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वीडियो गेम : वास्तविक दुनिया से दूर हो रहे टीनेजर्स

वीडियो गेम : वास्तविक दुनिया से दूर हो रहे टीनेजर्स

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एक वक्त था जब बच्चे और टीनेजर्स खाली समय में वीडियो गेम का आनंद लिया करते थे, लेकिन आज के दौर में वीडियो गेम का एक नया ही स्तर देखने को मिल रहा है. ऑनलाइन और मल्टी प्लेयर ऑप्शन उपलब्ध होने के कारण यह टीनेजर्स के बीच इतना लोकप्रिय हो गया है कि यह उन्हें वास्तविक दुनिया से पूरी तरह से दूर कर रहा है. बच्चों में वीडियो गेम की ऐसी लत देखने को मिल रही है, जिसके कारण वह पूरी तरह से गेमिंग की दुनिया में खो चुके हैं, एक ऐसी दुनिया जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है. इन बच्चों के आसपास क्या हो रहा है, किसी बात की कोई खबर नहीं रहती है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि वीडियो गेम की लत ही युवास्था में डिप्रेशन और गुस्सेले व्यवहार का मूल कारण बनती है. वीडियो गेम के इस दौर में बच्चे और टीनेजर्स आउटडोर गेम्स को पूरी तरह से भूलते जा रहे हैं. टीनेज एक ऐसी उम्र है जिसमें बच्चों के दिमाग का विकास होता है. इ...
आदमी की तलाश क्यों जरूरी है? 

आदमी की तलाश क्यों जरूरी है? 

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आज हमें ऐसे आदमी की तलाश है जो जीवन के मूल्य मानकों के प्रति बने सोच एवं नजरिए को सही दृष्टि एवं सही दिशा दे। उन सिद्धांतों को नया अर्थ दे जिन पर आज तक लोगों ने अंगुली उठाई है लेकिन जीने का साहस नहीं किया। उन आदर्शों को जीए जो अभी तक संस्कृति को सूरत तो दे सके मगर सीरत नहीं। वह उन जटिल एवं समस्याग्रस्त रास्तों को बदले जिन पर चलकर हर कदम ने अंत तक सिर्फ ठोकरें ही खाई हैं। विज्ञान, संस्कृति, परम्परा, धर्म और जीवन-मूल्यों के नाम पर उठा जिंदगी का यही पहला कदम एक सफल एवं सार्थक जीवन का नायाब तोहफा होगा। लेकिन इसके लिये इंसान को इंसान बनना होगा। ईश्वर का पहला चिन्तन था-फरिश्ता और ईश्वर का ही पहला शब्द भी था मनुष्य। ईश्वर के प्रारंभिक दोनों ही चिन्तन आज लुप्तप्राय है। तभी तो यह भी सुना है-आदमी की जात बड़ी बदजात होती है। खरबूजों को देखकर जैसे खरबूजा रंग बदलता है वैसे ही आदमी-आदमी को देखकर रं...
Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter fact of Indian youngsters not having simple-most knowledge of Ramayana

Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter fact of Indian youngsters not having simple-most knowledge of Ramayana

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Noted film-actress Sonakshi Sinha deserves all compliments for exposing bitter reality about Indian youngsters not having even elementary knowledge of great Indian epic Ramayana when as an expert-advisor in popular TV programme Kaun-Banega-Crorepati (KBC) anchored by mega-star Amitabh Bachchan, she could not help her co-participant about a simple-most question about Hanuman ji bringing Sanjeevni herb for Laxman ji. It was despite the fact that her residence is named Ramayana and her father and three uncles are named as Shatrughan, Ram, Laxman and Bharat, the four legendry brothers of great epic Ramayana. Central and state governments especially ruled by BJP should take lesson from the KBC episode, and include Ramayana and Mahabharat in school-syllabus starting from primary level. Teachi...
‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’

‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’

