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ज़रूरी है, नकली उत्पादों की बिक्री पर नकेल

ज़रूरी है, नकली उत्पादों की बिक्री पर नकेल

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*ज़रूरी है, नकली उत्पादों की बिक्री पर नकेल* एक अजीब, अप्रमाणित बात की गणना सोशल मीडिया पर देखने को मिली है। यदि यह सत्य के ज़रा भी नज़दीक है तो अत्यंत गम्भीर बात है। विषय इंटरनेट पर नकली उत्पादों की बिक्री और इस नाम पर देश में चल रही धोखाधड़ी से जुड़ता है। इस अप्रमाणित गणना के अनुसार देश में हर माह ५ से १० हज़ार लोग इस तरह के व्यापार में धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। कोविड दुष्काल के दौर में डिजिटल तकनीकों की उपयोगिता हर क्षेत्र में बढ़ी है. हालांकि, इनका इस्तेमाल नकली उत्पादों और सेवाओं को तैयार करने और बेचने के लिए भी हो रहा है। अमूमन, उपभोक्ता उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में ज्यादा जानने की कोशिश नहीं करते, जिसका फायदा जालसाज उठा लेते हैं। इंटरनेट पर नकली उत्पादों की धड़ल्ले से हो रही बिक्री पर दिल्ली उच्च न्यायालय की एक टिप्पणी आई है, जिस पर हर उपभोक्ता और इस व्यापार से जुड़े ह...
अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते

अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते

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अर्थव्यवस्था : पटरी पर लौट सकती है, बशर्ते॰॰॰॰!* भारतीय रिजर्व बैंक ने २०२१-२२ की मुद्रा एवं वित्त संबंधी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना दुष्काल में देश की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई में १० साल से भी अधिक का वक्त लग सकता है। इस दुष्काल से पहले देश की अर्थव्यवस्था तकरीबन चार प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही थी। इसलिए अनुमान लगाया गया है कि बीते दो वर्षों में यह कम से कम ८ प्रतिशत और बढ़ जाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और अब यह समय १३ साल हो सकता है। मुख्य सवाल यह है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था २०१९ के स्तर को पार कर चुकी है? आधिकारिक आंकड़े जो चित्र दिखा रहे है, उसमें कई पेंच हैं। जैसे ये आंकड़े सिर्फ संगठित क्षेत्र के हैं, जबकि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा असंगठित क्षेत्र के हवाले है। संगठित क्षेत्र में भी पर्यटन, होटल, रेस्तरां जैसे ‘कॉन्टेक्ट सर्विस’ का हाल अब तक बुरा है।...
उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा?

उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा?

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उन्मादी आंधी में सद्भाव की चिन्ता कौन करेगा? - ललित गर्ग - धार्मिक व साम्प्रदायिक भावना को धार देकर देश में भय, अशांति एवं अराजकता पैदा कर, वर्ग विशेष की सहिष्णुता को युगों से दबे रहने ही संज्ञा देकर, एक को दूसरे सम्प्रदाय के आमने-सामने कर देने का कुचक्र एक बार फिर फन उठा रहा है। यह साम्प्रदायिकता के आधार पर बंटवारे का प्रयास है और मकसद, वही सत्ता प्राप्त करना या सत्ताधारियों को कमजोर करना है। एक उत्सवी माहौल को खौफ और तनाव की स्थिति में तब्दील कर देने की सीख तो कोई धर्म दे ही नहीं सकता, लेकिन साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ाने में राजनीतिक पोषित असामाजिक तत्वों का तो हाथ रहता ही है, जोधपुर में कुछ सिरफिरे लोगों की खुराफात ने अधिसंख्य को ईद, अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती की खुशियों से वंचित कर दिया। यकीनन, इसमें प्रशासनिक लापरवाही की बड़ी भूमिका है और राजस्थान सरकार इस अपयश से बच नहीं सकती। साम...
‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल”

