायाधीशों के पास अवकाश नहीं होता है, लेकिन वे न्यायालय के कार्य को प्रभावित किए बिना अवकाश ले सकते हैं। भारत में भी अधीनस्थ आपराधिक न्यायालयों में कोई अवकाश नहीं होता है। लेकिन...

परदेस में कितने देसी नेता

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
परदेस में कितने देसी नेता*विनीत नारायणक्या आप जानते हैं कि इंग्लैंड के अलावा भी कई देशों में भारतीय मूल के प्रधान मंत्री हैं? दीपावली के दिन जैसे हीये खबर आई कि ऋषि सौनक निर्विरोध ब्रिटेन के प्रधान मंत्री चुन लिए गये हैं, तो विश्व भर के हिंदुओं में ख़ुशी कीलहर दौड़ पड़ी, विशेषकर भारत में। लोग बल्लियों उछलने लगा। मानो भारत ने इंग्लैंड को जीत लिया हो।औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त रहे भारतीयों के लिए निश्चय ही ये एक गर्व का विषय है कि ऋषि सौनक उनगोरों के प्रधान मंत्री हैं जो कभी भारतीयों को शासन करने में नाकारा बताते थे। यह भी सही है की ऋषि सौनक केपूर्वजों की जड़ें पूर्वी पाकिस्तान और भारत से जुड़ी हैं और वे इंफ़ोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति के दामाद हैं।इससे भी ज़्यादा यह कि वे स्वयं को हिंदू घोषित कर चुके हैं और उन्होंने अपनी सांसदीय शपथ भी भगवद् गीतापर हाथ रख कर ली थी। इससे आगे ऐसा कुछ नही...

परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंकाएं से बढ़ी चिन्ताएं

TOP STORIES, विश्लेषण
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंकाएं से बढ़ी चिन्ताएं-ललित गर्ग- रूस एवं यूक्रेन के बीच लम्बे समय से चल रहा युद्ध भीषणतम तबाही एवं सर्वनाश का कारण बनता दिख रहा है। रूस द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल किये जाने एवं यूक्रेन के द्वारा ‘डर्टी बम’ का इस्तेमाल किये जाने की धमकियां, दुनिया के लिये डर का कारण बन रही है। भयंकर विनाश की आशंकाओं के बीच समूची दुनिया सहमी हुई है। यदि परमाणु हथियारों का उपयोग होता है तो यह मानवता के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ होगा एवं दुनिया को अशांति की ओर अग्रसर करने वाला होगा। इस मसले का हल कूटनीति और आपसी बातचीत से ही निकालने के प्रयास किये जाने की आवश्यकता भारत लगातार व्यक्त करता रहा है। शांति का उजला एवं अहिंसा-सहजीवन की कामना ही भारत का लक्ष्य रहा है। इसीलिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार युद्ध विराम की कोशिश करते हुए दोनों ही देशों को दिशा-द...

नये राजनैतिक दल के गठन का प्रश्न: 1

राष्ट्रीय, विश्लेषण
नये राजनैतिक दल के गठन का प्रश्न: 1 -प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज वर्तमान स्थिति से क्षुब्ध होकर भारतीय संस्कृति और भारतीय समाज से आत्मभाव रखने वाले बहुत से लोग व्यग्र होकर नये राजनैतिक दल के गठन की इच्छा पाल लेते हैं। यह इच्छा स्वयं में बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ है परंतु आवश्यक जानकारी और विवेक के बिना यह केवल कष्ट और निराशा की ओर ले जायेगी। सर्वप्रथम तो यह जानना चाहिये कि यह जो आपमें नये राजनैतिक दल के गठन का उत्साह आ रहा है, वह स्वयं में कितना बड़ा वरदान है। कल्पना कीजिये कि भारत में तानाशाही होती और वह तानाशाह मुसलमानों के साथ मैत्री के कारण हिन्दू धर्म का बढ़-चढ़ कर दमन कर रहा होता। क्योंकि इंग्लैंड या अमेरिका को तो किसी भी राष्ट्रराज्य में तानाशाही के होने से कोई अंतर आज तक नहीं पड़ा है। विश्व के अनेक तानाशाहों से और तानाशाहियों से पश्चिमी यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों ...

रहने लायक नहीं रहेगी यह धरा यदि प्रकृति का शोषण इसी रफ्तार से चलता रहा

TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
रहने लायक नहीं रहेगी यह धरा यदि प्रकृति का शोषण इसी रफ्तार से चलता रहा भारतीय हिंदू सनातन संस्कृति हमें यह सिखाती है कि आर्थिक विकास के लिए प्रकृति का दोहन करना चाहिए न कि शोषण। परंतु, आर्थिक विकास की अंधी दौड़ में पूरे विश्व में आज प्रकृति का शोषण किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग कर प्रकृति से अपनी आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति बहुत ही आसानी से की जा सकती है परंतु दुर्भाग्य से आवश्यकता से अधिक वस्तुओं के उपयोग एवं इन वस्तुओं के संग्रहण के चलते प्राकृतिक संसाधनों के शोषण करने के लिए जैसे मजबूर हो गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस गति से विकसित देशों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया जा रहा है, उसी गति से यदि विकासशील एवं अविकसित देश भी प्राकृतिक संसाधनों का शोषण करने लगे तो इसके लिए केवल एक धरा से काम चलने वाला नहीं है बल्कि शीघ्र ही हमें इस प्रकार की चार धराओं ...

