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व्यक्तित्व को उन्नत बनाने के आधारसूत्र

व्यक्तित्व को उन्नत बनाने के आधारसूत्र

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हर व्यक्ति में अपनी कोई-न-कोई विशेषता होती है। इन्हीं विशेषताओं से व्यक्तित्व बनता है और किसी भी व्यक्ति का वास्तविक परिचय उसका व्यक्तित्व ही है। श्रेष्ठ व्यक्तित्व ही मानव जीवन की असली पूंजी होती है। इसके अभाव में व्यक्ति व्यावहारिक धरातल पर अत्यंत दरिद्र होता है। सभी का बाह्य जीवन व्यावहारिक पृष्ठभूमि में पलता-बढ़ता और विकसित होता है। परिस्थिति और मनःस्थिति का गहरा द्वंद्व ही मनुष्य को दुर्बल एवं अशक्त बनाता है। मनःस्थिति पर आधारित विचारधारा कहती है कि यदि मन को समझा लिया जाए तो विकट परिस्थिति में भी सुख और संतोषपूर्वक निर्वाह किया जा सकता है। संतोष एक ऐसा औजार है जिसमें साधन का मोह नहीं सताता। जब मन स्वयं अपने में संतुष्ट एवं प्रसन्न है तब परिस्थितियों की भयावहता एवं विपन्नता हमें नहीं डिगा सकती। लेकिन इस आधुनिक युग में परिस्थिति एकदम विपरीत है। हमें जो परिस्थिति मिली है उससे हम संतुष्ट ...
व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान

व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होता है दान

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जो हम देते हैं वो ही हम पाते हैं ' दान के विषय में हम सभी जानते हैं। दान, अर्थात देने का भाव, अर्पण करने की निष्काम भावना। भारत वो देश है जहाँ कर्ण ने अपने अंतिम समय में अपना सोने का दांत ही याचक को देकर, ऋषि दधीचि ने अपनी हड्डियां दान करके और राजा हरिश्चंद्र ने विश्वमित्र को अपना पूरा राज्य दान करके विश्व में दान की वो मिसाल प्रस्तुत की जिसके समान उदाहरण आज भी इस धरती पर अन्यत्र दुर्लभ हैं। शास्त्रों में दान चार प्रकार के बताए गए हैं , अन्न दान,औषध दान, ज्ञान दान एवं अभयदान एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अंगदान का भी विशेष महत्व है। दान एक ऐसा कार्य, जिसके द्वारा हम न केवल धर्म का पालन करते हैं बल्कि समाज एवं प्राणी मात्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन भी करते हैं। किन्तु दान की महिमा तभी होती है जब वह निस्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार ब...
अब गरीबी नहीं, अमीरी समस्या है

अब गरीबी नहीं, अमीरी समस्या है

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देश की प्रति व्यक्ति आय मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत बढ़कर 10,534 रुपये महीना पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में मासिक प्रति व्यक्ति आय 9,580 रुपये थी। प्रति व्यक्ति औसत आय का बढ़ना देश की समृद्धि का स्वाभाविक संकेत है। आम आदमी की औसत आय का बढ़ना हो या देश अरबपतियों-करोडपतियों की संख्या का बढ़ना है, इन स्थितियों के बीच ऐयाशी, प्रदर्शन एवं वैभवता के अतिशयोक्तिपूर्ण खर्च की विकृत मानसिकता का पनपना नैतिक एवं चारित्रिक गिरावट कारण भी बन रही है। समस्या दरअसल गरीबी को समाप्त करने की उतनी नहीं, जितनी कि संतुलित समाज रचना को निर्मित करने की है। अमीरी का बढ़ना भी समस्या बन रहा तो गरीबी भी बड़ी समस्या है। यदि समय रहते समुचित कदम नहीं उठाए गए तो विषमता की यह खाई और चैड़ी हो सकती है और उससे राजनैतिक व सामाजिक टकराव की नौबत आ सकती है। भारत के अमीर और ज्यादा अमीर होते ...
परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम

परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम

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लम्बे अरसे से कहा जा रहा है कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली जड़ होकर महज शारीरिक एवं बौद्धिक विकास को प्राथमिकता देती रही है, जबकि मानसिक एवं भावनात्मक विकास भी शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बौद्धिकता शिक्षा का एक अंग है, पर पूरा नहीं, चाहते सभी है कि शिक्षा से अच्छे-सच्चे, मौलिक सोच वाले, सुसंस्कारित, रचनात्मक-सृजनात्मक ऊर्जावान एवं कार्यक्षम बच्चे प्राप्त हो। लेकिन यह चाह मात्र चाह बनकर रह गयी है, क्योंकि साध्य प्राप्ति का साधन अधूरा है। अब इस अधूरेपन को दूर करने के लिये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा के प्रश्नपत्रों के प्रारूप में बुनियादी बदलाव लाने का फैसला किया है। इस परिवर्तन का मकसद शिक्षा-परीक्षा को मशीनी प्रक्रिया से बाहर निकालकर उनमें मौलिकता, तर्क क्षमता और कल्पनाशीलता के लिए गुंजाइश बढ़ाना है। निश्चित ही य...
Gang-rape cum murder of a young lady doctor now in Hyderabad – Time-bound hanging of culprit necessary to effectively check such incidents

Gang-rape cum murder of a young lady doctor now in Hyderabad – Time-bound hanging of culprit necessary to effectively check such incidents

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System has not improved even after infamous 16-12 Nirbhaya rape-cum-murder of Delhi with country witnessing again similar episode now in Hyderabad on 28.11.2019 of a young lady doctor Priyanka Reddy whose scooter was reportedly punctured to aim the victim for rape-cum-murder by a group of persons. Self-termed human-right activists avoided having candle-march in New Delhi for obvious reasons. Telangana minister deserves to be condemned for his statement blaming the victim for not calling police. Bitter fact is very-very weak system of the country where convicted persons of Nirbhaya-episode were reminded about filing last date of mercy-petition to further delay death-sentence awarded to them after time-consuming long court-battle. Such faulty system assisting convicts in every possible ma...
स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने

स्वयं को बदले, खुद रोशनी बने

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भागम-भाग, तनाव एवं घटनाबहुल आज के इस युग में सकारात्मक होना, ऊर्जावान होना इंसान के लिये एक बेहतरीन बात है और इसी के माध्यम से मानव जीवन ने ऊंचाइयों को छुआ है। यह सकारात्मकता एवं ऊर्जस्विलता ही है, जिसने आम इंसानों को ऐतिहासिक पुरुषों के रूप में महानता प्रदान की है। कई बार ऐसा लगता होगा आपको कि आप ऊर्जा से भरे हुए और परिपूर्ण है। आपका घट ऊर्जा से छलछला रहा है और उस समय आपके चेहरे पर एक विशिष्ट आभा होती है, आँखों में चमक होती है, मन में प्रसन्नता ओर हृदय में होती है कुछ कर गुजरने की तमन्ना। यही वह क्षण है जो आपको जीवन में कुछ अनूठा एवं सार्थक करने का परिवेश देता है, जैसाकि द एल्कीमिस्ट ने कहा है कि-‘‘ब्रह्मांड में बीज बोओ और पूरा ब्रह्मांड आपको आपकी इच्छित वस्तु दिलाने के लिए जुट जाएगा।’’ कभी ऐसे भी लोगों को हम देखते हैं जो उम्र से युवा हैं पर चेहरा बुझा-बुझा है। न कुछ उनमें जोश है न होश। ...
मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

