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सब के लिए एक-जैसा कानून कैसे ?*

सब के लिए एक-जैसा कानून कैसे ?*

विश्लेषण, समाचार
सब के लिए एक-जैसा कानून कैसे ?* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* भाजपा राज्यों की सरकारें एक के बाद एक घोषणा कर रही हैं कि वे समान आचार संहिता अपने-अपने राज्यों में लागू करनेवाली हैं। यह घोषणा उत्तराखंड, हिमाचल और गुजरात की सरकारों ने की हैं। अन्य राज्यों की भाजपा सरकारें भी ऐसी घोषणाएं कर सकती हैं लेकिन वहां अभी चुनाव नहीं हो रहे हैं। जहां-जहां चुनाव होते हैं, वहां-वहां इस तरह की घोषणाएं कर दी जाती हैं। क्यों कर दी जाती हैं? क्योंकि हिंदुओं के थोक वोट कबाड़ने में आसानी हो जाती है और मुसलमान औरतों को भी कहा जाता है कि तुम्हें डेढ़ हजार साल पुराने अरबी कानूनों से हम मुक्ति दिला देंगे। यह बात सुनने में तो बहुत अच्छी लगती है और इतनी तर्कसंगत भी लगती है कि कोई पार्टी या नेता इसका विरोध नहीं कर पाता। हाँ, कुछ कट्टर धर्मध्वजी लोग इसका विरोध जरूर करते हैं, क्योंकि उनकी मान्यता है कि यह उनके धार्मिक क...
त्रिकोणीय गुजरात चुनाव में मतपेटियां ही राज खोलेंगी

त्रिकोणीय गुजरात चुनाव में मतपेटियां ही राज खोलेंगी

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त्रिकोणीय गुजरात चुनाव में मतपेटियां ही राज खोलेंगी- ललित गर्ग - चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक सरगर्मिया उग्र हो गयी है। किसी भी राष्ट्र एवं प्रांत के जीवन में चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण घटना होती है। यह एक यज्ञ होता है। लोकतंत्र प्रणाली का सबसे मजबूत पैर होता है। राष्ट्र के प्रत्येक वयस्क के संविधान प्रदत्त पवित्र मताधिकार प्रयोग का एक दिन। सत्ता के सिंहासन पर अब कोई राजपुरोहित या राजगुरु नहीं अपितु जनता अपने हाथों से तिलक लगाती है। गुजरात की जनता इन चुनावों में किसकों तिलक करेंगी, यह भविष्य के गर्भ में है। भले ही 1995 से ही भाजपा लगातार मजबूती से चुनाव जीतती रही है, क्या इस बार भी वह यह इतिहास दोहरायेगी? कांग्रेस यहां सफल एवं सक्षम प्रतिद्वंद्वी रही है, पिछली बार सत्ता के करीब पहुंचने में वह एक बार फिर चुकी थी, क्या इस बार वह ऐ...
आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन

आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन

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आज विश्व में कई देश भारतीय मूल के नागरिकों को कर रहे हैं उच्च पदों पर आसीन अभी हाल ही में भारतीय मूल के राजनेता श्री ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। इस समाचार से स्वाभाविक रूप से भारतीय समाज में भी खुशी की लहर दौड़ गई। परंतु, ब्रिटेन के अलावा विश्व के अन्य 7 देशों में भी भारतीय मूल के राजनेताओं ने प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति का पद सम्भाला हुआ है। अमेरिका की उपराष्ट्रपति श्रीमती कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। इसी प्रकार भारतीय मूल के श्री प्रविंद जगन्नाथ वर्तमान में मॉरिशस के प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के ही श्री भरत जगदेव 2020 से गुयाना के उपराष्ट्रपति हैं। भारतीय मूल के एंटोनियो कास्टा वर्तमान में पुर्तगाल के प्रधानमंत्री है। श्री चंद्रिका प्रसाद उर्फ श्री चान संतोखी वर्तमान में सूरीनाम के राष्ट्रपति है। सिंगापुर की वर्तमान राष्ट्रपति हलीमा भी भारतीय मूल की हैं।...

भारत-चीनः सहज संबंध कैसे बनें?