गणेश शंकर विद्यार्थी

विश्लेषण, साहित्य संवाद
26 अक्टूबर 1890 क्रांतिकारी पत्रकारगणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म * चंद्रशेखर आजाद और भगतसिंह की भेंट उन्हीं ने कराई थी * वे राष्ट्र और संस्कृति को सर्वोपरि मानते थे --- रमेश शर्मा सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर देश सेवा में लगे हों । क्राँतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे । उनके जीवन में और जीवन के बाद भी उन्हें सब अपना मानते हैं । वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अहिसंक आँदोलन में जहाँ स्वयं हिस्सा लेते थे वहीं क्राँतिकारी आँदोलन के बलिदानियों के अज्ञातवास की व्यवस्था करते थे । यह व्यवस्था उनके रुकने से लेकर धन प्रबंध तक होती थी । वे पाँच बार जेल गये । वे राष्ट्र के लिये सामाजिक और साम्प्रदायिक एकता आवश्यक मानते थे और कहते थे कि राष्ट्र का आधार समन्वय और सद्भाव ...
सुरक्षा के साथ मानवता का धर्म निभा रही कांस्टेबल सोनिया  

सुरक्षा के साथ मानवता का धर्म निभा रही कांस्टेबल सोनिया  

विश्लेषण, सामाजिक
सुरक्षा के साथ मानवता का धर्म निभा रही कांस्टेबल सोनिया   फर्ज आखिर फर्ज ही होता है पुलिस की ड्यूटी हो या समाज में फैले तमाम बुराइयों को दूर करने का फर्ज एक पुलिसकर्मी बेहतर ढंग से निभा सकता है। वो भी महिला पुलिसकर्मी। इसका काबिले गौर उदाहरण बनी है सोनिया जोशी जो अभी उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत हैं। अपनी ड्यूटी के साथ आम जनता की सेवा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होकर अपना कर्तव्य निभा रही है सोनिया जोशी। महिला सिपाही वर्दी के साथ-साथ समाज में फैली बुराइयों को मिटाने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने पुलिस में कठिन और प्रतिकूल स्थितियों में न  सिर्फ अपने जीवन को संभाला। बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का विषय बनी। आज वह समाज में अलग-अलग कार्य में सक्रिय हैं। बता दें कि इस मुहिम का झंडा हाथ में लेकर काम आसान नहीं था। ऐसे काम आसान भी नहीं होते सोनिया ने मेहनत और काबिलियत के दम पर स...
Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players लाने का फायदा.

Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players लाने का फायदा.

विश्लेषण
Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players लाने का फायदा. 2001 में अटल जी की सरकार ने Defence मैन्युफैक्चरिंग में Private players के लिए 100% contribution के लिए खोल दिया था. कई कंपनिया शुरू हुई.. कई बड़ी कंपनियों ने Defence में हाथ डाला... लेकिन उसके बाद ज्यादा काम नहीं हुआ. 2016 में सरकार ने Defence में 49% FDI (automatic route) allow कर दी....49% से ऊपर भी allowed है अगर कोई नई टेक्नोलॉजी भारत में लाना चाहता हो. 2022 में यह 74% तक बढ़ा दिया गया है. जब यह निर्णय लिए गए, तब विपक्ष ने हल्ला मचाया.. कि मोदी ने अपने दोस्तों को Defence sector बेच दिया  लेकिन Private प्लेयर और FDI आने से होने वाले फायदे किसी ने नहीं देखे.. ना सोचे..... क्यूंकि जब नेताओं को commision का मोटा पैसा मिल रहा हो, तब काहे का प्राइवेट sector और किस बात की FDI. खैर... इन क़दमों से भारत में Defence...
खाद्य पदार्थों के अपव्यय एवं नुक्सान को रोकना आज की आवश्यक आवश्यकता

खाद्य पदार्थों के अपव्यय एवं नुक्सान को रोकना आज की आवश्यक आवश्यकता

राज्य, विश्लेषण, सामाजिक
खाद्य पदार्थों के अपव्यय एवं नुक्सान को रोकना आज की आवश्यक आवश्यकता इस पृथ्वी पर रहने वाले मानवों की भलाई के लिए खाद्य पदार्थों के अपव्यय एवं नुक्सान को रोका जाना आज की आवश्यक आवश्यकता बन गया है। पूरे विश्व में ही आज खाद्य पदार्थों की बर्बादी बड़े स्तर पर हो रही है। इससे नागरिकों की खाद्य सुरक्षा पर भी एक गम्भीर प्रश्न चिन्ह लग गया है। यूनाइटेड नेशन्स के पर्यावरण कार्यक्रम के एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में 14 प्रतिशत खाद्य पदार्थों का नुक्सान खाद्य पदार्थों को उत्पत्ति स्थल से खुदरा बिक्री स्थल तक पहुंचाने में हो जाता है। इसके अलावा, अन्य 17 प्रतिशत खाद्य पदार्थों का नुक्सान इन्हें खुदरा बिक्री स्थल से उपभोक्ता के स्थल तक पहुंचाने में हो जाता है। खाद्य पदार्थों के इतने बड़े नुक्सान का वातावरण में उत्सर्जित हो रही कुल गैसों में 8 से 10 प्रतिशत तक का योगदान रहता है। आज खाद्य पदार्थों...