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 आचार्य विनोबा भावे 125वीं जयंती पर  हार्दिक बधाइयाँ! ‘‘जो खुद पर काबू पा लेता है, वो दुनिया पर काबू पा सकता है’’ ‘‘जय जगत’’ के विचार से ही मानव जाति की वैश्विक समस्याओं का समाधान हो सकता है! - प्रदीप कुमार सिंह, लेखक, लखनऊ  वर्ष भर में अनेक तिथियाँ वर्तमान बनकर आती हैं, और भूतकाल बनकर चली जाती हैं। लेकिन कुछ तारीखें ऐसी भी होती हैं, जो युगों-युगों के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं। 11 सितम्बर, दुनिया के लिए एक ऐसी ही तारीख है। आज ही के दिन चार बड़ी घटनाएं हुईं थी। पहली घटना आज से 126 साल पहले वर्ष 1893 में हुई थी। जब अमेरिका के शिकागो में महान युग दृष्टा स्वामी विवेकानंद ने अपने समय के ऐतिहासिक विश्व धर्म संसद में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए मानवता से भरा युगानुकूल भाषण दिया था। भारतीय दर्शन तथा धर्म की सार्वभौमिक सोच ने सारे विश्व को सभी धर्मों की आत्मा अध्यात्म क...
किसी को जीवन देने की करें पहल

किसी को जीवन देने की करें पहल

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आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। इस तरह अंगदान करने से एक महान् शक्ति पैदा होती है, वह अद्भुत होती है। इस तरह की  उदारता मन की महानता की द्योतक है, जो न केवल आपको बल्कि दूसरे को भी खुशी देती है। किसी व्यक्ति के जीवन में अंगदान के महत्व को समझने के साथ ही अंगदान करने के लिये आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिये 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की उपयोगिता अंगों की अनुपलब्धता के कारण बढ़ती जा रही है। भारत में ही हर साल लगभग 5 लाख लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रत्यारोपण की संख्या और अंग उपलब्ध होने की संख्या के बीच एक बड़ा फासला है। अंग दान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अंग दाता अंग ग्राही को अंगदान ...
युवा पुरुषार्थ के नये छंद रचें

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युवा क्रांति का प्रतीक है, ऊर्जा का स्रोत है, इस क्रांति एवं ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक एवं सृजनात्मक हो, इसी ध्येय से सारी दुनिया प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाती है। सन् 2000 में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन आरम्भ किया गया था। यह दिवस मनाने का मतलब है कि युवाशक्ति का उपयोग विध्वंस में न होकर निर्माण में हो। पूरी दुनिया की सरकारें युवा के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित करे। न केवल सरकारें बल्कि आम-जनजीवन में भी युवकोें की स्थिति, उनके सपने, उनका जीवन लक्ष्य आदि पर चर्चाएं हो। युवाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इन्हीं मूलभूत बातों को लेकर यह दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानन्द ने भारत के नवनिर्माण के लिये मात्र सौ युवकों की अपेक्षा की थी। क्योंकि वे जानते थे कि युवा ‘विजनरी’ होते हैं और उनका विजन दूरगामी...
भारतीय संस्कृति के आदर्श ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ के विचार में है  विश्व की समस्याओं का समाधान

भारतीय संस्कृति के आदर्श ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ के विचार में है विश्व की समस्याओं का समाधान

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  (1) भारत सांस्कृतिक विविधता के कारण एक लघु विश्व का स्वरूप धारण किये हुए हैं। भारत की सांस्कृतिक विविधता ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सन्देश देती है अर्थात सारी वसुधा एक विश्व परिवार है। भारत की महान नारी लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने लोक कल्याण की भावना से होलकर साम्राज्य का संचालन हृदय की विशालता, असीम उदारता तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर बड़ी ही कुशलतापूर्वक किया। 70 वर्ष की आयु में अहिल्याबाई की महान आत्मा 13 अगस्त 1795 को नश्वर देह से निकलकर अखिल विश्वात्मा में विलीन हो गयी। भारत सरकार से मेरी अपील है कि वह लोकमाता अहिल्याबाई की जयन्ती 31 मई को राष्ट्रीय स्तर पर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रस्ताव पारित करें।  (2) वह भारत की ऐसी प्रथम नारी शासिका थी जिन्होंने अपनी प्रजा को अपनी संतानों की तरह लोकमाता के रूप में संरक्षण दिया। साथ ही अत्यन्त ही लोक कल्याण...
‘मानव तस्करी’ ने अपना तीसरे कुख्यात व्यापार के रूप में स्थान बना लिया है!

