Shadow

सामाजिक

कब होगा एड्स उन्मूलन?

कब होगा एड्स उन्मूलन?

addtop, BREAKING NEWS, सामाजिक
जैसे कि चेन की सबसे कमज़ोर कड़ी ही उसकी ताकत का मापक होती है, वैसे ही, जन स्वास्थ्य का मापक भी उसके सबसे कमज़ोर अंश होते हैं. स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना तभी पूरा होगा जब सबसे पिछड़े और समाज के हाशिये पर रह रहे लोग स्वस्थ रहेंगे. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर यह सत्य दोहराना ज़रूरी है क्योंकि हर इंसान के लिए यूएचसी की सुरक्षा देने का वादा पूरा करने के लिए अब सिर्फ 12 साल शेष हैं. भारत सरकार समेत 193 देशों की सरकारों ने 2030 तक सतत विकास लक्ष्य पूरे करने का वादा किया है जिनमें यूएचसी शामिल है. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) दिवस पर एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने भारत सरकार से अपील की कि स्वास्थ्य कार्यक्रम में रोगों की जांच और इलाज पर ध्यान देना जितना ज़रूरी है उतना ही महत्वपूर्ण है रोग नियंत्रण. एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष डॉ ईश्वर गिलाडा, जो हाल ही में इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी की संचाल...
ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

ब्रजवासियों के साथ धोखा क्यों?

TOP STORIES, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
जब से 'ब्रजतीर्थ विकास परिषद्’ का गठन हुआ है, ये एक भी काम ब्रज में नहीं कर पाई है। जिन दो अधिकारियों को योगी आदित्यनाथ जी ने इतने महत्वूपर्ण ब्रजमंडल को सजाने की जि मेदारी सौंपी हैं, उन्हें इस काम का कोई अनुभव नहीं है। इससे पहले उनमें से एक की भूमिका मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के नाते तमाम अवैध निर्माण करवाकर ब्रज का विनाश करने में रही है। दूसरा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है, जिसने आजतक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण पर कोई काम नहीं किया। इन दोनों को ही इस महत्वपूर्ण, कलात्मक और ऐतिहासिक काम की कोई समझ नहीं है। इसलिए इन्होंने अपने इर्द-गिर्द फर्जी आर्किटैक्टों, भ्रष्ट जूनियर अधिकारियों और सड़कछाप ठेकेदारों का जमावाड़ा कर लिया है। सब मिलकर नाकारा, निरर्थक और धन बिगाड़ू योजनाऐं बना रहे हैं। जिससे न तो ब्रज का सौंदर्य सुधरेगा, न ब्रजवासियों को लाभ होगा और न ही संतों और तीर्थयात्र...
सक्रिय होकर सुनें

सक्रिय होकर सुनें

TOP STORIES, सामाजिक
हम सभी जानते हैं कि संवाद केवल तभी होता है जब कोई वक्ता और श्रोता दोनो होते हैं। संवाद सदैव दो-तरफा प्रक्रिया मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि असरदार संवाद केवल तभी माना जाता है जब श्रोता या रिसीवर यह स्वीकार करता है कि उसे संदेश प्राप्त हुआ है, चाहे वह केवल सिर हिलाकर ही क्यों न बताए। हम यह भी जानते हैं कि भगवान ने हमें सुनने के लिए दो कान दिए हैं और एक मुंह बोलने के लिए दिया है। इसका मतलब है कि हमें दिनभर की बातचीत में बोलना कम और सुनना अधिक चाहिए। जब हम सुनते हैं, तो हम सीखते हैं जबकि बोलते समय हम केवल वही कहते हैं जो कि हम जानते हैं और इसलिए हमारे ज्ञान में कोई मूल्यवर्धन नहीं होता। इसलिए सुनना हमेशा हमारे लिए फायदेमंद होता है जबकि बोलना एक ऊर्जा खर्च करने वाली एक प्रक्रिया है। सक्रिय हो कर सुनना एक बहुत महत्वपूर्ण कला है जिसे हमें हमेशा सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी नौकरी में...
सनातन परंपराओं से छेड़छाड़ ठीक नहीं

