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18 Ways to Make Your Parents Feel Great

18 Ways to Make Your Parents Feel Great

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Parents these days are quite worried about the behavioral changes in their children due to several socio-economical reasons. The gap between parents and us, the youth, is increasing day by day due to which the family bonding is getting weaker and weaker. We, the youth, want liberty in every deed we do. We want our parents not to be disturb us in what-ever we do in what-so-ever manner. We have forgotten the amount of time our parents have invested in for our brought up. We have forgotten the countless efforts and sacrifices by our parents throughout our lives. Starting from our birth they have taken care of our food (22 years * 365 days * 3 times = 24000 times!), our clothes (daily washing, ironing, new purchasing), our education (daily home works, uniform, school/tuition f...
जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

जीवन-संकटों के बीच उजालों की खोज

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बड़ा सत्य है कि जीवन कहीं ठहरता नहीं है और सब कुछ कभी खत्म नहीं होता। जबकि कोरोना वायरस जैसे संकटों से जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं, जब लगता है मानो सब खत्म हो रहा है। डाॅ. फ्रैंकल यह गहराई से जान सके कि जीवन कितना भी निरर्थक क्यांे न लगे, उसमें अंतर्निहित अर्थ को खोज कर मनुष्य सारे कष्टों को सहन कर बाहर निकल सकता है। विपरीत परिस्थितियों में यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें जीवन से क्या अपेक्षा है, बल्कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस समय जीवन को हमसे क्या अपेक्षा है। जो समस्या हमें दी गई है, उसका सही जवाब पाने की जिम्मेदारी हमारी ही है। मानवता ने बड़े-बड़े जीवन अस्तित्व के संकटों के बीच उजालों को खोजा है, यही मानव इतिहास की विलक्षणता भी है। जब संकट बड़ा हो तो संघर्ष भी बड़ा अपेक्षित होता है। इस संघर्ष में जन-जन की मुट्ठियां तन जाने का अर्थ है कि आपके अंदर किसी लक्ष्य को हासिल करने का पू...
शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

शिकारा: कश्मीरी प्रेम कथा

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कश्मीर की घाटी से 20 बरस पहले भयावह परिस्थतियों में पलायन करने वाले कश्मीरी पण्डितों को उम्मीद थी कि विधु विनोद चोपड़ा की नई फिल्म ‘शिकारा’ उनके दुर्दिनों पर प्रकाश डालेगी। वो देखना चाहते थे कि किस तरह हत्या, लूट, बलात्कार, आतंक और धमकियों के सामने 24 घंटे के भीतर लाखों कश्मीरी पण्डितों को अपने घर,जमीन-जायदाद, अपना इतिहास, अपनी यादें और अपना परिवेश छोड़क भागना पड़ा। वे अपने ही देश में शरणार्थी हो गये जम्मू और अन्य शहरों के शिविरों में उन्हें बदहाली की जिंदगी जीनी पड़ी। 25 डिग्री तापमान से ज्यादा जिन्होंने जिंदगी में गर्मी देखी नहीं थी, वो 40 डिग्री तापमान में ‘हीट स्ट्रोक’ से मर गऐ। जम्मू के शिविरों में जहरीले सर्पदंश से मर गए। कोठियों में रहने वाले टैंटों में रहने को मजबूर हो गऐ। 1947 के भारत-पाक विभाजन के बाद ये सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिस पर आज तक कोई बाॅलीबुड फिल्म नहीं बनी। उन्हें उम्मीद थी...
कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

