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सड़कों पे दौड़ते बदहवास लोग

सड़कों पे दौड़ते बदहवास लोग

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1894 में स्पैनिश फ्लू से भारत में लगभग 2 करोड़ लोग मारे थे जबकि उस वक्त भारत की आबादी 20 करोड़ थी। कोरोना का असर कब तक, कितना घातक और किस किस इलाके में होगा उसका अभी कोई आँकलन नहीं है। कारण यह है कि जब से चीन में कोरोना फैला है तब से दुनिया भर से लगभग 15 लाख लोग भारत आ चुके हैं और ये पूरे भारत में फैल गए हैं। इनमें से कितने लोग कोरोना के पॉजिटिव हैं कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता। क्योंकि कोरोना के परीक्षण करने की बहुत सीमित सुविधाएँ देश में उपलब्ध हैं। ऐसे में विभिन्न देशों के अलग अलग विशेषज्ञों द्वारा भारत में कोरोना के सम्भावित असर पर अनेकों तरह की भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं। जो झकझोरने और आतंकित करने वाली हैं। इन सब विशेषज्ञों का मानना है कि भारत बहुसंख्यक गरीब आबादी जिसके लिए सामाजिक दूरी बना कर रहना असम्भव है, अगर वो इस बीमारी की चपेट में आ गई तो इस भयावक स्तिथि पर काबू पाना दुष्कर हो...
सब याद रखा जाएगा…

सब याद रखा जाएगा…

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अलकायदा ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर जब तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों को मारा तो उसकी विचारधारा से हमदर्दी रखने वालों ने पूरी दुनिया मे इसका जश्न मनाया था। उन्हें लगा कि पहली बार किसी ने अमेरिका को मज़ा चखाया है। उसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से लेकर इराक में जो तबाही मचाई वो सबके सामने है। उसने पूरी दुनिया में ढूंढ-ढूंढकर जिस तरह अलकायदा के आतंकियों का सफाया किया वो सबने देखा। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की घटना ने अमेरिका ज़ुल्म करने का लाइसेंस दे दिया। उसने रासायनिक हथियारों की झूठी बात बोलकर इराक पर भी हमला कर दिया। जो लोग ट्रेड सेंटर की घटना पर जश्न मना रहे थे वही बाद में अमेरिका की इन ज़्यादतियों पर छाती कूटने लगे। गुजरात में फरवरी 2002 के आखिर में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 50 से अधिक कारसेवकों को ज़िंदा जला दिया। एक तरीके से उनका जो मिशन था उसमें वो कामयाब हुए। उसके बाद अगले कुछ दिनों...
Weaponization of Corona Virus?

Weaponization of Corona Virus?

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1. Weaponization of  germs causing infectious disease has a long history. Mongols used the plague-infested cadavers as a weapon against European armies in the year 1346, during the Siege of Caffa, Crimea.  For Europeans, germs conferred them the conquest of the Americas as local inhabitants did not have immunity against the new disease . 2. Let us focus on the post-Second World War  Era of Pax-Americana, that too after the discovery of the DNA as the life-molecular cluster  by Watson and Crick(1953) . 3. The US built largest laboratory of biological weapons at Fort Detrick, Maryland, 50 miles Northwest of Washington D.C. The Convention on the Prohibition of the Development, Production and Stockpiling of Bacteriological and Toxin Weapons and on their Destruction was the first multil...
तबलीग़ी जमात के प्रपंच से  कैसे बचेगा भारत

