सरपंचपति खत्म कर रहे महिलाओं की राजनीति
सरपंच पति प्रथा ने महिलाओ को पहले जहा थी वही लाकर खड़ा कर दी है। इसके लिये सरकार को सरपंच पति चलन को एक प्रभावी कानून के माध्यम से नियंत्रित करना चाहिये। शासन के मामले में क्षमता निर्माण पर आगे अतिरिक्त काम की आवश्यकता है। महिलाओ के अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता बढाने और पंचायत स्तर पर महिलाओ की भागीदारी के महत्व के बारे में नौकर शाही को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए। भले ही संविधान महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समान अधिकार की गारंटी देता है, सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों को समानता के आधुनिक लोकाचार के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। शासन के संस्थानों जैसे अदालतों, पुलिस, प्रशासनिक निकायों आदि को लैंगिक समानता पर ध्यान देना चाहिए।
-प्रियंका सौरभ
भारत में, लोकसभा में महिलाओं का अनुपा...