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स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ?

स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ?

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स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ? बदलते दौर में नई और आधुनिक माताओं में स्तनपान की बहुत सी भ्रांतियां है। आधुनिकता के दौर में माताएं नवजात बच्चों को अपना दूध पिलाने से परहेज कर रहीं हैं।  इस कारण बच्चे न केवल कमजोर हो रहे हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है। आहार की बात होती है तो पौष्टिक और संपूर्ण आहार केवल और केवल मां का दूध होता है। जिसे अमृत का भी नाम दिया गया है। अगर बच्चा अपनी मां का दूध आहार के रूप में लेता है तो वह स्वस्थ ,बलवान ,तीव्र बुद्धि का और उसकी प्रतिरोधक क्षमता अपने आप बढ़ जाती है। -प्रियंका 'सौरभ' 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। इस वर्ष 'स्टेप अप फॉर ब्रेस्टफीडिंग: एजुकेट एंड सपोर्ट', सरकारों, समुदायों और व्यक्तियों को शामिल कर स्तनपान के संरक्षण, संवर्धन और समर्थन पर ध्यान केंद्रित किया गया। सरकारों, स्वास्थ्य प्रणाल...
*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

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*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से* भारत ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश की १५ वीं राष्ट्रपति चुन लिया । वह इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला हैं । वैसे तो जीत के लिए जरूरी ५ लाख ४३ हजार २६१ वोट के स्थान पर उन्हें ५ लाख ७७ हजार ७७७ वोट मिले। पराजित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा २ लाख ६१ हजार ६२ वोट ही प्राप्त कर सके। भारत के १५ वें राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तय कार्यक्रम के अनुसार शपथ लेंगी | वस्तुत: , राष्ट्रपति सिर्फ संविधान की शपथ नहीं लेते, बल्कि वे संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू इस शपथ को निभा पायें | इसी आशा और विश्वास के साथ उन्हें शुभ कामना और बधाई | राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला का निर्वाचन, भारत का एक बार फिर लोकतंत्रीय व्यवस्था में विश्वास का द्योतक है, यह उस आशा का प्रतीक है जो भारत की आ...
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक, साहित्य संवाद
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली। कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एण्ड रिसर्च सेंटर के इन्द्रप्रस्थ हॉल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भिवानी गौरव एवं वरिष्ठ समाजसेवी आर.सी. मेहतानी ने की। कार्यक्रम में आरजीसीआइआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा मुख्य अतिथि के रूप में, आरजीसीआइआरसी के सीईओ डी.एस. नेगी समारोह गौरव के रूप में, आरजीसीआइआरसी के निदेशक  सुधीर रावल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर आरजीसीआइआरसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश भुरानी का अभिनन्दन करते हुए उन्हें विदाई भी दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ आरजीसीआइआरसी के मानद सचिव प्रमोद माहेश्वरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर ...
समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव

समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव

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समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव" आर. विक्रम सिंह (लेखक पूर्व सैनिक अधिकारी एवं पूर्व प्रशासक हैं)  साभार::दैनिक जागरण 7.7.22 हमारे देश के कुछ समूहों, वर्गों और राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों में राष्ट्रवाद का अभाव ही हमारी कई समस्याओं की जड़ है। देशवासियों में प्रबल राष्ट्रवाद की भावना जगाकर अब तक हम वह सब कुछ हासिल कर सकते थे, जिनका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। यदि आपके पास धन है तो कोई जरूरी नहीं कि प्रबल राष्ट्रदृष्टि भी हो। हमारे क्रांतिकारियों को धन चाहिए था। मजबूरी में उन्हें अंग्रेजों का खजाना लूटना पड़ा। कोई बिड़ला, कोई डालमिया या कोई भी अनाम भामाशाह उन्हें धन दे रहा होता तो क्रांतिकारी आंदोलन नए स्तरों पर जाता, पर देश का जनमानस गांधी को महात्मा मान कर उधर चला गया। जज्बा हो, विचार हो, पर धन न हो तो कुछ न हो पाएगा। यह बड़ा संकट है। हम इससे अवगत हैं कि ...
जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

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जिहादी सोच का दमन करना जरूरी  लेखक::अवधेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक) उदयपुर में कन्हैयालाल की गला काटकर की गई हत्या की भयानक घटना से देश उद्वेलित है। यदि कन्हैयालाल को नुपुर शर्मा के पक्ष में एक कथित पोस्ट के कारण जान गंवानी पड़ी तो उस कट्टर मानसिकता की वजह से, जिससे उसके हत्यारे रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद भरे हुए थे। इस कट्टर सोच के गिरफ्त में न जाने कितने अन्य रियाज और गौस मजहब के नाम पर अनेक कन्हैयालालों का कत्ल करने को तैयार बैठे हैं।  कन्हैयालाल की हत्या कुछ वैसे ही की गई, जैसे फ्रांस में अक्टूबर, 2020 में शिक्षक सैमुअल पैटी की एक चेचेन जिहादी आतंकी ने की थी। उस हत्यारे को बताया गया था कि पैटी ने अपनी कक्षा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लेक्चर देते हुए छात्रों को शार्ली आब्दो में छपे वे कार्टन दिखाए थे l जो पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर बनाए गए थे। इसके बाद...
बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

