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प्रेम विवाह, माँबाप के हक, मीडिया व कुछ यक्ष प्रश्न

प्रेम विवाह, माँबाप के हक, मीडिया व कुछ यक्ष प्रश्न

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स्यार की एक आदत होती है. एक बोलेगा तो धीरे-धीरे सब बोलने लगते हैं. फिर चारों ओर उनका ही शोर रहता है. बरेली के विधायक राजेश मिश्रा की बेटी, साक्षी की शादी,निजी आजादी और उसके अपने फैसले को लेकर देश के खबरिया चैनलों का शोर कुछ वैसा ही है. साक्षी अपने नए-नवेले पति के साथ चैनलों का न्योता फटाफट थाम रही हैं, और स्टूडियो-स्टूडियो घूम-घूमकर, पिता और परिवार की ज्यादतियों का फरचटनामा बांच रही हैं. वीडियो सोशल मीडिया पर पहले ही डाल चुकी हैं कि मेरे पिता और भाई - मेरी और मेरे पति की जान के पीछे पड़े हैं. गुंडों को पीछे लगा रखा है. इन बातों का रट्टा वो चैनलों पर भी लगा रही हैं. स्वनामधन्य एंकर, बेटी के साहसिक फैसले, प्रेम की जंग, बाप के आतंक, सामंती सोच, वगैरह वगैरह के बैनर उड़ा उड़ा, अपने तरक्कीपसंद और लोकतांत्रिक अधिकारों का पैरोकार होने की मुनादी कर रहे हैं. गजब बहस कर रहे हैं.!! मुझे लगता है कि ...
सुविधा की खूनी एवं त्रासद सड़कें

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लखनऊ से दिल्ली की ओर जा रही उत्तरप्रदेश परिवहन की एक बस ड्राईवर को नींद की झपकी आ जाने से यमुना एक्सप्रेस-वे पर करीब तीस फुट गहरे नाले में जा गिरी। इस त्रासद हादसे में उनतीस लोगों की मौत हो गई और अठारह बुरी तरह घायल हो गए। इस तरह की कोई एक घटना बड़े सबक के लिए काफी होनी चाहिए। लेकिन ऐसा लगता है कि हर कुछ समय के बाद एक्सप्रेस-वे के हादसों के बावजूद सरकार या संबंधित विभाग की नींद नहीं खुलती। इस त्रासद घटना ने एक बार फिर यह सोचने को मजबूर कर दिया कि आधुनिक और बेहतरीन सुविधा की सड़के केवल रफ्तार के लिहाज से जरूरी हैं या फिर उन पर सफर का सुरक्षित होना पहले सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हर दुर्घटना को केन्द्र एवं राज्य सरकारें दुर्भाग्यपूर्ण बताती है, उस पर दुख व्यक्त करती है, मुआवजे का ऐलान भी करती है लेकिन एक्सीडेंट रोकने के गंभीर उपाय अब तक क्यों नहीं किए जा सके हैं? जो भी हो, सवाल यह है...
Dual drug delivery system may make heart stents safer

Dual drug delivery system may make heart stents safer

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Medicated stents are widely used to unblock heart arteries. While the drug prevents the growth of muscle cells around the stent, it however,  retards endothelial cells necessary for healing the wound site and may result in the formation of clots. That’s why anti-clotting medications are given, which must be taken life-long; also, they come with adverse side effects.  To minimise such stent-related complications, a group of Indian researchers has developed a dual drug delivery therapy. Laboratory tests have shown that the drug combination can inhibit the growth of muscle cells and prevent clotting at the stent site. Moreover, the drugs are loaded into a flexible polymer which eliminates problems that occur during crimping and implantation of stents. Two widely prescribed lipid-lowerin...
भ्रष्टाचार की सफाई का संकल्प

भ्रष्टाचार की सफाई का संकल्प

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का करप्शन पर सशक्त वार करते हुए भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के आरोप में लिप्त अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की दस्तक एक नई भोर का आगाज है। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर लगातार प्रहार के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संकल्प की सराहना की जानी चाहिए। बुलंदशहर के जिलाधिकारी अभय सिंह और कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक विवेक के अलावा कई अन्य बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई इस बात का प्रबल संकेत है कि केंद्र और राज्य सरकार भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन के लिये प्रतिबद्ध है। अरबों रुपयों के खनन घोटाले में इससे पहले गायत्री प्रजापति समेत कई सफेदपोशों और अधिकारियों को जेल भेजा जा चुका है। भ्रष्टाचार एवं आचरणहीनता भारत की प्रशासनिक व्यवस्था के बदनुमा दाग हैं, जिन्हें धोने एवं पवित्र करने के स्वर आजादी के बाद से गंूज रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने इस दिशा में कड़े कदम उठ...
राहुल गांधी कांग्रेस के विनाश पुरुष!

