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संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम

संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम

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संविधान से खिलवाड़ है यह अधिनियम" डा.अभिषेक आत्रेय, एडवोकट आन रिकार्ड, सुप्रीम कोर्ट देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास है। वक्फ अधिनियम से मिली ताकत के दम पर वक्फ बोर्ड कैसे संपत्तियों पर कब्जा करते हैं, इसकी बानगी हाल ही में तमिलनाडु में देखने को मिली। निश्चित तौर पर देश के कई हिस्सों में वक्फ बोर्ड ने इसी तरह से संपत्तियां बनाई हैं। इस काम में इन्हें एक ऐसे कानून से संरक्षण मिला हुआ है, जो संवैधानिक प्रविधानों का उल्लंघन करता है।  देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए सबसे पहले 1913 में मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग अधिनियम आया। उसके बाद 1923 में मुसलमान वक्फ अधिनियम आया। स्वतंत्रता के बाद वक्फ अधिनियम 1954 अस्तित्व में आया। 1984 में भी वक्फ अधिनियम आया, लेकिन उसे अधिसूचित नहीं किया गया। 1995 में बहुत सारे परिवर्तनों के साथ वक्फ अधिनियम 19...
सउदी अरब में नया इस्लाम

सउदी अरब में नया इस्लाम

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सउदी अरब में नया इस्लाम* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* सउदी अरब आजकल जितने प्रगतिशील कदम उठा रहा है, वह दुनिया के सारे मुसलमानों के लिए एक सबक सिद्ध होना चाहिए। लगभग डेढ़ हजार साल पहले अरब देशों में जब इस्लाम शुरु हुआ था तब की परिस्थितियों में और आज की स्थितियों में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया के ज्यादातर मुसलमान पुराने ढर्रे पर ही अपनी गाड़ी धकाते चले आ रहे हैं। सउदी अरब उनका तीर्थ है। मक्का-मदीना उनका साक्षात स्वर्ग है। उसके द्वार अब औरतें के लिए भी खुल गए हैं। यह इतिहास में पहली बार हुआ है। वरना, पहले कोई अकेली मुस्लिम औरत हज या उमरा करने जा ही नहीं सकती थी। उसके साथ एक ‘महरम’ (रक्षक) का रहना अनिवार्य था। इसमें कोई बुराई उस समय नहीं थी, जब इस्लाम शुरु हुआ था। उस समय अरब लोग जहालत में रहते थे। औरतों के साथ पशुओं से भी बदतर व्यवहार किया जाता था लेकिन दुनिया इतनी ब...
‘हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता’

‘हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता’

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'हाइपरटेंशन का पूर्व-संकेत हो सकती है अनुवांशिक भिन्नता'नई दिल्ली, 14 अक्टूबर(इंडिया साइंस वायर):भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी)मद्रास के शोधकर्ताओंने अपने एक ताजा अध्ययन में उच्च रक्तचाप के पीछे जिम्मेदार अनुवांशिक भिन्नता का पता लगाय है।शोधकर्ताओं की खोज में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि मैट्रिक्स मटालो प्रोटीनेज (एमएमपीएस)नामक एक जीन के ‘डीएनए बिल्डिंग ब्लॉक’ में बदलाव से लोगों में उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकताहै। इस निष्कर्ष तक पहुँचने के क्रम में अध्ययनकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगिओं और सामान्यरक्तचाप वाले स्वस्थ लोगों के अनुवांशिक प्रोफाइल का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया है।उच्च रक्तचाप के कारण रक्त नलिकाओं की दीवार और धमनियां, दीवारों पर अत्यधिक कोलेजन जमाहोने के कारण सख्त हो जाती हैं। कोलेजन शरीर में पैदा होने वाले प्रोटीन का सबसे प्रचुर मात्रा में पायाजाने वाला प्रकार ...
चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव

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चुनाव के समय खंडित न हो भाईचारे का भाव  चुनाव में कुछ लोगों द्वारा इसे आपसी साख का प्रश्न बना लिया जाता है जो धीरे-धीरे जहर का रूप ले लेता है। बढ़ती प्रतिद्धंद्विता रिश्तों का क़त्ल करने लगती है। अगर कोई ऐसे समय साथ न दे तो मित्र भी दुश्मन लगने लग जाते है। मगर यह हमारी भूल है। कोई भी चुनाव आखरी नहीं होता है। और रिश्तों से बढ़कर तो कतई नहीं। हम पद पाने की होड़ में ये भूल जाते है कि हमसे पहले भी चुनाव हुए है और आगे भी होंगे। इसलिए कुछ वोटों के लिए परिवार के लोगों, मित्रों, सगे-सम्बन्धियों, पड़ोसियों और अन्य से दुश्मनी के भाव से पेश आना सही नहीं है। क्योंकि चुनाव की रात ढलते ही हमें अपने आगे के दिन इन्ही लोगों के साथ व्यतीत करने है। -प्रियंका सौरभ 'एकता' और 'भाईचारा' किसी प्रगतिशील समाज की मूलभूत ज़रूरत है। लेकिन सामाज विभिन्न जातियों और समुदायों में बंटा हुआ है, कई बार ये वजहे...
मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता – अनुज अग्रवाल

मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता – अनुज अग्रवाल

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मोदी सरकार : सराहनीय आक्रामकता - अनुज अग्रवाल मोदी सरकार अत्यंत ही आक्रामक मोड में है। कोविड के झटकों से उभरकर अब सरकार ने वही रूप अपना लिया है जिस कारण जनता मोदी जी को पसंद करती है। तीव्र किंतु संतुलित विकास, तेज़ी से निर्णय लेने वाली सरकार , निर्णयों के अनुपालन की निरंतर निगरानी, राष्ट्रविरोधी व कट्टरपंथियों ताक़तों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्यवाही, भ्रष्टाचार , कालाधन, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, कर चोरी व मादक पदार्थों के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही, नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने की पहल, विकेन्द्रित विकास के साथ कृषि, पशुपालन, दुग्ध, चाय, मछली,बागवानी, सी फूड आदि उत्पादन, प्रभावी ढांचागत व आर्थिक विकास , स्वतंत्र व प्रभावी रक्षा व विदेश नीति अब मोदी सरकार की पहचान बन गए हैं। मोदी सरकार के देश हित में ताबड़तोड़, आक्रामक व निर्णायक कदमों से आम जनता के मनोबल में जबरदस्त वृद्धि हुई है। ...
प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन

प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन

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प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन नई दिल्ली, 14 सितंबर (इंडिया साइंस वायर): तपेदिक (टीबी) की रोकथाम के लिए आमतौर पर उपयोग होने वाला बीसीजी टीका बच्चों में तो प्रभावी है, पर किशोरों और वयस्कों को सुरक्षा प्रदान करने में यह उतना प्रभावी नहीं देखा गया है। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय शोधकर्ता तपेदिक (टीबी) के विरुद्ध प्रभावी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस नयी पद्धति में स्वर्ण नैनो कणों पर लिपटे बैक्टीरिया से प्राप्त गोलाकार पुटिकाओं का उपयोग शामिल है, जिसे बाद में प्रतिरक्षा कोशिकाओं तक पहुँचाया जा सकता है। यह अध्ययन, बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। उनका कहना है कि यह पद्धति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करके बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। आईआईएससी क...
राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राज्य, समाचार, साहित्य संवाद
*राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है* लेखिका - *डॉ कामिनी* लखनऊ ( उत्तर प्रदेश ) भाषा वैचारिक आदान प्रदान का मूल तत्व  है। हिंदुस्तान में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि सहस्र वर्षों से अधिकांश लोगों की दिनचर्या का अंग बनी हुई है।भारत पर मुस्लिम आक्रमण के पूर्व तक इसका गौरव अक्षुण्ण रहा। कालांतर में मुग़ल शासक अकबर ने राज्य के हिंदी कार्यालयों को फ़ारसी में परिवर्तित कर इसका महत्व न्यून कर दिया। अकबर के शासन काल से लेकर औरंगजेब के काल तक कार्यालयों से  हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि को निष्कासित कर फ़ारसी को प्रतिष्ठापित कर दिया गया कालक्रम में ब्रिटिश शासन काल में इसका स्थान अंग्रेजी भाषा ने ले लिया और आज भी यह शीर्ष पर विराजमान है। भाषा का राष्ट्र की एकता , अखंडता व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है । राष्ट्रभाषा देश को भावनात्मक व सांस्कृतिक रूप से संगठित करने में सहायक होत...
आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

