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प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन

प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन

Current Affaires, समाचार
प्रभावी टीबी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने से जुड़ा नया अध्ययन नई दिल्ली, 14 सितंबर (इंडिया साइंस वायर): तपेदिक (टीबी) की रोकथाम के लिए आमतौर पर उपयोग होने वाला बीसीजी टीका बच्चों में तो प्रभावी है, पर किशोरों और वयस्कों को सुरक्षा प्रदान करने में यह उतना प्रभावी नहीं देखा गया है। इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय शोधकर्ता तपेदिक (टीबी) के विरुद्ध प्रभावी वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस नयी पद्धति में स्वर्ण नैनो कणों पर लिपटे बैक्टीरिया से प्राप्त गोलाकार पुटिकाओं का उपयोग शामिल है, जिसे बाद में प्रतिरक्षा कोशिकाओं तक पहुँचाया जा सकता है। यह अध्ययन, बेंगलूरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है। उनका कहना है कि यह पद्धति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करके बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है। आईआईएससी क...
राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है

राज्य, समाचार, साहित्य संवाद
*राष्ट्र भाषा ही देश को भावनात्मक रूप से जोड़ती है* लेखिका - *डॉ कामिनी* लखनऊ ( उत्तर प्रदेश ) भाषा वैचारिक आदान प्रदान का मूल तत्व  है। हिंदुस्तान में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि सहस्र वर्षों से अधिकांश लोगों की दिनचर्या का अंग बनी हुई है।भारत पर मुस्लिम आक्रमण के पूर्व तक इसका गौरव अक्षुण्ण रहा। कालांतर में मुग़ल शासक अकबर ने राज्य के हिंदी कार्यालयों को फ़ारसी में परिवर्तित कर इसका महत्व न्यून कर दिया। अकबर के शासन काल से लेकर औरंगजेब के काल तक कार्यालयों से  हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि को निष्कासित कर फ़ारसी को प्रतिष्ठापित कर दिया गया कालक्रम में ब्रिटिश शासन काल में इसका स्थान अंग्रेजी भाषा ने ले लिया और आज भी यह शीर्ष पर विराजमान है। भाषा का राष्ट्र की एकता , अखंडता व विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है । राष्ट्रभाषा देश को भावनात्मक व सांस्कृतिक रूप से संगठित करने में सहायक होत...
आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा

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आपदा प्रबंधन के लिए कुछ नया करना होगा *रजनीश कपूर किसी भी तरह की आपातस्थिति में आम नागरिक सीधे 100 नम्बर मिलाने की सोचता है। परंतु क्या हमारे देश का आपदा प्रबंधन इस कदर व्यवस्थित है कि किसी भी आपातस्थिति से कुशलतापूर्वक निपट सके? इसका जवाब आपको आसानी से नहीं मिल पाएगा। आपातस्थिति में तंत्र की अव्यवस्था के चलते नागरिकों को जिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उनसे शायद हम सबको भविष्य के लिए सबक सीखने की आवश्यकता है। मिसाल के तौर पर दिल्ली जैसे शहर में रहने वालों को शायद यह नहीं पता कि दिल्ली में कितने दमकल केंद्र हैं। दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार दिल्ली में 64 दमकल केंद्र हैं। प्रत्येक दमकल केंद्र का एक तय कार्यक्षेत्र और सीमा होती है। आग लगने के स्थिति में उसी सीमा के भीतर ही दमकल की गाड़ियाँ घटनास्थल पर जाती हैं। दिल्ली वालों को शायद यह भी नहीं पता कि सितम्बर 2019 से समस्त भारत...
गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल

गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल

राज्य, समाचार
गोवा जैसे क्यों नहीं बनते सभी पर्यटन स्थल अथवा गोवा जैसा ही बनें सब पर्यटन स्थल आर.के. सिन्हा बीती 15 अगस्त को जब देश के अधिकतर राज्यों के स्कूल बंद थे, उस दिन गोवा की सड़कों पर स्कूली बच्चे सुबह 11 बजे के बाद अपने स्कूल में आयोजित हुये स्वाधीनता दिवस समारोह में भाग लेकर निकल रहे थे। उनके हाथों में तिरंगे और मिठाई के पैकेट थे। यह देखकर बहुत सुखद लग रहा था। बहुत से राज्यों के स्कूलों में 14 अगस्त को ही देश का स्वाधीनता दिवस समारोह मना लिया जाता है। यह सही नहीं है। कायदे से सारे देश के स्कूलों को 15 अगस्त को खुलना चाहिये। उस दिन वहां स्वाधीनता दिवस समारोह आयोजित किये जाने चाहिये। गोवा क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा राज्य होने पर भी कई मामलों में बड़े-बड़े राज्यों से बहुत आगे है। गोवा क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा और जनसंख्या के हिसाब से चौथा सबसे छोटा राज्य है। गोवा का क्षेत्रफल ...
राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी?

राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी?

Current Affaires, राष्ट्रीय, समाचार
राष्ट्र को दागी नेताओं से मुक्ति कब मिलेगी? -ललित गर्ग-भारतीय राजनीति में आपराधिक छवि वाले या किसी अपराध के आरोपों का सामना कर रहे लोगों को जनप्रतिनिधि बनाए जाने एवं महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी देने के नाम पर गहरा सन्नाटा पसरा है, जो लोकतंत्र की एक बड़ी विडम्बना बनती जा रही है। कैसा विरोधाभास एवं विसंगति है कि एक अपराध छवि वाला नेता कानून मंत्री बन जाता है, एक अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे प्रतिनिधि को शिक्षा मंत्री बना दिया जाता है। ऐसे ही अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय के साथ होता है। यह कैसी विवशता है राजनीतिक दलों की? अक्सर राजनीति को अपराध मुक्त करने के दावे की हकीकत तब सामने आ जाती है जब किसी राज्य या केंद्र में गठबंधन सरकार के गठन का मौका आता है। बिहार में नई सरकार में कानून मंत्री बने राष्ट्रीय जनता दल के विधायक कार्तिकेय सिंह हैं। जिन्हें मंगलवार को पटना के दानापुर में अदालत के सामने समर्पण...
स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ?

स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ?

EXCLUSIVE NEWS, समाचार
स्तनपान से हटता ध्यान, हो कैसे अमृत का पान ? बदलते दौर में नई और आधुनिक माताओं में स्तनपान की बहुत सी भ्रांतियां है। आधुनिकता के दौर में माताएं नवजात बच्चों को अपना दूध पिलाने से परहेज कर रहीं हैं।  इस कारण बच्चे न केवल कमजोर हो रहे हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो रही है। आहार की बात होती है तो पौष्टिक और संपूर्ण आहार केवल और केवल मां का दूध होता है। जिसे अमृत का भी नाम दिया गया है। अगर बच्चा अपनी मां का दूध आहार के रूप में लेता है तो वह स्वस्थ ,बलवान ,तीव्र बुद्धि का और उसकी प्रतिरोधक क्षमता अपने आप बढ़ जाती है। -प्रियंका 'सौरभ' 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। इस वर्ष 'स्टेप अप फॉर ब्रेस्टफीडिंग: एजुकेट एंड सपोर्ट', सरकारों, समुदायों और व्यक्तियों को शामिल कर स्तनपान के संरक्षण, संवर्धन और समर्थन पर ध्यान केंद्रित किया गया। सरकारों, स्वास्थ्य प्रणाल...
*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

