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मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

मुसलमान भाइयों-बहनों को झूठ और अफवाहों से बचाने के लिए आगे आएं हिन्दू भाई-बहन

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दिल्ली में दंगों की आग बुझ चुकी है, लेकिन चिंता की बात यह है कि देश के अनेक हिस्सों में मुसलमान भाइयों-बहनों के बीच अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि दिल्ली में गुजरात दंगों जैसा कोई मॉडल आजमाया गया है। मकसद साफ है कि अन्य जगहों पर भी उन्हें दंगे करने के लिए उकसाया जा सके। देखा जाए तो यह उनकी पूरी की पूरी कम्युनिटी को दंगाई बनाने की साज़िश है, जिससे उन्हें सावधान रहना होगा। जहां तक दिल्ली दंगों का सवाल है, मुसलमान भाइयों-बहनों को यह समझना होगा कि शातिर सियासतदानों ने उनके कंधों पर बन्दूकें रखकर 40 से ज़्यादा बेगुनाह लोगों को मरवा दिया, जिनमें दोनों समुदायों के अभागे लोग शामिल हैं। इन दंगों की तैयारी शाहीन बाग की स्थापना के साथ ही शुरू हो गई थी और मास्टरमाइंड सियासी दलों ने इसके लिए रेडिकल इस्लामिक एलिमेंट्स को इस्तेमाल किया। आइए, कुछ तथ्यों से आप समझ जाएंगे कि इन दंगों के पीछे रेडिकल हिं...
किसने भूमिका तैयार की दिल्ली के दॅंगों की?

किसने भूमिका तैयार की दिल्ली के दॅंगों की?

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अब तो आग की लपटों से बाहर निकल आई है दिल्ली। अब मासूमों को मारने के लिए सड़कों पर उतरे मौत के सौदागर अपना सुनियोजित काम करके पतली गली से निकल चुके हैं। लेकिन, तीन-चार दिनों तक दिल्ली में मानवता बार-बार मरती रही। दर्जनों लोग मार डाले गए और सैकड़ों घायल हुए। हजारों दूकानें और घर राख में तब्दील कर दिए गए। इतना सब कुछ होने के बावजूद अब भी यहां पर ‘मेरा-तुम्हारा’ करने वाले सक्रिय हैं। वे अब भी दुखी हैं इस बात से हैं कि किछ उनके मजहब वाले  भी दंगों में शिकार हुए। उन्हें दूसरे मजहब के मानने वाले मृतकों या घायलों को लेकर किसी तरह का सहानुभूति का भाव ही नहीं है। तो इतना पत्थर दिल बन गये हैं हमारे  समाज के कुछ नकाबपोश। गंगा-जमुनी तहजीब की बातें मानों बेमानी सी ही लगती है।  बहरहाल, दिल्ली के दंगों के लिए एक खास समूह कपिल मिश्र की गिरप्तारी की मांग कर रहा है। उन्हें इन दंगों के लिए दोष दे र...
सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

सरकार और प्रशासन की नाकामी है दिल्ली दंगे

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शाहीनबाग़ संयोग या प्रयोग हो सकता है लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान देश की राजधानी में होने वाले दंगे संयोग कतई नहीं हो सकते। अब तक इन दंगों में एक पुलिसकर्मी और एक इंटेलीजेंस कर्मी समेत लगभग 42 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। नागरिकता कानून बनने के बाद 15 दिसंबर से दिल्ली समेत पूरे देश में होने वाला इसका विरोध इस कदर हिंसक रूप भी ले सकता है इसे भांपने में निश्चित ही सरकार और प्रशासन दोनों ही नाकाम रहे। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि सांप्रदायिक हिंसा की इन संवेदनशील परिस्थितियों में भी भारत ही नहीं विश्व भर के मीडिया में इसकेपक्षपातपूर्ण विश्लेषणात्मक विवरण की  भरमार है जबकि इस समय सख्त जरूरत निष्पक्षता और संयम की होती है। देश में अराजकता की ऐसी किसी घटना के बाद सरकार की नाकामी, पुलिस की निष्क्रियता, सत्ता पक्ष का विपक्ष को या विपक्ष का सरकार को दोष देने की राजनीति इस द...
मुसलमान भाई-बहन समझें कि मानवता के नाते अनाथ बच्चों को गोद लिया जाता है, मां-बाप वाले बच्चों को नहीं