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भारत-चीनः सहज संबंध कैसे बनें?* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* नई दिल्ली से चीनी राजदूत सन वेइ दोंग की विदाई के समय हमारे विदेशमंत्री जयशंकर और राजदूत सन ने जो बातें कहीं हैं, उन पर दोनों देशों के नेता और लोग भी ज़रा गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इस 21 वीं सदी में दुनिया की शक्ल बदल सकती है। जयंशकर ने कहा है कि इन दोनों के बीच यदि आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हितों को ध्यान में रखकर काम किया जाए तो न केवल इन दोनों देशों का भला होगा बल्कि विश्व राजनीति भी उससे लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव खत्म करने के लिए यह जरुरी है कि सीमा क्षेत्रों में शांति बनी रहे। जयंशकर के जवाब में बोलते हुए चीनी राजदूत सन ने कहा कि दोनों राष्ट्र पड़ौसी हैं। पड़ौसियों के बीच मतभेद और अनबन कोई अनहोनी बात नहीं है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। चीन और भारत एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ौसी हैं। ...

 ऋषि सुनक ब्रिटेन को चुनौतियों से उबार सकेंगे?

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 ऋषि सुनक ब्रिटेन को चुनौतियों से उबार सकेंगे?-ललित गर्ग- भारतीय मूल के ऋषि सुनक एक नया इतिहास रचते हुए ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री की शपथ ले चुके हैं। उन्होंने पेनी मोरडॉन्ट को मात देते हुए जीत हासिल की है। कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करने की रेस ऋषि सुनक जीत चुके हैं। पार्टी ने उन्हें अपना नया नेता चुन लिया है। यह पहली बार हुआ है जब कोई भारतीय मूल का व्यक्ति ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना है। हालांकि इससे ब्रिटेन पर छाए राजनीतिक और आर्थिक संकट के बादल कितने कम होंगे, यह भविष्य के गर्भ में हैं। लेकिन सुनक के बहाने यदि ब्रिटेन आर्थिक संकट से उबरने में सक्षम हो सका तो यह न केवल सुनक के लिये बल्कि भारत के लिये गर्व का विषय होगा। भले ही सुनक के सामने कई मुश्किल चुनौतियां और सवाल हैं, लेकिन उन्हें एक सूरज बनकर उन जटिल हालातों से ब्रिटेन को बाहर निकालना है।  भारत में सुनक की जीत पर का...
संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम

संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम

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संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम" डा.अभिषेक आत्रेय, एडवोकट आन रिकार्ड, सुप्रीम कोर्ट देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास है। वक्फ अधिनियम से मिली ताकत के दम पर वक्फ बोर्ड कैसे संपत्तियों पर कब्जा करते हैं, इसकी बानगी हाल ही में तमिलनाडु में देखने को मिली। निश्चित तौर पर देश के कई हिस्सों में वक्फ बोर्ड ने इसी तरह से संपत्तियां बनाई हैं। इस काम में इन्हें एक ऐसे कानून से संरक्षण मिला हुआ है, जो संवैधानिक प्रविधानों का उल्लंघन करता है।  देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए सबसे पहले 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग अधिनियम आया। उसके बाद 1923 में मुसलमान वक्फ अधिनियम आया। स्वतंत्रता के बाद वक्फ अधिनियम 1954 अस्तित्व में आया। 1984 में भी वक्फ अधिनियम आया, लेकिन उसे अधिसूचित नहीं किया गया। 1995 में बहुत सारे परिवर्तनों के साथ वक्फ अधिनियम 19...
सउदी अरब में नया इस्लाम

सउदी अरब में नया इस्लाम

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सउदी अरब में नया इस्लाम* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सउदी अरब आजकल जितने प्रगतिशील कदम उठा रहा है, वह दुनिया के सारे मुसलमानों के लिए एक सबक सिद्ध होना चाहिए। लगभग डेढ़ हजार साल पहले अरब देशों में जब इस्लाम शुरु हुआ था तब की परिस्थितियों में और आज की स्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया के ज्यादातर मुसलमान पुराने ढर्रे पर ही अपनी गाड़ी धकाते चले आ रहे हैं। सउदी अरब उनका तीर्थ है। मक्का-मदीना उनका साक्षात स्वर्ग है। उसके द्वार अब औरतें के लिए भी खुल गए हैं। यह इतिहास में पहली बार हुआ है। वरना, पहले कोई अकेली मुस्लिम औरत हज या उमरा करने जा ही नहीं सकती थी। उसके साथ एक ‘महरम’ (रक्षक) का रहना अनिवार्य था। इसमें कोई बुराई उस समय नहीं थी, जब इस्लाम शुरु हुआ था। उस समय अरब लोग जहालत में रहते थे। औरतों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार किया जाता था लेकिन दुनिया इतनी ब...
‘हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता’

