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कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते; क्षमा ताकतवर की विशेषता है।

कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते; क्षमा ताकतवर की विशेषता है।

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(राष्ट्रीय क्षमा और खुशी दिवस - 7 अक्टूबर) कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते; क्षमा ताकतवर की विशेषता है। सामाजिक जीवन तभी संभव है जब हम बात करें, चर्चा करें और एक-दूसरे की छोटी-छोटी गलतियों को क्षमा करें। क्षमा के लिए एक आवश्यक मूल्य इस प्रकार प्रत्येक मनुष्य के लिए सम्मान है। आतंकवादी गतिविधियां, उग्रवाद, नक्सलवाद, सांप्रदायिक दंगे आदि खुद को बदले की कार्रवाई के रूप में और अतीत में की गई गलतियों को सुधारने की कोशिश करने वाले कृत्यों के रूप में सही ठहराते हैं। इस तरह के कृत्यों का उद्देश्य गलत के बजाय गलत करने वाले का सफाया करना ही संघर्षों को बढ़ाता है। आज, भारतीय समाज उस चौराहे पर है जहां विभिन्न समुदाय या वर्ग समाहित हो रहे हैं, इसलिए शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए क्षमा और स्वीकृति के कार्य का अभ्यास करना चाहिए। चूँकि शांति प्रत्येक मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है जो बिना क...
रासायनिक उर्वरकों को कम करें, धरती के घाव भरें

रासायनिक उर्वरकों को कम करें, धरती के घाव भरें

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रासायनिक उर्वरकों को कम करें, धरती के घाव भरें कीटनाशकों को सब्जी पर लगाया जाता है जो सीधे मानव या पशुओं के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग भूमिगत जल को नाइट्रेट से प्रदूषित कर सकता है और यह मनुष्यों या पशुओं के लिए बहुत खतरनाक है। नाइट्रेट केंद्रित पानी रक्त में कुछ हीमोग्लोबिन को स्थिर कर सकता है। संतुलित उपयोग पानी की कम खपत को भी प्रतिबिंबित करेगा, साथ ही साथ जल निकायों को अपवाह प्रदूषण से बचाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्रों के नेटवर्क के अलावा कृषि, सहयोग और किसान कल्याण और उर्वरक विभागों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से संतुलित उर्वरक के बारे में किसान जागरूकता को बढ़ाया जाना चाहिए। सिक्किम राज्य द्वारा दिखाए गए अनुसार प्राथमिकताओं और सब्सिडी को रासायनिक से जैविक खेती में बदलना समय की मांग है।-डॉ सत्यवान सौरभकीटों और रोगों ने मौजूदा...
अंग्रेजों के अत्याचारों पर ये खामोशी क्यों ?

अंग्रेजों के अत्याचारों पर ये खामोशी क्यों ?

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अंग्रेजों के अत्याचारों पर ये खामोशी क्यों ? विनीत नारायण पिछले कुछ वर्षों से मुसलमानों को लेकर दुनिया के तमाम देशों में चिंता काफ़ी बढ़ गई है। हर देश अपने तरीक़े से मुसलमानों की धर्मांधता से निपटने के तरीक़े अपना रहा है। खबरों के मुताबिक़ चीन इस मामले में बहुत आगे बढ़ गया है। वैसे भी साम्यवादी देश होने के कारण चीन की सरकार धर्म को हेय दृष्टि से देखती है। पर मुसलमानों के प्रति उसका रवैया कुछ ज़्यादा ही कड़ा और आक्रामक है। इसी तरह यूरोप के देश जैसे फ़्रांस, जर्मनी, हॉलैंड और इटली भी मुसलमानों के कट्टरपंथी रवैए के विरुद्ध कड़ा रुख़ अपना रहे हैं। इधर भारत में मुसलमानों को लेकर कुछ ज़्यादा ही आक्रामक तेवर अपनाए जा रहे हैं। इस विषय पर मैंने पहले भी कई बार लिखा है। मैं अपने सनातन धर्म के प्रति आस्थावान हूँ। पर यह भी मानता हूँ कि धर्मांधता और कट्टरपंथी रवैया, चाहे किसी भी धर्म का हो, पूर...
बुजुर्ग हमारे वजूद है न कि बोझ