तबलीग़ी जमात के प्रपंच से कैसे बचेगा भारत

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गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ने और मुसलमानों को सच्चा मुसलमान बनाने के नाम पर कट्टरपंथी और आतंकवादी बनाने के रास्ते पर चलने की शिक्षा देने वाले तबलीग़ी जमात ने भारत की कोरोना वायरस के खिलाफजारी जंग को भारी क्षति पहुंचाई है। सच पूछा जाए तो इन्होंने देश को एक बड़े संकट में डाल दिया है। अब इस कठिन हालातों से देश कैसे निकलेगा यह एक अब बड़ा सवाल है।  जब कोरोना के कारण काबा बंद हो गया,मक्का मदीना बंद हो गये,ईसाइयों का तीर्थ स्थल वेटिकन सिटी पर ताले लग गए, मंदिर, मस्जिद गुरूद्वारे  बंद हो गए, तब्लीगी जमात दिल्ली के निजामउद्दीन इलाके में हजारों देशी-विदेशी मौलानाओं को इकट्ठा कर अपनाजलसा कर रहे थे। प्रधानमंत्री की अपीलों को क्यों किया नजरअँदाज  अब इनके हक में दलीलें देने वाले जरा यह तो बताएं कि क्या इन्हें इतनी भी समझ नहीं थी कि जब पूरे विश्व में कोरोना का प्रकोप है और जब देश लॉक डाउन और सो...
Tablighi, a radical outfit that deserved to be banned….

Tablighi, a radical outfit that deserved to be banned….

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The Tablighi Jamaat, that indulges in teaching to  non-Muslims to convert into Islam and to make Muslims fundamentalists and militants in the name of being true Muslims, has caused huge incalculable  damage to India's ongoing war against the corona virus.They  have put the entire nation  in a big health crisis. How the nation  comes  out of this difficult situation is a moot  question now. When the Kaaba, Mecca, Medina were closed due to Corona, Vatican City was shut down, shrines, mosque gurudwaras were closed, Tablighi Jamaat held meeting in the Nizamuddin area of Delhi where  thousands of natives  and foreign Maulanas participated.This begs a question , Why the Prime Minister's appeal was ignored? Will the people advocating their cause tell  how they justify their shameless act of h...
सउदी अरब की बहाबी विचारधारा पैसों के प्रभाव में कट्टरपंथी होते भारतीय मुसलमान

सउदी अरब की बहाबी विचारधारा पैसों के प्रभाव में कट्टरपंथी होते भारतीय मुसलमान

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  भारतीय इस्लाम पर खुद अरब के इस्लाम में आए बदलाव का असर देखा जा रहा है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद सऊद परिवार ने अरब खाड़ी के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। यह परिवार इस्लाम की कट्टर विचारधारा – वहाबी का समर्थक है और इसकी वजह से सऊदी अरब में मुसलमान वहाबी धारा को सबसे ज्यादा मानते हैं। जैसे-जैसे पूरे विश्व में औद्योगीकरण बढ़ता गया, पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ती गई वैसे-वैसे सऊदी अरब और समृद्ध होता गया। भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों का उच्च तबका इस समय इन अरबी शब्दों को अपनी सांस्कृतिक पहचान मानकर अपना रहा है। इसके जरिए वे आम मुसलमान नहीं बल्कि उस तरह के मुसलमान बन रहे हैं जो सऊदी अरब द्वारा प्रचारित हैं। भारत से लगभग 32 लाखमुस्लिम विदेश में प्रवास में रह रहे हैं। उनकी पहली पसंद अरब खाड़ी के देश होते हैं जहां वहाबी इस्लाम का ही बोलबाला है। ऐतिहासिक रूप से, इस्लाम को मानने वालों ने ...
अकेले चीन ही नहीं पश्चिमी देशों के कुकर्मों का परिणाम भी है कोरोना वायरस का संकट

