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ढ़हता किला, बढ़ती उम्मीदें”, जानिए माओवाद के मोर्चे पर बस्तर में कैसे बदल रही तस्वीर

ढ़हता किला, बढ़ती उम्मीदें”, जानिए माओवाद के मोर्चे पर बस्तर में कैसे बदल रही तस्वीर

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सबसे बड़ी समस्या तो बच्चों एवं महिलाओं की संगठन में भागेदारी सुनिश्चित करने को लेकर थी, जिसको लेकर असहाय ग्रामीणों की सुनने वाला कोई ना था The Narrative Worldनैरेटिव डेस्क दशकों से माओवाद का दंश झेल रहे छत्तीसगढ़ में बीते वर्षो में सुरक्षाबलों द्वारा किए गए प्रयासों का प्रतिफल अब जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगा है, परिणामस्वरूप कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में कुख्यात रहे क्षेत्र लाल आतंक की परिसीमा से मुक्त होते दिखाई दे रहे है, इसी क्रम में सुकमा जिले के धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र कुंदर एवं बेदरे में भी सुरक्षाबलों ने डेढ़ दशकों से ज्यादा समय तक प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) के प्रभाव में रही बीजापुर से दंतेवाड़ा को जोड़ने वाली पुरानी सड़क को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त करा लिया है। दरअसल 17 वर्षो से माओवादियों के प्रभाव में रहे बेदरे एवं कुंदर में सुरक्षाबलों...
राष्ट्रचिंतन लेखमाला – भारत में ‘भारतीय’ बन कर रहें**

राष्ट्रचिंतन लेखमाला – भारत में ‘भारतीय’ बन कर रहें**

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नरेंद्र सहगल ‘भारतीय होने का सीधा और स्पष्ट मापदंड है, भारत के अखंड भूगोल, सनातन संस्कृति और गौरवशाली अतीत के प्रति आस्था/विश्वास और इसी के साथ जुड़े रहने का दृढ़ संकल्प. अपनी जाति, क्षेत्र और महजब से ऊपर उठ कर ‘हम भारतीय’ कहने में गौरव की अनुभूति यही तो है भारतीयता. सर्वप्रथम हम भारतीय हैं. भारतीय होने के उपरोक्त मापदंड के संदर्भ में अनेक प्रश्न खड़े होते हैं. क्या उन लोगों को भारतीय, कहा जा सकता है जो ‘गजवा-ए-हिन्द’ और ‘दारुल इस्लाम’ के ख्वाब देखते हैं? क्या वह लोग भारतीय कहलाने के हकदार हैं जो गरीबों, वंचितों की लाचारी का फायदा उठा कर उनका धर्मांतरण करके उनके गले में जबरदस्ती ‘क्रॉस’ लटका देते हैं? वे लोग कैसे भारतीय हैं जो विदेशों में जाकर खुलेआम तिरंगे ध्वज को जलाकर ‘खालिस्तान’ का शोर मचाते हैं? उन लोगों को भारतीय कैसे माना जाए जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का इरादा रखते हैं? उन ...
समग्र विकास को लक्षित बजट

समग्र विकास को लक्षित बजट

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अवधेश कुमार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में आयकर सीमा की वृद्धि तथा स्लैब में परिवर्तन सबसे ज्यादा सुर्खियां पाया है। किंतु बजट को संपूर्णता में समझने के लिए उनके बजट भाषण के आरंभिक अंश का उल्लेख आवश्यक है। बजट भाषण का आरंभ करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल का यह पहला बजट आजादी के 100 साल बाद भारत की परिकल्पना का बजट है। इसके बाद उन्होंने इस बजट के सात आधार बताएं और इसे सप्तर्षी नाम दिया। यह साफ आधार है 1. समावेशी विकास, 2. वंचितों को वरीयता, 3. बुनियादी ढांचे और निवेश, 4. क्षमता विस्तार 5. हरित विकास, 6. युवा शक्ति, एवं 7. वित्तीय क्षेत्र। सप्तर्षी के विवरण के साथ उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि बजट यानी सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोज़गार सृजन को तेज़ गति प्रदान करने और व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित ह...
चीन एक ‘अलग-थलग’ और ‘मित्रविहीन’ भारत चाहता है

