
दूषित सोच से लोकतंत्र का कमजोर होना
-ललित गर्ग-
पिछले दिनों हमारी संकीर्ण सोच एवं वीआईपी संस्कृति में कुछ विरोधाभासी घटनाओं ने न केवल संस्कृति को बल्कि हमारे लोकतंत्र को भी शर्मसार किया है। एक घटना गुजरात की है जिसमें गुजरात विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा गलत जगह पार्किंग करने पर गार्ड द्वारा सही पार्किग लगाने की सलाह देना उसके लिये नौकरी से हाथ धोने का कारण बनी, वही दूसरी दिल्ली के गोल्फ क्लब में नस्ली भेदभाव की घटना जिसमें परम्परागत पोशाक जैनसेम पहनकर आने पर मैनेजर द्वारा उसे बाहर कर देने की घटना भी हमारे लिये चिन्ता का कारण बनी है। शालीन व्यवहार, संस्कृति, परम्पराएं, विरासत, व्यक्ति, विचार, लोकाचरण से लोकजीवन बनता है और लोकजीवन अपनी स्वतंत्र अभिव्यक्ति, मर्यादा एवं संयमित व्यवहार से ही लोकतंत्र को मजबूती देता है, जहां लोक का शासन, लोक द्वारा, लोक के लिए शुद्ध तंत्र का स्वरूप बनता है। लेकिन यहां तो लोकतंत्र को हांकने वाले ल...