अकेले चीन ही नहीं पश्चिमी देशों के कुकर्मों का परिणाम भी है कोरोना वायरस का संकट

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दुनिया को बाज़ार बना कर लूटने के पश्चिमी देशों के षड्यंत्रों का पिछले 500 बर्षो से दुनिया गवाह रही है। तीसरी दुनिया का हर नागरिक इस दर्द की पीड़ा की जानता है। आज कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया के 200 देशों तक फैल चुका है। दुनिया इसके लिए चीन को दोषी ठहरा रही है मगर उसके साथ पश्चिमी देश भी उतने ही दोषी है। इसके लिए पिछले कुछ दशकों के दुनिया के घटनाक्रमो को समझना होगा। 1) इसमें पहला चरण एशिया, अफ्रीका व लेटिन अमेरिकी देशों को गुलाम बनाकर लूटने का रहा जो इन देशो में पिछले 100 सालों में आयी जनजागृति के कारण आजादी के आंदोलनों में बदल गया और अंततः इन देशों को मुक्त करना पड़ा। मगर आजादी देने से पूर्व " ड्रेन ऑफ वेल्थ" की रणनीति पर अमल करते हुए 400 बर्षो तक इन देशों का यथासंभव शोषण व लूट के खेल चलते रहे। विकसित देशों की प्रचुर दौलत व शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर के पीछे यही लूट का माल है। जितने भी पि...
कोरोना से मुक्ति का निःशुल्क इलाज

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चीन की धरती से उत्पन्न होने वाला कोरोना वायरस धरती के लगभग सभी देशों को एक महामारी का शिकार बनाने में सक्षम हो चुका है, ऐसी कल्पना शायद कभी किसी ने नहीं की होगी। तथ्य बताते हैं कि किसी विश्व युद्ध में भी इतनी बड़ी संख्या में देश प्रभावित नहीं हुए। आज इण्टरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 194 देशों में यह वायरस पहुँच चुका है। चीन, इटली और अमेरिका इस वायरस से प्रभावित होने वाले प्रथम, द्वितीय व तृतीय देश हैं। इसके अतिरिक्त 25 देश ऐसे हैं जहाँ कोरोना प्रभावित मरीजों की संख्या एक हजार से अधिक पहुँच चुकी है। भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लेख लिखने तक 600 से कम ही है। सरकार का प्रयास है कि यह गति रूक जानी चाहिए। जनसंख्या की दृष्टि से भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है और चीन का पड़ोसी भी है। चीन में 81 हजार से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं और 3 हजार से अधिक लोग मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। इटली ...
संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

संयम और समझदारी ही ईलाज है इस महामारी का

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आज आप सबों ने टेलीविज़न पर और दैनिक समाचार पत्रों में वे फोटोग्राफस देखे ही होंगे, जिनमें पटना और कलकत्ता में यात्री बसों में ठसाठस भरकर और छतों  पर चढ़कर अपने गाँव को जाने के लिए आतुर दिख रहे थे। अब इनकों कौन समझाये कि इनकी इस लापरवाही से कितनों की जान जा सकती है । एक बस यात्री को जब कोई चेतावनी दे रहा है तो वह बड़ी  ढीठाईपूर्वक कह भी रहा है कि मज़बूरी का नाम ही महात्मा गाँधी है । लेकिन, वह जिसे अपनी मज़बूरी बता रहा है, उससे वह न केवल अपने पूरे गाँव वालों को खतरे में डाल रहा है, बल्कि उन तमाम गावों की पूरी आबादी को भी, जिसके नागरिक उस बस में ठूंसकर भरे हैं । अपनी लापरवाही को मज़बूरी का नाम देने वाले ऐसे वेबकूफों को तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि वे अपने साथ यदि इस जानलेवा बीमारी को लेकर अपने गाँव जा रहे हैं तो भगवान ही उनका रक्षक बन सकता है । आज इस सम्बन्ध में भारत के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर...
Moderation and rationality is the cure for this epidemic

Moderation and rationality is the cure for this epidemic

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Today, all of you must have seen the photographs on television and in the dailies, in which passengers in Patna and Kolkata were eager to go to their villages by chilling in buses and even adjusting them on bus roofs, quite unconcerned about the fatality that could be caused due to their such attitude. Even as someone giving warning, one imprudent passenger lashes out shamelessly, saying, "kya karen, majboori ka naam mahatma gandhi hai." The fact, however, is that by describing his so called “majboori”, he is not only putting his entire village in danger, but also the entire population. It can only be said that if they are going to their villages with this deadly disease, then only God can save them. In this regard, Health Minister Dr. Harsh Vardhan has also admitted that till now there a...