चीन एक ‘अलग-थलग’ और ‘मित्रविहीन’ भारत चाहता है

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बलबीर पुंज क्या भारत, चीन से निपट सकता है? यह प्रश्न बीते छह दशकों से प्रासंगिक है। क्या इस संकट का समाधान उन नीतियों में छिपा है, जिसका अनुसरण मई 2014 से पहले 13 पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री कर चुके है?— इसके परिणामस्वरूप ही आज भी 38 हजार वर्ग कि.मी. भारतीय भूखंड पर चीनी कब्जा है। चीन से व्यापारिक संबंध में प्रतिवर्ष लाखों करोड़ रुपयों का घाटा हो रहा है। चीन वर्ष 1959, 1962, 1967, 1975, 1987, 2013, 2017, 2020-21 और 2022 में बिना उकसावे के आक्रामकता दिखा रहा है। 'काफिर' भारत के खिलाफ पाकिस्तान के घोषित जिहाद में चीन प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग दे रहा है। नेपाल— जिसके भारत से सांस्कृतिक-पारिवारिक संबंध है, वह चीनी हाथों में खेलकर यदा-कदा भारत विरोधी नीतियां बना रहा है। यह तनाव केवल सीमा तक सीमित नहीं। देश में कुछ चीनपरस्त राजनीति दल और संगठन द्वारा इसपर विकृत विमर्श बनाया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि ...
हमारी न्याय व्यवस्था पर बीबीसी का प्रहार

हमारी न्याय व्यवस्था पर बीबीसी का प्रहार

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बलबीर पुंज गुजरात दंगे को लेकर यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय प्रसारक— बीबीसी की वृत्तचित्र को किस श्रेणी में रखेंगे? क्या इसे पत्रकारिता कहेंगे या फिर भारत के प्रति घृणा? इस घटनाक्रम में भारत सरकार की जो प्रतिक्रिया आई है, उसपर अलग से विस्तृत चर्चा हो सकती है। यह पहली बार नहीं, जब वामपंथ केंद्रित बीबीसी ने कोई भारत-विरोधी रिपोर्ट या वृत्तचित्र तैयार की हो और भारत सरकार ने उसपर प्रतिबंध लगाया हो। 1968-71 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा बीबीसी पर लगाई पाबंदी— इसका प्रमाण है। स्वयं ब्रितानी सरकारों-राजनीतिज्ञों (मारग्रेटा थैचर सहित) के साथ भी बीबीसी का पुराना विवाद रहा है। इस पृष्ठभूमि में जिस प्रकार बीबीसी ने 20 वर्ष पुराने प्रकरण पर विकृत रिपोर्ट को प्रस्तुत किया है, वह उस औपनिवेशिक ब्रितानी अधिष्ठान से प्रेरित है, जिसने 19वीं शताब्दी में कमजोर कड़ियों को ढूंढकर कालांतर में वामपंथ...
रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

रेल बजट- सफर सुहावना करने का वादा

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आर.के. सिन्हा केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 45 लाख करोड़ का 2023-24 का बजट तो यही संकेत दे रहा है कि अब आपका रेलवे का सफर और सुहावना होने जा रहा है। यानी आपको रेल में यात्रा करने में आनंद आएगा। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि सरकार रेलवे का कायाकल्प करने के प्रति दृढ़ संकल्प दिखा रही है। रेलवे का चौतरफा विकास करने का सिलसिला तो लगातार चल ही रहा है। इसे और गति देने के इरादे से ही केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 के बजट में रेलवे के लिए 2 लाख 40 ह्जार करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है। इसके अतिरिक्त 75 हजार करोड़ रुपया नई परियोजनाओं को लागू करने पर खर्च किए जाने का प्रस्ताव अलग से है। पिछले साल 2022-23 में रेलवे के विकास के लिए 1.4 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। यानि अब ...
भारत के अमृत काल का प्रथम बजट विकसित राष्ट्र की आधारशिला रखने वाला बजट