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‘‘माँ ही पहली शिक्षिका, पहला स्कूल” यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए ये सबसे अच्छी उम्र होती है, क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज़्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज़्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है, उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियां सुनाईं और वो बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने। बच्चों का पहला स्कूल घर घर पर ही एक बच्चा सबसे पहले समाजीकरण सीखता है। एक बच्चा पहले घर पर बहुत कुछ सीखता है। लेकिन आज, चूंकि अधिकांश माता-पिता कमाने वाले हैं, इसलिए वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता पाते हैं। बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजा जाता है और अक्सर उनके दादा-दादी द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाता है। ये बच्चे उन लोगों की तुलना में नुकसान में हैं जो अपने माता-पिता के साथ ...
पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह

पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह

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पीआरएस ओबराय यानी कोरपोरेट जगत के भीष्म पितामह अथवा टाटा, नारायणमूर्ति, प्रेमजी जैसे आदरणीय ओबराय भी आर.के. सिन्हा एक अजीब सी मानसिकता हमारे देश में बन गई कि हम किसी भी क्षेत्र के कुछेक लोगों की प्रशंसा करके ही इतिश्री कर लेते हैं। यही स्थिति बिजनेस की दुनिया के लिए भी कही जाएगी। कुछ ज्ञानकार और गुणी लोग रतन टाटा, एन. नारायण मूर्ति, अजीम प्रेमजी, मुकेश अंबानी वगैरह की बात करके सोचने लगते हैं कि इससे आगे की चर्चा करना व्यर्थ है। ये ही हमारे कोरपोरेट संसार की सबसे श्रेष्ठ हस्तियां हैं। इसी सोच के कारण वे पृथ्वीराज सिंह ओबराय (पीआरएस) का नाम लेना या उनकी चर्चा करना भूल जाते हैं। उन्हें ‘बिक्की ओबेरॉय’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत के होटल सेक्टर में लक्जरी को लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उन्होंने लगभग 93 साल की उम्र में ओबराय होटल ग्रुप के चेयरमेन पद को छोड़ दिया। कहना होगा कि भार...
केजरीवाल जी, मत खाई पैदा करो महाराष्ट्र-गुजरात में

केजरीवाल जी, मत खाई पैदा करो महाराष्ट्र-गुजरात में

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केजरीवाल जी, मत खाई पैदा करो महाराष्ट्र-गुजरात में आर.के. सिन्हा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को महाराष्ट्र-गुजरात के घनिष्ठ संबंधों के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना-सीखना है। आई.आई.टी. में इन विषयों की पढाई तो होती नहीं, तो वे यह सब जानेगें कहाँ से I उन्होंने अपने हलिया गुजरात दौर के समय भारतीय जनता पार्टी पर तंज करते हुए कहा कि “गुजरात भाजपा अध्यक्ष मराठी हैं। भाजपा को अपना अध्यक्ष बनाने के लिए एक भी गुजराती नहीं मिला? लोग कहते हैं, ये केवल अध्यक्ष नहीं, गुजरात सरकार यही चलाते हैं। असली मुख्यमंत्री यही हैं। ये तो गुजरात के लोगों का घोर अपमान हैं।” उनका इशारा भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के प्रमुख सी आर पाटिल की तरफ था। अगर अरविंद केजरीवाल को महाराष्ट्र तथा गुजरात के मिले-जुले इतिहास के बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान होता तो वे इस तरह की टिप्पणी करने से बचते। यह टिप्पणी ...
दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण?

दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण?

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दिल्ली में यूरोपीय तर्ज पर सड़कों का सौंदर्यीकरण? *रजनीश कपूर दिल्ली जैसे महानगरों में ट्रेफ़िक की समस्या आम बात है। सभी सम्बंधित एजेंसियां, वो चाहे ट्रेफ़िक पुलिस हो या लोक निर्माण विभाग, समय-समय पर इस समस्या का हल निकालने के लिए नए-नए तरीक़े ईजाद करती रहती हैं। परंतु इस बार दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की कुछ चुनिंदा सड़कों का यूरोपीय तर्ज़ पर सौंदर्यीकरण करने का निर्णय लेकर ये कार्य पर्यटन विभाग को दे दिया है। कहा जा रहा है कि यह एक ‘पाइलट प्रोजेक्ट’ है और फ़िलहाल दिल्ली की लगभग 32 किलोमीटर सड़कों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जिस तेज़ी से दिल्ली में वाहनों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, उसके चलते इन सड़कों के सौंदर्यीकरण के नाम पर खड़ी होने वाली कुछ समस्याओं का अभी से आँकलन किया जाना अनिवार्य है। केजरीवाल सरकार ने यह दावा किया है इन सड़कों के सौंदर्यीकरण का कार्य अगस्त 2022...
How Europe due to sanctions has lost US$ 12 billion of aircraft in Russia