राहुल गांधी कांग्रेस के विनाश पुरुष!

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आरएसएस को गाली देने का राहुल गांधी कोई मौैका नहीं चूक रहे। उनके मुताबिक आरएसएस एक विचारधारा है जो देश को बांट रही है। इसलिए जहां भी वो जमानत लेने जा रहे हैं वहां आरएसएस की विचारधारा का विरोध कर रहे हैं। तो क्या मैं उनसे पूछ सकता हूं कि कौन सी विचारधारा है जो देश को एक कर रही है? क्या वो ईसाई मिशनरियों की विचारधारा है या फिर मदरसों में पल रही जिहादियों की विचारधारा? असल में राहुल गांधी कांग्रेस के विनाश पुरुष है। यह बुद्धिहीन व्यक्ति और इसके धूर्त सलाहकार कांग्रेस को मटियामेट करने के एजेंडे पर कार्यरत हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो कम से कम राहुल गांधी आरएसएस पर हर वक्त हमला न बोलते। आरएसएस चुनाव नहीं लड़ता इसलिए किसी राजनीतिक दल के लिए आरएसएस एजेण्डा हो ही नहीं सकता। आरएसएस को इस देश में राजनीतिक एजेण्डा बनाया कम्युनिस्टों इस्लामिस्टों और चर्च संगठनों ने क्योंकि इन तीनों को हिन्दुओं के किस...
मोदी का विकसित भारत कल्पना या यथार्थ

मोदी का विकसित भारत कल्पना या यथार्थ

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  नरेंद्र मोदी अब एक नये भारत की रूपरेखा प्रस्तुत कर रहे हैं। इसमें अगले पांच साल में भारत की अर्थव्यवस्था को दुगुना करने का प्रस्ताव है। यह विचार जितना लोकलुभावन है उतना ही अन्तराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत की वैश्विक आर्थिक नीति का परिचायक भी। भारत अगर इस असंभव दिखते लक्ष्य के आस पास भी पहुंच जाता है तो यह भारत की बड़ी जीत होगी। किन्तु बिना रोजगारपरक शिक्षा नीति, ग्रामीण विकास आधारित आर्थिक नीति एवं मुनाफे वाली कृषि नीति के यह संभव नहीं है। अपने पहले कार्यकाल में मोदी न तो नयी शिक्षा नीति ला पाये न ही अपेक्षानुरूप रोजगार सृजन कर पाये। अब मोदी की इस नयी घोषणा के साथ युवाशक्ति उनकी ओर आशावादी निगाहों से देख रही है। आर्थिक रूप से सक्षम भारत में रोजगार और विकास के कार्य भी शायद तेज़ी के साथ होंगे। किन्तु तस्वीर का एक स्याह पक्ष भी है। ऐसे कई छिद्र मौजूद हैं जहां से विकास रिस जाता है। भ...
छल, प्रपंच और विभाजन की राजनीति पर  मोदी का वोट वार

छल, प्रपंच और विभाजन की राजनीति पर  मोदी का वोट वार

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मोदी की प्रचंड जीत को विपक्ष के लिए स्वीकारना आसान नहीं है। कभी वह ईवीएम का रोना रोता है तो कभी मोदी को घृणा की राजनीति का परिचायक बताता है। कभी मोदी को मिले कम वोटों का हवाला देता है तो कभी मोदी को प्रेसेडेंशियल रूल की तरफ बढऩे वाला बताया जाता है। पर वास्तव में जमीनी हक़ीक़त इन सबसे अलग है। मोदी का जनता से जुड़ाव बंद कमरे में बैठकर राजनीति करने वाले नहीं समझ सकते हैं। मोदी ने छल, प्रपंच की राजनीति के उस गढ़ को भेद दिया है जिसके माध्यम से क्षेत्रीय दल अपनी दुकान चलाते थे। अल्पसंख्यक, दलित और शोषितों को सिर्फ एक वोट बैंक के रूप में माना करते थे। लोकसभा चुनावों के परिणाम के अनुसार राजग को लगभग 45 प्रतिशत के आस पास वोट मिला है। कई राज्यों में अकेले भाजपा को पचास प्रतिशत से ज़्यादा वोट मिले हैं। इस तरह का रुझान कभी आज़ादी के बाद कांग्रेस के पक्ष में दिखाई देता था किन्तु कांग्रेस ने कभी पूरे दे...
भ्रष्ट बाबुओं बाज आ जाओ