सनातन परंपराओं से छेड़छाड़ ठीक नहीं

Today News, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
सबरी मलाई मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से हम सभी हिंदू उद्वेलित हैं। इसी हफ्ते एक व्याख्यान में सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश श्रीमती ज्ञान सुधा मिश्रा का कहना था कि जहां संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का पंरपराओं से टकराव होगा, वहां अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। उन्होंने सती प्रथा का उदाहरण देकर अपनी बात का समर्थन किया। किंतु पूजा पद्धति और उससे जुड़े कर्मकांड को बदलने का अधिकार अदालत का नहीं होना चाहिए। जैसे- जन जातीय समाजों में जो कानून की व्यवस्था है, उसमें भारत सरकार हस्तक्षेप नहीं करती। अंग्रेज हुकुमत ने भी नहीं किया। अण्डमान के पास सेंटीनल द्वीप में वनवासियों द्वारा तीर-कमान से मारे गऐ, ‘अमरीकी मिशनरी युवा’ के मामले में सरकार कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर रही। क्योंकि गत 60 हजार सालों से यह प्रजाति शेष दुनिया से अलग-थलग रहकर जीवन यापन कर र...
कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

कौन करेगा काबू पागल भीड़ पर

addtop, Today News, विश्लेषण, सामाजिक
बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा ने देशभर को स्तब्ध करके रख दिया हैI देश की राजधानी दिल्ली में भी कुछ ही समय के दौरान जानलेवा भीड़ ने दो लोगों को अलग-अलग घटनाओं में मार-मार का मौत के घाट उतार दिया। अभागे मृतकों पर छोटी-मोटी चोरी करने के आरोप थे। मारने वाले वहशी हो गए थे और उन्हें मृतकों की चीत्कार और आंसू भी रोक नहीं सके।किसी भी शख्स पर बेहिसाब लाठियों,घूंसों,लातों और हथियारों से वार करने वाले क्यों भूल जाते हैं कि अगर उन पर इस तरह के हमले हों तो उन पर क्या बीतेगी? पर, इधर कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने चार तंजानियाई और दो नाइजीरियाई नागरिकों को भीड़ के हाथों लगभग मारे जाने से बचाया भी था । दिल्ली में रहने वाले इन अफ्रीकी नागरिकों पर यह आरोप लगा जा रहा था कि उन्होंने एक बच्चे का अपहरण कर लिया है। दरअसल द्वारिका पुलिस स्टेशन  में फोन आया कि कुछ अफ्रीकी नागरिकों की एक बच्चे के अपहरण करने के आरोप म...
Date of birth on marriage-cards: Accountability and transparency required in marriage-related expenses

Date of birth on marriage-cards: Accountability and transparency required in marriage-related expenses

addtop, सामाजिक
A District Collector of Bharatpur (Rajasthan) in the year 2012 made it compulsory to print dates of birth on marriage-cards, making it mandatory for printing-presses to first getting attested birth-certificates to avoid sealing of printing-press. Such and other noble ideas should be rather made compulsory all over the country for an effective check on marriage-related social evils. An estimated outlay of marriage-expenditure mentioning number of guests should also be printed on marriage-cards. When citizens demand accountability and transparency from government, they should also themselves be made transparent in marriage-related expenses to effectively check large-scale involvement of unaccounted money in marriages. List of gifts and cash-envelopes received/distributed on the occasions ...
हमें अपनी जड़ों को सींचना होगा