How Europe due to sanctions has lost US$ 12 billion of aircraft in Russia

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How Europe due to sanctions has lost US$ 12 billion of aircraft in Russia On 27th Feb 2022, the European Union imposed sanctions on Russia and asked Aircraft leasing companies to terminate their contracts with Russia. According to industry sources, Russia has 980 commercial aircraft in operation, of which 777 are leased aircraft. Of those, 515 are rented from foreign firms, with a majority coming from Ireland-based companies. These aircraft are at present valued at US$ 12 billion. Since Russia and Europe have divorced from one another and have broken most ties, it is an impossible task to get Russia which is part of the Cape Town Convention that makes it easier for lessors to repossess leased aircraft, to cooperate. To make matters worse, EU has closed i...
मधुमेह उपचार में उपयोगी हो सकता है नया ड्रग मॉलिक्यूल

मधुमेह उपचार में उपयोगी हो सकता है नया ड्रग मॉलिक्यूल

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मधुमेह उपचार में उपयोगी हो सकता है नया ड्रग मॉलिक्यूल नई दिल्ली, 02 मई (इंडिया साइंस वायर): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे दवा अणु (Drug Molecule) की पहचान की है, जिसका उपयोग मधुमेह के उपचार में किया जा सकता है। PK2 नामक यह अणु अग्न्याशय द्वारा इंसुलिन के स्राव को ट्रिगर करने में सक्षम है, और संभावित रूप से मधुमेह के लिए मौखिक रूप से दी जाने वाली दवा में इसका उपयोग किया जा सकता है। इस अध्ययन से जुड़े आईआईटी मंडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. प्रोसेनजीत मंडल का कहना है कि “मधुमेह के लिए उपयोग की जाने वाली एक्सैनाटाइड और लिराग्लूटाइड जैसी मौजूदा दवाएं इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं, जो महंगी होने के साथ-साथ अस्थिर होती हैं। हम ऐसी सरल दवाएं खोजना चाहते हैं, जो टाइप-1 और टाइप-2 मधुमेह दोनों के खिलाफ स्थिर, सस्ता और प्रभावी विकल्प बनने में सक्षम हों।” मधु...
मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

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मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें आर.के. सिन्हा यकीन मानिए कि कभी-कभी बहुत अफसोस होता कि मुसलमानों को उनके रहनुमाओं ने हिजाब, बुर्का, उर्दू जैसे खतरे के वहम में फंसा कर रखा हुआ है। यह बात उत्तर भारत के मुसलमानों को लेकर विशेष रूप से कही जा सकती है। मुसलमानों के कथित नेता यही चाहते हैं कि इनकी कौम अंधकार के युग में ही बनी रहे। वहां से कभी निकले ही नहीं। इसलिए आज के दिन उत्तर भारत के मुसलमानों में जीवन में आगे बढ़ने को लेकर उस तरह का कोई जज्बा दिखाई नहीं देता जैसा हम गैर- हिन्दी भाषी राज्यों के मुसलमानों में देखते हैं। उत्तर भारत के मुसलमान अब भी सिर्फ नौकरी करने के बारे में ही सोचते हैं। जो कायदे से शिक्षित नहीं हैं, वे कारपेंटर, पेंटर, वेल्डर या मोटर मैकनिक बनकर खुश हो जाते हैं। शिक्षित मुसलमान अजीम प्रेमजी (विप्रो), हबील खुराकीवाला (वॉक फार्ड) या युसूफ हामिद (सि...