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आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा *रजनीश कपूर किसी भी तरह की आपातस्थिति में आम नागरिक सीधे 100 नम्बर मिलाने की सोचता है। परंतु क्या हमारे देश का आपदा प्रबंधन इस कदर व्यवस्थित है कि किसी भी आपातस्थिति से कुशलतापूर्वक निपट सके? इसका जवाब आपको आसानी से नहीं मिल पाएगा। आपातस्थिति में तंत्र की अव्यवस्था के चलते नागरिकों को जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उनसे शायद हम सबको भविष्य के लिए सबक सीखने की आवश्यकता है। मिसाल के तौर पर दिल्ली जैसे शहर में रहने वालों को शायद यह नहीं पता कि दिल्ली में कितने दमकल केंद्र हैं। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार दिल्ली में 64 दमकल केंद्र हैं। प्रत्येक दमकल केंद्र का एक तय कार्यक्षेत्र और सीमा होती है। आग लगने के स्थिति में उसी सीमा के भीतर ही दमकल की गाड़ियाँ घटनास्थल पर जाती हैं। दिल्ली वालों को शायद यह भी नहीं पता कि सितम्बर 2019 से समस्त भारत...
गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल

गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल

राज्य, समाचार
गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल अथवा गोवा जैसा ही बनें सब पर्यटन स्थल आर.के. सिन्हा बीती 15 अगस्त को जब देश के अधिकतर राज्यों के स्कूल बंद थे, उस दिन गोवा की सड़कों पर स्कूली बच्चे सुबह 11 बजे के बाद अपने स्कूल में आयोजित हुये स्वाधीनता दिवस समारोह में भाग लेकर निकल रहे थे। उनके हाथों में तिरंगे और मिठाई के पैकेट थे। यह देखकर बहुत सुखद लग रहा था। बहुत से राज्यों के स्कूलों में 14 अगस्त को ही देश का स्वाधीनता दिवस समारोह मना लिया जाता है। यह सही नहीं है। कायदे से सारे देश के स्कूलों को 15 अगस्त को खुलना चाहिये। उस दिन वहां स्वाधीनता दिवस समारोह आयोजित किये जाने चाहिये। गोवा क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा राज्य होने पर भी कई मामलों में बड़े-बड़े राज्यों से बहुत आगे है। गोवा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा का क्षेत्रफल ...
राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी?

राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी?

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राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी? -ललित गर्ग-भारतीय राजनीति में आपराधिक छवि वाले या किसी अपराध के आरोपों का सामना कर रहे लोगों को जनप्रतिनिधि बनाए जाने एवं महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी देने के नाम पर गहरा सन्नाटा पसरा है, जो लोकतंत्र की एक बड़ी विडम्बना बनती जा रही है। कैसा विरोधाभास एवं विसंगति है कि एक अपराध छवि वाला नेता कानून मंत्री बन जाता है, एक अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे प्रतिनिधि को शिक्षा मंत्री बना दिया जाता है। ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय के साथ होता है। यह कैसी विवशता है राजनीतिक दलों की? अक्सर राजनीति को अपराध मुक्त करने के दावे की हकीकत तब सामने आ जाती है जब किसी राज्य या केंद्र में गठबंधन सरकार के गठन का मौका आता है। बिहार में नई सरकार में कानून मंत्री बने राष्ट्रीय जनता दल के विधायक कार्तिकेय सिंह हैं। जिन्हें मंगलवार को पटना के दानापुर में अदालत के सामने समर्पण...