हमें अपनी जड़ों को सींचना होगा

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, सामाजिक
हम सब अच्छे जीवन, सफलता और शुभ-श्रेयस्कर होने की कामना करते हैं लेकिन जीवन तो उतार और चढ़ाव का खेल है। हम सभी कभी न कभी अवसाद और तनाव से आहत होते हैं, तो कभी दुःखों से हमारा साक्षात्कार होता है। दुःखों एवं पीड़ाओं का एहसास निरन्तर बना रहता है। जिंदगी में हमेशा सब कुछ अच्छा और सही ही हो, कहां होता है। किसी की जिंदगी में नहीं होता। जिंदगी पूरी तरह परफेक्ट ना होती है, ना होगी। व्यापार, नौकरी, सेहत या रिश्ते कोई ना कोई परेशानी चलती ही रहती है। गलतियों से, दुखों से कब तक बचा रहा जा सकता है। लेखक तोबा बीटा कहते हैं, ‘कोशिशें हमें बिल्कुल सही नहीं कर देतीं। वे केवल हमारी गलतियों को कम कर देती हैं।’ हर सुबह को हम इस सोच और संकल्प के साथ शुरू करते हैं कि हमें अपने व्यक्तित्व निर्माण में कुछ नया करना है, नया बनना है। पर क्या हमने निर्माण की प्रक्रिया में नए पदचिन्ह स्थापित करने का प्रयत्न किया? क्या ...
चीन की तर्ज पर कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग

चीन की तर्ज पर कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग

BREAKING NEWS, सामाजिक
  भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने चीन की तर्ज पर कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग किया है! इंडिया गेट पर हम दो - हमारे दो अभियान की शुरूआत करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से आगामी संसद सत्र में चीन की तर्ज पर तत्काल एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग किया ! उपाध्याय इसके पहले जनसंख्या नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल कर चुके हैं !   उपाध्याय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाता है लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण जनसँख्या विस्फोट है! उन्होंने कहा कि बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरीक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है! बेटियों को ...
दिन ब दिन टूटते रिश्ते

दिन ब दिन टूटते रिश्ते

addtop, TOP STORIES, सामाजिक
हाल ही में जापान की राजकुमारी ने अपने दिल की आवाज सुनी और एक साधारण युवक से शादी की। अपने प्रेम की खातिर जापान के नियमों के मुताबिक, उन्हें राजघराने से अपना नाता तोड़ना पड़ा। उनके इस विवाह के बाद अब वे खुद भी राजकुमारी से एक साधारण नागरिक बन गईं हैं। कैम्ब्रिज के ड्यूक और ब्रिटेन के शाही परिवार के राजकुमार विलियम ने एक साधारण परिवार की कथेरिन मिडलटन से विवाह किया (2011) और आज दुनिया भर में एक आदर्श जोड़े के रूप में पहचाने जाते हैं। स्वीडन की राजकुमारी विक्टोरिया ने स्वीडन के एक छोटे से समुदाय से आने वाले डेनियल वेसलिंग से  शादी की (2010)। डेनियल कभी उनके पर्सनल ट्रेनर हुआ करते थे। मोनाको के राजकुमार रेनियर तृतीय ने हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ग्रेस केली से विवाह किया(1956)। 1982 में एक कार दुर्घटना में अपनी मृत्यु तक वे मोनाको की राजकुमारी के रूप में रेनियर तृतीय ही नहीं मोनाको के लोगों...
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है वेतनभोगी अवकाश?

घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए क्यों ज़रूरी है वेतनभोगी अवकाश?

TOP STORIES, सामाजिक
25 नवंबर को महिला हिंसा को समाप्त करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य पर, सरकारी सेवायें प्रदान कर रहे श्रमिक यूनियनों ने एक अभियान को आरंभ किया जिसकी मुख्य मांग है: घरेलू हिंसा से प्रताड़ित महिला को वेतनभोगी अवकाश मिले जो उसको न्याय दिलवाने में सहायक होगा. स्वास्थ्य को वोट अभियान और आशा परिवार से जुड़ीं महिला अधिकार कार्यकर्ता शोभा शुक्ला ने कहा कि हिंसा और हर प्रकार के शोषण को समाप्त करने के लिए, श्रम कानून और नीतियों में जो बदलाव ज़रूरी हैं, उनमें यह मांग शामिल है. पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल की क्षेत्रीय सचिव केट लयपिन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर #metoo ‘मीटू’ अभियान से, विशेषकर कि उच्च उद्योग में, यौन हिंसा के मुद्दे उजागर हुए हैं, परन्तु रोज़गार देने वालों की भूमिका और श्रम कानून में जो बदलाव होने चाहिए जिससे कि कार्यस्थल महिलाओं के लिए सुरक्षित हो, उनको उतना ध्यान नहीं मिला. ...