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कॅरिअर काउंसलिंग ;छात्र मार्गदर्शनद्ध आज के समय में बहुत उपयोगी हो गई है। 10वीं करते समय बहुत से स्टूडेंट कन्फ्यूज होते हैं। वह समझ नहीं पाते कि भविष्य में किस विषय की पढ़ाई करे। आर्ट्स विषयों से पढ़े या विज्ञान विषयों से। काॅमर्स विषय से अध्ययन करें या कोई विशेष ट्र्ेनिंग, डिग्री, डिप्लोमा करें। बहुत बार देखा गया है कि मां-बाप अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते हैं। वे बच्चों को कुछ और बनना चाहते है, जबकि बच्चे कुछ और बनना चाहते है। इन सारी चीजों को लेकर एक भारी कंफ्यूजन की स्थिति बन जाती है। इस कंफ्यूजयन को दूर करने के लिए कॅरिअर काउंसलिंग आजकल होने लगी है जिसमंे छात्रों की रूचि और योग्यता के अनुसार काउंसलर उन्हें सही कोर्स के बारे में बताता है। यह भी बताता है कि कौन सा कोर्स किस बच्चे के लिए अच्छा होगा। कॅरिअर काउंसलिंग का महत्व: सही स्ट्र्ीम चुनने को मौका मिलता है : काउंसलिंग कराने ...
व्यक्तित्व को उन्नत बनाने के आधारसूत्र

व्यक्तित्व को उन्नत बनाने के आधारसूत्र

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हर व्यक्ति में अपनी कोई-न-कोई विशेषता होती है। इन्हीं विशेषताओं से व्यक्तित्व बनता है और किसी भी व्यक्ति का वास्तविक परिचय उसका व्यक्तित्व ही है। श्रेष्ठ व्यक्तित्व ही मानव जीवन की असली पूंजी होती है। इसके अभाव में व्यक्ति व्यावहारिक धरातल पर अत्यंत दरिद्र होता है। सभी का बाह्य जीवन व्यावहारिक पृष्ठभूमि में पलता-बढ़ता और विकसित होता है। परिस्थिति और मनःस्थिति का गहरा द्वंद्व ही मनुष्य को दुर्बल एवं अशक्त बनाता है। मनःस्थिति पर आधारित विचारधारा कहती है कि यदि मन को समझा लिया जाए तो विकट परिस्थिति में भी सुख और संतोषपूर्वक निर्वाह किया जा सकता है। संतोष एक ऐसा औजार है जिसमें साधन का मोह नहीं सताता। जब मन स्वयं अपने में संतुष्ट एवं प्रसन्न है तब परिस्थितियों की भयावहता एवं विपन्नता हमें नहीं डिगा सकती। लेकिन इस आधुनिक युग में परिस्थिति एकदम विपरीत है। हमें जो परिस्थिति मिली है उससे हम संतुष्ट ...
व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान

व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान

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जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं ' दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान, अर्थात देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। भारत वो देश है जहाँ कर्ण ने अपने अंतिम समय में अपना सोने का दांत ही याचक को देकर, ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियां दान करके और राजा हरिश्चंद्र ने विश्वमित्र को अपना पूरा राज्य दान करके विश्व में दान की वो मिसाल प्रस्तुत की जिसके समान उदाहरण आज भी इस धरती पर अन्यत्र दुर्लभ हैं। शास्त्रों में दान चार प्रकार के बताए गए हैं , अन्न दान,औषध दान, ज्ञान दान एवं अभयदान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अंगदान का भी विशेष महत्व है। दान एक ऐसा कार्य, जिसके द्वारा हम न केवल धर्म का पालन करते हैं बल्कि समाज एवं प्राणी मात्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन भी करते हैं। किन्तु दान की महिमा तभी होती है जब वह निस्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार ब...
अब गरीबी नहीं, अमीरी समस्या है

अब गरीबी नहीं, अमीरी समस्या है

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देश की प्रति व्यक्ति आय मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत बढ़कर 10,534 रुपये महीना पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में मासिक प्रति व्यक्ति आय 9,580 रुपये थी। प्रति व्यक्ति औसत आय का बढ़ना देश की समृद्धि का स्वाभाविक संकेत है। आम आदमी की औसत आय का बढ़ना हो या देश अरबपतियों-करोडपतियों की संख्या का बढ़ना है, इन स्थितियों के बीच ऐयाशी, प्रदर्शन एवं वैभवता के अतिशयोक्तिपूर्ण खर्च की विकृत मानसिकता का पनपना नैतिक एवं चारित्रिक गिरावट कारण भी बन रही है। समस्या दरअसल गरीबी को समाप्त करने की उतनी नहीं, जितनी कि संतुलित समाज रचना को निर्मित करने की है। अमीरी का बढ़ना भी समस्या बन रहा तो गरीबी भी बड़ी समस्या है। यदि समय रहते समुचित कदम नहीं उठाए गए तो विषमता की यह खाई और चैड़ी हो सकती है और उससे राजनैतिक व सामाजिक टकराव की नौबत आ सकती है। भारत के अमीर और ज्यादा अमीर होते ...
परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम

परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम

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लम्बे अरसे से कहा जा रहा है कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली जड़ होकर महज शारीरिक एवं बौद्धिक विकास को प्राथमिकता देती रही है, जबकि मानसिक एवं भावनात्मक विकास भी शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बौद्धिकता शिक्षा का एक अंग है, पर पूरा नहीं, चाहते सभी है कि शिक्षा से अच्छे-सच्चे, मौलिक सोच वाले, सुसंस्कारित, रचनात्मक-सृजनात्मक ऊर्जावान एवं कार्यक्षम बच्चे प्राप्त हो। लेकिन यह चाह मात्र चाह बनकर रह गयी है, क्योंकि साध्य प्राप्ति का साधन अधूरा है। अब इस अधूरेपन को दूर करने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्रों के प्रारूप में बुनियादी बदलाव लाने का फैसला किया है। इस परिवर्तन का मकसद शिक्षा-परीक्षा को मशीनी प्रक्रिया से बाहर निकालकर उनमें मौलिकता, तर्क क्षमता और कल्पनाशीलता के लिए गुंजाइश बढ़ाना है। निश्चित ही य...
Gang-rape cum murder of a young lady doctor now in Hyderabad – Time-bound hanging of culprit necessary to effectively check such incidents

Gang-rape cum murder of a young lady doctor now in Hyderabad – Time-bound hanging of culprit necessary to effectively check such incidents

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System has not improved even after infamous 16-12 Nirbhaya rape-cum-murder of Delhi with country witnessing again similar episode now in Hyderabad on 28.11.2019 of a young lady doctor Priyanka Reddy whose scooter was reportedly punctured to aim the victim for rape-cum-murder by a group of persons. Self-termed human-right activists avoided having candle-march in New Delhi for obvious reasons. Telangana minister deserves to be condemned for his statement blaming the victim for not calling police. Bitter fact is very-very weak system of the country where convicted persons of Nirbhaya-episode were reminded about filing last date of mercy-petition to further delay death-sentence awarded to them after time-consuming long court-battle. Such faulty system assisting convicts in every possible ma...
स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने

स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने

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भागम-भाग, तनाव एवं घटनाबहुल आज के इस युग में सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना इंसान के लिये एक बेहतरीन बात है और इसी के माध्यम से मानव जीवन ने ऊंचाइयों को छुआ है। यह सकारात्मकता एवं ऊर्जस्विलता ही है, जिसने आम इंसानों को ऐतिहासिक पुरुषों के रूप में महानता प्रदान की है। कई बार ऐसा लगता होगा आपको कि आप ऊर्जा से भरे हुए और परिपूर्ण है। आपका घट ऊर्जा से छलछला रहा है और उस समय आपके चेहरे पर एक विशिष्ट आभा होती है, आँखों में चमक होती है, मन में प्रसन्नता ओर हृदय में होती है कुछ कर गुजरने की तमन्ना। यही वह क्षण है जो आपको जीवन में कुछ अनूठा एवं सार्थक करने का परिवेश देता है, जैसाकि द एल्कीमिस्ट ने कहा है कि-‘‘ब्रह्मांड में बीज बोओ और पूरा ब्रह्मांड आपको आपकी इच्छित वस्तु दिलाने के लिए जुट जाएगा।’’ कभी ऐसे भी लोगों को हम देखते हैं जो उम्र से युवा हैं पर चेहरा बुझा-बुझा है। न कुछ उनमें जोश है न होश। ...