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भारत में औरतों को  जीवन के हर क्षेत्र में समता दिलवाने का सपना पूरा होने में अभी वक्त लगेगा।  हालांकि गुजरे कुछ दशकों के दौरान औरतों ने बहुत सारे अवरोधों को पार भी किया है। वे तमाम क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज भी करवा रही हैं। पर मुसलमान औरतों के आगे बढ़ने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। उन्हें बुर्के के अंदर कैद रखने के साथ-साथ ट्रिपल तलाक जैसे  मुद्दों ने आगे ही नहीं बढ़ने दिया। तलाक वाला मसला तो अब कानूनी तौर पर हल हो गया है पर अब भी उन्हें कदम-कदम पर कठमुल्लों के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है। उदाहरण के रूप में केरल  को छोड़कर अधिकतर राज्यों में मुसलमान औरतें मस्जिद में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकती। हालांकि कुरआन में उन्हें मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की मनाही का कहीं उल्लेख तक नहीं है। कुरआन में औरतें को कम से कम 59 जगहों पर मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की बात मिलती है।  वरिष्ठ लेखक जि...

Festival-gifts are social-evil and bribes : Need to be banned with riders before Diwali

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Festival-gifts like on Diwali to those in public and public sector are no less than bribes. These are given to persons in legislature, bureaucracy and even in judiciary also, with most of them accepting these having expectation in advance. Quoting from Hindu code in Manusmriti, the then President of India Dr APJ Abdul Kalam Kalam on his retirement-eve rightly analyzed that gift coming with a purpose causes person losing their personality greatly. Central government should immediately much before Diwali and forthcoming marriage-season issue a strict warning-order under Prevention of Corruption Act against giving and accepting any gifts by those being paid from public-exchequers. Both those gifting and accepting should be booked under relevant sections of Indian Penal Code. Central Vigila...
दिवाली पर क्यों न खाएं मिठाईयां

दिवाली पर क्यों न खाएं मिठाईयां

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दीपोत्सव के आने में जब एक हफ्ता भी शेष नहीं बचा है, तब हमारे यहां जिस पैकेट बंद दूध को करोड़ों लोग पीते है उसकी गुणवत्ता को लेकर आई एक रिपोर्ट सचमुचमें डराने वाली हैं। उसके निष्कर्षो को देखकर लगता है कि करोड़ों हिन्दुस्तानी दूध के नाम पर जहर ही पीने को मजबूर हैं। चूंकि आलोक पर्व पर देश भर के हलवाईऔर घरों में भी पैकेट बंद दूध से ही ज्यादातर मिठाईयां  बनाई जाती हैं I इसलिए अब लग रहा है कि मिठाई खाना तो खतरे से खाली नहीं रहा है। साथ ही यह भीलग रहा है कि जिस मिठाई से हम-आप दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश का भोग लगाते हैं, वह भी दूषित हो गई है। यह सच में बेहद दुखद  स्थिति है। खाद्य नियामकभारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) की ओर से दूध की गुणवत्ता पर किए गए एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि जहां खुले दूध के 4.8फीसदी सैंपल में खामियां पाई गईं, वहीं पैकेट बंद दूध के 10 फीसदी से अधिक सैंपलो...
अंधविश्वास एवं जादू-टोना की क्रूरताएं कब तक?

अंधविश्वास एवं जादू-टोना की क्रूरताएं कब तक?

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ओडीशा के गंजाम जिले के कुछ अंधविश्वासी लोगों ने वहां के छह बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया, उससे एक बार फिर यही पता चलता है कि हम शिक्षित होने एवं विकास के लाख दावे भले करें, लेकिन समाज के स्तर पर आज भी काफी निचले पायदान पर खड़े हैं। एक स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र एवं स्वस्थ जीवन के लिये जादू-टोना, अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और टोटकें बड़ी बाधा है। इनकी दूषित हवाओं ने भारत की चेतना को प्रदूषित ही नहीं किया बल्कि ये कहर एवं त्रासदी बनकर जन-जीवन के लिये जानलेवा भी साबित होते रहे हैं। कैसी विडम्बना है कि हम बात चाँद पर जाने की करते हैं या 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की, लेकिन हम जनजीवन को इन अंधविश्वासी त्रासदियों एवं विडम्बनाओं से मुक्त नहीं कर पाये हैं। खबरों के मुताबिक वहां गोपुरपुर गांव में तीन महिलाओं की मौत हो गई और सात बीमार थीं, तो वहां के कुछ लोगों ने यह मान लिया कि...