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संस्कृति और अध्यात्म

नियति एवं कर्मों  का फल देने वाला न्याय प्रिय ग्रह

नियति एवं कर्मों का फल देने वाला न्याय प्रिय ग्रह

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
सुरेन्द्र प्रभात खुर्दिया कलर्स टीवी चैनल पर रात 9 बजे ''शनै:-शनै: कर्म फल दाता शनिÓÓ का धरावाहिक-कई सीरियलों में से एक अलग ही प्रकार की अनूठी छाप छोडने वाला टीवी सीरियल हैं। हालांकि उक्त कथा पूर्णतया काल्पनिक कथा यात्रा पर टिकी हुई है। फिर भी उक्त कहानी के माध्यम से नियति एवं कर्मों का फल देने वाला न्याय प्रिय ग्रह और कर्म फल एवं कर्म सन्तुलन का देवता शनि नागरिक समाज में एक जिज्ञासु प्रवृति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के कारण इस सीरियल को दर्शक देखे बिना नहीं रह सकते हैं। वर्तमान में यह अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है कि कैसे नियति को कर्म के माध्यम से बदला जा सकता है। धीरे - धीरे शनि ने क्योंकि शनि, देवों के देव महादेव का सृजन मात्र ही नहीं था, बल्कि यूं कहिए कि कर्म - ज्ञान और चेतना ना केवल ज्ञान प्राप्त करने तक सीमित था और हैं। उसके माध्य से व्यवहारिकता में उतानरने को प्रेरित करने...
उत्साह सबसे बड़ी शक्ति और आलस्य सबसे बड़ी कमजोरी है

उत्साह सबसे बड़ी शक्ति और आलस्य सबसे बड़ी कमजोरी है

EXCLUSIVE NEWS, संस्कृति और अध्यात्म
उत्साह सबसे बड़ी शक्ति और आलस्य सबसे बड़ी कमजोरी है (1) आलस्य से हम सभी परिचित हैं। काम करने का मन न होना, समय यों ही गुजार देना, आवश्यकता से अधिक सोना आदि को हम आलस्य की संज्ञा देते हैं और यह भी जानते हैं कि आलस्य से हमारा बहुत नुकसान होता है। फिर भी आलस्य से पीछा नहीं छूटता, कहीं-न-कहीं जीवन में यह प्रकट हो ही जाता है। आलस्य करते समय हम अपने कार्यों, परेशानियों आदि को भूल जाते हैं और जब समय गुजर जाता है तो आलस्य का रोना रोते हैं, स्वयं को दोष देते हैं, पछताते हैं। सच में आलस्य हमारे जीवन में ऐसे कोने में छिपा होता है, ऐसे छद्म वेश में होता है, जिसे हम पहचान नहीं पाते, ढूँढ़ नहीं पाते, उसे भगा नहीं पाते; जबकि उससे ज्यादा घातक हमारे लिए और कोई वृत्ति नहीं होती। (2) आलस्य तो मन का एक स्वभाव है। यह दीखता भी हमारे व्यवहार में है, इसे यों ही पकड़ा नहीं जा सकता। आलस्य को हम दूर भगाना चाहते हैं, ...
एकमात्र तैरती झील लोकटक

एकमात्र तैरती झील लोकटक

Today News, संस्कृति और अध्यात्म
लेखक: अरुण तिवारी लोकटक झील, भारत में ताजे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झील मणिपुर की राजधानी इम्फाल से 53 किलोमीटर दूर और दीमापुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है। 34.4 डिग्री सेल्सियस का तापमान, 49 से 81 प्रतिशत तक की नमी, 1,183 मिलीमीटर का वार्षिक वर्षा औसत तथा पबोट, तोया और चिंगजाओ पहाड़ मिलकर इसका फैलाव तय करते हैं। इस पर तैरते विशाल हरित घेरों की वजह से इसे तैरती हुई झील कहा जाता है। एक से चार फीट तक मोटे ये विशाल हरित घेरे वनस्पति मिट्टी और जैविक पदार्थों के मेल से निर्मित मोटी परतें हैं। परतों की मोटाई का 20 प्रतिशत हिस्सा पानी में डूबा रहता है; शेष 80 प्रतिशत सतह पर तैरता दिखाई देता है। ये परतें इतनी मज़बूत होती हैं कि स्तनपायी जानवरो का वजन आराम से झेल लेती हैं। स्थानीय बोली में इन्हे फुुमदी कहते हैं। फूमदी के भी मुख्यतः दो प्रकार हैं: 'फूमदी एटाओबा' यानी तैरती हुई फूमदी और 'फू...
एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया

