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मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

मुसलमानों के कर्णधार कब हक देंगे औरतों और पसमांदाओं को

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भारत में औरतों को  जीवन के हर क्षेत्र में समता दिलवाने का सपना पूरा होने में अभी वक्त लगेगा।  हालांकि गुजरे कुछ दशकों के दौरान औरतों ने बहुत सारे अवरोधों को पार भी किया है। वे तमाम क्षेत्रों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज भी करवा रही हैं। पर मुसलमान औरतों के आगे बढ़ने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। उन्हें बुर्के के अंदर कैद रखने के साथ-साथ ट्रिपल तलाक जैसे  मुद्दों ने आगे ही नहीं बढ़ने दिया। तलाक वाला मसला तो अब कानूनी तौर पर हल हो गया है पर अब भी उन्हें कदम-कदम पर कठमुल्लों के फैसलों के आगे झुकना पड़ रहा है। उदाहरण के रूप में केरल  को छोड़कर अधिकतर राज्यों में मुसलमान औरतें मस्जिद में जाकर नमाज नहीं पढ़ सकती। हालांकि कुरआन में उन्हें मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की मनाही का कहीं उल्लेख तक नहीं है। कुरआन में औरतें को कम से कम 59 जगहों पर मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की बात मिलती है।  वरिष्ठ लेखक जि...

Festival-gifts are social-evil and bribes : Need to be banned with riders before Diwali

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Festival-gifts like on Diwali to those in public and public sector are no less than bribes. These are given to persons in legislature, bureaucracy and even in judiciary also, with most of them accepting these having expectation in advance. Quoting from Hindu code in Manusmriti, the then President of India Dr APJ Abdul Kalam Kalam on his retirement-eve rightly analyzed that gift coming with a purpose causes person losing their personality greatly. Central government should immediately much before Diwali and forthcoming marriage-season issue a strict warning-order under Prevention of Corruption Act against giving and accepting any gifts by those being paid from public-exchequers. Both those gifting and accepting should be booked under relevant sections of Indian Penal Code. Central Vigila...
दिवाली पर क्यों न खाएं मिठाईयां

दिवाली पर क्यों न खाएं मिठाईयां

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दीपोत्सव के आने में जब एक हफ्ता भी शेष नहीं बचा है, तब हमारे यहां जिस पैकेट बंद दूध को करोड़ों लोग पीते है उसकी गुणवत्ता को लेकर आई एक रिपोर्ट सचमुचमें डराने वाली हैं। उसके निष्कर्षो को देखकर लगता है कि करोड़ों हिन्दुस्तानी दूध के नाम पर जहर ही पीने को मजबूर हैं। चूंकि आलोक पर्व पर देश भर के हलवाईऔर घरों में भी पैकेट बंद दूध से ही ज्यादातर मिठाईयां  बनाई जाती हैं I इसलिए अब लग रहा है कि मिठाई खाना तो खतरे से खाली नहीं रहा है। साथ ही यह भीलग रहा है कि जिस मिठाई से हम-आप दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश का भोग लगाते हैं, वह भी दूषित हो गई है। यह सच में बेहद दुखद  स्थिति है। खाद्य नियामकभारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकार (एफएसएसएआई) की ओर से दूध की गुणवत्ता पर किए गए एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि जहां खुले दूध के 4.8फीसदी सैंपल में खामियां पाई गईं, वहीं पैकेट बंद दूध के 10 फीसदी से अधिक सैंपलो...
अंधविश्वास एवं जादू-टोना की क्रूरताएं कब तक?

अंधविश्वास एवं जादू-टोना की क्रूरताएं कब तक?

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ओडीशा के गंजाम जिले के कुछ अंधविश्वासी लोगों ने वहां के छह बुजुर्ग व्यक्तियों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया, उससे एक बार फिर यही पता चलता है कि हम शिक्षित होने एवं विकास के लाख दावे भले करें, लेकिन समाज के स्तर पर आज भी काफी निचले पायदान पर खड़े हैं। एक स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र एवं स्वस्थ जीवन के लिये जादू-टोना, अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और टोटकें बड़ी बाधा है। इनकी दूषित हवाओं ने भारत की चेतना को प्रदूषित ही नहीं किया बल्कि ये कहर एवं त्रासदी बनकर जन-जीवन के लिये जानलेवा भी साबित होते रहे हैं। कैसी विडम्बना है कि हम बात चाँद पर जाने की करते हैं या 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने की, लेकिन हम जनजीवन को इन अंधविश्वासी त्रासदियों एवं विडम्बनाओं से मुक्त नहीं कर पाये हैं। खबरों के मुताबिक वहां गोपुरपुर गांव में तीन महिलाओं की मौत हो गई और सात बीमार थीं, तो वहां के कुछ लोगों ने यह मान लिया कि...
वीडियो गेम : वास्तविक दुनिया से दूर हो रहे टीनेजर्स

वीडियो गेम : वास्तविक दुनिया से दूर हो रहे टीनेजर्स

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एक वक्त था जब बच्चे और टीनेजर्स खाली समय में वीडियो गेम का आनंद लिया करते थे, लेकिन आज के दौर में वीडियो गेम का एक नया ही स्तर देखने को मिल रहा है. ऑनलाइन और मल्टी प्लेयर ऑप्शन उपलब्ध होने के कारण यह टीनेजर्स के बीच इतना लोकप्रिय हो गया है कि यह उन्हें वास्तविक दुनिया से पूरी तरह से दूर कर रहा है. बच्चों में वीडियो गेम की ऐसी लत देखने को मिल रही है, जिसके कारण वह पूरी तरह से गेमिंग की दुनिया में खो चुके हैं, एक ऐसी दुनिया जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है. इन बच्चों के आसपास क्या हो रहा है, किसी बात की कोई खबर नहीं रहती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि वीडियो गेम की लत ही युवास्था में डिप्रेशन और गुस्सेले व्यवहार का मूल कारण बनती है. वीडियो गेम के इस दौर में बच्चे और टीनेजर्स आउटडोर गेम्स को पूरी तरह से भूलते जा रहे हैं. टीनेज एक ऐसी उम्र है जिसमें बच्चों के दिमाग का विकास होता है. इ...
आदमी की तलाश क्यों जरूरी है? 