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बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल (निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार और बंद होते सरकारी स्कूल देश में एक समान शिक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है, उदाहरण के लिए हरियाणा जैसे विकसित राज्य की सरकार अभी सरकारी स्कूली शिक्षा को खत्म करने की चिराग योजना लाई है. अगर आप सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ाएंगे तो 500₹ आपको भरने हैं, प्राइवेट में पढ़ाएंगे तो 1100₹ सरकार आपके बच्चे की फीस के भरेगी. ये किसे प्रमोट किया जा रहा है? सरकारी स्कूली शिक्षा को या प्राइवेट को?) -सत्यवान 'सौरभ' पिछले तीन दशकों में, भारत ने हर गांव में एक स्कूल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी भी समुदाय में चलो, चाहे वह कितना भी दूरस्थ क्यों न हो, और यह संभव है कि आप एक सरकारी स्कूल देखेंगे। करीब 11 लाख प्राथमिक विद्यालयों के साथ, हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्कूल प्रणाली है। लिंग, जाति या धर्म के बावजूद, स्कूल ...
क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

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क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है? (आखिर एक तनख्वाह से, कितनी बार टेक्स दें और क्यों ? आयकर दाताओं को स्वच्छ पानी, सांस लेने योग्य हवा, निजी सुरक्षा और अब तेजी से टोल के रूप में सड़क उपयोग के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है। देश के सांसद विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं जो कोई कर दान नहीं करता है; वे अपना वेतन खुद तय करते हैं, और उनकी आय पर कर स्रोत पर नहीं काटा जाता है।)-प्रियंका 'सौरभ' वेतन पाने वाले आय का उच्चतम प्रतिशत करों में देते हैं, बदले में कम मिलता है और उनके कर का रुपया वोटों के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में सामाजिक समानता का मतलब है कि मुंबई में हर महीने 6,000 रुपये कमाने वाले एक क्लर्क को आयकर का भुगतान करना होगा, लेकिन पंजाब के गुरदासपुर में एक स्ट्रॉबेरी किसान को जिसकी हर महीने 1.5 लाख रुपये की कमाई है, उसे कर-मुक्त स्थिति क...
क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?*

क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?*

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क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?* भारत देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ, जिसके अन्तर्गत कांग्रेस पार्टी के पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और कांग्रेस पार्टी लगभग 50 वर्षो तक सत्ता में रही। कांग्रेस के स्थायित्व का प्रमुख कारण प्रारम्भ में विपक्ष का कमजोर होना था। कांग्रेस के सत्ताकाल में ही भारत दो टुकड़ों में विभाजित हुआ, जिसके अन्तर्गत पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय विपक्ष मजबूत होता तो शायद पाकिस्तान नहीं बनता। विपक्ष को स्वयं को सशक्त करने में 50 वर्ष व्यतीत हुए। इस अवधि में विपक्षी दलों में अनेकों बार बिखराव भी हुआ परन्तु उसने पुनः स्वयं को एकजुट किया। अथक प्रयासों के पश्चात भाजपा एक सुदृण विपक्ष के रूप में उभरी। पूर्व में भाजपा ने अपना अस्तित्व स्थापित करने हेतु अन्य दलों का सहयोग लिया, परन्तु वर्तमान समय में भाजपा स्व...
भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता – शिंजो आबे

भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता – शिंजो आबे

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भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता - शिंजो आबे मृत्युंजय दीक्षित जापान के सबसे शक्तिशाली ,प्रभावशाली, दूरदर्शीतथा लोकप्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 8 जुलाई को नारा शहर में एक चुनावी जनसभा में तेत्सुया यामागामी नामक एक (41 वर्षीय) एक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी जिसके कारण पूरा जापान ही नहीं अपितु पूरा वैश्विक जगत भी शोक में डूब गया है । सभी हैरान तथा स्तब्ध हैं । पूर्व पीएम शिंजोआबे पूरी दुनिया में चीन के विस्तारवाद के खिलाफ एक तगड़ी मुहिम चला रहे थे। शिंजोआबे जापान के ऐसे प्रधानमंत्री थे जो 8 वर्ष तक जापान के प्रधानमंत्री रहे तथा उन्होंने वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनैतिक स्थिरता कायम की और जापान में काफी बदलाव करते हुए विकास को नयी गति देने का काम भी किया। आज जापान की विश्व जगत में जो धाक जमी है उसके कारण चीन उनसे चिढ़ा हुआ था। जैसे ही शिंजो पर...

शिक्षा और चिकित्साः जबानी जमा-खर्च

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शिक्षा और चिकित्साः जबानी जमा-खर्च डॉ. वेदप्रताप वैदिक वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों की औपनिवेशिक प्रणाली की दो-टूक आलोचना की और देश भर के शिक्षाशास्त्रियों से अनुरोध किया कि वे भारतीय शिक्षा प्रणाली को शोधमूलक बनाएं ताकि देश का आर्थिक और सामाजिक विकास तीव्र गति से हो सके। जहां तक कहने की बात है, प्रधानमंत्री ने ठीक ही बात कही है लेकिन वर्तमान प्रधानमंत्री और पिछले सभी प्रधानमंत्रियों से कोई पूछे कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कौनसे आवश्यक और क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं? पिछले 75 साल में भारत में शिक्षा का ढांचा वही है, जो लगभग 200 साल पहले अंग्रेजों ने भारत पर थोप दिया था। उनकी शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ जी-हुजूर बाबुओं की जमात खड़ी करना था। आज भी वही हो रहा है। हमारे सुशिक्षित नेता लोग उसके साक्षात ज्वलंत प्रमाण हैं। देश ...