एक अनूठा त्यौहार है अक्षय तृतीया

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
गणि राजेन्द्र विजय - अक्षय तृतीया भारतीय संस्कृृति एवं परम्परा का एक अनूठा एवं इन्द्रधनुषी त्यौहार है। न केवल जैन परम्परा में बल्कि सनातन परम्परा में यह एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, इस त्यौहार के साथ-साथ एक अबूझा मांगलिक एवं शुभ दिन भी है, जब बिना किसी मुहूर्त के विवाह एवं मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक ढांचांे में ढली अक्षय तृतीया परम्पराओं के गुलाल से सराबोर है। रास्ते चाहे कितने ही भिन्न हों पर इस पर्व त्यौहार के प्रति सभी जाति, वर्ग, वर्ण, सम्प्रदाय और धर्मों का आदर-भाव अभिन्नता में एकता प्रिय संदेश दे रहा है। अक्षय तृतीया तप, त्याग और संयम का प्रतीक पर्व है। इसका सम्बन्ध आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव के युग और उनके कठोर तप से जुड़ा हुआ है। जैन इतिहास और परम्परा में चली आ रही वर्षीतप की साधना और प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ का पारणा निस्संदेह ढेर सारे तथ्यों को उद्घाटित...

18 अप्रैल: विश्व विरासत दिवस पर विशेष

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आइये, संजो लें विरासत के ये निशां लेखक : अरुण तिवारी  नेपाल में भूकंप आया, तो काठमांडू स्थित राजा के दरबार की ऐतिहासिक इमारत व मूर्ति पर भी खतरा बरपा। उत्तराखण्ड में सैलाब आया, तो बद्री-केदार तक प्रभावित हुए। पूर्वोत्तर भारत में आये हालिया भूकम्प ने भी जिंदा वर्तमान के साथ-साथ अतीत की विरासतों को लेकर चेतावनी दी। भारतीय राजनीति में आये दिन आने वाले भूकम्पों ने भी सद्भाव और प्रेम की हमारी विरासत को कम नुकसान नहीं पहुंचाया है। भारत-पाक संबंधों ने कश्मीर को स्वर्ग बताने वाले विरासत वचनों को क्षति पहुंचाई ही है। सबक साफ है कि वह विरासत के अपने निशानों की चिंता करनी शुरु करे; खासकर, विश्व विरासत के निशानों को। उनकी सुरक्षा के तकनीकी उपाय व सावधानियों पर शुरु कर देना जरूरी है; कारण कि वैज्ञानिक आकलनों ने साफ कर दिया है कि प्राकृतिक आपदा के आगामी अंदेशों से अछूता तो भारत भी नहीं रहने वाला है।...
*सच्चा इतिहास : ताजमहल नहीं 854 वर्ष पुराना भगवान शिवजी का मंदिर था*

*सच्चा इतिहास : ताजमहल नहीं 854 वर्ष पुराना भगवान शिवजी का मंदिर था*

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'ताजमहल' वास्तु मुसलमानों की नहीं, अपितु वह मूलतः #हिंदुओं की है । वहां इससे पूर्व #भगवान #शिवजी का मंदिर था, यह इतिहास सूर्यप्रकाश के जितना ही स्पष्ट है । मुसलमानों ने इस वास्तु को ताजमहल बनाया । #ताजमहल इससे पूर्व #शिवालय होने का प्रमाण पुरातत्व विभाग के अधिकारी, अन्य पुरातत्वतज्ञ, इतिहास के अभ्यासक तथा देश-विदेश के तज्ञ बताते हैं । मुसलमान आक्रमणकारियों की दैनिकी में (डायरी) भी उन्होंने कहा है कि #ताजमहल #हिंदुओं की वास्तु है । तब भी मुसलमान इस वास्तु पर अपना अधिकार जताते हैं । #शिवालय के विषय में #सरकार के पास सैकडों प्रमाण धूल खाते पड़े हैं । #सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी । इसलिए अब अपनी हथियाई गई वास्तु वापस प्राप्त करने हेतु यथाशक्ति प्रयास करना ही #हिंदुओं का धर्म व कर्तव्य है । ऐसी वास्तुएं वापस प्राप्त करने हेतु एवं हिंदुओं की वास्तुओं की रक्षा के लिए ‘हिंदु राष्ट्र’ अनिवार्य है ।मु...
हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
हिन्दू पंचांग हिन्दू समाज द्वारा माने जाने वाला कैलेंडर है। इसके भिन्न-भिन्न रूप मे यह लगभग पूरे नेपाल और भारत मे माना जाता है। पंचांग (पंच + अंग = पांच अंग) हिन्दू काल-गणना की रीति से निर्मित पारम्परिक कैलेण्डर या कालदर्शक को कहते हैं। पंचांग नाम पाँच प्रमुख भागों से बने होने के कारण है, यह है- तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। इसकी गणना के आधार पर हिंदू पंचांग की तीन धाराएँ हैं- पहली चंद्र आधारित, दूसरी नक्षत्र आधारित और तीसरी सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में १२ महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में १५ दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण। प्रत्येक साल में दो अयन होते हैं। इन दो अयनों की राशियों में २७ नक्षत्र भ्रमण करते रहते हैं। १२ मास का एक वर्ष और ७ दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व...
हिंसक होती महानगरीय संस्कृति की त्रासदी

