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अवैध मतांतरण

अवैध मतांतरण

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक
ह्रदय नारायण दीक्षित अवैध मतांतरण राष्ट्रीय चुनौती है। ईसाई इस्लामी समूह काफी लम्बे समय से अवैध मतांतरण में संलग्न हैं। वे सारी दुनिया को अपने पंथ मजहब में मतांतरित करने के लिए तमाम अवैध साधनों का इस्तमाल कर रहे हैं। अपनी आस्था विवेक और अनुभूति में जीना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। लेकिन यहाँ अवैध मतांतरण के लिए छल बल भय और प्रलोभन सहित अनेक नाजायज तरीके अपनाए जा रहे हैं। यह मानवता के विरुद्ध असाधारण अपराध है। और राष्ट्रीय अस्मिता के विरुद्ध युद्ध भी है। मतांतरण से व्यक्ति अपना मूल धर्म ही नहीं छोड़ता, उसकी देव आस्थाएं बदल जाती हैं। पूर्वज बदल जाते हैं। वह अपनी संस्कृति के प्रति स्वाभिमानी नहीं रह जाता। वह नए पंथ मजहब के प्रभाव में अपने पूर्वजों पर भी गर्व नहीं करता। उसकी भूसांस्कृतिक निष्ठा बदल जाती है। भूसांस्कृतिक निष्ठा ही भारतीय राष्ट्र का मूल तत्व है। इसलिए मतांतरण राष्ट्रांतरण ...
घुटने टेकता ईरान

घुटने टेकता ईरान

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घुटने टेकता ईरान* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* ईरान में हिजाब के विरुद्ध इतना जबर्दस्त जन-आंदोलन चल पड़ा है कि मुल्ला-मौलवियों और आयतुल्लाहों की सरकार को घुटने टेकने पड़ गए हैं। उसने घोषणा की है कि वह ‘गश्त—ए-इरशाद’ नामक अपनी मजहबी पुलिस को भंग कर रही है। इस पुलिस की स्थापना 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदनिजाद ने इसलिए की थी कि ईरानी लोगों से वह इस्लामी कानूनों और परंपराओं का पालन करवाए। देखिए, ईरान की कथा भी कितनी विचित्र है। सउदी अरब और यूएई जैसे सुन्नी और अरब राष्ट्रों से ईरान की हमेशा ठनी रहती है लेकिन फिर भी वह हिजाब-जैसे सुन्नी और अरबी रीति-रिवाजों को उनसे भी ज्यादा सख्ती से लागू करने पर आमादा रहता है। ईरान तो आर्य राष्ट्र है। उसके शहंशाह को ‘आर्यमेहर’ कहा जाता था। लेकिन ईरान अपने भव्य भूतकाल को भूलकर अब अरबों की नकल करता है और दूसरी तरफ वह अपने शिया होने पर इतना गर्व करता है कि सुन्...
Stage III of revised Graded Response Action Plan (GRAP) invoked in Delhi-NCR with immediate effect

Stage III of revised Graded Response Action Plan (GRAP) invoked in Delhi-NCR with immediate effect

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Highlights: CAQM Sub-Committee for invoking actions under GRAP holds an emergency meeting in wake of significant deterioration in air quality of Delhi-NCR in last 24 hours All actions as envisaged under Stage III of the GRAP – ‘Severe’ Air Quality to be implemented in right earnest by all the agencies concerned, with immediate effect in the NCR; Stage I and Stage II actions to be reinforced In view of the significant deterioration in air quality of Delhi-NCR in last 24 hours, the Sub-Committee for invoking actions under the Graded Response Action Plan (GRAP) of the Commission for Air Quality Management in NCR & Adjoining Areas (CAQM) held an emergency meeting today. Delhi’s overall Air Quality Index (AQI) crossed the 407 mark today at 16:00 hours, which is likely to be ...
सबके लिए एक—जैसा कानून क्यों नहीं ?*

