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बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल

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बुनियादी सुविधाओं से जूझते सरकारी स्कूल (निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार और बंद होते सरकारी स्कूल देश में एक समान शिक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है, उदाहरण के लिए हरियाणा जैसे विकसित राज्य की सरकार अभी सरकारी स्कूली शिक्षा को खत्म करने की चिराग योजना लाई है. अगर आप सरकारी स्कूलों में बच्चे पढ़ाएंगे तो 500₹ आपको भरने हैं, प्राइवेट में पढ़ाएंगे तो 1100₹ सरकार आपके बच्चे की फीस के भरेगी. ये किसे प्रमोट किया जा रहा है? सरकारी स्कूली शिक्षा को या प्राइवेट को?) -सत्यवान 'सौरभ' पिछले तीन दशकों में, भारत ने हर गांव में एक स्कूल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। किसी भी समुदाय में चलो, चाहे वह कितना भी दूरस्थ क्यों न हो, और यह संभव है कि आप एक सरकारी स्कूल देखेंगे। करीब 11 लाख प्राथमिक विद्यालयों के साथ, हमारे पास दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्कूल प्रणाली है। लिंग, जाति या धर्म के बावजूद, स्कूल ...
क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है?

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क्यों वेतनभोगी दुधारू गाय कर के लिए बार-बार दूध दुही जाती है? (आखिर एक तनख्वाह से, कितनी बार टेक्स दें और क्यों ? आयकर दाताओं को स्वच्छ पानी, सांस लेने योग्य हवा, निजी सुरक्षा और अब तेजी से टोल के रूप में सड़क उपयोग के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है। देश के सांसद विशेषाधिकारों का आनंद लेते हैं जो कोई कर दान नहीं करता है; वे अपना वेतन खुद तय करते हैं, और उनकी आय पर कर स्रोत पर नहीं काटा जाता है।)-प्रियंका 'सौरभ' वेतन पाने वाले आय का उच्चतम प्रतिशत करों में देते हैं, बदले में कम मिलता है और उनके कर का रुपया वोटों के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में सामाजिक समानता का मतलब है कि मुंबई में हर महीने 6,000 रुपये कमाने वाले एक क्लर्क को आयकर का भुगतान करना होगा, लेकिन पंजाब के गुरदासपुर में एक स्ट्रॉबेरी किसान को जिसकी हर महीने 1.5 लाख रुपये की कमाई है, उसे कर-मुक्त स्थिति क...
क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?*

क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?*

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क्या भारत का विपक्ष बुढ्ढा हो चुका है?* भारत देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ, जिसके अन्तर्गत कांग्रेस पार्टी के पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और कांग्रेस पार्टी लगभग 50 वर्षो तक सत्ता में रही। कांग्रेस के स्थायित्व का प्रमुख कारण प्रारम्भ में विपक्ष का कमजोर होना था। कांग्रेस के सत्ताकाल में ही भारत दो टुकड़ों में विभाजित हुआ, जिसके अन्तर्गत पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय विपक्ष मजबूत होता तो शायद पाकिस्तान नहीं बनता। विपक्ष को स्वयं को सशक्त करने में 50 वर्ष व्यतीत हुए। इस अवधि में विपक्षी दलों में अनेकों बार बिखराव भी हुआ परन्तु उसने पुनः स्वयं को एकजुट किया। अथक प्रयासों के पश्चात भाजपा एक सुदृण विपक्ष के रूप में उभरी। पूर्व में भाजपा ने अपना अस्तित्व स्थापित करने हेतु अन्य दलों का सहयोग लिया, परन्तु वर्तमान समय में भाजपा स्व...
भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता – शिंजो आबे

भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता – शिंजो आबे

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भारत जापान मैत्री के शिल्पकार और दूरदृष्टि वाले राजनेता - शिंजो आबे मृत्युंजय दीक्षित जापान के सबसे शक्तिशाली ,प्रभावशाली, दूरदर्शीतथा लोकप्रिय नेता पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 8 जुलाई को नारा शहर में एक चुनावी जनसभा में तेत्सुया यामागामी नामक एक (41 वर्षीय) एक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी जिसके कारण पूरा जापान ही नहीं अपितु पूरा वैश्विक जगत भी शोक में डूब गया है । सभी हैरान तथा स्तब्ध हैं । पूर्व पीएम शिंजोआबे पूरी दुनिया में चीन के विस्तारवाद के खिलाफ एक तगड़ी मुहिम चला रहे थे। शिंजोआबे जापान के ऐसे प्रधानमंत्री थे जो 8 वर्ष तक जापान के प्रधानमंत्री रहे तथा उन्होंने वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनैतिक स्थिरता कायम की और जापान में काफी बदलाव करते हुए विकास को नयी गति देने का काम भी किया। आज जापान की विश्व जगत में जो धाक जमी है उसके कारण चीन उनसे चिढ़ा हुआ था। जैसे ही शिंजो पर...

शिक्षा और चिकित्साः जबानी जमा-खर्च

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शिक्षा और चिकित्साः जबानी जमा-खर्च डॉ. वेदप्रताप वैदिक वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों की औपनिवेशिक प्रणाली की दो-टूक आलोचना की और देश भर के शिक्षाशास्त्रियों से अनुरोध किया कि वे भारतीय शिक्षा प्रणाली को शोधमूलक बनाएं ताकि देश का आर्थिक और सामाजिक विकास तीव्र गति से हो सके। जहां तक कहने की बात है, प्रधानमंत्री ने ठीक ही बात कही है लेकिन वर्तमान प्रधानमंत्री और पिछले सभी प्रधानमंत्रियों से कोई पूछे कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कौनसे आवश्यक और क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं? पिछले 75 साल में भारत में शिक्षा का ढांचा वही है, जो लगभग 200 साल पहले अंग्रेजों ने भारत पर थोप दिया था। उनकी शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ जी-हुजूर बाबुओं की जमात खड़ी करना था। आज भी वही हो रहा है। हमारे सुशिक्षित नेता लोग उसके साक्षात ज्वलंत प्रमाण हैं। देश ...
प्रधानमंत्री ने 1800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री ने 1800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वाराणसी के सिगरा स्थित डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में 1800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। सबसे पहले, प्रधानमंत्री ने हाल के चुनावों में भारी समर्थन देने के लिए उत्तर प्रदेश और काशी के लोगों का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी हमेशा से जीवंत और निरंतर प्रवाहमान रही है। अब काशी ने पूरे देश को एक ऐसी तस्वीर दिखाई है जिसमें विरासत भी है और विकास भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों करोड़ रुपये की योजनाएं एवं परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और कई चल रही हैं। उन्होंने कहा कि काशी की आत्मा आंतरिक है, लेकिन काशी की काया में निरंतर सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि ...
कमाई की होड़ में शिक्षण संस्थान, शिक्षा का बाजार या बाजार की शिक्षा।

कमाई की होड़ में शिक्षण संस्थान, शिक्षा का बाजार या बाजार की शिक्षा।

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कमाई की होड़ में शिक्षण संस्थान, शिक्षा का बाजार या बाजार की शिक्षा। शिक्षा के व्यावसायीकरण के कारण शिक्षण एक जुनून के बजाय एक शुद्ध पेशा बन गया है और शिक्षण संस्थानों ने मूल्यों को विकसित करना बंद कर दिया है।  स्कूल चार दीवारों वाली एक इमारत है जिसके अंदर एक उज्जवल कल है। यदि विद्यालय मूल्यों को विकसित करने में विफल रहते हैं तो आने वाली पीढ़ी सामाजिक बुराइयों से प्रभावित हो सकती है। असहिष्णुता, कट्टरता, लैंगिक भेदभाव और अपराध में वृद्धि देखी जा सकती है। -प्रियंका 'सौरभ' "शिक्षा का उद्देश्य तथ्य नहीं बल्कि मूल्यों का ज्ञान है।"  युवा मन में इन मूल्यों को विकसित करने में स्कूल और कॉलेज एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अनुशासन, जवाबदेही, अखंडता, टीम वर्क, करुणा, विश्वास और ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण मूल्य हैं जो स्कूलों में पेश किए जाते हैं। शिक्षक को छात्रों में उपरोक्त मूल्यों को विकसित कर...
आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत के संदेश

आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत के संदेश

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आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत के संदेश आजमगढ़ अब आर्यमगढ़ बनकर ही रहेगा ! मृत्युंजय दीक्षित अंततः भाजपा ने समाजवादियों के अजेय दुर्ग आजमगढ़ और रामपुर ढहा देने में सफलता प्राप्त कर ली । आजमगढ़ और रामपुर में भाजपा की जीत को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और सुशासन पर जनता के अगाध विश्वास के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। आजमगढ़ लोकसभा में भाजपा की विजय इसलिए ऐतिहासिक मानी जा रही है क्योंकि 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी सपा यह सीट निकालने में कामयाब रही थी लेकिन अब 2022 में भाजपा प्रत्याशी दिनेशलाल यादव “निरहुआ” ने सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों से हराकर यह सीट जीत ली । उल्लेखनीय है कि ये सीट स्वयं सपा मुखिया अखिलेशयादव के पास थी जिन्होंने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यहां से त्यागपत्र दे दिया था, आजमगढ़ की यह सीट अखिलेशयादव की पारिवारिक सीट और समाजवादियों का गढ़ मानी जा...
जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा!

जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा!

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जुबैर, तुम्हारी गिरफ्तारी गलत है, पर तुम उससे भी ज़्यादा! नीरज बधवार ऑल्ट न्यूज़ के को-फाउंडर मोहम्मद ज़ुबैर की गिरफ्तारी हो गई। उन्हें 2018 में धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले एक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद एक वर्ग इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है। इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन देख रहा है। पर सवाल ये है कि क्या वाकई ऐसा है? क्या मोहम्मद जुबैर पूरी तरह निर्दोष हैं? क्या नुपूर शर्मा पर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले जुबैर ने खुद कभी हिंदुओं की भावनाएं नहीं भड़काई? जो लोग जुबैर की गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं, वो वाकई लोकतंत्र के समर्थक हैं या फिर ये एक Selective Outrage है? आइए एक-एक इन सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं। नुपूर शर्मा विवाद से चर्चा में आए देखिए, पहली बात ये कि मेरा मानना है कि धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसे मुद्दे पर किसी क...
 भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की जरूरत।

 भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की जरूरत।

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भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की जरूरत। (यद्यपि विभिन्न सामग्रियों जैसे खोई (गन्ने से रस निकालने के बाद अवशेष), मकई स्टार्च, और अनाज के आटे से बने खाद, बायोडिग्रेडेबल या यहां तक कि खाद्य प्लास्टिक को विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाता है, लेकिन वर्तमान में इनके पैमाने और लागत की सीमाएं हैं।)-प्रियंका 'सौरभ' सिंगल यूज प्लास्टिक से तात्पर्य उन प्लास्टिक वस्तुओं से है जो एक बार उपयोग की जाती हैं और त्याग दी जाती हैं। एकल-उपयोग प्लास्टिक में निर्मित और उपयोग किए गए प्लास्टिक के उच्चतम प्रयोग में वस्तुओं की पैकेजिंग से लेकर बोतलों, पॉलिथीन बैग, खाद्य पैकेजिंग आदि शामिल है। यह विश्व स्तर पर उत्पादित सभी प्लास्टिक का एक तिहाई हिस्सा है, जिसमें 98% जीवाश्म से निर्मित है। भारत कूड़े वाले सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए कार्र...