‘मानव तस्करी’ ने अपना तीसरे कुख्यात व्यापार के रूप में स्थान बना लिया है!

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मानव तस्करी के विरूद्ध जागरूकता और पीड़ित व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व भर में 30 जुलाई को मानव तस्करी के विरूद्ध विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य पीड़ितों की समस्याओं व संभावित समाधानों पर रोशनी डालना है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विश्व भर में लगभग 21 मिलियन लोग बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं। इस अनुमान में श्रम व यौन शोषण के लिए तस्करी किये गए लोग भी शामिल हैं। मानव तस्करी से सभी देश किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं। यू.एन. कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार मानव तस्करी के लगभग एक तिहाई शिकार बच्चे ही हैं, जबकि 71 प्रतिशत मानव तस्करी की शिकार महिलाएँ व लड़कियाँ हैं। मानव जाति के विनाशक पहला ‘ड्रग्स’ तथा दूसरा ‘हथियार’ के दुनिया के सबसे बडे़ कुख्यात दो व्यापारों के बाद ‘मानव तस्करी’ के कुख्यात व्यापार के र...
मर्दों का क्या है, ये तो ऐसे ही होते हैं!

मर्दों का क्या है, ये तो ऐसे ही होते हैं!

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अंकल परिवार के साथ अच्छी जगह डिनर करने आए हैं। बगल में बीवी है, दो बड़े बच्चे भी बैठे हैं.. सब बहुत खुश हैं, जोर जोर से हँस रहे हैं लेकिन अंकल के लिए इतना काफी नहीं है। अंकल को सामने वाली टेबल पर बैठी लड़की को घूरना है। कभी रँगे हुए बालों को ठीक करते हुए, कभी फोन पर बात करते हुए उनको बस सामने वाली लड़की को लीचड़ता की हद पार करते हुए निहारना है। उनने ठरक के साथ बहुत सारा धन भी संचय किया है तो उनको लगता है कि उनकी लीचड़ता किसी सड़क छाप लड़के की लीचड़ता से बेहतर है। बीवी बगल में बैठी बच्चों का ध्यान रख रही है, उनको क्या खाना है, क्या नहीं सब फरमाइश सुन रही है, खुद को भी सँवार रही है लेकिन पति के कमीनेपन से अंजान है। उसका पति भगवान है उसे यही बताया गया है और भगवान को जिंदा रखने के लिए वो हर साल बस नियम से करवा चौथ करते आ रही है। वह पति की आंखें खुली रखना चाहती है और पति अपने पैंट की चैन। ऐसे तो हर...
Adopting spiritualism and sainthood at student- age in Jainism becoming fast popular

Adopting spiritualism and sainthood at student- age in Jainism becoming fast popular

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It refers to reports that one more young 17-year old girl from an affluent Jain family in Surat now going to become monk. In November 2018, another young IAS aspirant girl from a very well-to-do Jain family from Surat left coaching-classes become Jain monk. Two other school-going sisters from another affluent Jain family of Surat have finally decided to become Jain monks even though their parents gave them full opportunity for change of mind by sending them for an extra luxurious world tour. Only some time back, a topper in examinations left all materialistic world to become Jain monk. Leaving materialistic life and adopting spiritualism by become Jain monk does give much required mental peace in present era full of tensions. But if such trend becomes a latest craze amongst intelligent st...