भ्रष्ट बाबुओं बाज आ जाओ

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुभारंभ धमाकेदार तरीके से किया है। उनकी सरकार ने  वित्त मंत्रालय के 12 वरिष्ठ अफसरों को  जबरन रिटायर  करा दिया। दरअसल सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉम्र्स के नियम 56 के तहत  इन अफसरों को समय से पहले ही रिटायरमेंट दे दी। ये सभी अधिकारी आयकर  विभाग में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर जैसे पदों पर तैनात थे। इनमें से कई अफसरों पर कथित तौर पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के अलावा यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप थे। यानी संदेश अब साफ है। अब मोदी के राज में निकम्मे और कामचोर सरकारी बाबुओं की खैर नहीं है। अब बाबुओं के कामकाज पर गहरी नजर रखी जाएगी। अब वे सरकारी ओहदे की मौज-मस्ती नहीं काट सकेंगे। अगर मौज काटेंगे तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। यूं तो संदिग्ध अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट द...
कितनी कारगर होगी नई शिक्षा नीति?

कितनी कारगर होगी नई शिक्षा नीति?

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  डॉ. प्रमोद कुमार नई शिक्षा नीति के मसौदे में प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालयीन शिक्षा तक कईं बड़े बदलाव के प्रस्ताव हैं। इससे स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश की शिक्षा व्यवस्था के भारतीय पटरी पर लौटने की उम्मीद जगी है। परन्तु कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए। यह सवाल इसलिए लाजिमी है क्योंकि इससे पूर्व भी कई बार अनेक शिक्षा आयोग एवं समितियां बनीं, परन्तु उनकी सिफारिशें लागू नहीं हो पायीं। देशवासियों को उम्मीद है कि प्रचंड जनादेश प्राप्त मोदी सरकार इस मोर्चे पर दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाएगी। स्वतंत्रता के बाद देश में जितनी उपेक्षा शिक्षा की हुई उतनी संभवत: किसी अन्य क्षेत्र की नहीं हुई। परिणामस्वरूप आज न तो देशभर में एक समान पाठ्यक्रम लागू है, न इतिहास की समग्र जानकारी बच्चों को दी जाती है, न नई पीढ़ी को देश की समृद्ध एवं गौरवशाली सांस...
कांग्रेस पार्टी को सही दिशाओं की तलाश

कांग्रेस पार्टी को सही दिशाओं की तलाश

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  कांग्रेस पार्टी तरह-तरह के अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि पार्टी के निष्ठावान नेता उत्तराधिकारी के मसले पर बात करने को तैयार नहीं हैं। पार्टी को अब फिर से मूल्यों पर लौटकर अपने आप को एक नए दौर की पार्टी के तौर पर पुनर्जीवित करना होगा। चुनौतियां तो अनेक हैं, गांधी-परिवार पर निराशाजनक निर्भरता पार्टी के सामने पहली चुनौती है, दूसरी बड़ी चुनौती केन्द्रीय नेतृत्व का अभाव है। बावजूद इसके किस वजह से पार्टी अब भी आगे की दिशा में बड़ा कदम उठाने से कतरा रही है। पार्टी के नेता ये बुनियादी बात ही नहीं समझ पा रहे हैं कि राहुल गांधी न पार्टी को छोड़ रहे हैं, न उन्हें छोड़ रहे हैं और न ही राजनीति को। शायद वे पहली बार समझदारी दिखा रहे हैं कि कोई गैर-गांधी परिवार का सदस्य अध्यक्ष बनकर पार्टी का नेतृृत्व करें। यह समझद...