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*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से* भारत ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश की १५ वीं राष्ट्रपति चुन लिया । वह इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला हैं । वैसे तो जीत के लिए जरूरी ५ लाख ४३ हजार २६१ वोट के स्थान पर उन्हें ५ लाख ७७ हजार ७७७ वोट मिले। पराजित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा २ लाख ६१ हजार ६२ वोट ही प्राप्त कर सके। भारत के १५ वें राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तय कार्यक्रम के अनुसार शपथ लेंगी | वस्तुत: , राष्ट्रपति सिर्फ संविधान की शपथ नहीं लेते, बल्कि वे संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू इस शपथ को निभा पायें | इसी आशा और विश्वास के साथ उन्हें शुभ कामना और बधाई | राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला का निर्वाचन, भारत का एक बार फिर लोकतंत्रीय व्यवस्था में विश्वास का द्योतक है, यह उस आशा का प्रतीक है जो भारत की आ...
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

राष्ट्रीय, समाचार, सामाजिक, साहित्य संवाद
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली। कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एण्ड रिसर्च सेंटर के इन्द्रप्रस्थ हॉल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भिवानी गौरव एवं वरिष्ठ समाजसेवी आर.सी. मेहतानी ने की। कार्यक्रम में आरजीसीआइआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा मुख्य अतिथि के रूप में, आरजीसीआइआरसी के सीईओ डी.एस. नेगी समारोह गौरव के रूप में, आरजीसीआइआरसी के निदेशक  सुधीर रावल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर आरजीसीआइआरसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश भुरानी का अभिनन्दन करते हुए उन्हें विदाई भी दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ आरजीसीआइआरसी के मानद सचिव प्रमोद माहेश्वरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर ...
समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव

समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव

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समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव" आर. विक्रम सिंह (लेखक पूर्व सैनिक अधिकारी एवं पूर्व प्रशासक हैं)  साभार::दैनिक जागरण 7.7.22 हमारे देश के कुछ समूहों, वर्गों और राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों में राष्ट्रवाद का अभाव ही हमारी कई समस्याओं की जड़ है। देशवासियों में प्रबल राष्ट्रवाद की भावना जगाकर अब तक हम वह सब कुछ हासिल कर सकते थे, जिनका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। यदि आपके पास धन है तो कोई जरूरी नहीं कि प्रबल राष्ट्रदृष्टि भी हो। हमारे क्रांतिकारियों को धन चाहिए था। मजबूरी में उन्हें अंग्रेजों का खजाना लूटना पड़ा। कोई बिड़ला, कोई डालमिया या कोई भी अनाम भामाशाह उन्हें धन दे रहा होता तो क्रांतिकारी आंदोलन नए स्तरों पर जाता, पर देश का जनमानस गांधी को महात्मा मान कर उधर चला गया। जज्बा हो, विचार हो, पर धन न हो तो कुछ न हो पाएगा। यह बड़ा संकट है। हम इससे अवगत हैं कि ...
जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

जिहादी सोच का दमन करना जरूरी

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जिहादी सोच का दमन करना जरूरी  लेखक::अवधेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक) उदयपुर में कन्हैयालाल की गला काटकर की गई हत्या की भयानक घटना से देश उद्वेलित है। यदि कन्हैयालाल को नुपुर शर्मा के पक्ष में एक कथित पोस्ट के कारण जान गंवानी पड़ी तो उस कट्टर मानसिकता की वजह से, जिससे उसके हत्यारे रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद भरे हुए थे। इस कट्टर सोच के गिरफ्त में न जाने कितने अन्य रियाज और गौस मजहब के नाम पर अनेक कन्हैयालालों का कत्ल करने को तैयार बैठे हैं।  कन्हैयालाल की हत्या कुछ वैसे ही की गई, जैसे फ्रांस में अक्टूबर, 2020 में शिक्षक सैमुअल पैटी की एक चेचेन जिहादी आतंकी ने की थी। उस हत्यारे को बताया गया था कि पैटी ने अपनी कक्षा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लेक्चर देते हुए छात्रों को शार्ली आब्दो में छपे वे कार्टन दिखाए थे l जो पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर बनाए गए थे। इसके बाद...