श्रीरामकथा के अल्पज्ञात प्रसंग-जब रावण ने जटायु को छल-कपट, असत्य से पराजित किया
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग
जब रावण ने जटायु को छल-कपट, असत्य से पराजित किया
गृघ्रराज जटायु की श्रीराम से वन में भेंट के समय उसकी आयु ६०,००० वर्षों की थी। वह वन में पक्षियों का अजेय राजा था। सीताहरण के समय रावण द्वारा उसके द्वंद्व युद्ध में रावण हिम्मत हार गया। उसने श्रीराम के नाम का सहारा लेकर जटायु से छल कपट, असत्य का सहारा लेकर पराजित करने का प्रयत्न किया। सत्य को प्रकट करने हेतु यहाँ कथाएँ दी जा रही है।
वाल्मीकीय रामायण में गृघ्रराज जटायु, श्रीराम, सीताजी एवं रावण का प्रसंग एक अपनी अलग विशेषता लिए हुए वर्णित है। पंचवटी में श्रीराम की जटायु से प्रथम भेंट होती है। श्रीराम एवं लक्ष्मण ने वन मार्ग में विशालकाय पक्षी को देखकर उससे पूछा कि आप कौन हैं? तब जटायु ने जो कुछ कहा वह अत्यन्त ही आत्मीय वार्तालाप है। यथा-
ततो मधुरया वाचा सौम्यया प्रीणयन्निव।
उवाच वत्स मां विद्धि वयस्यं...