सबके लिए एक—जैसा कानून क्यों नहीं ?*

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भाजपा कई वर्षों से लगातार वादा कर रही है कि वह सारे देश में सबके लिए निजी कानून एक-जैसा बनाएगी। वह समान नागरिक संहिता लागू करने की बात अपने चुनावी घोषणा-पत्रों में बराबर करती रही है। निजी मामलों में समान कानून का अर्थ यही है कि शादी, तलाक, उत्तराधिकार, दहेज आदि के कानून सभी मजहबों, जातियों और क्षेत्रों में एक-जैसे हों। भारत की दिक्कत यह है कि हमारे यहां अलग-अलग मज़हबों में निजी-कानून अलग-अलग तो हैं ही, जातियों और क्षेत्रों में अलग-अलग से भी ज्यादा परस्पर विरोधी परंपराएं बनी हुई हैं। जैसे हिंदू कोड बिल के अनुसार हिंदुओं में एक पत्नी विवाह को कानूनी माना जाता है लेकिन शरीयत के मुताबिक एक से ज्यादा बीवियाँ रखने की छूट है। भारत के कुछ उत्तरी हिस्से में एक औरत के कई पति हो सकते थे। भारत के दक्षिणी प्रांतों में मामा-भानजी की शादी भी प्रचलित रही है। आदिवासी क्षेत्रों में...
पेन किलर के दुष्प्रभाव से बचें

पेन किलर के दुष्प्रभाव से बचें

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*रजनीश कपूर‘इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना’। मिर्ज़ा ग़ालिब के चर्चित शेरों में से यहएक ऐसा शेर है जो हमें दर्द सहने की नसीहत देता है। परंतु आजकल के भाग-दौड़ भरे दौर में हमारे शरीर में दर्द सहने कीशक्ति कम होती जा रही है। हम किसी भी उम्र के क्यों न हों, ज़रा सी दर्द को भगाने के लिए ‘पेन किलर’ के बिना नहीं चलसकते। पर क्या हम इन रंग बिरंगी गोलियों के दुष्प्रभाव से वाक़िफ़ हैं?आमतौर पर हम सिरदर्द जैसी छोटी सी पीड़ा पर, पेट या बदन दर्द पर तुरंत पेन किलर ले लेते हैं। बिना इस बात का ख़्यालहुए कि इन गोलियों का हमारे शरीर पर क्या असर पड़ेगा। हमारी ज़रा सी लापरवाही, इन दवाओं को जीवन भर का दर्दबना सकती हैं। जबकि पेट दर्द, सिर दर्द और बदन दर्द के लिए नानी-दादी के बताए ऐसे हज़ारों घरेलू नुस्ख़े हैं जिनसे तुरंतआराम मिल सकता है। परंतु मार्केटिंग के युग में ...
Prannoy Roy: From GK to NDTV to Adani

Prannoy Roy: From GK to NDTV to Adani

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Vivek Shukla Even as the media world is agog with the news that Radhika and Dr. Prannoy Roy have resigned as directors on the board of RRPR Holding Pvt. Ltd. with effect from November 29,I am transported back to 1984. Those were the days when India was still many years away from the din of private TV channels. Nobody knew that something like Twitter, Facebook and other social media platforms would invade our world soon. Telecom revolution too was far away. Those days I was a student of Delhi University and during the summer vacation, I was working in a huge TV showroom of my friend’s family in the then Archana Cinema shopping arcade in Greater Kailash-part I. That TV showroom belonged to Weston Company and it also had a huge video Library too. Those were the days of VCR. Movie buffs...
3 डी नेविगेशन तकनीक : स्पाइनल सर्जरी को आसान बनाती है

3 डी नेविगेशन तकनीक : स्पाइनल सर्जरी को आसान बनाती है

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डॉ. अरविंद कुलकर्णी हेड, मुंबई स्पाइन स्कोलियोसिस एंड डिस्क रिप्लेसमेंट सेंटर बॉम्बे हॉस्पिटल मुंबई लैमिनेक्टॉमी और लंबर फ्यूजन जैसी पुराने चलन वाली स्पाइनल सर्जरी बेहद मुश्किल और दर्दनाक होती है। यह तकनीक एक अत्यधिक कुशल विशेषज्ञ की मांग करती है। लेकिन टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ, आज स्पाइनल नेविगेशन टेक्नोलॉजी ने इलाज की पूरी प्रक्रिया को बदल कर रख दिया है। आज सभी न्यूरोसर्जन, गंभीर और मुश्किल स्पाइनल सर्जरी के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इमेज आधारित इस टेक्नोलॉजी ने स्पाइनल सर्जरी को बेहद आसान बना दिया है, जहां सर्जन बेहतर विजुअल्स (समस्या वाली जगह के दृश्य) के साथ बिल्कुल सटीक सर्जरी कर पाते हैं, जो पुरानी तकनीक के साथ बिल्कुल भी संभव नहीं है। नेविगेशन सिस्टम का कैमरा मरीज की रीढ़ को स्कैन करके साफ  विजुअल्स देता है। इमेज-आधारित यह टेक्नोलॉजी सटीक स्पाइनल ...
सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है

सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है

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साभार...भारतीय सेना उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कल रात यह कहकर सनसनी फैला दी कि सेना किसी भी वक्त पीओके वापस लेने को तैयार है !उन्होंने कहा कि बस भारत सरकार के आदेश की प्रतीक्षा है ! कुछ ही दिन बीते जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर में कहा था कि पीओके में कश्मीरी भाई नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं !उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार इधर के कश्मीर में निर्माण का दौर चला है वैसा ही विकास का दौर एक दिन गिलगित बाल्टिस्तान तक चलने वाला है ! सेना की ओर से ऐसा बयान ऐसे समय आया है जब सर्दियां सिर पर हैं । पाकिस्तान के भीतरी हालात कमजोर हैं , राजनैतिक नेतृत्व बेहद कमजोर है । बाजवा को सेनाध्यक्ष के पद से हटाने की तैयारी चल रही है । नए सेनाध्यक्ष को लेकर खुद सेना में भारी मतभेद हैं । याद रखिए , गृह मंत्री अमित शाह धारा 370 हटाते समय संसद में सीना ठोककर कह चुके हैं ...
भारतीय संविधान भारतीय जीवन दर्शन का ग्रंथ है

भारतीय संविधान भारतीय जीवन दर्शन का ग्रंथ है

राष्ट्रीय, समाचार
डॉ. सौरभ मालवीयकिसी भी देश के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है। देश के विधान को संविधान कहा जाता है। यह अधिनियमों का संग्रह है। भारत के संविधान को विश्व का सबसे लम्बा लिखित विधान होने का गौरव प्राप्त है। भारतीय संविधान हमारे देश की आत्मा है। इसका देश से वही संबंध है, जो आत्मा का शरीर से होता है। संविधान दिवस का इतिहासभारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर पूर्ण हुआ था। चूंकि डॉ. भीमराव आम्बेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे, इसलिए भारत सरकार द्वारा उनकी 125वीं जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को प्रथम बार संविधान दिवस संपूर्ण देश में मनाया गया। उसके पश्चात 26 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष संविधान दिवस मनाया जाने लगा। इससे पूर्व इसे राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा द्वारा देश के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में पूर्ण किया गया था। इस पर 114 दिन तक च...
न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

न्याय-व्यवस्थाः सुधार के संकेत

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*डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सर्वोच्च न्यायालय में आए एक ताजा मामले ने हमारी न्याय-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है लेकिन उसने देश के सारे न्यायालयों को नया रास्ता भी दिखा दिया है। हमारी बड़ी अदालत में 1965 में डाॅ. राममनोहर लोहिया ने अंग्रेजी का बहिष्कार करके हिंदी में बोलने की कोशिश की थी लेकिन कल शंकरलाल शर्मा नामक एक व्यक्ति ने अपना मामला जैसे ही हिंदी में उठाया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों ने कहा कि वे हिंदी नहीं समझते। उनमें से एक जज मलयाली के एम. जोजफ थे और दूसरे थे बंगाली ​ऋषिकेश राय। उनका हिंदी नहीं समझना तो स्वाभाविक था और क्षम्य भी है लेकिन कई हिंदी भाषी जज भी ऐसे हैं, जो अपने मुवक्किलों और वकीलों को हिंदी में बहस नहीं करने देते हैं। उनकी भी यह मजबूरी मानी जा सकती है, क्योंकि उनकी सारी कानून की पढ़ाई-लिखाई अंग्रेजी में होती रही है। उन्हें नौकरियां भी अंग्रेजी के जरिए ही मिलत...