हिंसक होती महानगरीय संस्कृति की त्रासदी

संस्कृति और अध्यात्म
हम जितने आधुनिक हो रहे है, हमारे नैतिक मूल्य उतने ही गिरते जा रहे हैं। हमारे महानगर इस गिरावट की हदें पार कर रही हंै। इसकी निष्पत्ति न केवल भयावह बल्कि चिन्ताजनक होती जा रही है। इसका खुलासा इसी बात से हो जाता है कि अकेले दिल्ली में छोटी-छोटी बातों पर हत्या जैसी घटनाओं में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। बीते तीन माह के दौरान ही मामूली विवादों पर 127 हत्याएं हो चुकी हैं। ये हत्याएं जिन छोटे-छोटे विवादों एवं कहा-सुनी को लेकर वीभत्स एवं डरावने अंदाज में हुई वे महानगरीय जीवन के हिंसक एवं क्रूर होते जाने की स्थितियों को ही दर्शाता है। ये हत्याएं हमारे समाज की संवेदनशून्यता एवं जड़ होते़ जाने की त्रासदी को ही उजागर करती है। यहां यह सवाल उठ खड़ा होता है कि हम और आप इतने संवेदनहीन आखिर क्यों हो गए हैं? क्यों समाज और आस-पड़ोस को लेकर हमारी संवेदनाएं मर गई हैं या मरती जा रही हैं। वसुधैव कुटुंबकम की अपनी प्राचीन ...
परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है, सृष्टि के कण-कण में बस उसे महसूस किया जा सकता है!

परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है, सृष्टि के कण-कण में बस उसे महसूस किया जा सकता है!

धर्म, संस्कृति और अध्यात्म
एक बार एक व्यक्ति ने परमात्मा से प्रार्थना की- ‘परमात्मा! कृपया मुझसे वार्तालाप कीजिए।’ प्रार्थना करते समय पेड़ पर एक चिड़िया चहचहाने और गाने लगी, पर व्यक्ति ने उसे नहीं सुना। वह प्रार्थना करता रहा- ‘प्रभु! कृपया मुझसे वार्तालाप कीजिए।’ सहसा, बादल गरज उठे और आसमान में बिजली कौंध उठी, पर व्यक्ति ने उसे भी नजरअंदाज कर दिया। उस रात व्यक्ति फिर से प्रार्थना करने बैठ गया। वह कहने लगा- ‘प्रभु! कृपया मुझे अपने दर्शन दीजिए।’ आसमान में एक सितारा तेजी से चमकने लगा। तब भी व्यक्ति ने उसे नहीं देखा। व्यक्ति व्याकुल हो उठा और चिल्लाने लगा-‘प्रभु ! मुझे चमत्कार दिखाइए।’ उस रात उसके पड़ोसी के घर एक बालक का जन्म हुआ और उसने अपने जीवन की पहली चीख-पुकार की, पर व्यक्ति ने उस पर भी ध्यान नहीं दिया। अगले दिन व्यक्ति बाहर गया। चलते-चलते वह मूक रूप से प्रार्थना करने लगा- ‘प्रभु! मुझे स्पर्श कीजिए और मुझे यह बताइ...
तो अब देश निकालेगा राम मंदिर मसले का हल

तो अब देश निकालेगा राम मंदिर मसले का हल

addtop, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म
तो क्या अब माना जाए कि अब अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद का शीघ्र ही कोई सर्वमान्य हल हो सकता है? राम जन्मभूमि विवाद की अदालत के बाहर हल होने की संभावनाएं जगी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवेदनशील और आस्था से जुड़ा बताते हुए पक्षकारों से बातचीत के जरिए आपसी सहमति से मसले का हल निकालने को कहा है। यानी अब सभी पक्षकारों को एक अनुपम अवसर मिल गया है कि वेअयोध्या विवाद पर कोई सहमति बना लें। लंबे समय से चले मसले पर कोई सर्वानुमति सामने आ जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तो यहां तक सुझाव दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो विवाद के हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता को भी तैयार है। यह पहल इसलिए अहम है, क्योंकि, हिन्दुओं और मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग विवादित मसले को संवाद और सामंजस्य से ही सुलझाने की वकालत कर रहा है। हालांकि, कुछ कट्टरपंथी तत्व और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर मामले का हल नही होने...