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महावीर बनने की तैयारी करें

महावीर बनने की तैयारी करें

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महावीर जयंती 9 अप्रैल, 2017 पर विशेष जैन धर्म के चैबीस तीर्थंकरों में भगवान महावीर का स्थान सर्वोत्कृष्ट है। वे अंतिम तीर्थंकर थे, उन्होंने ‘अहिंसा परमो धर्म’ का शंखनाद कर आत्मवत् सर्वभूतेषु की भावना को देश और दुनिया में जागृत किया। ‘जियो और जीने दो’ अर्थात् सह-अस्तित्व, अहिंसा एवं अनेकान्त का नारा देने वाले महावीर के सिद्धान्त विश्व की अशांति दूर कर शांति कायम करने में समर्थ है। प्रत्येक वर्ष भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती हम मनाते हैं। समस्त विश्व में जैन समाज और अन्य अहिंसा प्रेमी व्यक्तियों द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ उनकी जयंती मनाई जाती है। उस दिन भगवान महावीर की शिक्षाओं पर गोष्ठियां होती हैं, भाषण होते हैं और कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। भगवान महावीर की शिक्षाओं का हमारे जीवन और विशेषकर व्यावहारिक जीवन में किस प्रकार समावेश हो और कैसे हम अपने जीवन को उनकी शिक्ष...
साहसी महिलायें हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल कायम कर रही हैं

साहसी महिलायें हर क्षेत्र में बदलाव की मिसाल कायम कर रही हैं

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विश्व की साहसी महिलायें हर क्षेत्र में मिसाल कायम कर रही हैं। कुछ ऐसी बहादुर तथा विश्वास से भरी बेटियों से रूबरू होते हैं, जिन्होंने समाज में बदलाव और महिला सम्मान के लिए सराहनीय तथा अनुकरणीय मिसाल पेश की है। देश में डीजल इंजन ट्रेन चलाने वाली पहली महिला मुमताज काजी हो या पश्चिम बंगाल में बाल और महिला तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनोयारा खातून। ऐसी कई आम महिलाएं हैं जो भले ही बहुत लोकप्रिय न हो लेकिन उन्हें इस साल नारी शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया। राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को 30 महिलाओं को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वालों में नागालैण्ड की महिला पत्रकार बानो हारालू भी शामिल है जो नागालैण्ड में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है। उत्तराखण्ड की दिव्या रावत ग्रामीणों के साथ मशरूम की खेती को विकसित करने की भूमिका निभा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस मे...
BLOOD DONATION – SOME FACTS

BLOOD DONATION – SOME FACTS

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An adult has about 5 liters of blood in the body. Typically, about 300 ml (anywhere between 200 and 450 ml) of blood is taken by a blood bank (depending on requirement) from a person. The blood donated is recouped by the body within 2 to 7 days. One unit of blood (about 450 ml) helps save 3 lives. This is because, the blood taken from a donor is separated into its components (Red cells, White cells, Plasma and Platelets), each of which can be transfused into the blood of a recipient, separately. It takes approximately 10 minutes to remove one unit of blood from the donor . Including the time taken for filling up a form prior to donation, a physical examination (BP and weight) of the donor and the time to relax after donating blood, the whole process can be completed in about 45 minute...
many wonder use of castor oil

many wonder use of castor oil

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1) Castor Oil is a mild and effective laxative A half ounce of castor oil taken internally will have a quick and mild laxative effect, giving relief for constipation. To improve the taste, take the oil by floating in a glass of warm milk or mixing it with a fresh egg yolk. 2) Castor Oil expels tape worms and other intestinal worms Castor oil taken internally has been documented to discharge tape worms successfully. Take a tablespoon of castor oil in a glass of warm milk in the morning and at night. The worms will be passed out of your system. 3) Castor Oil relieves arthritis, back pain and muscle aches Castor oil applied topically can give immense relief from arthritis, back pain and general muscle aches and soreness. You can improve its effectiveness by applying a cloth soaked i...
अनचाही बेटियाँ

अनचाही बेटियाँ

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हम एक लिंगभेदी मानसिकता वाले समाज हैं जहाँ लड़कों और लड़कियों में फर्क किया जाता है. यहाँ लड़की होकर पैदा होना आसान नहीं है और पैदा होने के बाद एक औरत के रूप में जिंदा रखन भी उतना हीचुनौतीपूर्ण है. यहाँ बेटी पैदा होने पर अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों की ख़ुशी काफूर हो जाती है. नयी तकनीक ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है अब गर्भ में बेटी हैया बेटा यह पता करने के लिए कि किसी ज्योतिष या बाबा के पास नहीं जाना पड़ता है इसके लिए अस्पताल और डाक्टर हैं जिनके पास आधुनिक मशीनें है जिनसे भ्रूण का लिंग बताने में कभी चूक नहीं होती है. आज तकनीक ने अजन्मे बच्चे की लिंग जांच करवा कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने को बहुत आसान बना दिया है. भारतीय समाज इस आसानी का भरपूर फायदा उठा रहा है, समाज में लिंग अनुपात संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. वर्ष 1961 से लेकर 2011 तक की जनगणना पर नजर डालें तो यह बात साफ तौर पर उभ...
जीवन एक प्रतीक्षा है क्या