भारत के अमृत काल का प्रथम बजट विकसित राष्ट्र की आधारशिला रखने वाला बजट

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भारत का अमृत काल प्रारम्भ हो चुका है और वर्ष 2047 में भारत अपनी स्वाधीनता के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा। उस समय तक भारत को विश्व के मानचित्र पर एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की प्रेरणा देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारतीय नागरिकों को दी है। अतः देश के पास अब केवल लगभग 24 वर्ष का समय ही शेष है, ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री माननीय श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा संसद में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तुत किया गया केंद्र सरकार का बजट भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की राह दिखा रहा है। यह बजट दरअसल अमृत काल का प्रथम बजट होने के कारण इसे भारत में अमृत काल की मजबूत आधारशिला रखने वाला बजट भी कहा जा सकता है। भारत में आध्यात्मिक दृष्टि से ऋषियों, मुनियों एवं गुरुओं द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर सफलता हासिल करने के कई उदाहरण सुनाई देते रहे हैं। इसी प्रकार वित्...
देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

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अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है.  केंद्रीय बजट से आम आदमी से लेकर उद्योग जगत को भी कई उम्मीदें हैं, कोरोना महामारी के बाद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था जी 20  देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है, हालांकि,देश की इकोनॉमी की रिकवरी तेज करने, कर्ज के बोझ में कमी लाने, मध्यम वर्ग को राहत देने और राजकोषीय घाटा कम करने जैसी बड़ी चुनौतियां हैं. साल 2023 उस समय को दिखाता है जब भारत अमृत काल में प्रवेश कर रहा है. आने वाले 25 सालों में 2047 का साल आएगा, जो हमारी स्वतंत्रता का 100वां साल होगा. -प्रियंका सौरभ मोदी सरकार 2024 के लिए एजेंडा सेट कर रही है और विपक्ष भी अपनी पिच तैयार कर रहा है। आज बजट के जरिए सरकार ने अपनी अर्थनीति देश के सामने रख दी।...
सप्तर्षि से उपमित दूरगामी अमृत बजट

सप्तर्षि से उपमित दूरगामी अमृत बजट

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-ः ललित गर्ग:-अमृत काल का पहला बजट अनेक दृष्टियों एवं दिशाओं से महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक है, क्योंकि इसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सात फोकस क्षेत्रों की बात की, जिन्हें उन्होंने सरकार का मार्गदर्शन करने के लिए ‘सप्तऋषि’ कहा। कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है, जो सृष्टि का संतुलन बनाने में अपनी योगदान देते हैं। भारत आर्थिक विकास एवं संतुलन में इन ऋषियों को आधार बनाने की बात एक मौलिक सोच एवं दिशा है। दुनिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास के लिये इस सप्तर्षि रूपी बजट में सात फोकस क्षेत्रों में समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार हरित विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्रों पर बल दिया गया हैै, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, डि...
केंद्रीय बजट 2023 की मुख्य बातें 

केंद्रीय बजट 2023 की मुख्य बातें 

BREAKING NEWS, Current Affaires, Today News, TOP STORIES, आर्थिक, समाचार
केंद्रीय बजट 2023 में नई कर व्यवस्था के तहत व्यक्तिगत कर छूट की सीमा बढ़ाकर ₹7 लाख की गई है और वेतनभोगी व्यक्तियों को ₹50,000 की मानक कटौती देने की घोषणा की गई है। नई व्यवस्था के तहत सर्वाधिक सरचार्ज रेट को 37% से घटाकर 25% किया गया है और पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर ₹10 लाख करोड़ किया गया है। भारत की आजादी के 75वें वर्ष में पूरी दुनिया ने यह भली भांति स्‍वीकार कर लिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक चमकता सितारा है क्योंकि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्‍तर पर व्यापक सुस्‍ती दर्ज किए जाने के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। यह बात  केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2023 को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए कही। वित्त मंत्री ने विशेष जोर देते ह...