आदमी की तलाश क्यों जरूरी है? 

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आज हमें ऐसे आदमी की तलाश है जो जीवन के मूल्य मानकों के प्रति बने सोच एवं नजरिए को सही दृष्टि एवं सही दिशा दे। उन सिद्धांतों को नया अर्थ दे जिन पर आज तक लोगों ने अंगुली उठाई है लेकिन जीने का साहस नहीं किया। उन आदर्शों को जीए जो अभी तक संस्कृति को सूरत तो दे सके मगर सीरत नहीं। वह उन जटिल एवं समस्याग्रस्त रास्तों को बदले जिन पर चलकर हर कदम ने अंत तक सिर्फ ठोकरें ही खाई हैं। विज्ञान, संस्कृति, परम्परा, धर्म और जीवन-मूल्यों के नाम पर उठा जिंदगी का यही पहला कदम एक सफल एवं सार्थक जीवन का नायाब तोहफा होगा। लेकिन इसके लिये इंसान को इंसान बनना होगा। ईश्वर का पहला चिन्तन था-फरिश्ता और ईश्वर का ही पहला शब्द भी था मनुष्य। ईश्वर के प्रारंभिक दोनों ही चिन्तन आज लुप्तप्राय है। तभी तो यह भी सुना है-आदमी की जात बड़ी बदजात होती है। खरबूजों को देखकर जैसे खरबूजा रंग बदलता है वैसे ही आदमी-आदमी को देखकर रं...
Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter fact of Indian youngsters not having simple-most knowledge of Ramayana

Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter fact of Indian youngsters not having simple-most knowledge of Ramayana

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Noted film-actress Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter reality about Indian youngsters not having even elementary knowledge of great Indian epic Ramayana when as an expert-advisor in popular TV programme Kaun-Banega-Crorepati (KBC) anchored by mega-star Amitabh Bachchan, she could not help her co-participant about a simple-most question about Hanuman ji bringing Sanjeevni herb for Laxman ji. It was despite the fact that her residence is named Ramayana and her father and three uncles are named as Shatrughan, Ram, Laxman and Bharat, the four legendry brothers of great epic Ramayana. Central and state governments especially ruled by BJP should take lesson from the KBC episode, and include Ramayana and Mahabharat in school-syllabus starting from primary level. Teachi...
‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’

‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’

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 आचार्य विनोबा भावे 125वीं जयंती पर  हार्दिक बधाइयाँ! ‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’ ‘‘जय जगत’’ के विचार से ही मानव जाति की वैश्विक समस्याओं का समाधान हो सकता है! - प्रदीप कुमार सिंह, लेखक, लखनऊ  वर्ष भर में अनेक तिथियाँ वर्तमान बनकर आती हैं, और भूतकाल बनकर चली जाती हैं। लेकिन कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं, जो युगों-युगों के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं। 11 सितम्बर, दुनिया के लिए एक ऐसी ही तारीख है। आज ही के दिन चार बड़ी घटनाएं हुईं थी। पहली घटना आज से 126 साल पहले वर्ष 1893 में हुई थी। जब अमेरिका के शिकागो में महान युग दृष्टा स्वामी विवेकानंद ने अपने समय के ऐतिहासिक विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मानवता से भरा युगानुकूल भाषण दिया था। भारतीय दर्शन तथा धर्म की सार्वभौमिक सोच ने सारे विश्व को सभी धर्मों की आत्मा अध्यात्म क...
किसी को जीवन देने की करें पहल

किसी को जीवन देने की करें पहल

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आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। इस तरह अंगदान करने से एक महान् शक्ति पैदा होती है, वह अद्भुत होती है। इस तरह की  उदारता मन की महानता की द्योतक है, जो न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी खुशी देती है। किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की उपयोगिता अंगों की अनुपलब्धता के कारण बढ़ती जा रही है। भारत में ही हर साल लगभग 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रत्यारोपण की संख्या और अंग उपलब्ध होने की संख्या के बीच एक बड़ा फासला है। अंग दान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अंग दाता अंग ग्राही को अंगदान ...
युवा पुरुषार्थ के नये छंद रचें

युवा पुरुषार्थ के नये छंद रचें

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युवा क्रांति का प्रतीक है, ऊर्जा का स्रोत है, इस क्रांति एवं ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक एवं सृजनात्मक हो, इसी ध्येय से सारी दुनिया प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाती है। सन् 2000 में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था। यह दिवस मनाने का मतलब है कि युवाशक्ति का उपयोग विध्वंस में न होकर निर्माण में हो। पूरी दुनिया की सरकारें युवा के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। न केवल सरकारें बल्कि आम-जनजीवन में भी युवकोें की स्थिति, उनके सपने, उनका जीवन लक्ष्य आदि पर चर्चाएं हो। युवाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इन्हीं मूलभूत बातों को लेकर यह दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानन्द ने भारत के नवनिर्माण के लिये मात्र सौ युवकों की अपेक्षा की थी। क्योंकि वे जानते थे कि युवा ‘विजनरी’ होते हैं और उनका विजन दूरगामी...