मुसलमान भाई-बहन समझें कि मानवता के नाते अनाथ बच्चों को गोद लिया जाता है, मां-बाप वाले बच्चों को नहीं

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जब भी कोई दंगा होता है। मानवता कराहती है और समाज नंगा होता है। मैं भी चाहता तो हूँ कि दिल्ली दंगों के दौरान अनेक हिंदुओं ने जिस तरह से जान पर खेलकर अनेक मुसलमानों को बचाया, और अनेक मुसलमानों ने जिस तरह से जान पर खेलकर अनेक हिंदुओं को बचाया, उससे राहत की सांस लूं और तसल्ली रखूं कि इंसानियत अभी ज़िंदा है, लेकिन कुछ सियासी दलों ने जिस तरह से खेल खेला है और बिना किसी बात के हमारे मुसलमान भाइयों-बहनों को युद्ध के मैदान में खड़ा कर दिया है, वह चिंताजनक है। इस सियासी खेल का अंजाम यह होगा कि मुसलमान भाई-बहन दिन-ब-दिन मुख्य धारा से और कटते जाएंगे और हिंदुओं में भी मुसलमानों के प्रति शंकाएं बढ़ती ही जाएंगी, जो अंततः इस टकराव को और बढ़ाएगा। फिर,40 लोगों की मौत के बाद मेरे जैसे लोग इस बात पर गर्व नहीं कर सकते कि मारने वाले थे, तो बचाने वाले भी थे। मैं समस्या को उसकी जड़ से खत्म होते हुए दे...
दंगा करने वाले और कराने वाले अब इस देश को ब्लैकमेल नहीं कर सकते!

दंगा करने वाले और कराने वाले अब इस देश को ब्लैकमेल नहीं कर सकते!

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जब भी कोई दंगा होता है, मानवता कराहती है, समाज नंगा होता है। लेकिन ये दंगा होता क्यों है? क्योंकि दंगे के कारणों की हम कभी भी निष्पक्षता से समीक्षा नहीं करते। सबकी अपनी-अपनी राजनीति है और लोगों को इंसानी लाशों पर भी राजनीति की रोटियां सेंकने से गुरेज नहीं है। दिल्ली का यह दंगा अवश्यम्भावी था- इस आशंका से मेरा मन लगातार कांप रहा था, लेकिन मुंह से यह अशुभ निकालने से बचता रहा। परंतु अन्य सभी तरीकों से लिखकर लोगों को आगाह करने की कोशिश की। कभी प्यार से समझाकर, कभी नाराज़गी प्रकट करके। लोगों ने नहीं समझा, तो तीखा भी बोलना पड़ा। अब अंततः दंगा हो चुका है तो कुछ लोगों के कलेजे को ठंडक पड़ गई होगी। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, असदुद्दीन ओवैसी और देश भर में इनके तमाम सहयोगी दलों और उनके तमाम नेताओं को बधाई, क्योंकि इनके मकसद का पहला चरण पूरा हुआ। ...
अपरिहार्य ‘हिंदुत्व

अपरिहार्य ‘हिंदुत्व

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  संघ प्रमुख मोहन भागवत का कथन कि 'राष्ट्रवाद’ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका मतलब नाज़ी या हिटलर से निकाला जा सकता है, ऐसे में राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों को ही प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने इस वक्त इस्लामी आतंकवाद, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती हैं। दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है। हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। भले ही देश में कई धर्म हों, लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा है जो हिंदू है। ये शब्द ही देश की संस्कृति को दुनिया के सामने दर्शाता है। वास्तव में यही भारत, भारतीयता और हिंदुत्व का सही परिचय है- शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, मानवतावादी दृष्टिकोण, प्रकृति केंद्रित विकास व सम्पूर्ण विश्व के कल्याण की अवधारणा। ...
Personal reading scanner machine for visually impaired

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Nearly 4.7 million people in India are blind or visually impaired, this physical disability keeps them away from many things one of which is, reading. To make them self-dependant when it comes to reading Central Scientific Instruments Organisation, (CSIO) Chandigarh has developed a scanner based reading device called ‘Divyanayan.  It is a reading machine for visually impaired or illiterate person where any printed or digital document can be accessed in the form of speech output. The device uses a contact line scanner for acquiring the image of a printed document. “Earlier we were thinking to make it a camera based device but then it would have been difficult for a visually impaired person to click a perfect picture, so we thought of a scanner based device which is more viable” said Dr R...
नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध

नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध

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नागरिकता कानून में संशोधन को लेकर देश में एक राजनीतिक विरोध का माहौल पैदा कर दिया गया है। भारत में नागरिकता कानून 1955 में लागू किया गया था जिसमें धारा-2(बी) के अन्तर्गत ‘अवैध प्रवासी’ शब्द की परिभाषा इन शब्दों में दी गई है - ‘‘वह विदेशी जो पासपोर्ट या अन्य आवश्यक यात्रा दस्तावेजों आदि के बिना भारत में प्रवेश करता है। इसके साथ-साथ वह विदेशी जो बेशक ऐसे वैध कानूनी दस्तावेजों के साथ भारत में प्रवेश करे परन्तु निर्धारित समय सीमा के बाद भी भारत में ही रहता रहे।’’ इसी प्रकार नागरिकता कानून की धारा-3 जन्म पर आधारित नागरिकता को भी परिभाषित करती है। नागरिकता का विस्तार वर्ष 2004 के नागरिकता संशोधन कानून के द्वारा भी किया गया था। इसी प्रकार वर्ष 1985, 1992 तथा 2005 में भी नागरिकता कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन किये गये थे। केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मई, 2014 में सरकार का ग...
तो जिन्हें जेल में होना चाहिए वे बनेंगे  एम- एमएलए

तो जिन्हें जेल में होना चाहिए वे बनेंगे  एम- एमएलए

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यह कोई पुरानी बात नहीं है जब कत्ल, अपहरण, नरसंहार से लेकर विमान का अपहरण करने वाले भी हमारे यहां लोकसभा, विधानसभा आदि के चुनाव लड़ते ही नहीं थे,बल्कि जीत भी जाते थे। दुर्भाग्य है कि अब यह सिलसिला और भी बढ़ा है। अफसोस तो तब होता है जब हमारे यहां ऐसे कुख्यात अपराधी तत्व  सांसद और विधायक तक बन रहे हैं। पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद तो यह लगता है कि अब यह सिलसिला बंद हो जायेगा या कम से कम इस पर रोक लगेगी। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सभी सियासी दलों से पूछा कि वे क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों को पार्टी कि टिकट क्यों दे रहे हैं? अब उन्हें इसकी वजह बतानी होगी और जानकारी अपने वेबसाइट पर भी देनी होगी। क्या इस फैसले के बाद अब भी कोई दल किसी अपराधी को टिकट देने का साहस करेगा। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मौजूदा लोकसभा के 542 सांसदों में से 233 यानी 43 फीसदी सां...
ऑस्टियोआर्थराइटिस  : मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से इलाज

ऑस्टियोआर्थराइटिस  : मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से इलाज

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ऑस्टियोआर्थराइटिस रूमेटॉयड की दूसरी सबसे आम समस्या है, जो भारत में 40 प्रतिशत आबादी को अपना शिकार बनाए हुए है। यह एक प्रकार की गठिया (अर्थराइटिस) की समस्या है, जो एक या ज्यादा जोड़ों के कार्टिलेज के डैमेज होने के कारण होती है। कार्टिलेज प्रोटीन जैसा एक तत्व है जो जोड़ों के बीच कुशन का काम करते हैं। हालांकि, ऑस्टियोआर्थराइटिस किसी भी जोड़े को प्रभावित कर सकता है, लेकिन आमतौर पर यह हाथों, घुटनों, कूल्हों और रीढ़ के जोड़ों को प्रभावित करता है। यह समस्या जोड़ों में दर्द को पैदा करता है और समय के साथ यह दर्द तीव्र होता जाता है। यह समस्या आमतौर पर हड्डियों और जोड़ों का बचाव करने वाले कार्टिलेज के डैमेज होने से होती है। आज के दौर में यह समस्या बहुत ही आम और खतरनाक हो गई है, जो उम्र के साथ गंभीर होती जाती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस शरीर के जोड़ों को खराब कर देती है, जैसे हाथ और उंगलियां, घुटने, कूल्हा,...