जीवन एक प्रतीक्षा है क्या

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हे मानव! कुछ तो सोच जरा .... बच्चा सोचे कब बड़ा होऊं, बड़ों की तरह रहूंगा व्यवहार करुंगा आदि-आदि। बच्चे को बड़ा होने की प्रतीक्षा। पढ़ाई पूरी कर कमाने की प्रतीक्षा। कमाना शुरु करते ही सही साथी की या शादी की प्रतीक्षा। फिर प्रतीक्षा की लम्बी कड़ी प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा कब बच्चे हों, बड़े हों, फिर उनका जीवन संवार कर उनको व्यवस्थित करने की प्रतीक्षा। फिर कब बूढ़े मां-बाप से छुटकारा हो और जायदाद हाथ में आ जाए इसकी प्रतीक्षा। सदा प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा। प्रतीक्षा करना जैसे एकमात्र आवश्यक नितकर्म हो गया हो। यह हो जाए तो वह करेंगे वह हो जाए तो यह करेंगे। प्रतीक्षा और बहाने एक दूसरे के पर्याय हो गए हैं। इस प्रतीक्षा में कब स्वयं बूढ़े हो जाते हैं पता ही नहीं लग पाता। यह कैसी किसकी और क्यों अन्तहीन प्रतीक्षा है। इस प्रतीक्षा ही प्रतीक्षा में कब जीवन चूक और चुक जाता है पता ही नहीं चलता। कब ...
स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

स्त्रियों को मनचाहा लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिल सकी है – गीताश्री

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हिंदी कहानी और पत्रकारिता में गीताश्री का नाम किसी के लिए भी नया नहीं हैं। गीताश्री की कहानियां आज हिंदी कहानी क्षेत्र के आकाश पर छाई हुई हैं। उनकी कहानियों में स्त्री विमर्श अपने हर रूप में है। कभी वह 'गोरिल्ला प्यार’ के रूप में है तो हालिया प्रकाशित 'डाउनलोड होते हैं सपने’ में सपनों की नई परिभाषा के रूप में। गीताश्री के पास पत्रकारिता के अनुभवों के साथ स्त्री अनुभवों का भी अथाह संसार है। गीताश्री के विचार कभी आराम नहीं करते, वे विराम नहीं लेते हैं। गीताश्री चलते रहने में भरोसा करती हैं। गीताश्री की कविता 'जितना हक’, 'औरत की बोली’, 'स्त्री आकांक्षा के मानचित्र’, 'नागपाश में स्त्री’, 'सपनों की मंडी’ (आदिवासी लड़कियों की तस्करी पर आधारित), '23 लेखिकाएं और राजेन्द्र यादव’ (सम्पादन), 'प्रार्थना के बाहर और अन्य कहानियां’, 'स्वप्न साजि़श और स्त्री’ तथा 'डाउनलोड होते हैं सपने’ पुस्तकें बाज़ार मे...
‘‘होली’’ का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

‘‘होली’’ का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति लाए!

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(1) ‘होली’ भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार:- भारत संस्कृति में त्योहारों एवं उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाये जाने वाले सभी त्योहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके, लोगों में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना होता है। यही कारण है कि भारत में मनाये जाने वाले सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों में सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका लोग बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं। परम पिता परमात्मा से हमारी प्रार्थना है कि होली का मंगल पर्व हम सभी के जीवन में नई आध्यात्मिक क्रान्ति ...
बसंतोत्सव बनाम वेलेंटाइन डे

बसंतोत्सव बनाम वेलेंटाइन डे

सामाजिक
हम भारत के सभी जीवन दर्शनों में आत्मसात रहा है। धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष रूपी चार तत्वों को साधना हिन्दू जीवन शैली का अंतरंग हिस्सा है। अर्थ हो या काम, दोनों के प्रति भारतीय सकारात्मक रहे हैं। मगर दोनों की पूर्ति को धर्म यानी नियमों से बांधा गया है। जिस प्रकार लोकतंत्र में स्वतंत्रता तो सबको है किंतु उसकी सीमा भी निर्धारित है, यानि स्वतंत्रता उतनी जो दूसरे की स्वतंत्रता को बाधित न कर सके। इसी प्रकार धन भी और काम यानि विषय वासनाओं की पूर्ति भी समाजोन्मुख। शिव-पार्वती की पूजा यानि लिंग-योनि की पूजा का भी यही भाव है कि काम तुष्टि संतानोत्पत्ति यानि वंश और मानव जाति को आगे बढ़ाने के लिए नितान्त आवश्यक है इसलिये स्तुतनीय है किंतु शिवलिंग और योनि पर किया जाने वाला जलाभिषेक कामाग्नि को नियंत्रण में रखने का संदेश भी देता है और काम की अति पर शिव संहारक हो सृष्टि का विनाश भी कर सकते हैं, यह चेतावनी भी। य...
रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

रंगों का त्यौहार: जीवन का उल्लास

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भारतवर्ष त्यौहारों का देश है। हर एक त्यौहार का अपना एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व होता है। इन सारे त्यौहारों में होली ही एक त्यौहार है जो पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक के साथ-साथ आमोद-प्रमोद के लिये मनाया जाने वाला खुशियों का त्यौहार है।। बुराई पर अच्छाई की विजय का, असत्य पर सत्य और शत्रुता पर मित्रता की स्थापना का यह पर्व विलक्षण एवं अद्भुत है। पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने, हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से मिलने और एक दूजे को आपसी सौहार्द एवं खुशियों के रंग लगाने के अनूठे दृश्य इस त्यौहार में मन को ही नहीं माहौल को भी खुशनुमा बनाते हंै। रंगों से ही नहीं, नृत्य गान, ढोलक-मंजीरा एवम अन्य संगीत वादक यंत्रों को बजा कर मनोरंजन करते हंै। पौराणिक मान्यताओं की रोशनी में होली के त्योहार का विराट् समायोजन बदलते परिवेश में विविधताओं का संगम बन गया है। इस अवसर पर...