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सुशान्त का जाना मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा है

सुशान्त का जाना मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा है

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कोरोना वायरस के कारण मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा भी तेजी से देश में उभरकर आया है. लॉकडाउन ने लोगों की आदतें तो जरूर बदल दी हैं लेकिन एक बड़ा तबका तनाव के बीच जिंदगी जी रहा है. यह तनाव बीमारी और भविष्य की चिंता को लेकर है.कोरोना से बचने के लिए लोग घरों में तो हैं लेकिन उन्हें कहीं ना कहीं इस बीमारी की चिंता लगी रहती है और वह दिमाग के किसी कोने में मौजूद रहती है, जिसकी वजह से इंसान की सोच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैलॉकडाउन ही नहीं उसके बाद की भी चिंता से लोग ग्रसित हैं क्योंकि कई लोगों के सामने रोजगार, नौकरी और वित्तीय संकट पहले ही पैदा हो चुके हैं. सुशान्त का जाना ज्यादा सॉकिंग इसलिए भी लग रहा है क्योंकि वह हमारी ही उम्र के थे। लेकिन हमारी उम्र के होने के बावजूद कामयाबी के शीर्ष पर थे। जहाँ हमारे जीवन में कैरियर और जीवन का संघर्ष लगातार जारी है, उनके जीवन का संघर्ष अलग तरह का रहा होगा शा...
कोरोना संकट और जिंदगी की जंग से घिरा मेरा परिवार

कोरोना संकट और जिंदगी की जंग से घिरा मेरा परिवार

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मानव जीवन व सभ्यता के लिए अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी के रूप में कोरोना ने हर मनुष्य के जीवन को हिलाकर रख दिया है। पिछले कुछ दिनों में इसके दुष्परिणाम मैंने स्वयं भोगे हैं व बहुत करीब से बड़े दर्दनाक अनुभवों से गुजरा हूं। आज जब उस दुष्चक्र से निकला हूं तो लगा आप सभी मित्रों से भी अपने अनुभव साझा कर लूं ताकि आप भी समय रहते जरूरी सावधानी बरत लें। मेरे साथ मेरे परिवार में पत्नी, दो बच्चों के साथ मेरे माता-पिता व ससुर जी भी रहते हैं। तीनों बुजुर्ग ही 80 वर्ष से ऊपर के। मेरे पिताजी कुछ दिनों से गैस, सीने में दर्द व बेचैनी से परेशान थे। डॉक्टर की सलाह पर गैस से संबंधित दवाएं भी ले रहे थे। किंतु कोई राहत नहीं। पिछले सप्ताह दर्द कुछ अधिक ही बढ़ गया तो लगा चूंकि वे ह्रदय रोगी भी हैं, तो लगा ह्रदय चिकित्सक को भी दिखा लें। मैं अपने बड़े भाई के साथ उनको उनके पुराने विशेषज्ञ के पास नोएडा के एक बड़े...
इरफान की मौत पर कुछ सवाल मुसलमानों से

इरफान की मौत पर कुछ सवाल मुसलमानों से

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एक तो कोरोना वायरस के कारण फैली विश्वव्यापी हताशा और ऊपर से हिन्दी सिनेमा के दो बेहद सशक्त अभिनेताओं इरफान खान और फिर ऋषि कपूर  के संसार से कूच कर जाने ने मानो देश को शोक के महासागर में धकेल दिया है। दोनों असाधारण कलाकार थे। दोनों ने हिन्दी सिनेमा पर लगभग आधी सदी तक अपना प्रभाव छोड़ा। अगर बात इऱफान खान की करें तो वे बेहद शानदार कलाकार होने के साथ-साथ एक गहरी शख्यिसत के भी मालिक थे। वे बहुत सोच समझकर ही किसी विषय पर अपनी राय रखते थे। यूं तो वे सामान्यतः फिल्मों से इत्तर विषयों पर बोलते नहीं थे, पर बोलते थे तो उन्हें कायदे से सुना जाता था। इरफान खान बाकी सितारों से अलग थे। दरअसल वे स्टार नहीं कलाकार थे। वे  "सेकुलर " कहलाने की ख्वाहिश रखने वाले नहीं थे । उन्हें  भारत में डर भी नहीं लगता था। उन्होंने कभी "माई नेम इज़ खान" का हौव्वा भी खड़ा नहीं किया। उन्होंने अंडरवर्ल्ड के पैसे पर फलने-फूलने...
सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी  डॉ मदन मोहन अग्रवाल

सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी डॉ मदन मोहन अग्रवाल

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स्वर्गीय डॉ मदन मोहन जी : जीवन वृत सनातनी, सेवाभावी व कर्मयोगी डॉ मदन मोहन अग्रवाल एक समाजसेवी, व्यवसायी व गृहस्थ के रूप में  एक क्षेत्रीय बैंक के लिपिक बाबू धनप्रकाश गुप्ता और उनकी पत्नी द्रौपदी देवी के घर पर बिजनौर जिले के धामपुर कस्बे के आवास में 13 अगस्त 1938 को  पुत्र 'मदन’ का जन्म हुआ तो मानो समय ही बदल गया। भाग्य लक्ष्मी ने घर में डेरा डाल दिया। पिता धन प्रकाश कुछ ही दिनों में बैंक के प्रबंधक बन गए और गरीबी में जी रहे परिवार के तो जैसे दिलद्दर ही दूर हो गए। एक ओर जहां धन प्रकाश के घर खुशियों की बरसात होने लगी वहीं कुल 6 बहन (मिथलेश, राजेश्वरी, लक्ष्मी, सुमन, नीरजा, साधना) व एक भाई (रामअवतार) के आगमन के साथ ही अगले कुछ वर्षों में 'मदन’ एक बड़े किंतु प्रतिष्ठित परिवार के लाडले व केंद्र बिंदु बनते गए। धामपुर के प्रसिद्ध कॉलेज एस एन इन्टर कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद...
कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