बुजुर्ग हमारे वजूद है न कि बोझ

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बुजुर्ग हमारे वजूद है न कि बोझ (बदलते परिवेश में एकल परिवार बुजुर्गों को घर  की  दहलीज से दूर कर रहें है. बच्चों को दादी- नानी  की  कहानी की बजाय पबजी अच्छा लगने लगा है, बुजुर्ग अपने बच्चों से बातों को तरस गए है. वो  घर के किसी कोने में अकेलेपन का शिकार हो रहें है. ऐसे में इनकी मानसिक-आर्थिक-सामाजिक समस्याएं बढ़ती जा रही है. महँगाई  के आगे पेंशन कम होती जा रही है. आयुष्मान योजना में बुजुर्गों को शामिल कर उनके स्वास्थ्य देखभाल के साथ बुजर्गों के लिए अलग से योजनाएं लाने की सख्त जरूरत है.) हमारे देश में बुजुर्ग तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन उनके लिए उपलब्ध संसाधन कम होते जा रहें  हैं। ऐसे में हम सबकी जिम्मेवारी बनती है कि उन्हें  एक तरफ रखने के बजाय उनकी  शारीरिक और मानसिक देखभाल करने के लिए समुदायों के जीवन में एकीकृत किया जाना चाहिए, जहां वे सामाजिक परिस्थितियों को सुधारने में पर...
दुनिया बुरे लोगों की हिंसा से नहीं, बल्कि अच्छे लोगों की चुप्पी से पीड़ित है।

दुनिया बुरे लोगों की हिंसा से नहीं, बल्कि अच्छे लोगों की चुप्पी से पीड़ित है।

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दुनिया बुरे लोगों की हिंसा से नहीं, बल्कि अच्छे लोगों की चुप्पी से पीड़ित है। नैतिक दुविधा की यह स्थिति एक अधिक महत्वपूर्ण भावना में भी बदल सकती है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति अंतःकरण की आवाज का पालन न करके नैतिक रूप से गलत कार्य करने से डरता है। आत्म-मूल्य और सिद्धांतों के अनुसार कार्य करना भी अक्सर कठिन हो जाता है। लोग अंतत: किसी भौतिकवादी मांग या लालच के लिए अपनी अंतरात्मा की आवाज को ठुकरा देते हैं और इसके विपरीत व्यवहार करते हैं। सांसारिक आवश्यकता और इच्छा के कारण यह क्रिया अंतःकरण और मानव स्वभाव की आवाज को क्षीण करने लगती है।  फिर भी, करुणा, सहानुभूति, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जैसे मूल्य हमें सही निर्णय लेने में सहायता करते हैं। कार्य करना या न करना एक चुनौती है और उपरोक्त मूल्य एक बेहतर मार्गदर्शन कर सकते हैं। -प्रियंका सौरभ नैतिकता मानवता का सबसे बड़ा गुण है और हमें केवल पश...
सफलता के लिए जरूरी है टाइम मैनेजमेंट

सफलता के लिए जरूरी है टाइम मैनेजमेंट

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                                                                                                                                                 सफलता के लिए जरूरी है टाइम मैनेजमेंट                                                                                       Personality Development: सफलता हासिल करने के लिए टाइम मैनेजमेंट सीखना बहुत जरूरी है एक बार अगर आप टाइम मैनेजमेंट सीख जाएंगे तो आपको नई चीजें सीखने में आसानी होगी. टाइम मैनेजमेंट सीखने के लिए आपको लाइफ में बस तीन आदतें अपनानी हैं. आइएआइए जानते हैं कौन सी आदतें आपका टाइम मैनेजमेंट बनाने में मददगार हैं. Tips for Time Management: लाइफ में हर कोई सफल होना चाहता है, लेकिन कई बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती है. इनके पीछे एक कारणटाइम मैनेजमेंट भी है. कई लोग जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन टाइम नहीं मिलने के...
सद्भाव के लिए आवश्यक संवाद

सद्भाव के लिए आवश्यक संवाद

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ह्रदय नारायण दीक्षित हिन्दू मुस्लिम सह अस्तित्व की समस्या पुरानी है। गांधी जी ने इस समस्या पर हार मान ली थी। साम्प्रदायिक दुराग्रह के कारण भारत विभाजन हुआ। विभाजन की त्रासदी के घाव पुराने होकर भी ताजे हैं। सम्प्रति उनका आरोप है कि हाल के दिनों में समुदाय में भय की भावना बढ़ी है। कहा गया है कि कुछ समय से देश में हुई चिंतनीय घटनाओं ने देश का तापमान बढ़ा दिया है। इसी बीच गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भगवत व भारतीय इमाम परिषद् के अध्यक्ष डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात हुई। इलियासी इस भेंट से संतुष्ट व प्रसन्न रहे। संघ प्रमुख एक मदरसे में भी गए। उनका स्वागत वंदे मातरम् से हुआ। भागवत दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट-जनरल जमीरुद्दीन शाह, शाहिद सिद्दीकी, स...
मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा

मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा

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राष्ट्र-चिंतन* *मोहन भागवत को राष्ट्रपिता कहने का इस्लामिक एजेंडा* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* ==================== सरकारी सड़क के गोल चक्कर को घेर कर बैठने वाले और इमामों का संगठन चलाने वाले ऑल इंडिया इमाम ऑगनाइजेशन के अध्यक्ष इमाम उमर अहमद इलियासी वर्तमान में बहुत ही चर्चित है, उनकी चर्चा सिर्फ राजनीति में ही नहीं है बल्कि मुस्लिम पंथ में भी खूब हो रही है। चर्चा होनी भी स्वाभिवक है। आखिर उनके दर पर मोहन भागवत जो पहुंच गये, उमर इलियासी भी मोहन भागवत को राष्ट्रपति करार जो दिया।खासकर मुस्लिम राजनीति भी उबल पड़ी। मुस्लिम राजनीति में उनकी चर्चा कुछ ज्यादा ही हो रही है। अधिकतर मुस्लिम राजनीति के सहचर उन्हें खलनायक और भस्मासुर की उपाधि दे रहे हैं, उन्हें इस्लाम का सत्यानाशी करार दे रहे हैं, कुछ मुस्लिम संगठन तो उन्हें अपशब्द भी कह रहें हैं और न लिखने योग्य गालियां भी बक रहे हैं। जहां तक इमामों ...
आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान

आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान

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आधुनिक सतही और भ्रमित युवा: कारण और समाधान भारत में 15 से 35 वर्ष की आयु के युवा एक मूल्यवान संसाधन हैं जो ज्ञान, कौशल और विकास की पहचान हैं और अक्सर कई आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होते हैं जो उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। अवधि शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परिवर्तनों के साथ-साथ सामाजिक संबंधों और संबंधों के बदलते रूप की विशेषता है। युवावस्था एक स्वस्थ और उत्पादक वयस्कता स्थापित करने और जीवन में बाद में स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को कम करने का एक अवसर है। अधिकांश युवा लोगों को स्वस्थ माना जाता है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अनुमानित 2.6 मिलियन युवा 10 से 24 वर्ष की आयु के बीच हर साल मर जाते हैं, और इससे भी अधिक संख्या में बीमारियों या "दुर्व्यवहार" से पीड़ित होते हैं जो वे विकसित करते हैं। होने की क्षमता को सीमित करता है। सभी समय से पहले होने वाली मौतों ...
क्या बैकफुट पर हैं रुस-चीन या हिला हुआ है नाटो और अमेरिका ?

क्या बैकफुट पर हैं रुस-चीन या हिला हुआ है नाटो और अमेरिका ?

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क्या बैकफुट पर हैं रुस-चीन या हिला हुआ है नाटो और अमेरिका ? - अनुज अग्रवाल रुस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा फिर से यूक्रेन के ख़िलाफ़ किसी भी हद तक जाने (परमाणु हमले की धमकी देने) के बाद से पूरा यूरोप डरा व घबराया हुआ है तो नाटो व अमेरिका हिले हुए हैं। यूक्रेन में अपने क़ब्ज़े वाले साठ हज़ार किलोमीटर के क्षेत्र में से नौ हज़ार किलोमीटर के क्षेत्र को किसी गोपनीय रणनीति के तहत छोड़ देने के रुस के फ़ैसले के बाद प्रॉपगंडा वार में महारथी अमेरिका व नाटो ने इतनी ज़्यादा अफ़वाह फैलायीं कि पुतिन परेशान हो गए व ख़तरनाक रूप से आक्रामक होने की रणनीति अपनाने पर मजबूर हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन की इस आक्रामक व उकसाने वाली रणनीति की पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने कड़ी आलोचना करते हुए इसे मूर्खतापूर्ण कहा है किंतु बाईडेन बाज़ नहीं आ रहे। अब अगली अफ़वाह पुतिन के साथ दीवार की तरह खड़े चीनी राष्ट्...