‘हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता’

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'हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता'नई दिल्ली, 14 अक्टूबर(इंडिया साइंस वायर):भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी)मद्रास के शोधकर्ताओंने अपने एक ताजा अध्ययन में उच्च रक्तचाप के पीछे जिम्मेदार अनुवांशिक भिन्नता का पता लगाय है।शोधकर्ताओं की खोज में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि मैट्रिक्स मटालो प्रोटीनेज (एमएमपीएस)नामक एक जीन के ‘डीएनए बिल्डिंग ब्लॉक’ में बदलाव से लोगों में उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकताहै। इस निष्कर्ष तक पहुँचने के क्रम में अध्ययनकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगिओं और सामान्यरक्तचाप वाले स्वस्थ लोगों के अनुवांशिक प्रोफाइल का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया है।उच्च रक्तचाप के कारण रक्त नलिकाओं की दीवार और धमनियां, दीवारों पर अत्यधिक कोलेजन जमाहोने के कारण सख्त हो जाती हैं। कोलेजन शरीर में पैदा होने वाले प्रोटीन का सबसे प्रचुर मात्रा में पायाजाने वाला प्रकार ...
चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

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चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव  चुनाव में कुछ लोगों द्वारा इसे आपसी साख का प्रश्न बना लिया जाता है जो धीरे-धीरे जहर का रूप ले लेता है। बढ़ती प्रतिद्धंद्विता रिश्तों का क़त्ल करने लगती है। अगर कोई ऐसे समय साथ न दे तो मित्र भी दुश्मन लगने लग जाते है। मगर यह हमारी भूल है। कोई भी चुनाव आखरी नहीं होता है। और रिश्तों से बढ़कर तो कतई नहीं। हम पद पाने की होड़ में ये भूल जाते है कि हमसे पहले भी चुनाव हुए है और आगे भी होंगे। इसलिए कुछ वोटों के लिए परिवार के लोगों, मित्रों, सगे-सम्बन्धियों, पड़ोसियों और अन्य से दुश्मनी के भाव से पेश आना सही नहीं है। क्योंकि चुनाव की रात ढलते ही हमें अपने आगे के दिन इन्ही लोगों के साथ व्यतीत करने है। -प्रियंका सौरभ 'एकता' और 'भाईचारा' किसी प्रगतिशील समाज की मूलभूत ज़रूरत है। लेकिन सामाज विभिन्न जातियों और समुदायों में बंटा हुआ है, कई बार ये वजहे...
मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता – अनुज अग्रवाल

मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता – अनुज अग्रवाल

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मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता - अनुज अग्रवाल मोदी सरकार अत्यंत ही आक्रामक मोड में है। कोविड के झटकों से उभरकर अब सरकार ने वही रूप अपना लिया है जिस कारण जनता मोदी जी को पसंद करती है। तीव्र किंतु संतुलित विकास, तेज़ी से निर्णय लेने वाली सरकार , निर्णयों के अनुपालन की निरंतर निगरानी, राष्ट्रविरोधी व कट्टरपंथियों ताक़तों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्यवाही, भ्रष्टाचार , कालाधन, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, कर चोरी व मादक पदार्थों के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही, नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की पहल, विकेन्द्रित विकास के साथ कृषि, पशुपालन, दुग्ध, चाय, मछली,बागवानी, सी फूड आदि उत्पादन, प्रभावी ढांचागत व आर्थिक विकास , स्वतंत्र व प्रभावी रक्षा व विदेश नीति अब मोदी सरकार की पहचान बन गए हैं। मोदी सरकार के देश हित में ताबड़तोड़, आक्रामक व निर्णायक कदमों से आम जनता के मनोबल में जबरदस्त वृद्धि हुई है। ...