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प्रत्येक अधिकार की प्राप्ति के लिए उससे सम्बंधित कर्त्तव्य का पालन करना अनिवार्य होता है । - गाँधीवादी सिद्धांत कोरोना वायरस जनित बीमारी कोविड -19 का पहला मामला दिसंबर,2019 में वुहान, हुबेई, चीन में पाया गया था। यह वायरस, मानव-से-मानव संचरण की तीव्र क्षमता के कारण, दुनिया भर में तेजी से फैल गया। दिनांक 11.03.2020 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया। इस लेख के लेखन के समय दुनिया भर में कोविड -19 के 20 लाख से अधिक पुष्टित मामले हैं और इसके कारण एक लाख आठ-हज़ार हज़ार से अधिक मौतें हुई हैं। इस समय भारत में कोविड -19 के 12 हजार से अधिक पुष्टित मामले हैं और इस महामारी के कारण 400 से अधिक मौतें हुई हैं । और यह संख्या हर दिन के साथ तेजी से बढ़ रही है । समय रहते केंद्र सरकार और उत्तराखंड राज्य दोनों ने महामारी का मुकाबला करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों...
The 7 Super Powers You Must Posses

The 7 Super Powers You Must Posses

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Each one of us wants high happiness index, peace of mind, mature character and success in life but most of us do not really strive to achieve these goals. Out of us who struggle for their goals a very few are able to make things happen. The difference between successful and unsuccessful people is the difference between the level of Inner Power both the categories posses in their brains and the level of Power they exert to achieve what they want to achieve.. In my opinion, the Inner Powers consist of following seven categories and the intellectuals who possess all these mental muscles can accomplish a great deal of victories in most of the fields of life: 1-  The Power of Focus:There is a story which tells that during the bird shooting session, the instructor asked each shooter what ...
18 Ways to Make Your Parents Feel Great

18 Ways to Make Your Parents Feel Great

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Parents these days are quite worried about the behavioral changes in their children due to several socio-economical reasons. The gap between parents and us, the youth, is increasing day by day due to which the family bonding is getting weaker and weaker. We, the youth, want liberty in every deed we do. We want our parents not to be disturb us in what-ever we do in what-so-ever manner. We have forgotten the amount of time our parents have invested in for our brought up. We have forgotten the countless efforts and sacrifices by our parents throughout our lives. Starting from our birth they have taken care of our food (22 years * 365 days * 3 times = 24000 times!), our clothes (daily washing, ironing, new purchasing), our education (daily home works, uniform, school/tuition f...
जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

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बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं है और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता। जबकि कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं, जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। डाॅ. फ्रैंकल यह गहराई से जान सके कि जीवन कितना भी निरर्थक क्यांे न लगे, उसमें अंतर्निहित अर्थ को खोज कर मनुष्य सारे कष्टों को सहन कर बाहर निकल सकता है। विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है, बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है। जो समस्या हमें दी गई है, उसका सही जवाब पाने की जिम्मेदारी हमारी ही है। मानवता ने बड़े-बड़े जीवन अस्तित्व के संकटों के बीच उजालों को खोजा है, यही मानव इतिहास की विलक्षणता भी है। जब संकट बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा अपेक्षित होता है। इस संघर्ष में जन-जन की मुट्ठियां तन जाने का अर्थ है कि आपके अंदर किसी लक्ष्य को हासिल करने का पू...
शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

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कश्मीर की घाटी से 20 बरस पहले भयावह परिस्थतियों में पलायन करने वाले कश्मीरी पण्डितों को उम्मीद थी कि विधु विनोद चोपड़ा की नई फिल्म ‘शिकारा’ उनके दुर्दिनों पर प्रकाश डालेगी। वो देखना चाहते थे कि किस तरह हत्या, लूट, बलात्कार, आतंक और धमकियों के सामने 24 घंटे के भीतर लाखों कश्मीरी पण्डितों को अपने घर,जमीन-जायदाद, अपना इतिहास, अपनी यादें और अपना परिवेश छोड़क भागना पड़ा। वे अपने ही देश में शरणार्थी हो गये जम्मू और अन्य शहरों के शिविरों में उन्हें बदहाली की जिंदगी जीनी पड़ी। 25 डिग्री तापमान से ज्यादा जिन्होंने जिंदगी में गर्मी देखी नहीं थी, वो 40 डिग्री तापमान में ‘हीट स्ट्रोक’ से मर गऐ। जम्मू के शिविरों में जहरीले सर्पदंश से मर गए। कोठियों में रहने वाले टैंटों में रहने को मजबूर हो गऐ। 1947 के भारत-पाक विभाजन के बाद ये सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिस पर आज तक कोई बाॅलीबुड फिल्म नहीं बनी। उन्हें उम्मीद थी...